This is Day 76 | 90 Days RAS Mains 2025 Answer Writing, We will cover the whole RAS Mains 2025 with this 90-day answer writing program
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GS Answer Writing – Important current questions । निबंध लेखन
पूर्ण रूप – Transforming Relationship Utilizing Strategic Technology (रणनीतिक प्रौद्योगिकी का उपयोग कर संबंधों में परिवर्तन)
उद्देश्य – क्रिटिकल खनिजों, फार्मास्यूटिकल्स, और उच्च-प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में सहयोग को मज़बूत करना।
प्रमुख उद्देश्य
- क्रिटिकल मिनरल्स (लिथियम, REEs, कोबाल्ट), APIs, और उन्नत सामग्रियों के लिए आपूर्ति शृंखलाओं को सुरक्षित करना।
- प्रौद्योगिकी साझाकरण को बढ़ावा देना और निर्यात नियंत्रणों को कम करना।
- सेमीकंडक्टर, AI, क्वांटम प्रौद्योगिकी, रक्षा, अंतरिक्ष, और स्वच्छ ऊर्जा में सहयोग को बढ़ाना।
लाभ
- फार्मा सुरक्षा: भारत के अमेरिका को दवा निर्यात के लिए कच्चे माल की आपूर्ति सुनिश्चित करना।
- खनिज पहुँच: EV-क्रिटिकल मिनरल्स की संयुक्त खोज, जिससे चीन पर निर्भरता कम होती है।
नवाचार केंद्र: अकादमिक, उद्योग, और सरकारी साझेदारी के माध्यम से अग्रणी प्रौद्योगिकी में संयुक्त अनुसंधान और विकास।
तुर्कमेनिस्तान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान-भारत (TAPI) पाइपलाइन एक 1,800 किमी लंबी अंतर-क्षेत्रीय परियोजना है, जो तुर्कमेनिस्तान के गाल्किनिश गैस क्षेत्र से भारत तक प्राकृतिक गैस का परिवहन करेगी। यह क्षेत्रीय ऊर्जा एकीकरण, आर्थिक लाभ, और भू-रणनीतिक लाभ का वादा करती है, लेकिन कार्यान्वयन में गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही है।
रणनीतिक महत्व
- क्षेत्रीय सहयोग को मज़बूती: दक्षिण और मध्य एशियाई देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देता है।
- चीन के BRI प्रभुत्व का प्रतिसंतुलन: भारत को मध्य एशिया में चीन की बेल्ट एंड रोड पहल (BRI) के प्रभुत्व का मुकाबला करने में सक्षम बनाता है।
- भारत-पाकिस्तान जुड़ाव: साझा बुनियादी ढांचे के माध्यम से भारत और पाकिस्तान के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करता है।
- ऊर्जा कूटनीति और विस्तारित पड़ोस नीति: भारत की ऊर्जा कूटनीति और विस्तारित पड़ोस नीति को समर्थन देता है।
आर्थिक लाभ
- ऊर्जा आपूर्ति: भारत को प्रतिवर्ष 33 बिलियन क्यूबिक मीटर (BCM) प्राकृतिक गैस तक पहुँच, जो उद्योगों को बढ़ावा देगा।
- व्यापार घाटे में कमी: कम ऊर्जा आयात बिल के माध्यम से व्यापार घाटे को कम करने में मदद मिल सकती है।
- पारगमन राजस्व: अफगानिस्तान और पाकिस्तान के लिए पारगमन राजस्व उत्पन्न करता है।
- अंतरराष्ट्रीय वित्तपोषण: एशियाई विकास बैंक (ADB) द्वारा समर्थित, जो संरचित वित्तीय सहायता सुनिश्चित करता है।
प्रमुख चुनौतियाँ
- सुरक्षा खतरे: अफगानिस्तान और बलूचिस्तान जैसे संघर्षग्रस्त क्षेत्रों में सुरक्षा जोखिम।
- भारत-पाकिस्तान तनाव: द्विपक्षीय तनाव परियोजना की प्रगति में बाधा।
- निवेशक अनिच्छा: उच्च राजनैतिक और सुरक्षा जोखिमों के कारण निवेशकों की अनिच्छा।
- प्रतिस्पर्धी पाइपलाइनें: ईरान-पाकिस्तान (IP) जैसी प्रतिद्वंद्वी पाइपलाइनें प्रतिस्पर्धा प्रस्तुत करती हैं।
