Daughters are precious abhiyan has been launched by Rajasthan Government. News on a recent program held in the context.
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की पीसीपीएनडीटी ईकाई द्वारा ‘डार्टस आर प्रीसियस’ अभियान के तहत शनिवार को स्थानीय महारानी कालेज में सेमीनार एवं क्विज प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। र्कायक्रम के मुख्य अतिथि एवं अध्यक्ष राज्य समुचित प्राधिकारी, पीसीपीएनडीटी श्री नवीन जैन ने कहा कि बेटों को प्राथमिकता देने की मानसिकता को बदल कर ही बेटियों की कोख में हो रही हत्या को रोक पाने में सक्षम हो पायेंगे। उन्होंने कहा कि पीसीपीएनडीटी एक्ट की सख्ती से पालना के साथ ही आमजन खासकर युवाओं को इस मुद्दे के प्रति जागरूक होना आवश्यक है।
श्री जैन ने कहा कि विभाग द्वारा बेटियों को बचाने की मुहिम को एक मिशन के तौर पर आगे बढ़ाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पीसीपीएनडीटी इकाई द्वारा एक्ट के तहत अब तक 9 हजार से अधिक निरीक्षण किये गये हैं। अब तक लिंग परीक्षण एवं भ्रूण हत्या जैसे घिनौने अपराध में लिप्त 135 लोगों को सजा भी दिलवायी जा चुकी है। अध्यक्ष राज्य समुचित प्राधिकारी ने बताया कि इम्पैक्ट साफ्टवेयर के जरिये गर्भवती तक उसके मोबाइल नम्बर पर लिंग परीक्षण एवं भ्रूण हत्या न करवाने का संदेश पहुंचाया जा रहा है। साथ ही संभावित गर्भवतियों पर विशेष निगरानी भी रखी जा रही है। उन्होंने कहा कि इस साफ्टवेयर में प्रतिदिन लगभग 8 हजार से अधिक प्रविष्टियां र्दज होती हैं। अब तक 97 लाख से अधिक गर्भवतियों की प्रविष्टि इस साफ्टवेयर में हुयी है।
इस साफ्टवेयर में रेड अर्लट का सिस्टम भी रखा गया है। इस सिस्टम के तहत लिग परीक्षण के लिये सोनोग्राफी सेंटर पर आता है तो संचालक रेड अर्लट का बटन दबाकर उसकी जानकारी विभाग को दे सकता है। उन्होंने एक्टिव ट्रेकर, सोनोग्राफी मशीनों पर जीपीएस सिस्टम, मुखबिर योजना, पीसीपीएनडीटी ब्यूरो आफ इन्वेस्टीगेशन एवं बेटियों को बचाने के लिये चलाये जा रहे विभिन्न र्कायक्रमों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
Prasav Sakhi Yojna:
प्रदेश में मातृ मृत्युदर एवं शिशु मृत्युदर को कम करने के उद्देश्य से प्रारम्भ की गयी प्रसव सखी योजना प्रसूताओं को प्रसव के समय भावनात्मक सहयोग प्रदान करने की दृष्टि से अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो रही है। पायलेट प्रोजेक्ट के तौर पर प्रदेश के अधिक प्रसवभार वाले 30 राजकीय चिकित्सालयों में ‘प्रसव सखी‘ योजना को 2 अक्टूबर, 2016 से प्रारंभ किया। इनमें चुनिंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल, जिला अस्पताल एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र शामिल है। इस योजना के तहत प्रसव के समय प्रसूता के साथ उसके परिवार की स्वस्थ एवं व्यावहारिक महिला का प्रसव सखी के रूप में सहयोग लिया जा रहा है।
प्रसव सखी डिलीवरी के समय प्रसूता को भावनात्मक रूप से सहयोग देने के साथ ही जन्म के तुरंत बाद ही शिशु को स्तनपान प्रारंभ करवाने में भी अहम् भूमिका निभा रही है। प्रसव के बारे में अनुभवी परिवार की ही महिला के प्रसव सखी के रूप में मौजूद रहने से प्रसूता सहजता महसूस करती है। प्रसव सखी प्रसूता के साथ प्रसव से पूर्व, प्रसव के दौरान एव प्रसव के पश्चात् उपस्थित रहकर प्रसूता को भावनात्मक संबल प्रदान करती है।
हमारे देश में प्रसव सखी प्रोग्राम तमिलनाडु व छत्तीसगढ़ में भी प्रारम्भ किया जा चुका है। प्रसव सखी के प्रभाव के बारे में किये गये एक अध्ययन के अनुसार इससे माता और शिशु के बीच में भावनात्मक संबंध स्थापित होता है। प्रसव सखी से प्रसव पश्चात् होने वाला डिप्रेशन कम होता है एवं प्रसूता व नवजात के लिए आवश्यक स्तनपान को बढ़ावा मिलता है। विशेषज्ञों के अनुसार प्रसव सखी की उपस्थिति के कारण प्रसूता के तनाव में कमी आती है।
प्रसव सखी के चयन से पूर्व यह सुनिश्चित किया जाता हे कि उसे बुखार, खांसी इत्यादि संक्रमण फैलाने वाले लक्षण न हो। प्रसव सखी का प्रसूता की रिश्तेदार होने के कारण कोई वित्तीय भार सरकार या प्रसूता पर नहीं होता। इससे चिकित्सा कर्मियों के दुव्र्यवहार की शिकायतें कम होने के साथ ही बच्चे के बदलने एवं चोरी होनी की संभावना कम होगी।