वैश्विक व्यापार और निवेश: बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ (MNCs), प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI), और विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) आज की वैश्विक अर्थव्यवस्था में पूंजी प्रवाह, विपणन (Marketing) रणनीतियों और तकनीकी नवाचार का आधार बन चुके हैं। इनका प्रभावी प्रबंधन न केवल अंतरराष्ट्रीय व्यापार संबंधों को मजबूत करता है, बल्कि विकासशील देशों में आर्थिक अवसरों और रोजगार सृजन को भी बढ़ावा देता है।
बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ (Multinational Corporations)
एक बहुराष्ट्रीय कंपनी (MNC) एक ऐसी व्यावसायिक संगठन होती है जो कई देशों में संचालित होती है, लेकिन इसका मुख्यालय (Headquarters) एक ही देश में स्थित होता है। ये कंपनियाँ विभिन्न देशों में अपनी उपस्थिति बढ़ाने के लिए सहायक कंपनियाँ (Subsidiaries), संयुक्त उपक्रम (Joint Ventures) या साझेदारियाँ (Partnerships) स्थापित करती हैं। MNCs अंतरराष्ट्रीय व्यापार (International Trade), प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (Technology Transfer) और आर्थिक एकीकरण (Economic Integration) को बढ़ावा देकर वैश्विक अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
MNCs की प्रमुख विशेषताएँ
- वैश्विक उपस्थिति (Global Presence) – ये विभिन्न देशों में कार्यरत होती हैं।
- केंद्रीकृत मुख्यालय (Centralized Headquarters) – सभी प्रमुख निर्णय मुख्यालय से लिए जाते हैं।
- वृहद-स्तरीय संचालन (Large-Scale Operations) – विशाल आपूर्ति श्रृंखला (Supply Chain) और वितरण नेटवर्क।
- अनुसंधान एवं विकास (R&D) – सतत नवाचार (Innovation) से प्रतिस्पर्धा में आगे बने रहना।
- तकनीकी नेतृत्व (Technological Leadership) – अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग।
- ब्रांड पहचान (Brand Recognition) – मजबूत वैश्विक ब्रांड छवि।
- विविध कार्यबल (Diverse Workforce) – विभिन्न संस्कृतियों और देशों के लोग कार्यरत।
- उदाहरण (Examples):
- गूगल (Google), एप्पल (Apple), सऊदी अरामको (Saudi Aramco), टोयोटा मोटर्स (Toyota Motors) आदि।
बहुराष्ट्रीय कंपनियों के प्रकार
बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ (Multinational Companies – MNCs) विभिन्न देशों में व्यापार संचालन करने के लिए अलग-अलग रणनीतियाँ अपनाती हैं। उनके संगठनात्मक ढांचे (Organizational Structure), व्यापार मॉडल (Business Model), और प्रबंधन शैली (Management Style) के आधार पर इन्हें चार प्रमुख प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
- केंद्रीकृत (वैश्विक) कॉरपोरेशन (Centralized or Global Corporation)
- विकेन्द्रीकृत (बहु-घरेलू) कॉरपोरेशन (Decentralized or Multi-Domestic Corporation)
- बहुराष्ट्रीय कॉरपोरेशन (Transnational Corporation – TNC)
- अंतरराष्ट्रीय कॉरपोरेशन (International Corporation)
केंद्रीकृत (वैश्विक) कॉरपोरेशन (Centralized or Global Corporation)
यह कॉरपोरेशन अपने मुख्यालय (Headquarters) से सभी प्रमुख निर्णय लेते हैं और पूरी दुनिया में एक समान उत्पाद और सेवाएँ प्रदान करते हैं। इनका उद्देश्य मूल्य में कमी (Cost Efficiency) और मानकीकरण (Standardization) होता है।
- मुख्य विशेषताएँ:
- मानकीकृत उत्पाद (Standardized Products) – सभी देशों में एक जैसे उत्पाद और सेवाएँ।
- सशक्त केंद्रीय नियंत्रण (Strong Central Control) – प्रमुख निर्णय मुख्यालय से लिए जाते हैं।
- कम स्थानीय अनुकूलन (Minimal Local Adaptation) – क्षेत्रीय बाजारों के अनुसार अधिक बदलाव नहीं होते।
- अर्थव्यवस्था में पैमाने की अर्थव्यवस्था (Economies of Scale) – बड़े पैमाने पर उत्पादन से लागत कम होती है।
- उदाहरण:
