Day 44 | RAS Mains 2025 Answer Writing | 90 Days

90 Days RAS Mains 2025 Answer Writing

This is Day 44 | 90 Days RAS Mains 2025 Answer Writing, We will cover the whole RAS Mains 2025 with this 90-day answer writing program

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GS Answer Writingकृषि- भारतीय कृषि में वृद्धि एवं उत्पादकता की प्रवृत्तियाँ | खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र और खाद्य प्रबंधन | कृषिगत सुधार और चुनौतियाँ। औद्योगिक क्षेत्र की प्रवृत्तियाँ – औद्योगिक नीति एवं औद्योगिक वित्त । उदारीकरण,वैश्वीकरण, निजीकरण और आर्थिक सुधार। अवसंरचना और आर्थिक वृद्धि।। Comprehension

  • कृषि-समुद्री प्रसंस्करण और कृषि-प्रसंस्करण समूहों के विकास के लिए योजना
  • मंत्रालय – MoFPI
  • कुल 6000 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ 2017 में घोषित
  • उद्देश्य – किसानों की आय दोगुनी करना, ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार, भोजन की बर्बादी कम करना, निर्यात बढ़ाना, उपभोक्ताओं के लिए विकल्प बढ़ाना, कुपोषण का इलाज करना, मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाना।
  • 7 घटक – 
    • मेगा फ़ूड पार्क -अब तक 24 मेगा फूड पार्क चालू हैं
    • राजस्थान में – ग्रीनटेक मेगा फूड पार्क, अजमेर
    • एकीकृत कोल्ड चेन और मूल्य संवर्द्धन अवसंरचना
    • कृषि-प्रसंस्करण समूहों के लिये अवसंरचना
    • बैकवर्ड और फॉरवर्ड लिंकेज का निर्माण
    • खाद्य प्रसंस्करण और संरक्षण क्षमताओं का निर्माण/विस्तार
    • खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता आश्वासन अवसंरचना
    • मानव संसाधन संस्थान

देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 17% योगदान और 27.3 मिलियन से ज़्यादा कर्मचारियों के साथ, विनिर्माण क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत सरकार को उम्मीद है कि 2025 तक अर्थव्यवस्था का 25% उत्पादन विनिर्माण से आएगा।

चुनौतियां – 

  • बुनियादी ढांचे का अभाव
    • बिजली
    • परिवहन
    • संचार
  • वित्त की कमी
    • अनौपचारिक स्रोतों पर निर्भर MSMEs 
    • Bad loan / Poor NPA/अपरिपक्व पूंजी बाजार 
    • खराब प्रदर्शन –
      • खराब ऋण-इक्विटी अनुपात 
      • खराब ब्याज कवरेज अनुपात 
    • balance sheet की 4 समस्या – बैंक + Infrastructure companies + NBFCs + Real estate companies
  • नौकरशाही की ओर से बाधाएँ
    • लालफीताशाही 
    • भ्रष्टाचार 
    • अत्यधिक अनुपालनाएं 
    • चक्रव्यूह चुनौती: प्रवेश में आसानी, निकास में बाधाएं
    • Ex – भारत में, एक फर्म शुरू करने में औसतन 18 दिन लगते हैं। न्यूज़ीलैंड में, यह केवल आधे दिन का समय है। भारत में एक अनुबंध को लागू करने में लगभग 4 साल लगते हैं और लगभग एक तिहाई दावा लागत (claim cost) लगती है। चीन में यह केवल 1.5 साल है [Eco Survey].
  • बाहरी समस्याएं
    • अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध 
    • चीन के साथ प्रतिस्पर्धा 
    • रूस-यूक्रेन युद्ध (महंगे इनपुट)
    • कोविड-19 (वैश्विक मंदी)
    • अस्थिर FPI

