In this session of RAS Mains 2025 Answer Writing, we explore the ethics of Bhagavad Gita in administration, its influence on governance, and leadership.
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GS Answer Writing – भारत में समाजशास्त्रीय विचारों का विकास – भारतीय समाज में जाति और वर्ग : प्रकृति, उद्भव, प्रकार्य और चुनौतियां । परिवर्तन की प्रक्रियाएं : संस्कृतिकरण, पश्चिमीकरण, लौकिकीकरण, भूमण्डलीकरण । पत्र लेखन
जाति नस्ल का एक उत्पाद है जो आर्यों के साथ भारत में आई” – हर्बर्ट रिस्ले
सिद्धांत: जाति व्यवस्था नस्लीय मतभेदों से उत्पन्न हुई, जिसमें आर्यों (इंडो-आर्यन) ने भारत के मूल लोगों (द्रविड़ों) पर अपना वर्चस्व स्थापित किया।
इस सिद्धांत के अनुसार, आर्यों ने मूल निवासियों को हराया और उनके रक्त की सर्वोच्चता की रक्षा के लिए जाति व्यवस्था विकसित की। रिस्ले का मानना था कि उच्च जातियाँ इंडो-आर्यन से उत्पन्न हुईं जबकि निचली जातियाँ गैर-आर्यन प्रजातियों से उत्पन्न हुईं।
आलोचना: आलोचकों का तर्क है कि नस्लीय सिद्धांत जाति व्यवस्था की जटिलता को अधिक सरल बनाता है और व्यवसाय और सामाजिक भूमिकाओं जैसे अन्य महत्वपूर्ण कारकों की उपेक्षा करता है।
अन्य समर्थक: घुर्ये (पुस्तक- भारत में जाति और नस्ल) ने आंशिक रूप से इस सिद्धांत का समर्थन किया; मजूमदार (भारत में पुस्तक-प्रजाति और संस्कृति)
धर्मनिरपेक्षीकरण का भारतीय समाज पर प्रभाव-
- सामाजिक चिंतन की पुनः व्याख्या की गई
- धर्मनिरपेक्षीकरण की अवधारणा ने पवित्रता और अपवित्रता की धारणा को बदल दिया।
- धर्मनिरपेक्षीकरण ने व्यक्तियों की संकीर्ण मानसिकता को व्यापक बनाया
- जनमानस का ध्यान स्वयं के विकास पर केन्द्रित किया गया
- धन, शक्ति और अधिकार हासिल करने की उम्मीदें मजबूत होने से जातिगत भेदभाव कमजोर हुआ
- आस्था में अलौकिक सत्ता से सार्वभौमिकता की ओर परिवर्तन आया।
- भक्ति और आस्था की भावनाएं लुप्त नहीं हुईं, बल्कि अब भगवान तक पहुंचने का रास्ता इंसानों से होकर जाता था
- चेतना विकसित हुई, लोग अस्पतालों, शिक्षण संस्थानों, समाज सेवी संस्थाओं आदि को दान देने लगे
- ग्रामीण समाज में प्रधान जाति वर्ग को पंच के रूप में स्वीकार करने की पारंपरिक व्यवस्था धूमिल हो गई
- ग्रामीण समुदायों का राजनीतिकरण शुरू हुआ।
(“आधुनिक भारत में सामाजिक परिवर्तन” – एम.एन. श्रीनिवास द्वारा पुस्तक)
BASIS | CASTE | CLASS |
MEANING | आनुवंशिकता और विवाह, व्यवसाय और जीवनशैली पर लगाए गए प्रतिबंधों के आधार पर समाज का खंडीय विभाजन। | स्तरीकरण की खुली प्रणाली जिसका आधार सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक, सांस्कृतिक स्थिति हो सकती है। |
