आवृत्ति स्पेक्ट्रम

आवृत्ति स्पेक्ट्रम प्रौद्योगिकी विषय का एक महत्वपूर्ण विषय है, जो संचार प्रणालियों में उपयोग होने वाली विभिन्न आवृत्तियों की सीमा को दर्शाता है। यह स्पेक्ट्रम मोबाइल, रेडियो, टेलीविजन और सैटेलाइट संचार जैसी तकनीकों के लिए आवश्यक आवृत्तियों का कुशल वितरण सुनिश्चित करता है।

विद्युतचुंबकीय तरंगें और उनकी विशेषताएं

  • विद्युतचुंबकीय (e.m.) तरंगें आधुनिक संचार प्रणालियों का मूलभूत हिस्सा हैं, जो संकेतों को चालक, वायु, या ऑप्टिकल फाइबर के माध्यम से संचारित करती हैं।
  • ये तरंगें दोलनशील विद्युत (Electric) और चुम्बकीय (Magnetic) क्षेत्रों से बनी होती हैं, जो अंतरिक्ष (Space) में स्वतंत्र रूप से संचरण करती हैं। ये मैक्सवेल के विद्युत चुम्बकीय सिद्धांत द्वारा शासित होती हैं।
  • पारस्परिक क्रिया: समय-परिवर्ती विद्युत क्षेत्र एक चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है, और इसके विपरीत, जिससे तरंग का प्रसार संभव होता है।

गणितीय निरूपण:

  • विद्युत क्षेत्र: E=E0​sin(kz−ωt)
  • चुंबकीय क्षेत्र : H=H0​sin(kz−ωt)
Frequency Spectrum

विद्युत चुंबकीय तरंगों (EM तरंगों) के मुख्य गुण:

  1. अनुप्रस्थ प्रकृति : विद्युत क्षेत्र (E) और चुंबकीय क्षेत्र (B) एक-दूसरे के लंबवत और तरंग के प्रसार की दिशा में दोलन करते हैं।
  2. माध्यम की आवश्यकता नहीं : ये तरंगें निर्वात (Vacuum) में भी संचरण कर सकती हैं उदाहरण : सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक पहुंचता है।
  3. निर्वात में गति (c): सभी विद्युत चुंबकीय तरंगें निर्वात में लगभग 3×10⁸ मीटर/सेकंड की गति से यात्रा करती हैं
    • संबंध :  c = λ × f (गति = तरंग दैर्ध्य × आवृत्ति)।
  4. तरंग दैर्ध्य और आवृत्ति का संबंध : लंबी तरंग दैर्ध्य = कम आवृत्ति = कम ऊर्जा।
  5. ऊर्जा और संवेग : विद्युत चुम्बकीय तरंगें ऊर्जा और संवेग ले जाती हैं, जिसे पदार्थ में स्थानांतरित किया जा सकता है (जैसे, सौर पैनल)।
  6. परावर्तन, अपवर्तन और विवर्तन :  विद्युत चुंबकीय तरंगें माध्यम और अवरोधों के अनुसार परावर्तित, अपवर्तित, या विवर्तित हो सकती हैं।
    • उदाहरण :  रेडियो तरंगें इमारतों के चारों ओर मुड़ सकती हैं (विवर्तन)।
  7. ध्रुवण : विद्युत क्षेत्र का अभिविन्यास एक विशिष्ट दिशा तक सीमित किया जा सकता है, जिससे चकाचौंध कम होती है (जैसे, ध्रुवीकृत धूप का चश्मा)।
  8. पदार्थ के साथ परस्पर क्रिया:
    • निम्न आवृत्ति : गहराई तक प्रवेश कर सकती हैं (जैसे, रेडियो तरंगें)।
    • उच्च आवृत्ति : अवशोषित या प्रकीर्णित हो सकती हैं (जैसे, ओजोन परत द्वारा पराबैंगनी किरणों का अवशोषण)।

संचार में विद्युत चुम्बकीय तरंगें कैसे काम करती हैं :

  1. प्रेषक (Transmitter): संकेत (Signal) को विद्युतचुंबकीय तरंगों में परिवर्तित करता है और एंटीना के माध्यम से प्रसारित करता है।
  2. प्रसार (Propagation) : तरंगें अंतरिक्ष (Vacuum) या किसी माध्यम (Medium) से होकर यात्रा करती हैं।
  3. रिसीवर (Receiver) : दूसरी एंटीना के माध्यम से तरंगों को पकड़ता है और सूचना को पुनः प्राप्त करता है।

