Day 77 | RAS Mains 2025 Answer Writing | 90 Days

90 Days RAS Mains 2025 Answer Writing

This is Day 77 | 90 Days RAS Mains 2025 Answer Writing, We will cover the whole RAS Mains 2025 with this 90-day answer writing program

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GS Answer WritingImportant current questions । निबंध लेखन

भारत, इजरायल, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), और संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) के बीच रणनीतिक साझेदारी, जिसे पश्चिम एशियाई क्वाड भी कहा जाता है।

ध्येय: जल, ऊर्जा, परिवहन, अंतरिक्ष, स्वास्थ्य, और खाद्य सुरक्षा में सहयोग।

लक्ष्य: आर्थिक विकास, नवाचार, और क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देना।

I2U2 के उद्देश्य

  • वैश्विक स्तर पर अमेरिकी साझेदारियों का पुनर्निर्माण।
  • खाद्य, समुद्री, और जैव प्रौद्योगिकी में सहयोग को बढ़ावा देना।
  • आर्थिक और व्यापारिक संबंधों को मज़बूत करना।
  • जलवायु, कोविड-19, और सुरक्षा के लिए प्रौद्योगिकी विशेषज्ञता का उपयोग।
  • सदस्यों के बीच सुरक्षा सहयोग की खोज।

जैसे-जैसे वैश्विक चुनौतियाँ जटिल होती जा रही हैं, देश सहयोग के लिए मिनीलेटरल और मल्टीलेटरल दृष्टिकोणों का उपयोग कर रहे हैं। दोनों मॉडलों के अपने लाभ और सीमाएं हैं।

तुलना

पहलूमिनीलेटरलिज्ममल्टीलेटरलिज्म
भागीदारीकुछ समान विचारधारा वाले देश (3-4)व्यापक प्रतिनिधित्व वाले कई देश
संरचनाअनौपचारिक, लचीली, स्वैच्छिकऔपचारिक, नियम-आधारित, संस्थागत
ध्येय क्षेत्रविशिष्ट मुद्दे (जैसे सुरक्षा, प्रौद्योगिकी)व्यापक वैश्विक मुद्दे (जैसे जलवायु परिवर्तन, व्यापार)
निर्णय-प्रक्रियात्वरित, चुस्तसर्वसम्मति की आवश्यकता के कारण धीमी
उदाहरणQUAD, I2U2, RCEPUN, WTO, IMF, विश्व बैंक

एक-दूसरे के पूरक कैसे हो सकते हैं

  1. निर्माण खंड: मिनीलेटरल समझौते पायलट पहल के रूप में कार्य कर सकते हैं, जो मल्टीलेटरल ढांचों को सूचित और मज़बूत करते हैं (उदाहरण: पेरिस समझौते से पहले अमेरिका-चीन सौदा)।
  2. अंतराल को भरना: जहाँ मल्टीलेटरल प्रक्रियाएँ रुकी हुई हैं, वहाँ मिनीलेटरल समूह त्वरित कार्रवाई करते हैं (उदाहरण: I2U2 नवाचार, खाद्य सुरक्षा पर)।
  3. विश्वास निर्माण: प्रमुख हितधारकों के बीच विश्वास पैदा करते हैं, जो मल्टीलेटरल मंचों पर व्यापक सहमति की नींव रखता है।

परिचालन दक्षता और मानक-निर्धारण: मल्टीलेटरल वैधता और नियम प्रदान करते हैं, जबकि मिनीलेटरल त्वरित कार्यान्वयन और कार्रवाई सुनिश्चित करते हैं।

India’s simultaneous participation in Quad and BRICS—representing opposing geopolitical poles—highlights its pursuit of multi-alignment. This enhances India’s global leverage but also presents complex strategic challenges.

Divergent Geopolitical Constructs:0-

  • Quad (Established 2007; revived 2017):
  • Members: US, Australia, Japan, India.
  • Vision: Free, open, rules-based Indo-Pacific; counters China’s assertiveness.
  • Represents 24% of world population, 35% of global GDP, 18% of trade.
  • Key initiatives: IPMDA, Quad Vaccine Partnership, Critical Tech, QUIN, Malabar naval exercises.
  • BRICS (Formed 2009, expanded 2024):
  • Members: Brazil, Russia, India, China, South Africa + new entrants (e.g., Iran, Egypt, UAE).
  • Focus: Reforming global financial institutions, multipolarity, de-dollarization.
  • Represents 42% of global population, 30% of global GDP (PPP), ~25% of global oil output.
  • Initiatives: New Development Bank (NDB), Contingent Reserve Arrangement (CRA), BRICS Pay.