MEMBERSHIP | जन्मजात एवं आरोपित। | हासिल करना होगा |
OCCUPATION | निश्चित । कोई गतिशीलता नहीं. | निश्चित नहीं |
NORMS | निर्धारित रीति-रिवाजों एवं मर्यादाओं का पालन करने की अपेक्षा की जाती है | ऐसी कोई बाध्यता नहीं |
TYPE | बंद और स्थिर व्यवस्था. | गतिशील और खुली व्यवस्था. |
MARRIAGE | अंतर्विवाही | अपने वर्ग के बाहर विवाह कर सकते हैं। |
NATURE | स्थायी | अस्थायी |
RELIGION | जाति व्यवस्था के धार्मिक निहितार्थ हैं। | वर्ग व्यवस्था किसी भी धर्म पर आधारित नहीं है। |
DISTINCTION | मनुष्य की हीनता-श्रेष्ठता पर आधारित। | सामाजिक स्थिति की हीनता – श्रेष्ठता पर आधारित |
DEMOCRACY | लोकतंत्र को बढ़ावा नहीं देता. | जरूरी नहीं कि यह लोकतंत्र के लिए बाधा के रूप में कार्य करे |
INEQUALITY | संचयी असमानता । व्यापक सामाजिक अंतर | बिखरी हुई असमानता. सामाजिक अंतर इतना व्यापक नहीं है. |
Paper 4 (Comprehension part) – पत्र लेखन
क ख ग
च छ ज गार्डन
जयपुर।
14 अक्टूबर 2023
सेवा में,
पोस्टमास्टर महोदय
डाकघर, च छ ज गार्डन
जयपुर।
विषय: डाक वितरण की अनियमितताओं के संबंध में।
संदर्भ: 12 अक्टूबर 2023 को आयोजित च छ ज गार्डन कल्याण समिति की बैठक में मिली लिखित शिकायतें।
महोदय
मैं च छ ज गार्डन बी-27 का रहने वाला हूँ। मैं इस पत्र के द्वारा अपने क्षेत्र की डाक वितरण की अनियमितताओं की ओर आपका ध्यान दिलाना चाहता हूँ।
मान्यवर, पिछले चार माह से इस क्षेत्र में डाक-वितरण का काम ठीक से नहीं हो रहा है। पोस्टमैन पत्रों को या तो घरों के जीने में फेंक जाता है या जीने के सामने खड़े किसी बच्चे के हाथ में पकड़ा जाता है। अनेक बार महत्त्वपूर्ण पत्र या तो दूसरे के घरों में पहुँच जाते हैं या देर से मिलते हैं। डाक-वितरण की व्यवस्था दिन में तीन बार है, जबकि हमारे पोस्टमैन महोदय एक से अधिक बार नहीं आते। हमारे क्षेत्र के निवासियों की आम शिकायत है कि ये पोस्टमैन साहब त्यौहारों के अवसर पर बखशीश देने को बाध्य करते हैं तथा न देने वालों की डाक में गड़बड़ी कर देते हैं। कई बार हमने पोस्टमैन को समझाने की चेष्टा की, मगर उसके कान पर तक न रेंगी। इसीलिए हारकर हमें आपका दरवाजा खटखटाना पड़ा। अतः आपसे प्रार्थना है कि आप इस विषय में जाँच-पड़ताल कर डाक वितरण ठीक करने की कृपा करें तथा संबंधित पोस्टमैन को उचित चेतावनी देकर यथासंभव उन्हें दंडित करें। इसके लिए हम आपके सदैव आभारी रहेंगे।
धन्यवाद।
संलग्न : बैठक में मिली लिखित शिकायतों की छायाप्रतियां। भवदीय
क ख ग
सचिव
च छ ज गार्डन कल्याण समिति,
जयपुर।
प्रतिलिपि : सूचनार्थ व आवश्यक कार्यवाही हेतु –
- हैड पोस्टमास्टर, प्रधान डाकघर, जयपुर।
- रक्षित पत्रावली
भवदीय
क ख ग