विलंब: भूमि अधिग्रहण और नियामक मंजूरी में देरी से लागत बढ़ रही है।
अमेरिका ने प्रमुख व्यापारिक साझेदारों पर 50% तक टैरिफ लगाए, जिसमें भारत पर 26% टैरिफ शामिल है।
भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव:
- निर्यात प्रतिस्पर्धा में कमी:
- उच्च टैरिफ ने अमेरिकी बाजार में भारतीय निर्यातकों की कीमतों को कम प्रतिस्पर्धी बनाया।
- प्रभावित क्षेत्र: वस्त्र, मत्स्य पालन, ऑटोमोबाइल, और रसायन।
- क्षेत्र-विशिष्ट प्रभाव:
- इलेक्ट्रॉनिक्स (14 बिलियन डॉलर) और रत्न व आभूषण (9 बिलियन डॉलर) सबसे अधिक प्रभावित।
- फार्मास्यूटिकल्स (~9 बिलियन डॉलर) और ऊर्जा उत्पादों को छूट मिली, जिससे कुछ राहत मिली।
- व्यापार अधिशेष पर प्रभाव:
- 2024 में भारत का अमेरिका के साथ व्यापार अधिशेष $45.7 बिलियन रहा, जो 2023 की तुलना में 5.4% अधिक था।
- हालांकि, निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंधों के कारण 2025 में यह असंतुलन घट सकता है।
- MSME पर दबाव:
- वस्त्र, चमड़ा, और परिधान जैसे MSME-प्रधान क्षेत्रों को परिचालन और वित्तीय मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
- बाजार पहुँच का नुकसान:
- वियतनाम (46%) और बांग्लादेश (37%) पर उच्च टैरिफ से भारत को सापेक्ष लाभ मिला, लेकिन वैश्विक मांग की कमी ने इस फायदे को सीमित किया।
वैश्विक व्यापार पर प्रभाव:
- व्यापार युद्ध की चिंताएँ:
- चीन (34% टैरिफ), EU (20%), और जापान (24%) ने जवाबी टैरिफ लगाए, जिससे वैश्विक तनाव बढ़ा।
- WTO ने व्यापार मात्रा में कमी और आपूर्ति श्रृंखला व्यवधान की चेतावनी दी।
- बाजार में अस्थिरता:
- टैरिफ वृद्धि से वैश्विक शेयर बाजारों में तेज उतार-चढ़ाव देखा गया।
- निर्यात-आधारित और आपूर्ति श्रृंखला पर निर्भर कंपनियाँ प्रभावित हुईं।
- जवाबी टैरिफ:
- EU और चीन ने अमेरिकी वस्तुओं पर टैरिफ लगाए, जिससे वैश्विक निवेश माहौल खराब हुआ।
- आपूर्ति श्रृंखलाओं में बदलाव:
- कंपनियों ने ‘चीन+1’ रणनीति अपनाई, जिससे भारत के लिए आपूर्ति श्रृंखला केंद्र बनने का अवसर खुला।
जोखिम कम करने के लिए भारत के रणनीतिक कदम:
- व्यापार साझेदारों का विविधीकरण:
- अफ्रीका, ASEAN, और लैटिन अमेरिका जैसे गैर-अमेरिकी बाजारों में निर्यात बढ़ाना।
- वैश्विक दक्षिण के देशों के साथ व्यापारिक एकीकरण को मज़बूत करना।
- मुक्त व्यापार समझौते (FTAs):
- यूके, EU, UAE, और कनाडा के साथ व्यापार समझौतों को तेज करना।
- भारत-अमेरिका व्यापार नीति मंच (TPF) को और सक्रिय करना।
- घरेलू प्रतिस्पर्धा बढ़ाना: PM गति शक्ति और PLI योजनाओं के तहत बुनियादी ढांचा, लॉजिस्टिक्स, और अनुपालन लागत कम करना।
- निर्यात आसूचना प्रकोष्ठ: वैश्विक टैरिफ की निगरानी और निर्यातकों के लिए प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली शुरू करना।
- मूल्यवर्धित निर्यात: ऑटो पार्ट्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, और फार्मा जैसे क्षेत्रों में उच्च-मूल्य उत्पादों पर ध्यान देना।
- प्रभावित क्षेत्रों को सहायता: टैरिफ से प्रभावित निर्यातकों को ब्याज छूट, निर्यात बीमा, और ऋण सहायता देना।
