Day 8 | RAS Mains 2025 Answer Writing | 90 Days

We will cover the RAS Mains 2025 Answer Writing syllabus in 90 days.

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GS Answer Writing -नीतिशास्त्र एवं मानवीय मूल्य- महापुरूषों, समाज सुधारकों तथा प्रशासकों के जीवन से प्राप्त शिक्षा। परिवार, सामाजिक एवं शैक्षणिक संस्थाओं का मानवीय मूल्यों को विकसित करने में योगदान। पल्लवन

धर्म की भूमिका
हिंदू धर्म – नीतिपरायणता, मोक्ष और आध्यात्मिकता जैसे मूल्यों को विकसित करता है
इस्लाम – शांति, विश्वास, प्रार्थना, उपवास, दान और दया (रहम) जैसे मूल्यों को विकसित करता है
सिख धर्म – सेवा, बलिदान, वीरता, न्याय जैसे मूल्यों को विकसित करता है
ईसाई धर्म – करुणा, प्रेम, सहानुभूति, विनम्रता, सेवा जैसे मूल्यों को विकसित करता है
पारसी धर्म – खुशी, विश्वास, द्वैतवाद (अच्छाई और बुराई दोनों) आदि मूल्यों को विकसित करता है

मूल्य वह मार्गदर्शक सिद्धांत, विचारधारा और विश्वास हैं जिन्हें व्यक्ति अपनाने की आकांक्षा रखता है। जैसे – न्याय, साहस, संयम

बहुत व्यापक दायरा क्योंकि मानव जीवन के हर चरण में मूल्यों की आवश्यकता होती है –

1. बचपन –

○ पारिवारिक मूल्य जैसे – देखभाल, प्यार, करुणा और सहानुभूति

○ स्कूल/शैक्षणि क मूल्य जैसे – अनुशासन और तर्कसंगत सोच

2. समाज – सामाजिक मूल्य जैसे भाईचारा, न्याय, सहिष्णुता, सद्भाव, निष्पक्षता, सम्मान, आदि

3. संगठन – व्यावसायिक मूल्य जैसे उत्कृष्टता, दक्षता, अनुशासन, नवाचार, आदि

4. राष्ट्र – लोकतांत्रिक मूल्य जैसे वैधानिकता, कानून का सम्मान करना, समानता आदि

5. सार्वभौमिक मूल्य – जैसे खुशी, बुद्धिमत्ता, संतोष, शांति, अहिंसा, आदि

प्रकृति में बहुत व्यापक है क्योंकि मूल्यों के स्रोत अलग-अलग हैं –

1. आंतरिक स्रोत – आध्यात्मिकता , आत्मसम्मान, सचेतनता

2. बाहरी स्रोत – कानून, सामाजिक मानदंड, नियम और विनियम, आचार संहिता , सामाजिक दिशा – निर्देश, आदि

3. साधन के रूप में (सहायक मूल्य) – धन, सुपोषण, आदि4. साध्य के रूप में – प्रेम, स्वास्थ्य, स्वतंत्रता आदि जैसे

भारतीय गणतंत्र के 14वें राष्ट्रपति स्वर्गीय ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को जनता के राष्ट्रपति के रूप में जाना जाता था। उनके नैतिक व्यक्तित्व पर उनके माता-पिता और शिक्षकों का बहुत प्रभाव था।

नैतिक विकास में परिवार की भूमिका – 

भूमिकामूल्य
दादा-दादीएक बच्चे का पहला दार्शनिकमूल्य – योग और ध्यान (शारीरिक मूल्य), पर्यावरण नैतिकता
पिताएक बच्चे का प्रथम मार्गदर्शकमूल्य – कर्तव्यपरायणता, त्याग, अनुशासन, साहस, कड़ी मेहनत, सुरक्षा की भावनामैरीलैंड विश्वविद्यालय का अध्ययन – प्यार और देखभाल करने वाले पिता   = अधिक आत्मविश्वासी बेटी
माताएक बच्चे का प्रथम शिक्षकमूल्य – स्नेह, प्रेम, त्याग, धैर्य, निःस्वार्थतागांधीजी ने अपनी मां पुतलीबाई से सत्याग्रह की तकनीक सीखीमैं जो कुछ भी हूं या बनने की आशा रखता हूं, उसके लिए मैं अपनी मां का ऋणी हूं – अब्राहम लिंकन ब्रह्माण्ड में शक्ति की प्रत्येक अभिव्यक्ति माँ है – स्वामी विवेकानन्दनैन्सी मैथ्यू इलियट – – थॉमस एडिसन की माँसुभद्रा – अभिमन्यु की माताजीजाबाई – शिवाजी की माता (साहस का मूल्य)  
भाई-बहनमूल्य – देखभाल करना, साझा करना (खिलौने, जगह, खाने-पीने का सामान), सहयोग, भाईचारा, टीम वर्क, क्षमा (लड़ो और माफ़ करो)उदाहरण – 5 पांडव, राम-लक्ष्मण, ज़ोरावर सिंह और फ़तेह सिंह, फोगाट बहनें, इरफ़ान और यूसुफ़ पठान 
जीवनसाथीसहयोगी जीवनसाथी – कार्य में बेहतर दक्षताEx – नारायण मूर्ति की पत्नी सुधा मूर्ति ने इन्फोसिस शुरू करने के लिए 10 हजार का निवेश किया