किए गए सुधार – 

  • वित्तीय सुधार
    • MSME के लिए आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ECLGS) 
    •  भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता कोड, 2016
    • संस्थागत ऋण –
      • ICICI – भारतीय औद्योगिक ऋण एवं निवेश निगम 
      • IFCI – भारतीय औद्योगिक वित्त निगम 
      • IDBI – भारतीय औद्योगिक विकास बैंक 
      • SIDBI – भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक 
    • उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (PLI scheme). 
    • कॉर्पोरेट कर में कटौती [मौजूदा के लिए 22% और नए के लिए 15%] 
    • बजट 2024 – पूंजीगत व्यय बजट 11.11 लाख करोड़ है [11% वृद्धि] पूंजीगत व्यय से जीडीपी अनुपात – 3.4% 
    • बांड बाजार के विकास के लिए SEBI सुधार, बैंकों के लिए 4R [अब NPA 10% से घटकर 4% हुआ] Recognize, Recapitalize, Resolve, Reform
  • शासन सुधार
    • उद्यमी मित्र portal 
    • राष्ट्रीय Single Window प्रणाली 
    • Make In India 2.0 
    • GST 
    • PM गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान (NMP) 
    • औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम
    •  29 श्रम कानूनों को 4 संहिताओं में युक्तिसंगत बनाना – वेतन संहिता, 2019, औद्योगिक संबंध संहिता, 2020, सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य शर्तें संहिता, 2020
  • बाहरी समस्याओं को हल करने के लिए सुधार
    • कई उद्योगों को स्वचालित मार्ग (automatic route) से 100% FDI प्राप्त करने की अनुमति देना
      • Ex हाल ही में रक्षा विनिर्माण को स्वचालित मार्ग से 100% एफडीआई की अनुमति दी गई। 
    • इस्पात उद्योग के क्षेत्र में भारत और जापान के बीच समझौता। 
    • उद्योग और उन्नत प्रौद्योगिकियों में निवेश और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए यूएई-भारत समझौता। 
    • उद्योगों में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए भारत और अमेरिका के बीच समझौता। 
    • कोविड-19 के झटकों से निपटने के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान (ABY)

भारत वर्तमान में शीर्ष तीन पसंदीदा वैश्विक विनिर्माण स्थानों में से एक है और 2030 तक 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के निर्यात को प्राप्त करने की पर्याप्त क्षमता रखता है। ये सुधार भारत को एक प्रमुख वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनने की दिशा में आगे बढ़ाएंगे।

भारत की कृषि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने, कम आय वाली आबादी के लिए किफायती खाद्य कीमतें बनाए रखने और देश के लगभग 55% कार्यबल को रोजगार प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हालाँकि, इस क्षेत्र को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जो इसके विकास पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं और किसानों की आजीविका को खतरे में डालती हैं।