- Apple (USA) – iPhones, MacBooks और अन्य उत्पाद पूरी दुनिया में एक जैसे होते हैं।
- Coca-Cola (USA) – कंपनी के उत्पादों की ब्रांडिंग और पैकेजिंग हर देश में लगभग समान रहती है।
विकेन्द्रीकृत (बहु-घरेलू) कॉरपोरेशन (Decentralized or Multi-Domestic Corporation)
ये कॉरपोरेशन हर देश के स्थानीय बाजार के अनुसार अपने उत्पादों और सेवाओं को अनुकूलित (Customize) करते हैं। इन्हें स्वतंत्र सहायक कंपनियों (Independent Subsidiaries) के रूप में चलाया जाता है, जो स्थानीय जरूरतों के आधार पर व्यापारिक निर्णय लेती हैं।
- मुख्य विशेषताएँ:
- स्थानीय अनुकूलन (High Local Adaptation) – उत्पाद और सेवाएँ स्थानीय उपभोक्ताओं की पसंद के अनुसार बदले जाते हैं।
- स्वतंत्र सहायक कंपनियाँ (Independent Subsidiaries) – प्रत्येक देश की शाखा को अपने फैसले लेने की स्वतंत्रता होती है।
- ग्राहक-केंद्रित रणनीति (Customer-Centric Strategy) – स्थानीय उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं के अनुसार उत्पाद बनाए जाते हैं।
- उदाहरण:
- Nestlé (Switzerland) – अलग-अलग देशों में विभिन्न प्रकार के खाद्य उत्पाद बेचती है, जैसे कि भारत में मसालेदार Maggi Noodles और जापान में ग्रीन टी फ्लेवर किटकैट।
- McDonald’s (USA) – प्रत्येक देश के हिसाब से अलग-अलग मेनू तैयार करता है, जैसे कि भारत में McAloo Tikki और जापान में Teriyaki Burger।
बहुराष्ट्रीय कॉरपोरेशन (Transnational Corporation – TNC)
यह कॉरपोरेशन वैश्विक रणनीति और स्थानीय अनुकूलन (Global Strategy + Local Adaptation) का एक संतुलन बनाते हैं। इनका मुख्यालय रणनीतिक फैसले लेता है, लेकिन स्थानीय सहायक कंपनियों को अपनी बाजार रणनीति को बदलने की स्वतंत्रता मिलती है।
- मुख्य विशेषताएँ:
- वैश्विक और स्थानीय रणनीति का मिश्रण (Mix of Global and Local Strategy) – कुछ चीज़ें केंद्रीकृत रहती हैं, जबकि अन्य चीजें स्थानीय बाजार के अनुसार बदली जाती हैं
- संसाधन साझा करना (Resource Sharing) – विभिन्न देशों की शाखाएँ आपस में नवाचार और संसाधन साझा करती हैं।
- लचीला ढांचा (Flexible Structure) – बाज़ार की आवश्यकताओं के अनुसार ढांचा बदला जा सकता है।
- उदाहरण:
- Unilever (UK & Netherlands) – यह ब्रांडिंग को वैश्विक स्तर पर एक समान रखता है, लेकिन उत्पादों को स्थानीय स्वाद और जरूरतों के अनुसार बदलता है।
- Toyota (Japan) – यह कंपनी अलग-अलग देशों में कार बनाती है और वहाँ की आवश्यकताओं के अनुसार फीचर्स को बदलती है।
अंतरराष्ट्रीय कॉरपोरेशन (International Corporation)
यह कॉरपोरेशन मुख्य रूप से अपने घरेलू देश (Home Country) में उत्पादन करते हैं और अपने उत्पादों को निर्यात (Export) के माध्यम से अन्य देशों में बेचते हैं। इनका अन्य देशों में बड़ा संचालन नहीं होता।
- मुख्य विशेषताएँ:
- सीमित विदेशी उपस्थिति (Limited Foreign Presence) – केवल उत्पादों का निर्यात करते हैं, विदेशी शाखाएँ नहीं होतीं।
- निर्यात-केंद्रित मॉडल (Export-Oriented Model) – उत्पादन अपने देश में होता है और बिक्री अंतरराष्ट्रीय बाजारों में।
- कम निवेश (Lower Investment) – अन्य देशों में उत्पादन और संचालन की लागत नहीं होती।
- उदाहरण:
- Boeing (USA) – कंपनी विमान निर्माण अमेरिका में करती है और उन्हें पूरी दुनिया में निर्यात करती है।
- Ferrari (Italy) – इटली में अपने लक्ज़री स्पोर्ट्स कार बनाती है और पूरी दुनिया में बेचती है।
बहुराष्ट्रीय कंपनी (एमएनसी) बनने के लाभ
बाजार विस्तार और राजस्व वृद्धि (Market Expansion & Revenue Growth)
बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ नए उपभोक्ताओं तक पहुँचने और अपनी बिक्री बढ़ाने के लिए वैश्विक बाजारों में प्रवेश करती हैं। इससे उन्हें अधिक ग्राहकों तक पहुँचने, नए बाज़ारों में प्रवेश करने और राजस्व (Revenue) में वृद्धि करने का अवसर मिलता है।
- मुख्य लाभ:
- नए उपभोक्ता आधार तक पहुँच
- एकल देश की अर्थव्यवस्था पर निर्भरता कम
- उभरते बाजारों (Emerging Markets) में उच्च मांग का लाभ उठाना
- उदाहरण:
- McDonald’s ने विभिन्न देशों में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई और स्थानीय बाजार के अनुसार मेनू में बदलाव किए, जिससे इसकी बिक्री बढ़ी।
उत्पादन लागत में कमी और अर्थव्यवस्था की पैमाने की बचत (Cost Reduction & Economies of Scale)
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संचालन करने से कंपनियों को कम लागत पर उत्पादन करने का अवसर मिलता है। वे ऐसे देशों में अपने विनिर्माण संयंत्र (Manufacturing Units) स्थापित करते हैं जहाँ
- मुख्य लाभ:
- सस्ती श्रम लागत (Low Labor Cost)
- कच्चे माल की कम कीमत (Cheaper Raw Materials)
- बड़े पैमाने पर उत्पादन (Mass Production) से लागत में कमी
- उदाहरण:
- Nike अपने जूते और परिधान वियतनाम, इंडोनेशिया और चीन में बनवाता है क्योंकि वहाँ श्रम लागत कम है।
- Apple अपने iPhones के विनिर्माण संयंत्र चीन में लगाता है क्योंकि वहाँ उत्पादन लागत कम है।
प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता (Access to Natural Resources)
कई कंपनियाँ उन देशों में विस्तार करती हैं जहाँ उन्हें अपेक्षित प्राकृतिक संसाधन मिल सकते हैं, जो उनके उत्पाद निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इससे उत्पादन लागत कम होती है और स्थिर आपूर्ति सुनिश्चित होती है।
- मुख्य लाभ:
- आवश्यक संसाधनों की सीधी पहुँच
- उत्पादन लागत में कमी
- संसाधनों की बेहतर उपलब्धता
- उदाहरण:
- Shell और BP जैसी पेट्रोलियम कंपनियाँ उन देशों में काम करती हैं जहाँ तेल और प्राकृतिक गैस के भंडार हैं, जैसे कि मध्य पूर्व और अफ्रीका।
- De Beers हीरा उत्पादन के लिए अफ्रीकी देशों में अपने खनन कार्यों का संचालन करता है।
प्रतिस्पर्धात्मक लाभ और वैश्विक ब्रांड पहचान (Competitive Advantage & Global Brand Recognition)
एक मजबूत वैश्विक उपस्थिति किसी भी कंपनी को उसके प्रतिस्पर्धियों से आगे बढ़ने में मदद करती है। वैश्विक ब्रांडिंग, इनोवेशन और टेक्नोलॉजी में बढ़त रखने वाली कंपनियाँ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रभावी ढंग से प्रतिस्पर्धा कर सकती हैं।
- मुख्य लाभ:
- ब्रांड की वैश्विक पहचान में वृद्धि
- प्रतिस्पर्धियों से आगे निकलने का अवसर
- उच्च गुणवत्ता और इनोवेशन के कारण ग्राहक विश्वास बढ़ना
- उदाहरण :
- Apple ने अपनी ब्रांड छवि को वैश्विक स्तर पर मजबूत किया और प्रीमियम स्मार्टफोन बाजार पर कब्जा कर लिया।
जोखिम विविधता (Risk Diversification)
एक ही देश पर निर्भर रहने से कंपनियों को अधिक जोखिम होता है, जैसे कि आर्थिक मंदी, राजनीतिक अस्थिरता, या किसी विशेष बाज़ार में मांग में गिरावट। बहुराष्ट्रीय बनने से कंपनियाँ अलग-अलग देशों में काम करके अपने व्यवसाय में विविधता ला सकती हैं और जोखिम कम कर सकती हैं।
- मुख्य लाभ:
- एक देश की आर्थिक मंदी का अन्य देशों के प्रदर्शन पर प्रभाव न पड़ना
- राजनीतिक और व्यापार नीतियों में बदलाव से सुरक्षा
- विभिन्न मुद्राओं में कारोबार करने से वित्तीय संतुलन बना रहना
- उदाहरण:
- Coca-Cola 200+ देशों में काम करती है, जिससे यदि किसी एक देश में बिक्री कम हो, तो दूसरे देशों से होने वाली आय उसकी भरपाई कर सके।
कुशल श्रम शक्ति और नवाचार (Access to Skilled Workforce & Innovation)
कई कंपनियाँ विभिन्न देशों में विस्तार इसलिए भी करती हैं ताकि वे कुशल श्रमिकों (Skilled Workforce) की सेवाएँ ले सकें और तकनीकी नवाचार (Technological Innovation) को बढ़ावा दे सकें।
- मुख्य लाभ:
- प्रतिभाशाली कर्मचारियों की उपलब्धता
- नए विचारों और तकनीकों तक पहुँच
- अनुसंधान एवं विकास (R&D) में बढ़त
- उदाहरण:
- Google और Microsoft ने भारत, कनाडा और यूरोप में अनुसंधान एवं विकास (R&D) केंद्र स्थापित किए हैं ताकि वे तकनीकी विशेषज्ञों की सेवाएँ ले सकें।
- Tesla ने विभिन्न देशों में विशेषज्ञ इंजीनियरों को भर्ती करके इलेक्ट्रिक वाहन तकनीक में नवाचार किया।
बहुराष्ट्रीय कंपनियों (एमएनसी) के समक्ष चुनौतियाँ
बहुराष्ट्रीय कंपनियां (एमएनसी) कई देशों में काम करती हैं, जिससे प्रबंधन, अनुपालन, संस्कृति और परिचालन से संबंधित जटिल चुनौतियां सामने आती हैं।
राजनीतिक और कानूनी चुनौतियाँ (Political and Legal Challenges)
बहुराष्ट्रीय कंपनियों (MNCs) को हर देश में अलग-अलग राजनीतिक वातावरण (Political Environment) और कानूनी ढांचे (Legal Frameworks) के अनुसार काम करना पड़ता है। इन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जैसे:
- मुख्य चुनौतियाँ:
- अस्थिर सरकारी नीतियाँ (Unstable Government Policies) – अचानक कानूनों में बदलाव, कराधान (Taxation) और व्यापार विनियमों (Trade Regulations) में परिवर्तन से व्यवसाय प्रभावित हो सकता है।
- कठोर श्रम कानून (Strict Labor Laws) – कुछ देशों में श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए सख्त श्रम कानून लागू होते हैं, जिनका पालन करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
- उदाहरण:
- Vodafone को भारत में कर विवाद (Tax Dispute) का सामना करना पड़ा, जिसके कारण कंपनी को अरबों डॉलर की कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी।
आर्थिक और वित्तीय जोखिम (Economic & Financial Risks)
MNCs को विभिन्न देशों की आर्थिक स्थितियों, मुद्रास्फीति (Inflation), मुद्रा विनिमय दर (Exchange Rate) और व्यापार प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है।
- मुख्य चुनौतियाँ:
- मुद्रा विनिमय दर में उतार-चढ़ाव (Currency Fluctuations) – डॉलर, यूरो, रुपया जैसी मुद्राओं में उतार-चढ़ाव से कंपनियों को नुकसान हो सकता है।
- मुद्रास्फीति और मंदी (Inflation & Recession) – कुछ देशों में उच्च मुद्रास्फीति व्यवसाय लागत को बढ़ा सकती है।
- व्यापार युद्ध और टैरिफ (Trade Wars & Tariffs) – विभिन्न देशों द्वारा लगाए गए करों से आयात-निर्यात प्रभावित हो सकता
- उदाहरण:
- अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध के कारण Apple और Tesla जैसी कंपनियों को अतिरिक्त आयात शुल्क चुकाना पड़ा।
सांस्कृतिक और भाषाई बाधाएँ (Cultural & Language Barriers)
हर देश की अपनी संस्कृति, उपभोक्ता व्यवहार, भाषा और सामाजिक मूल्य होते हैं। MNCs को स्थानीय बाज़ार की जरूरतों के अनुसार अपनी रणनीतियाँ बनानी पड़ती हैं।
- मुख्य चुनौतियाँ:
- भाषा की समस्या (Language Barriers) – विभिन्न देशों में कर्मचारियों और उपभोक्ताओं के साथ प्रभावी संचार एक चुनौती होती है।
- सांस्कृतिक मतभेद (Cultural Differences) – हर देश के ग्राहकों की प्राथमिकताएँ और उपभोक्ता आदतें अलग होती हैं।
- स्थानीय संवेदनशीलता (Local Sensitivities) – कुछ विपणन रणनीतियाँ सांस्कृतिक रूप से अनुचित हो सकती हैं।
- उदाहरण:
- McDonald’s ने भारत में बीफ और पोर्क से बने उत्पादों को हटा दिया और शाकाहारी विकल्प जोड़े।
नैतिकता और कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (Ethical & Corporate Social Responsibility – CSR Issues)
MNCs को अक्सर पर्यावरणीय क्षति, श्रम शोषण और सामाजिक जिम्मेदारी से जुड़े विवादों का सामना करना पड़ता है।
- मुख्य चुनौतियाँ:
- सस्ते श्रमिकों का शोषण (Exploitation of Cheap Labor) – MNCs कभी-कभी कम वेतन देकर श्रमिकों का शोषण करती हैं।
- पर्यावरणीय प्रभाव (Environmental Impact) – औद्योगिक कचरा और प्रदूषण से पर्यावरण को नुकसान हो सकता है।
- उदाहरण:
- Nike को बाल श्रम (Child Labor) और अनुचित कार्य परिस्थितियों के कारण भारी आलोचना झेलनी पड़ी।
आपूर्ति श्रृंखला और लॉजिस्टिक्स समस्याएँ (Supply Chain & Logistics Issues)
