Day 48 | RAS Mains 2025 Answer Writing | 90 Days

90 days answer writing

This is Day 48 | 90 Days RAS Mains 2025 Answer Writing, We will cover the whole RAS Mains 2025 with this 90-day answer writing program

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GS Answer Writingअवसंरचना विकास- विद्युत और परिवहन | अवसंरचना में निजी विनियोग और सार्वजनिक-निजी सहभागिता परियोजनाएं- दृष्टिकोण और सम्भावनाएं | राजस्थान की प्रमुख विकास परियोजनाएं | राज्य बजट और राजकोषीय प्रबंधन- मुद्दे और चुनौतियाँ |

1. राजस्थान शहरी क्षेत्र विकास कार्यक्रम (चरण–III)

    अवधि: नवम्बर 2015 से मार्च 2025 तक

    2. राजस्थान राज्य राजमार्ग निवेश कार्यक्रम–I (किस्त–III)

    अवधि: दिसम्बर 2022 से सितम्बर 2026 तक

    3. राजस्थान द्वितीयक नगर विकास क्षेत्र परियोजना (चरण–IV)

    अवधि: अप्रैल 2023 से मई 2028

    1. राजस्थान जल क्षेत्र पुनर्गठन परियोजना (मरुस्थलीय क्षेत्रों हेतु) को न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) द्वारा वित्तपोषित किया गया है। 

    2. यह परियोजना मई 2018 से प्रभावी है और इसे फरवरी 2025 तक पूर्ण किया जाना प्रस्तावित है। 

    3. कुल अनुमानित व्यय – ₹3,292 करोड़ तथा इसे सात वर्षों में क्रियान्वित किया जाना है।

    4. श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, चूरू, नागौर, बीकानेर, जोधपुर, सीकर, झुंझुनू, जैसलमेर और बाड़मेर जिलों को लाभ |

    5. मुख्य विशेषताएं:

    इंदिरा गांधी फीडर की रिलाइनिंग

    SEM की समस्या दूर होगी

    जल उपयोगकर्ता संघ की क्षमता निर्माण, सूक्ष्म सिंचाई, कृषि विविधीकरण आदि सहित कमांड क्षेत्र विकास गतिविधियाँ।

    IGMN की वितरण प्रणाली का पुनर्वास

    राजस्थान जल क्षेत्र पुनर्गठन परियोजना

    28 जनवरी, 2024 को राजस्थान और मध्य प्रदेश ने संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चंबल-ईआरसीपी (संशोधित पी.के.सी-ईआरसीपी) लिंक परियोजना को लागू करने के लिए केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के साथ एक समझौते (MOU) पर हस्ताक्षर किए।

    ERCP : दक्षिणी राजस्थान की नदियों से अधिशेष जल एकत्र कर इसे दक्षिण-पूर्वी राजस्थान में जल-घाटे वाले बेसिनों में स्थानांतरित करने के लिए 2017-18 के राज्य बजट में पेश किया गया।
    विशेषताएँ

    1. चम्बल अंतर-बेसिन जल स्थानांतरण: कालीसिंध, पार्वती, मेज और चाकन उप-घाटियों से अधिशेष मानसून जल को बनास, गंभीरी, बाणगंगा और पार्वती जैसे जल-विहीन क्षेत्रों में स्थानांतरित किया जाता है।
    2. व्यापक कवरेज: यह परियोजना राजस्थान के 23.67% भौगोलिक क्षेत्र को कवर करेगी और 41.13% आबादी को लाभान्वित करेगी।
    3. बुनियादी ढांचे का विकास: इसमें जल स्थानांतरण को सुगम बनाने के लिए बैराज, बांध, नहरें और पंपिंग लाइनें बनाना शामिल है। प्रमुख संरचनाओं में शामिल हैं: कुल नदी पर रामगढ़ बैराज (बारां), कालीसिंध नदी पर नवनेरा बैराज (कोटा), बनास नदी पर डूंगरी बांध (सवाई माधोपुर), मेज नदी पर मेज बैराज (बूंदी) आदि।
    4. चरणबद्ध कार्यान्वयन: प्रारम्भ में इसे सात वर्षों में; तीन चरणों में पूरा करने का प्रस्ताव था (2017-2023).
    5. संसाधनों का आवंटन: मूल डीपीआर में 50% पानी आपूर्ति के लिए, 36% सिंचाई के लिए तथा 14% औद्योगिक उपयोग के लिए आवंटित किया गया था।
    6. परियोजना की लागत: हाल ही में राजस्थान बजट में परियोजना की लागत 37,250 करोड़ रुपये से बढ़ाकर लगभग 45,000 करोड़ रुपये कर दी गई है।