कारकचुनौतियां सुधार 
भूमि2015-16 में कृषि जोतों का औसत आकार घट गया (1.08 हेक्टेयर)।प्रच्छन्न बेरोजगारी – 47 प्रतिशत आबादी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है। 86% किसान छोटे और सीमांत किसान हैं- खराब पैमाने की अर्थव्यवस्था (poor economy of scale), कमज़ोर सौदेबाजी शक्ति, कम उत्पादकता, आदि भूमि का क्षरण – लवणीकरण, जलभराव, मृदा अपरदन, उर्वरकों का अधिक प्रयोग, आदिमहिलाएं – 75 प्रतिशत से अधिक ग्रामीण महिला श्रमिक कृषि क्षेत्र और स्वयं सहायता समूहों में कार्यरत हैंछोटे एवं सीमांत किसान- सहकारी खेती, अनुबंध खेती, बीमाकिसान उत्पादन संगठन सुभाष पालेकर – शून्य बजट प्राकृतिक खेती (ZBNF)
इनपुटकृषि में पहले से ही न्यूनतम संसाधन Treadmill effectबीजों की कम प्रतिस्थापन दर (<20%) बिचौलिए, महंगे HYV बीज, अपर्याप्त अनुसंधान एवं विकास R&Dउर्वरकों की कालाबाजारीबीज वितरण के लिए किसान संगठन और सहकारी समितियां साथी  (SEED TRACEABILITY, AUTHENTICATION and HOLISTIC INVENTORY) पोर्टल नीम लेपित यूरियापौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 2001
निधि52% कृषि परिवार ऋणी हैं (NABARD)।किसान की औसत आय एक भारतीय की औसत आय से कम है।KCC से केवल बड़े किसानों को लाभ।किसान क्रेडिट कार्ड स्कीम (KCC)भारत सरकार ने 2018-19 से मत्स्य पालन और पशुपालन करने वाले किसानों को भी केसीसी सुविधा प्रदान कीकृषि अवसंरचना निधि (AIF)MSPसंशोधित ब्याज अनुदान योजना Modified Interest Subvention Scheme (MISS)किसानों को रियायती ब्याज दरों पर अल्पावधि ऋण उपलब्ध कराना।3 लाख रुपये तक का अल्पकालिक कृषि ऋण 7 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर पर उपलब्ध करवाया गया कृषि और पशुपालन सहित अन्य संबद्ध गतिविधियों में लगे किसानों के लिएPSL मानदंड
जल का उपयोगमानसून पर निर्भर कृषि – जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशील पानी की अधिक खपत करने वाली फसलें – चावल, गन्ना, आदि पुरानी तकनीकें – बाढ़ सिंचाई, क्षेत्रीय असंतुलनप्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजनाPer drop more cropहर खेत को पानीत्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (AIBP)वाटरशेड विकास
मशीनीकरणभारत में केवल 40-45% मशीनीकरण (USA – 95%) बहु-फसल थ्रेशर की कमी हाथ से संचालित मशीनों का अभाव मशीनों में लिंग पूर्वाग्रहCustom hiring centres (CHCs)अनुसंधान एवं विकास – हाथ से संचालित और सामान्य मशीनें बहु फसल थ्रेशर 
बाज़ार बिचौलियों का प्रभुत्व संकटकालीन विक्रयजानकारी विषमता व्यापारियों की गुटबंदीमॉडल APMC अधिनियम e-NAM [अखिल भारतीय कृषि बाजार] भावांतर भुगतान योजना [मूल्य न्यूनता भुगतान योजना] संकटपूर्ण विक्रय से बचने के लिए e-NWR जैसी व्यवस्था 
खराब लॉजिस्टिकखराब बुनियादी ढांचा – कोल्ड स्टोरेज, सड़क नेटवर्क, ग्रेडिंग और सॉर्टिंग सुविधा, आदि 92500 करोड़ का फसलोत्तर नुकसानपीएम किसान संपदा योजना जैसी सभी खाद्य प्रसंस्करण संबंधी योजनाएं लिखें
अन्य मोनोक्रॉपिंग दोषपूर्ण सरकारी नीतियां – हरित क्रांति- क्षेत्रीय असंतुलन यूरिया का अंधाधुंध उपयोग मुफ़्त बिजली – पानी की बर्बादी ख़ुदकुशी (NCRB report – 2022 में 11000 से अधिक किसानों ने आत्महत्या की)फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने के लिए MSP का उपयोग समग्र कृषि और खाद्य सुधार के लिए एम एस स्वामीनाथन समिति और शांता कुमार समिति 

निष्कर्ष रूप में, अशोक दलवई समिति की सिफारिशों को लागू करना, जैसे कि कृषि को एक उद्यम के रूप में पुनः परिकल्पित करना, कृषि विपणन को बढ़ावा देना, बुनियादी ढांचे में सुधार करना, मूल्य प्रसार रणनीतियों को अनुकूलित करना, और एफपीओ और एफपीसी के नेटवर्क को व्यापक बनाना, किसानों की आय को दोगुना करने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को साकार करने की दिशा में एक आशाजनक मार्ग प्रस्तुत करता है।

भारत ने 1991 में एक गंभीर आर्थिक संकट के जवाब में LPG (उदारीकरण, निजीकरण, वैश्वीकरण) सुधारों की शुरुआत की। इस संकट की विशेषताएं थीं: भुगतान संतुलन का संकट, कम GDP वृद्धि, उच्च मुद्रास्फीति, और बढ़ता राजकोषीय घाटा।