MNCs को विभिन्न देशों में अपने उत्पादों और कच्चे माल की आपूर्ति
- लॉजिस्टिक्स में देरी (Logistics Delays) – लंबी परिवहन अवधि और सीमा शुल्क समस्याएँ।
- वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला व्यवधान (Global Supply Chain Disruptions) – प्राकृतिक आपदाएँ और वैश्विक संकट संचालन को प्रभावित कर सकते हैं।
- स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता (Dependence on Local Suppliers) – गुणवत्ता और समय पर डिलीवरी की समस्याएँ हो सकती हैं।
- उदाहरण:
- Toyota को COVID-19 महामारी के दौरान चिप की कमी (Semiconductor Shortage) के कारण उत्पादन में देरी हुई।
कराधान और लाभ हस्तांतरण समस्याएँ (Taxation & Profit Repatriation Issues)
MNCs को विभिन्न देशों की कराधान (Taxation) नीतियों और दोहरे कराधान (Double Taxation) से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
- मुख्य चुनौतियाँ:
- टैक्स हेवन (Tax Havens) का उपयोग करने पर सरकारों की जाँच।
- लाभ हस्तांतरण में कठिनाई (Profit Repatriation Issues) – कुछ देश विदेशी कंपनियों के लाभ हस्तांतरण पर रोक लगाते हैं।
- कठिन टैक्स अनुपालन (Tax Compliance Issues) – विभिन्न देशों में अलग-अलग कर नीतियाँ होती हैं।
- उदाहरण :
- Apple और Google को यूरोपीय संघ द्वारा कर बचाव योजनाओं के लिए दंडित किया गया।
वैश्विक कार्यबल का प्रबंधन (Managing a Global Workforce)
बहुराष्ट्रीय कंपनियों (MNCs) को विभिन्न देशों में अपने कर्मचारियों को संभालने के लिए कई अनूठी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
- मुख्य चुनौतियाँ:
- विभिन्न देशों के श्रम कानून (Different Labor Laws) – प्रत्येक देश के श्रम कानून अलग होते हैं, जिनका अनुपालन करना आवश्यक होता है।
- रिमोट और विविध टीमों का प्रबंधन (Managing Remote and Diverse Teams) – अलग-अलग समय क्षेत्रों (Time Zones) में फैले कर्मचारियों के साथ समन्वय करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
- कार्यस्थल की सांस्कृतिक अपेक्षाएँ (Cultural Differences in Workplace Expectations) – विभिन्न देशों के कर्मचारी कार्यशैली, पदानुक्रम (Hierarchy), और संचार शैली में भिन्न हो सकते हैं।
- उदाहरण :
- Microsoft और IBM जैसी कंपनियों के पास वैश्विक स्तर पर कर्मचारी हैं, जिन्हें निष्पक्ष श्रम प्रथाओं (Fair Labor Practices) को सुनिश्चित करते हुए प्रबंधित करना होता है।
MNCs की कराधान प्रक्रिया
बहुराष्ट्रीय कंपनियों (MNCs) को कई देशों में परिचालन करने के कारण जटिल कर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। ये कर संबंधी मुद्दे मुख्य रूप से अलग-अलग देशों के कर कानूनों, लाभ हस्तांतरण (Profit Shifting), और अंतरराष्ट्रीय नियमों के कारण उत्पन्न होते हैं।
कर बचाव (Tax Avoidance) और लाभ हस्तांतरण (Profit Shifting)
MNCs अक्सर कर देनदारी को कम करने के लिए कर बचाव की रणनीतियाँ अपनाती हैं। इनमें शामिल हैं:
- लाभ को कम कर वाले देशों (Tax Havens) में स्थानांतरित करना।
- ट्रांसफर प्राइसिंग (Transfer Pricing) का उपयोग करके कर योग्य आय को कृत्रिम रूप से कम करना।
- अंतरराष्ट्रीय कर कानूनों की खामियों (Loopholes) का लाभ उठाना।
- उदाहरण: Apple ने अपने मुनाफे को आयरलैंड में स्थानांतरित किया, जहाँ कम कॉर्पोरेट कर दर थी, जिससे इसका वैश्विक कर बोझ कम हो गया।
ट्रांसफर प्राइसिंग में हेरफेर (Transfer Pricing Manipulation)
- MNCs अपनी सहायक कंपनियों के बीच कीमतों में हेरफेर करके लाभ का आवंटन इस प्रकार करती हैं कि उन्हें न्यूनतम कर देना पड़े। इसमें शामिल हैं:
- संबद्ध कंपनियों के बीच माल/सेवाओं को कृत्रिम रूप से निर्धारित मूल्य पर बेचना।
- राजस्व को उच्च कर वाले देशों से कम कर वाले देशों में स्थानांतरित करना।