- WTO सुधारों की वकालत: टैरिफ और अनुचित व्यापार उपायों पर बहुपक्षीय नियमों के लिए नेतृत्व करना।
2025 का अमेरिका-चीन टैरिफ युद्ध भारत के निर्यात के लिए नुकसानदायक रहा, लेकिन इसने व्यापारिक अवसर भी खोले। व्यापार विविधीकरण, समझौतों, और औद्योगिक समर्थन के ज़रिए भारत जोखिमों को कम कर सकता है और वैश्विक व्यापार में अपनी स्थिति मज़बूत कर सकता है।
Paper 4 (Comprehension part) – निबंध
भारतीय खेल परिदृश्य : दशा एवं दिशा
“मैंने वाटरलू के युद्ध में जो सफलता प्राप्त की उसका प्रशिक्षण ईटन के मैदान में मिला।”
नेपोलियन को पराजित करने वाले एडवर्ड नेल्सन की यह पंक्ति खेल के महत्त्व को बयां करने के लिये पर्याप्त है। खेल न केवल हमें स्वस्थ रहने में योगदान देकर सक्षम बनाते हैं वरन् वर्तमान युग की संकीर्णतावादी सोच के विरुद्ध हमें निष्पक्ष, सहिष्णु तथा विनम्र बनाकर एक बेहतर मानव संसाधन के रूप में बदलते हैं। खेलों की महत्ता को दुनिया के प्रत्येक समाज व सभ्यता में स्वीकृति मिली है। रामायण, महाभारत से लेकर ग्रीको-रोमन दंत-कथाओं में होने वाले खेलों का जिक्र इस बात का प्रमाण है। पुनः ओलंपिक की प्रारंभिक शुरुआत यह स्पष्ट करती है कि खेलों को संस्थानिक महत्त्व मिलता रहा है।
वर्तमान परिवेश व जीवनशैली में आज मनुष्य जब अनेक रोगों से ग्रस्त हो रहा है। ऐसे समय में खेलों का महत्त्व स्वयमेव स्पष्ट हो जाता है। खेलों द्वारा न केवल हमारी दिनचर्या नियमित रहती है बल्कि ये उच्च रक्तचाप, ब्लड शुगर, मोटापा, हृदय रोग जैसी बीमारियों की संभावनाओं को भी न्यून करते हैं। इसके अलावा खेल द्वारा हमें स्वयं को चुस्त-दुरुस्त रखने में भी मदद मिलती है, जिससे हम अपने दायित्वों का निर्वहन सक्रियतापूर्वक कर पाते हैं। एक अच्छा जीवन जीने हेतु अच्छे स्वास्थ्य का होना बहुत जरूरी है। जिस प्रकार शरीर को अच्छा और स्वस्थ रखने के लिये व्यायाम की आवश्यकता होती है उसी प्रकार खेलकूद का भी स्वस्थ जीवन हेतु अत्यधिक महत्त्व है। खेल बच्चों और युवाओं के मानसिक तथा शारीरिक विकास दोनों ही के लिये अति आवश्यक है। नई पीढ़ी को किताबी ज्ञान के साथ-साथ खेलों में भी रुचि बढ़ाने की जरूरत है।
परंपरगत रूप से भारत के मध्यम वर्ग की धारणा रोजगारपरकता के लिहाज से खेलों के प्रति नकारात्मक रही है। खेलकूद को मनुष्य के बौद्धिक विकास व रोजगार प्राप्ति में बाधक मानते हुए कहा जाता था कि “पढ़ोगे-लिखोगे तो बनोगे नवाब, खेलोगे-कूदोगे तो होगे खराब।” परंतु बदलते समय के साथ यह साबित हो गया कि खेल मनुष्य के विकास में बाधक नहीं वरन् सहायक हैं। बगैर शैक्षणिक उपलब्धि के भी सचिन तेंदुलकर द्वारा अर्जित यश, सम्मान, धन लोकप्रियता आदि इस बात के सुंदर उदाहरण हैं। सचिन तेंदुलकर द्वारा देश का सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ प्राप्त करना, वर्तमान परिदृश्य में खेलों की महत्ता को दर्शाता है। आज सचिन ही नहीं वरन् सुशील कुमार, सानिया मिर्जा, अभिनव बिन्द्रा, साइना नेहवाल, मैरी कॉम व महेंद्र सिंह धोनी जैसे नामों ने सफलता व समृद्धि एवं श के जो आयाम गढ़े हैं, उसके समक्ष संस्थागत शिक्षा का प्रश्न गौण हो जाता है।