उपाय – 

  • उदारीकरण
    • खतरनाक और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील उद्योगों को छोड़कर आयात लाइसेंसिंग को समाप्त कर दिया गया।
    • आयात और निर्यात पर मात्रात्मक प्रतिबंधों को हटाना।
    • करों में कमी
    • रुपये को चालू खाते में पूर्णतः परिवर्तनीय तथा पूंजी खाते में आंशिक रूप से परिवर्तनीय बनाया गया।
    • बाजार द्वारा निर्धारित विनिमय दर व्यवस्था अपनाई गई, जिसमें कभी-कभी RBI द्वारा हस्तक्षेप किया जाते थे।
    • नरसिम्हन समिति – बैंकों के निजीकरण और RBI को नियंत्रण मुक्त करने की सिफारिश।
  • निजीकरण
    • रणनीतिक विनिवेश (strategic disinvestment), पूर्ण निजीकरण (Complete privatization) या सांकेतिक निजीकरण (token privatization) के माध्यम से सार्वजनिक क्षेत्र की भूमिका को कम करना।
    • 1991-92 में विनिवेश के जरिए 2500 करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा गया था। सरकार लक्ष्य से 3,040 करोड़ रुपए अधिक जुटाने में सफल रही।
    • एयर इंडिया का निजीकरण
    • हवाई अड्डों का निजीकरण – मुंबई, दिल्ली, हैदराबाद आदि
    • LIC, ONGC, कोल इंडिया आदि का विनिवेश।
  • वैश्वीकरण –
    • विदेशी निवेश और प्रौद्योगिकी में अप्रतिबंधित प्रवेश
    • FTAs पर हस्ताक्षर, आर्थिक ब्लॉकों में शामिल होना

भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

  • भारत की GDP वृद्धि दर बढ़ी- 
    • भारत 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है [1991 में – 17वें स्थान पर] 
    • आज, क्रय शक्ति समता के आधार पर यह तीसरा सबसे बड़ा देश है 
    • केरल के जीएसडीपी में धन प्रेषण (Remittances) का हिस्सा 36% है। 
  • FDI का प्रवाह मजबूत रहा – संसाधनों का बेहतर उपयोग 
    • 1990 में – $ 97 million 
    • $ 85 billion पार [लगभग 1000 गुणा] 
  • बेरोज़गारी में कमी 
    • IBM के भारत में अमेरिका से अधिक कर्मचारी हैं। 
  • प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि हुई 
  • सकल घरेलू उत्पाद GDP के प्रतिशत % के रूप में कर राजस्व में वृद्धि हुई 
  • निर्यात बढ़ा 
  • गरीबी दर में कमी आई – लगभग 50% से 21% तक [सुरेश तेंदुलकर समिति] 
    • 600 मिलियन लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में मदद की 
  • बेहतर सेवा वितरण और बेहतर विकल्प 
    • 1991 में किसी को भी टेलीफोन लैंडलाइन कनेक्शन पाने में दो साल लग जाते थे। शीर्ष सॉफ्टवेयर कंपनी इंफोसिस के प्रमुख एन.आर. नारायणमूर्ति याद करते हैं कि 1980 के दशक में उन्हें कंप्यूटर आयात करने की अनुमति पाने में तीन साल और टेलीफोन कनेक्शन पाने में एक साल से ज़्यादा समय लगा था। 
  • आईटी सेक्टर में उछाल- इंफोसिस, विप्रो और एचसीएल 
  • श्रम का विशेषज्ञता – वैश्विक मूल्य श्रृंखला (Global value chain) 
  • शांति – जब व्यापार बंद हो जाता है, तब युद्ध होता है [जैक मा]
progress since LPG reforms

LPG सुधारों ने भारत की अर्थव्यवस्था को बदल दिया है, इसे और अधिक खुला, प्रतिस्पर्धी और लचीला बना दिया है। इन सुधारों ने वृद्धि और वैश्विक कनेक्शन जैसे उल्लेखनीय लाभ दिए हैं, लेकिन आय असमानता और पर्यावरणीय नुकसान जैसे मुद्दों पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है

Paper 4 (Comprehension part) –  Translation

ANS

  1. Rehabilitation of juvenile delinquents requires active judicial and social efforts.
  2. I still don’t know how to be happier than being with you.
  3. Do not use abbreviations as far as possible in the answer sheet and write in full form.
  4. The poet has beautifully depicted the pain of a woman and the anguish of separation in the character of Urmila.
  5. The reason for the indiscipline arising out of the dissatisfaction of the students is their feeling that their ideas and aspirations are often neglected.

Day 44 | 90 Days RAS Mains 2025 Answer Writing

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