- उदाहरण: Google ने Bermuda में अपनी सहायक कंपनियों के माध्यम से मुनाफा स्थानांतरित किया, जहाँ कॉर्पोरेट कर दर शून्य (0%) है।
कर स्वर्ग (Tax Havens) और अपतटीय कंपनियाँ (Offshore Companies)
MNCs कम या शून्य कर दरों का लाभ उठाने के लिए कर स्वर्गों (Tax Havens) में सहायक कंपनियाँ स्थापित करती हैं। इन देशों की विशेषताएँ होती हैं:
- कॉर्पोरेट लाभ पर न्यूनतम कर दरें।
- कड़े गोपनीयता कानून, जो वित्तीय विवरणों को छिपाने में मदद करते हैं।
- कम नियामक बाधाएँ और आसान कंपनी पंजीकरण।
- उदाहरण: Facebook, Amazon और Microsoft की सहायक कंपनियाँ Cayman Islands, Luxembourg, and Bermuda में स्थित हैं, जिससे उन्हें कर बचाने में मदद मिलती है।
दोहरा कराधान (Double Taxation) की समस्या
MNCs को एक ही आय पर दो अलग-अलग देशों में कर चुकाना पड़ सकता है, जिससे वित्तीय बोझ बढ़ता है। इसके समाधान के लिए:
- कर संधियों (Tax Treaties) की आवश्यकता होती है, जिससे दोहरे कराधान को रोका जा सके।
- विदेशी कर क्रेडिट (Foreign Tax Credit) का उपयोग करके कर बोझ कम किया जा सकता है।
- उदाहरण: अगर किसी अमेरिकी कंपनी को जर्मनी में लाभ होता है, तो उसे अमेरिका और जर्मनी दोनों में कर चुकाना पड़ सकता है, जब तक कि कोई कर संधि लागू न हो।
डिजिटल कराधान की चुनौतियाँ (Digital Taxation Challenges)
डिजिटल कंपनियों (जैसे Google, Amazon, Netflix) के लिए कर निर्धारण मुश्किल हो जाता है क्योंकि वे बिना भौतिक उपस्थिति के विभिन्न देशों में व्यवसाय संचालित करती हैं। प्रमुख चुनौतियाँ:
- देश डिजिटल सेवाओं पर कर लगाने की माँग करते हैं, भले ही कंपनी की वहाँ कोई शाखा न हो।
- यूरोपीय संघ, भारत, और यूके में डिजिटल सेवा कर (DST) लागू किया जा रहा है।
- कर क्षेत्राधिकार (Tax Jurisdiction) को लेकर विवाद उत्पन्न होते हैं।
- उदाहरण: फ्रांस ने Google और Facebook जैसी तकनीकी दिग्गज कंपनियों पर 3% डिजिटल टैक्स लगाया, ताकि उनके द्वारा अर्जित राजस्व पर कर लिया जा सके।
लाभ कटौती और लाभ हस्तांतरण (BEPS) नियम (Base Erosion and Profit Shifting Regulations)
कर बचाव से निपटने के लिए OECD (Organisation for Economic Co-operation and Development) ने BEPS ढांचा लागू किया, जिससे:
- MNCs को कर स्वर्गों में मुनाफा स्थानांतरित करने से रोका जा सके।
- वैश्विक न्यूनतम कर दर (Global Minimum Tax) लागू की गई।
- अधिक वित्तीय पारदर्शिता (Financial Transparency) और रिपोर्टिंग अनिवार्य की गई।
- उदाहरण: OECD ने 2021 में वैश्विक न्यूनतम कर (15%) की घोषणा की, ताकि सभी MNCs एक न्यूनतम कर दर का भुगतान करें और कर चोरी को रोका जा सके।
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और विदेशी पोर्टफोलियो निवेश
विगत वर्षों में पूछे गए प्रश्न
वर्ष | प्रश्न | अंक |
2018 | स्वचालित मार्ग तथा सरकारी मार्ग, जिसके द्वारा भारत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्राप्त करता है, को समझाइये । | 5M |
2016 | ग्रीन फील्ड विदेशी प्रत्यक्ष निवेश और ब्राउन फील्ड विदेशी प्रत्यक्ष निवेश में अंतर कीजिए । | 5M |
2016 | भारत सरकार की वर्तमान प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति के प्रमुख लक्षणों का विवरण दीजिए । | 10M |
2013 | आर्थिक विकास के लिये FDI एवं FII की भूमिका में अंतर बताइये । | 5M |
विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा), 1999 और उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी), वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी समेकित एफडीआई नीति के अनुसार:
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश
- सूचीबद्ध कंपनी में 10% या उससे अधिक का निवेश (10% से कम निवेश को FPI माना जाता है)
- असूचीबद्ध भारतीय कंपनी में निवेश (निवेश सीमा की परवाह किए बिना)
कौन FDI प्राप्त कर सकता है?