नैतिक विकास में शिक्षकों की भूमिका – 

Role of Values
शिक्षकअनुशासन, तर्कसंगत सोचविचारधारा को आकार – गोखले ने गांधीजी की राजनीतिक विचारधारा को आकार दियाअरस्तू ने सिकंदर को नैतिकता की शिक्षा दी। सिकंदर ने कभी भी पराजित लोगों पर अपनी संस्कृति/धर्म नहीं थोपाचाणक्य ने चन्द्रगुप्त को महान शासक बनाया
पाठ्यक्रमनागरिक शास्त्र – नेतृत्व, न्याय, भाईचारा, विविधता, मानवताइतिहास – देशभक्ति, बलिदान, संयम आदि विज्ञान – क्रिटिकल थिंकिंग, तर्कसंगतता, नवाचार आदि अर्थशास्त्र – उद्यमिता, मुक्त और निष्पक्ष व्यापार, विश्वास, दक्षता 
पाठ्येतर गतिविधियां(क्स्ट्रा करिकुलम एक्टिविटीज़)खेल –  नेतृत्व, टीम-भावना, सहयोगात्मक व्यवहारउदाहरण – कतर में विश्व कप 2022 मैच के बाद, जापानी प्रशंसकों ने स्टेडियम की सफाई कीकॉलेज-उत्सव – जिम्मेदारी , प्रबंधनवाद-विवाद – तर्कसंगत सोच, प्रबोधन, समझौता  सुबह की प्रार्थना – आध्यात्मिक और नैतिक विकास, अनुशासनदीवार पेंटिंग – ईमानदारी सबसे अच्छी नीति हैमध्याह्न भोजन – समानता, पोषणस्कूल की वर्दी – अनुशासन, स्वच्छता

निष्कर्ष – NEP 2020 (नई शिक्षा नीति) माता-पिता की भागीदारी को प्रोत्साहित करती है और एक बच्चे में नैतिक तर्क और पारंपरिक भारतीय मूल्य प्रणाली को विकसित करने के लिए स्कूलों और परिवारों के बीच संचार को बढ़ावा देती है।

Paper 4 (Comprehension part) – पल्लवन

    

“जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करि सकत कुसंग। 
चंदन विष व्यापत नहीं, लपटे रहत भुजंग॥”
 इस दोहे में रहीम कहते हैं कि जिस तरह चंदन के पेड़ पर कितने भी सांप लिपटे हो तो भी चंदन विषैला नहीं होता, उसी प्रकार सज्जन पुरूष पर बुराइयों और आस-पास के विद्वेषपूर्ण पर्यावरण का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। जो व्यक्ति अच्छे स्वभाव का होता है, उसे बुरी संगति भी बिगाड़ नहीं पाती। चंदन वृक्ष की सुगन्ध और शीतलता के कारण अजगर जैसे विशाल विषधर उस पर लिपटे रहते हैं, परंतु वह विषाक्त नहीं होता। उसी प्रकार उत्तम प्रकृति के महान लोगों पर भी बुरी संगति का कोई असर नहीं होता, जैसे कमल का फूल कीचड़ में रहकर भी मलीन ना होकर अपनी शोभा बनाए रखता है। जिन लोगों में सतोगुण की अधिकता होती है अथवा जो सात्विक प्रवृत्ति के होते हैं, बुराई भी उनके पास आती है तो शीतलता ही ढूँढती है और उनकी खुशबू का आनन्द लेकर प्रसन्न होती है, जैसे डाकू अंगुलिमाल बुद्ध के शरण में आकर संत बन गया।

                  उत्तम प्रकृति के लोगों की महानता उनके विशाल हृदय, दूसरों के प्रति दया व सहानुभूति की भावना और बिना किसी भेदभाव के सबके कष्टों को हरने की इच्छा आदि गुणों के कारण होती है। अच्छे लोगों के पास दुराचारी भी आ जाए तो भी उनका स्वभाव नहीं बदलता। वे उसके साथ भी सहृदयता का व्यवहार करते हुए शरण देते हैं। उनकी अच्छाई परिवर्तनकारी बनकर, दूसरों को सन्मार्ग दिखा देती है। इसीलिए, तुलसीदास भी कहते हैं कि सज्जन और रसदार फलों वाले वृक्ष दूसरों के लिए फलते-फूलते हैं क्योंकि लोग तो उन वृक्षों पर या सज्जनों पर इधर से पत्थर मारते हैं पर उधर से वे उन्हें पत्थरों के बदले में फल देते हैं।

“तुलसी’ संत सुअंब तरु, फूलि फलहिं पर हेत। 
इतते ये पाहन हनत, उतते वे फल देत।।”

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