How It Enhances India’s Strategic Autonomy:

  • Strategic Hedging Across Blocs– Allows India to engage both Global North (Quad) and Global South (BRICS) without being bound by any single camp.
  • Platform for Global South Leadership– Through BRICS, India champions equity in global governance and reforms in UN, IMF, and World Bank.
  • Access to Critical Technologies & Capital– Quad offers advanced tech cooperation (5G, AI, semiconductors); BRICS offers alternative finance via NDB (India has received $1B+ in loans).
  • Diversified Security Partnerships– Quad enhances India’s maritime surveillance in IOR; BRICS provides alternate space for dialogue with China, Russia.
  • Flexibility in Diplomacy– Dual platforms give India room to manoeuvre between US-led order and China-Russia-centric multilateralism.

How It Challenges India’s Strategic Autonomy:

  • China Dilemma– China is adversarial at LAC and in IOR but remains a key BRICS player—creates internal tension in India’s positioning.
  • Quad’s Hard Security Push vs BRICS’ Anti-West Tilt– India must navigate Quad’s increasing militarisation and BRICS’ growing anti-West rhetoric (e.g., de-dollarisation drive).
  • Russia Factor– India’s BRICS partnership with Russia contrasts with the Quad’s silent endorsement of Western sanctions post-Ukraine war.
  • Perception of Duality– Critics question India’s credibility: China accuses India of aligning with the US (Quad), while the US eyes India’s continued BRICS engagement with suspicion.
  • Resource and Diplomatic Strain– Maintaining active roles in both forums requires significant diplomatic bandwidth, coordination, and resource mobilisation.

India’s dual engagement with the Quad and BRICS exemplifies its strategic autonomy and ambition to be a “balancing power” in global geopolitics. However, sustaining this approach demands a calibrated diplomacy that reconciles ideological divergences, manages strategic contradictions, and ensures alignment with India’s long-term national interests.

Paper 4 (Comprehension part) –   निबंध

विपत्ति कसौटी जे कसे तेई साँचे मीत

मनुष्य सामाजिक प्राणी है। उसके जीवन में सुख-दुख का आना-जाना लगा रहता है। उसके अलावा दिन-प्रतिदिन की समस्याएँ उसे तनावग्रस्त करती हैं। इससे मुक्ति पाने के लिए वह अपने मन की बातें किसी से कहना-सुनना चाहता है। ऐसे में उसे अत्यंत निकटस्थ व्यक्ति की ज़रूरत महसूस होती है। इस ज़रूरत को मित्र ही पूरी कर सकता है। मनुष्य को मित्र की आवश्यकता सदा से रही है और आजीवन रहेगी।

मित्र की आवश्यकता – जीवन में मित्र की आवश्यकता प्रत्येक व्यक्ति को पड़ती है। एक सच्चा मित्र औषधि के समान होता है जो व्यक्ति की बुराइयों को दूर कर उसे अच्छाइयों की ओर ले जाता है। मित्र ही सुख-दुख के वक्त साथ देता है। वास्तव में मित्र के बिना सुख की कल्पना नहीं की जा सकती है, क्योंकि 

अलसस्य कुतो विद्या, अविद्यस्य कुतो धनम्। अधनस्य कुतो मित्रम्, अमित्रस्य कुतो सुखम् ॥

आदर्श मित्रता के उदाहरण – इतिहास में अनेक उदाहरण भरे हैं जिनसे मित्रता करने और उसे निभाने की सीख मिलती है। वास्तव में मित्र बनाना तो सरल है पर उसे निभाना अत्यंत कठिन है। देखा गया है कि आर्थिक समानता न होने पर भी दो मित्रों की मित्रता आदर्श बन गई, जिसकी सराहना इतिहास भी करता है। राणाप्रताप और भामाशाह की मित्रता, कृष्ण और अर्जुन की मित्रता, राम और सुग्रीव की मित्रता, दुर्योधन और कर्ण की मित्रता कुछ ऐसे ही उदाहरण हैं। इनकी मित्रता से हमें प्रेरणा ग्रहण करनी चाहिए, क्योंकि इन मित्रों के बीच स्वार्थ आड़े नहीं आया।