- कंपनियां, साझेदारी फर्में, वेंचर कैपिटल फंड्स, सीमित दायित्व भागीदारी (LLPs), स्टार्टअप्स आदि।
मार्ग:
- सरकार मार्ग : विदेशी निवेश सुविधा पोर्टल में आवेदन → संबंधित प्रशासनिक मंत्रालय/विभाग। –
- ₹5000 करोड़ से अधिक के प्रस्तावों को CCEA द्वारा अनुमोदित किया जाता है।
- स्वचालित मार्ग: सरकार या RBI की पूर्व स्वीकृति की आवश्यकता नहीं होती।
- नोट: भारत के साथ सीमा साझा करने वाले देशों से FDI केवल अनुमोदन मार्ग के तहत अनुमत है।
पात्र साधन:
- शेयर, वारंट, पूर्णतया, अनिवार्य रूप से और अनिवार्य रूप से परिवर्तनीय डिबेंचर, विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांड (FCCBs), विदेशी मुद्रा विनिमय योग्य बांड, डिपॉजिटरी रसीदें (इन सभी साधनों पर अंतर्राष्ट्रीय वित्त पोषण विषय में चर्चा की गई है)।
प्रतिबंधित क्षेत्र:
- लॉटरी व्यवसाय, जुआ और सट्टेबाजी सहित कैसीनो,
- चिट फंड और निधि कंपनी, हस्तांतरणीय विकास अधिकार (TDRs) में ट्रेडिंग,
- रियल एस्टेट व्यवसाय (जमीन की खरीद/बिक्री) या फार्म हाउस का निर्माण
- सिगार का निर्माण
- निजी क्षेत्र के निवेश के लिए खुले नहीं किए गए गतिविधियाँ/क्षेत्र, जैसे कि
- परमाणु ऊर्जा
- रेलवे संचालन।
क्षेत्रीय सीमा (Sectoral Cap):
- सभी विदेशी निवेश (FDI और FPI दोनों) के लिए समग्र सीमा (Composite Cap)।
नोट: एक बार FDI होने के बाद, वह हमेशा FDI के रूप में ही माना जाएगा, यानी अगर FDI FPI में बदलता है, तो भी उसे FDI के रूप में ही वर्गीकृत किया जाएगा।
आंकड़े:
- FDI आकर्षित करने वाले शीर्ष देश : USA (($388.08 billion); चीन, सिंगापुर। भारत- 15वें स्थान पर।
- प्रवृत्तियाँ : संयुक्त राष्ट्र व्यापार एवं विकास सम्मेलन (यूएनसीटीएडी) की रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक स्तर पर 2 प्रतिशत की गिरावट के बीच भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्रवाह 2023 में 43 प्रतिशत घटकर 28 बिलियन डॉलर रह गया। एफडीआई प्रवाह के मामले में भारत 2022 में 8वें स्थान से 2023 में 15वें स्थान पर आ गया, लेकिन यह दोनों तरह के एफडीआई – ग्रीनफील्ड परियोजनाओं और अंतरराष्ट्रीय परियोजना वित्त सौदों के लिए शीर्ष-5 में बना रहा। 2022 में, भारत का एफडीआई प्रवाह 10 प्रतिशत बढ़कर 49 बिलियन डॉलर हो गया था।
- शीर्ष FDI स्रोत( सितम्बर 2024 तक): मॉरीशस।
- शीर्ष FDI स्रोत (2000-2023): मॉरीशस।
- सबसे अधिक FDI आकर्षित करने वाले क्षेत्र (सितम्बर 2024 तक): सेवा क्षेत्र (बैंकिंग, बीमा)।
- सबसे अधिक FDI प्रवाह आकर्षित करने वाले राज्य (सितम्बर 2024 तक): महाराष्ट्र।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने पहले विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) को इस प्रकार परिभाषित किया था: “भारत के बाहर स्थापित या निगमित एक संस्था जो भारतीय प्रतिभूतियों में निवेश करने का प्रस्ताव करती है और सेबी (विदेशी संस्थागत निवेशक) विनियम, 1995 के तहत सेबी के साथ पंजीकृत है।”
- वर्तमान स्थिति : एफआईआई अब एक श्रेणी के रूप में मौजूद नहीं है।
- अब, भारतीय प्रतिभूति बाजारों में विदेशी निवेश को एफपीआई (विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक) ढांचे के तहत विनियमित किया जाता है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के अनुसार, विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) से तात्पर्य गैर-निवासी निवेशकों द्वारा भारतीय वित्तीय बाजारों में, जिसमें इक्विटी, बांड और अन्य वित्तीय उपकरण शामिल हैं, किसी कंपनी में महत्वपूर्ण स्वामित्व या नियंत्रण प्राप्त किए बिना किया गया निवेश है।
विदेशी प्रत्यक्ष निवेश और विदेशी पोर्टफोलियो निवेश के बीच अंतर
मुख्य बिंदु | FDI | FPI | ||||
निवेश की प्रकृति: | विदेशी संस्थाएँ भारत में स्वयं या अन्य भारतीय कंपनियों के साथ साझेदारी में संचालन स्थापित करती हैं। | विदेशी संस्थाएं भारत में शेयर, बांड, सरकारी प्रतिभूतियां, म्यूचुअल फंड आदि जैसे वित्तीय उपकरण खरीदती हैं | ||||
क्या हमेशा शेयरों में निवेश करते हैं? | हाँ, कंपनी में नियंत्रण हिस्सेदारी, या किसी विदेशी कंपनी के साथ विलय या संयुक्त उद्यम के माध्यम से निवेश करते हैं। | आवश्यक नहीं, शेयर, बॉन्ड, सरकारी प्रतिभूति, वाणिज्यिक पत्र आदि में भी निवेश किया जा सकता है। | ||||