सरकार खेल में ख्याति प्राप्त खिलाड़ियों को अनेक पुरस्कारों से सम्मानित करती है, अर्जुन एवं द्रोणाचार्य जैसे पुरस्कार इसी श्रेणी के खेल रत्न पुरस्कार है जो भारत में खेलों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन हेतु सरकार द्वारा खिलाड़ियों और गुरुओं को प्रदान किये जाते हैं। हमारे देश की कई महिलाओं यथा- पी.टी. उषा, मेरी कॉम, सायना नेहवाल एवं सानिया मिर्जा ने दुनिया भर में खेल में काफी नाम कमाया है और देश को गौरवान्वित किया है। खेलों को भारतीय संस्कृति एवं एकता का प्रतीक भी माना जाता है। खेल हमारी प्रगति को सुनिश्चित कर जीवन में सफलता प्रदान करते हैं।
आज सरकारी व निजी दोनों क्षेत्रों में खिलाड़ियों के लिये नौकरियाँ पाने के कई अवसर है। रेलवे, एअर इंडिया, भारत पेट्रोलियम, ओ.एन.जी.सी., आई-ओ-सी- जैसी सरकारी संस्थाओं के साथ-साथ टाटा अकादमी, जिंदल ग्रुप जैसे निजी समूह भी खेलों व खिलाड़ियों के विकास व प्रोत्साहन हेतु प्रतिबद्ध है। इसके अलावा आई.पी.एल., आई.बी.एल., एच.सी.एल., जैसी लीगों तथा स्थानीय क्लबों के स्तर पर भारी निवेश ने खिलाड़ियों के विकल्प को बढ़ाने के साथ-साथ उन्हें बेहतर मंच व अवसर उपलब्ध कराया है। इसे देखते हुए अब कहा जा सकता है कि खेलोगे-“कूदोगे तो होगे नवाब।
भारत में खेल के पिछड़ेपन का कारण
खेल अधिकारियों का भ्रष्टाचार और गलत प्रबंधन :भ्रष्टाचार भारत में खेल प्रशासन का पर्याय बन गया हैI चाहे कोई भी खेल हो, हर जगह एक समान स्थिति हैI ज्यादातर खेल अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप हैंI इसके अतिरिक्त 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों में खेल संगठनों के प्रशासन में राजनेताओं की भागीदारी और उनके विवादों में शामिल होने की वजह से प्रशासकों की छवि धूमिल हुई हैI
सामाजिक और आर्थिक असमानताएं :सामाजिक और आर्थिक असमानताओं का भारतीय खेल पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता हैI गरीबी और खेलने के लिए स्टेडियम जैसे पर्याप्त बुनियादी आवश्यक्ताओं की कमी, खेल में भाग लेने के लिए लड़कियों को प्रोत्साहित न करना आदि कारणों से देश में खेल की दिशा में सकारात्मक विकास का आभाव दिखता हैI
इन्फ्रास्ट्रक्चर का आभाव:यह भारत में खेल की उदासीनता के लिए सबसे महत्वपूर्ण कारकों में से एक हैI चूंकि बुनियादी ढांचा, प्रशिक्षण और आयोजन खेल के लिए आवश्यक है, इसकी अनुपलब्धता और समाज के केवल कुछ ही हिस्सों तक इसकी पहुंच ने खेल की भागीदारी और खेल तथा खिलाड़ी की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव डाला हैI
नीतिगत कमी :किसी भी क्षेत्र के विकास के लिए एक प्रभावी नीति तैयार कर उसका सही निष्पादन आवश्यक होता हैI यह बात खेल के लिए भी समान रूप से लागू होती हैI संसाधनों की कमी तथा राज्य और स्थानीय सरकारों की विशेषज्ञता के कारण देश में अभी तक खेल नीति की योजना बनाना और उसका पालन करने की प्रक्रिया सेंट्रलाइज्ड हैI इसके अतिरिक्त संघ स्तर पर खेल के लिए एक अलग मंत्रालय का अभाव खेल के प्रति उदासीनता को दर्शाता हैI
संसाधनों के अल्प आवंटन :अन्य विकसित और विकासशील देशों की तुलना में वित्तीय संसाधनों का आवंटन भारत में बहुत कम हैI 2021-22 के केंद्रीय बजट में 2656 करोड़ रुपये खेल के लिए आवंटित किए गए थेI हालांकि, यह पिछले साल के मुकाबले 450 करोड़ रुपये अधिक है, लेकिन यूके द्वारा खेल क्षेत्र के लिए प्रति वर्ष लगभग 9 000 करोड़ खर्च किये जाने की तुलना में यह बहुत कम हैI
