RAS Mains Paper-4 Test | Day 24

In this, we will cover संधि , पल्लवन, Antonym and Elaboration for RAS Mains Paper-4 Test. We will refer Raghav Prakash and B K Rastogi for this test.

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संधि (Page 100-105) of Raghav Prakash संस्करण 2021

उत्तर –

  1. इत्यादि –  इति + आदि 
  2. लोकोपचार – लोक + उपचार
  3. उत्तरायण- उत्तर + अयन 
  4. दुर्योधन- दुः + यः+ धन
  5. गंगोर्मि- गंगा + ऊर्मि  
  6. भोनूर्ध्व – भानु + ऊर्ध्व 
  7. मुरारि – मुर + अरि 
  8. रजवाड़ा – राज + वाड़ा
  9. पित्रिच्छा- पितृ + इच्छा
  10. पुरस्कार – पुरः + कार

पल्लवन (Number 70-72) of Raghav Prakash संस्करण 2021

पंक्ति “क्षमा बलमशक्तानाम्” का अर्थ है कि क्षमा वही कर सकता है, जो सच्चे अर्थों में शक्तिशाली हो। यह कथन इंगित करता है कि जो व्यक्ति क्षमाशील होता है, वह अपने भीतर गहन शक्ति और सहनशीलता रखता है। क्षमा का गुण साधारण नहीं है; यह उस आत्म-संयम और उदारता को दर्शाता है, जो कठिन समय में भी क्रोध या प्रतिशोध की बजाय क्षमा को चुनती है।

क्षमा का गुण व्यक्ति को न केवल आंतरिक शांति प्रदान करता है, बल्कि उसे और भी शक्तिशाली बनाता है। जो लोग कमजोर होते हैं, उनके पास क्षमा करने का सामर्थ्य नहीं होता, क्योंकि वे अपनी ही नकारात्मक भावनाओं से बंधे होते हैं। वहीं, एक सशक्त व्यक्ति जानता है कि क्षमा न केवल सामने वाले को बल्कि स्वयं को भी मुक्त करती है। उदाहरण के लिए, महात्मा गांधी ने अपने जीवन में अनेक बार क्षमा का अभ्यास किया और उसे अपनी शक्ति का प्रतीक माना। उन्होंने अपने विरोधियों को क्षमा करके अहिंसा की शक्ति को सिद्ध किया।

इस प्रकार, “क्षमा बलमशक्तानाम्” यह सन्देश देता है कि क्षमा करने में अपार शक्ति होती है, और जो इसे अपना सकता है, वही सच्चे अर्थों में शक्तिशाली होता है।

Antonyms (Page187-190) of B K Rastogi 19th edition

Answer –

  1. Bold – Timid 
  2. Barren – Fertile
  3. Allow – Forbid
  4. Awkward – Graceful
  5. Charming – Ugly

Elaboration (Number 21-24) of B K Rastogi 19th edition

“The paths of glory lead but to the grave” conveys the idea that no matter how much success, fame, or glory a person achieves in life, everyone ultimately faces the same inevitable fate: death. This phrase, from Thomas Gray’s poem Elegy Written in a Country Churchyard, reflects on the fleeting nature of worldly achievements and human mortality.

Glory, power, and accomplishments can often seem like the ultimate goals, but this line reminds us that such pursuits, while meaningful in their own right, do not grant immortality or escape from death. It emphasizes the universality of death, which renders all worldly distinctions insignificant in the end. This theme encourages introspection on what truly matters in life. It suggests that rather than solely chasing after glory, one might focus on inner fulfillment, kindness, and actions that have lasting value, as these are the legacies that endure beyond the grave.

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