शेयरों में निवेश की सीमा | सूचीबद्ध कंपनी में कम से कम 10%गैर-सूचीबद्ध कंपनी में कोई भी राशि | शेयरों में 10% से कमगैर-सूचीबद्ध कंपनी में कोई भी राशि | ||||
इसमें क्या शामिल है | प्रबंधन, पूंजी, और प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण | केवल पूंजी का हस्तांतरण | ||||
स्वामित्व (%): | 10% से अधिक | स्वामित्व (%): शेयरों में निवेश किया गया हो तो केवल 10% से कम | ||||
कौन सा बाजार: | मुख्य रूप से प्राथमिक बाजार | मुख्य रूप से द्वितीयक बाजारPFI भी प्राथमिक बाजार के माध्यम से | ||||
स्थिरता और अवधि | स्थिर और दीर्घकालिक | अस्थिर और अल्पकालिक“गरम पैसा” | ||||
लचीलापन | यह कम लचीला है क्योंकि व्यापार को समेटना आसान नहीं है | अधिक लचीला – द्वितीयक बाजार में उपकरणों की आसानी से बिक्री। | ||||
निवेशकों की भूमिका | सक्रियप्रबंधन में भागीदारी | निष्क्रियकिराया, ब्याज तलाशने वाला |
क्षैतिज FDI
- यह किसी अन्य देश में उसी उद्योग या क्षेत्र में निवेश से संबंधित है। उदाहरण के लिए, एप्पल आईफोन किसी अन्य देश में एक नया निर्माण संयंत्र स्थापित कर सकता है।
ऊर्ध्वाधर FDI
- यह उत्पादन के विभिन्न चरणों में निवेश से संबंधित है। उदाहरण के लिए, एप्पल आईफोन किसी अन्य कंपनी में निवेश कर सकता है जो महत्वपूर्ण घटकों की आपूर्ति करती है।
ग्रीनफील्ड FDI व ब्राउनफील्ड FDI के बीच अंतर
मुख्य बिंदु | ग्रीनफील्ड विदेशी प्रत्यक्ष निवेश | ब्राउनफील्ड विदेशी प्रत्यक्ष निवेश | ||||
प्रकृति | मूल कंपनी किसी अन्य देश में एक सहायक कंपनी शुरू करती है, या नई संरचना बनाकर नया उद्यम शुरू करती है। | जब कोई संस्था नया उत्पादन शुरू करने के लिए मौजूदा संरचना को खरीदती या किराए पर लेती है। | ||||
आधारभूत संरचना | नई संरचना का विकास | मौजूदा संरचनाओं और सुविधाओं का उपयोग करता है। | ||||
प्रारंभिक समय | निर्माण के कारण अधिक समय लगता है। | मौजूदा संरचनाओं और सुविधाओं का उपयोग करता है। | ||||
लचीलापन | डिजाइन और संचालन में अधिक लचीलापन। | मौजूदा संपत्तियों को अनुकूलित करने के कारण सीमित लचीलापन। | ||||
जोखिम | अनिश्चितताओं के कारण उच्च जोखिम। | आम तौर पर कम जोखिम माना जाता है। | ||||
लागत | अक्सर शुरुआती लागत अधिक होती है। | प्रारंभिक लागत कम हो सकती है। | ||||
नियंत्रण | डिजाइन और कार्यान्वयन पर पूर्ण नियंत्रण। | मौजूदा संरचनाओं के अनुसार अनुकूलन की आवश्यकता हो सकती है। | ||||
उदाहरण | दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे एक ग्रीनफील्ड परियोजना है। | टाटा मोटर्स का जगुआर, लैंड रोवर के व्यवसायों का अधिग्रहण। |
विभिन्न क्षेत्र में FDI की सीमा
क्षेत्र | सीमा और मार्ग |
•रेलवे अवसंरचना का निर्माण, संचालन और रखरखाव: उच्च गति वाली ट्रेनें, समर्पित मालवाहक गलियारे, मेट्रो परियोजनाएं, सिग्नलिंग, और विद्युतीकरण, | 100% स्वचालित मार्ग |
कृषि में निम्नलिखित गतिविधियों में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश है : • फूलों की खेती, बागवानी, और नियंत्रित परिस्थितियों में सब्जियों व मशरूम की खेती; • बीजों और रोपण सामग्री का विकास और उत्पादन; • पशुपालन, मत्स्य पालन, जलकृषि, मधुमक्खी पालन, • कृषि और संबद्ध क्षेत्रों से संबंधित सेवाएँ | 100% स्वचालित मार्ग |
रोपण कृषि क्षेत्र में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश- चाय, कॉफी, रबर, इलायची, पाम तेल, जैतून का तेल (केवल इन रोपण कृषि में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की अनुमति है) | 100% स्वचालित मार्ग |
विकास परियोजनाओं का निर्माण (टाउनशिप, आवासीय/वाणिज्यिक संपत्तियाँ इत्यादि) | 100% स्वचालित मार्ग |
उपग्रहों की स्थापना और संचालन | 100% स्वचालित मार्ग |
दूरसंचार | 100% स्वचालित मार्ग |
कैश व कैरी होलसेल ट्रेडिंग | 100% स्वचालित मार्ग |
ई-कॉमर्स •इन्वेंट्री आधारित मॉडल (अनुमति नहीं है) •मार्केट प्लेस मॉडल (अनुमति है) | 100% स्वचालित मार्ग |
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक | 20% सरकारी मार्ग |
निजी क्षेत्र के बैंक,सरकारी मार्ग में 49% से अधिक | 74% (स्वचालित रूप से 49% तक)(सरकारी मार्ग 49% से अधिक) |
बीमा और पेंशन(एलआईसी 20% स्वचालित) | 74% स्वचालित मार्ग |
बहु-ब्रांड खुदरा | 51 प्रतिशत सरकार |
एकल ब्रांड खुदरा | 100% स्वचालित मार्ग |
रक्षा | 100% स्वचालित मार्ग |
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