छात्रावस्था में मित्रता – ऐसा देखा जाता है कि छात्रावस्था या युवावस्था में मित्र बनाने की धुन सवार रहती है। बस एक दो-बार किसी से बातें किया, साथ-साथ नाश्ता किया, फ़िल्म देखी, हँसमुख चेहरा देखा, अपनी बात में हाँ में हाँ मिलाते देखा और मित्र बना लिया पर ऐसे मित्र जितनी जल्दी बनते हैं, संकट देख उतनी ही जल्दी साथ छोड़कर दूर भी हो जाते हैं। ऐसे ही मित्रों की तुलना जल से करते हुए रहीम ने कहा है –

जाल परे जल जात बहि, तजि मीनन को मोह।
रहिमन मछरी नीर को, तऊ न छाँड़ति छोह ॥

सच्चे मित्र के गुण-जीवन में सच्चे मित्र का बहुत महत्त्व है। एक सच्चे मित्र का साथ व्यक्ति को उन्नति के पथ पर ले जाता है और बुरे व्यक्ति का साथ पतन की ओर अग्रसर करता है। सच्चा मित्र जहाँ व्यक्ति को अवगुणों से बचाकर सदगुणों की ओर ले जाता है वहीं कपटी मित्र हमारे पैरों में बँधी चक्की के समान होता है जो हमें पीछे खींचता रहता है। यदि हमारा कोई मित्र जुआरी या शराबी निकला तो उसका प्रभाव एक न एक दिन हम पर अवश्य पड़ना है। इसके विपरीत सच्चा मित्र सुमार्ग पर ले जाता है। वह मित्र के सुख-दुख को अपना सुख-दुख समझकर सच्ची सहानुभूति रखता है और दुख से उबारने का हर संभव प्रयास करता है। ऐसे मित्रों के बारे कवि तुलसीदास ने लिखा है –

जे न मित्र दुख होय दुखारी।
तिनहिं विलोकत पातक भारी॥
निज दुख गिरि सम रज कर जाना।
मित्रक दुख रज मेरु समाना।

सच्चा मित्र अपने मित्र को कुसंगति से बचाकर सन्मार्ग पर ले जाता है और उसके गुणों को प्रकटकर सबके सामने लाता है। मित्रता का निर्वहन-मित्रता के लिए यह माना जाता है कि उनमें आर्थिक समानता होनी चाहिए पर यदि सच्ची मित्रता है तो दो मित्रों के बीच धन, स्वभाव और आचरण की समानता न होने पर भी मित्रता का निर्वाह हुआ है। सच्चे मित्र अपने बीच अमीरी गरीबी को आड़े नहीं आने देते हैं। कृष्ण-सुदामा की मित्रता का उदाहरण सामने है। उनकी हैसियत में ज़मीन-आसमान का अंतर था पर उनकी मित्रता का उदाहरण दिया जाता है।इसी प्रकार अकबर-बीरबल, कृष्णदेवराय और तेनालीरामन की मित्रता का उदाहरण हमारे सामने है। उपसंहार-मित्रता अनमोल वस्तु है जो जीवन में कदम-कदम पर काम आती है। एक सच्चा मित्र मिल जाना गर्व एवं सौभाग्य की बात है। जिसे सच्चा मित्र मिल जाए, उसे सुख का खज़ाना मिल जाता है। हमें मित्र बनाने में सावधानी बरतना चाहिए। एक सच्चा मित्र मिल जाने पर मित्रता का निर्वहन करना चाहिए। सच्चे मित्र के रूठने पर उसे तुरंत मना लेना चाहिए। हमें भी मित्र के गुण बनाए रखना चाहिए, क्योंकि – विपत्ति कसौटी जे कसे तेई साँचे मीत

Day 77 | 90 Days RAS Mains 2025 Answer Writing

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