खेलों की इस स्थिति में सुधार करने के लिए हाल के वर्षों में केंद्र सरकार ने कई पहल की हैं. उनमें से कुछ हैं –
• सितंबर 2017 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने खेलो इंडिया प्रोग्राम को मंजूरी दी I कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य खेल विकास, व्यक्तिगत विकास, सामुदायिक विकास, आर्थिक विकास और राष्ट्रीय विकास के लिए एक उपकरण के रूप में काम करना हैI खेलो इंडिया प्रोग्राम पूरे खेल पारिस्थितिक तंत्र को प्रभावित करेगा, जिसमें बुनियादी ढांचे, सामुदायिक खेल, प्रतिभा की पहचान, उत्कृष्टता के लिए प्रशिक्षण, प्रतियोगिता संरचना और खेल अर्थव्यवस्था भी शामिल हैI
• अन्य जिम्मेदारियों के लिए वे राष्ट्रीय कोचिंग शिविरों के स्थानों पर मौजूदा खेल के बुनियादी ढांचे / उपकरणों, वैज्ञानिक बैकअप और चिकित्सा सुविधाओं की गुणवत्ता का मूल्यांकन करते हैं और समीक्षाजन्य कमियों को उजागर करते हैं.
• “राष्ट्रीय खेल संघों की सहायता” “Assistance to National Sports Federations”, की योजना के तहत सरकार राष्ट्रीय / अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लड़कियों / महिलाओं के प्रदर्शन, प्रशिक्षण और भागीदारी के लिए मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय खेल संघ (एनएसएफ) को वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है.
• आगामी 2024 ओलंपिक के लिए अपने प्रशिक्षण में एथलीटों को सर्वाधिक सहायता प्रदान करने के लिए सरकार ने विदेशी कोचों और सहायक स्टाफ की नियुक्ति को मंजूरी दी है.
• अप्रैल 2020 में केन्द्रीय क्षेत्र की योजना खेलो इंडिया – खेल विकास के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम को सरकार द्वारा मंजूरी दे दी गई थीI इस योजना के अंतर्गत राजीव गांधी खेल अभियान, शहरी खेल बुनियादी ढांचा योजना और राष्ट्रीय खेल प्रतिभा खोज प्रणाली कार्यक्रम आदि शामिल हैं.सरकार द्वारा उठाए गए उपरोक्त उपायों के बावजूद देश में खेल की गुणवत्ता सराहनीय नहीं हैI 1.40 अरब से अधिक आबादी वाले देश के लिए मौजूदा खेल ढांचे संतोषजनक नहीं है. विश्वस्तरीय इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी और सरकार का अपर्याप्त समर्थन ओलंपिक जैसे प्रमुख अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में भारतीय एथलीटों के खराब प्रदर्शन में साफ परिलक्षित होता है I क्यूबा, क्रोएशिया और लिथुआनिया जैसे छोटे देशों ने भारत की तुलना में ओलंपिक में बेहतर प्रदर्शन किया., सार्वजनिक और निजी क्षेत्र को भारतीय खेल क्षेत्र को इस वर्तमान दु:खद स्थिति से ऊपर उठाने के लिए एक साथ आने का प्रयास करना चाहिए. बीएससीआई के लिए न्यायमूर्ति लोधा समिति द्वारा किये गए सिफारिशों को अन्य सभी खेल निकायों के लिए लागू करना इस दिशा में सार्थक पहल सिद्ध हो सकता है Iजीवन में खेलों का महत्त्व निर्विवाद है। ये न केवल जीवन में गति व लय का संचार करते हैं, वरन् हमें जीवन का महत्त्वपूर्ण पाठ भी पढ़ाते हैं।
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