    लाभ

    1. जल आपूर्ति: पूर्वी राजस्थान के 17 जिलों तथा मध्य प्रदेश के मालवा और चंबल क्षेत्रों के लिए पेयजल और औद्योगिक जल की आपूर्ति सुनिश्चित करता है। (मध्य प्रदेश के भी 13 जिले)
      1. लाभान्वित जिले: झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, अजमेर, टोंक, जयपुर, करौली, अलवर, भरतपुर, दौसा और धौलपुर।
    2. उन्नत सिंचाई: प्रत्येक राज्य में 2.51 लाख हेक्टेयर भूमि के लिए सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराता है, जिससे कृषि उत्पादकता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। 1,52,000 हेक्टेयर मौजूदा भूमि को अतिरिक्त सिंचाई जल प्राप्त होगा, जिससे कृषि उत्पादकता में वृद्धि होगी।
    3. जल का कुशल उपयोग: चम्बल बेसिन के अधिशेष जल की बर्बादी को रोकना।
    4. अनावश्यक परियोजनाओं का उन्मूलन: ईआरसीपी के कारण कई पाइपलाइन परियोजनाएं अनावश्यक हो जाएंगी, जैसे इंदिरा लिफ्ट सिंचाई योजना, पीपल्दा लिफ्ट सिंचाई योजना और धौलपुर लिफ्ट सिंचाई योजना।
    5. भूजल पुनर्भरण: इसमें मार्ग में स्थित पंचायत के मौजूदा टैंकों को भरने तथा ग्रामीण क्षेत्रों में भूजल स्तर में सुधार लाने के प्रावधान शामिल हैं।
    6. आर्थिक विकास: दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारे (DMIC) सहित अन्य औद्योगिक आवश्यकताओं के लिए जल का आवंटन, औद्योगिक निवेश को बढ़ावा, सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि तथा रोजगार के अवसर पैदा करना।
    7. पानी का भंडारण: इससे चंबल और उसकी सहायक नदियों के पानी को बांधों में प्रतिवर्ष 100 दिनों तक संग्रहीत करने की अनुमति मिलती है, जिससे वर्ष भर पानी की उपलब्धता सुनिश्चित होती है।
    8. बाढ़ और सूखे का शमन: क्षेत्र में बाढ़ और सूखे की स्थिति में मदद करता है।
    9. संयोजक उपयोग: सतही एवं भूजल संसाधनों की उपलब्धता में वृद्धि करता है।

    ERCP जल आवश्यकताओं को पूरा कर, कृषि और उद्योग को समर्थन प्रदान कर, तथा सामाजिक-आर्थिक स्थितियों में सुधार लाकर पूर्वी राजस्थान में बदलाव लाएगा, तथा इस प्रकार इंदिरा गांधी नहर परियोजना की सफलता को दोहराएगा।

    Paper 4 (Comprehension part) –  Translation

    ANS

    1. Put out (Extinguish) the fire just after a while or else (otherwise) it will spread all around.
    2. If I hadn’t noticed it before time, it could have been hazardous.
    3. To some extent, he is right; But not quite/completely.
    4. For a moment, I thought that I was gone, thank God that I am safe.
    5. He might have thought that his friends would lend him their hands and become his strength. 

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