आवृत्ति स्पेक्ट्रम (Frequency Spectrum)

  • विद्युतचुंबकीय स्पेक्ट्रम (E.M. Spectrum) वह श्रेणी है जिसमें विद्युतचुंबकीय तरंगों को उनकी आवृत्ति (Frequency) या तरंगदैर्ध्य (Wavelength) के अनुसार व्यवस्थित किया जाता है। यह संचार प्रणालियों में सिग्नल संचारित करने के लिए उपयोग किया जाता है।
  • आवृत्तियों को हर्ट्ज़ (Hertz, Hz) में मापा जाता है :
    • 1 Hz = 1 चक्र प्रति सेकंड।

विद्युतचुंबकीय विकिरण के क्षेत्र/प्रकार

विद्युत चुंबकीय विकिरण (Electromagnetic Radiation) को निम्नलिखित श्रेणियों (क्षेत्र, बैंड या प्रकार) में वर्गीकृत किया जाता है:

  1. गामा विकिरण : सबसे छोटी तरंगदैर्ध्य, उच्चतम आवृत्ति और ऊर्जा। चिकित्सा और परमाणु विज्ञान में उपयोग।
  2. एक्स-रे विकिरण : उच्च ऊर्जा वाली तरंगें, चिकित्सा इमेजिंग और सुरक्षा स्कैनिंग में उपयोगी।
  3. पराबैंगनी विकिरण : त्वचा के लिए हानिकारक, टैनिंग और कीटाणुशोधन में प्रयुक्त।
  4. दृश्य प्रकाश : मनुष्यों द्वारा देखा जाने वाला प्रकाश (रंग)।
  5. अवरक्त विकिरण : तापमान संवेदन और रिमोट कंट्रोल के लिए उपयोगी।
  6. माइक्रोवेव विकिरण : वायरलेस संचार, उपग्रह संचार, और माइक्रोवेव ओवन में प्रयुक्त।
  7. रेडियो तरंगें : सबसे लंबी तरंगदैर्ध्य, रेडियो और टेलीविजन प्रसारण, मोबाइल संचार में उपयोग।
    • यह वर्गीकरण तरंग दैर्ध्य के बढ़ते क्रम में किया जाता है, जो विकिरण के प्रकार की विशेषता है।
    • विद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम के बैंड्स के बीच कोई तय सीमा नहीं होती है। बल्कि, ये एक-दूसरे में ऐसे मिलते हैं जैसे इंद्रधनुष में रंग एक-दूसरे में घुलते हैं।
    • लघु तरंगदैर्ध्य → उच्च आवृत्ति → उच्च ऊर्जा (गामा किरणें, एक्स-रे)
    • दीर्घ तरंगदैर्ध्य → निम्न आवृत्ति → निम्न ऊर्जा (रेडियो तरंगें, सूक्ष्मतरंगें

आवृत्ति स्पेक्ट्रम का विभाजन

आवृत्ति बैंडआवृत्ति सीमातरंग दैर्ध्यअनुप्रयोग
रेडियो तरंगें3 Hz – 300 GHz>1 mmAM/FM रेडियो, टीवी प्रसारण, मोबाइल संचार।
माइक्रोवेव300 MHz – 300 GHz1 mm−1 mउपग्रह संचार, रडार, वाई-फाई, माइक्रोवेव ओवन।
अवरक्त (IR)300 GHz – 400 THz750 nm−1 mmरिमोट कंट्रोल, थर्मल इमेजिंग, फाइबर ऑप्टिक्स।
दृश्य प्रकाश400 THz – 750 THz400 nm−750 nmऑप्टिकल फाइबर संचार, मानव दृष्टि ( प्राकृतिक दृश्य और कैमरा सिस्टम)
पराबैंगनी (UV)750 THz – 30 PHz10 nm−400 nmसर्जिकल उपकरणों का स्टेरिलाइज़ेशन (Sterilization), चिकित्सा इमेजिंग (UV फोटोग्राफी, त्वचा परीक्षण), फोरेंसिक विश्लेषण
एक्स-रे30 PHz – 30 EHz0.01 nm−10 nmचिकित्सा इमेजिंग, सुरक्षा स्कैन।
गामा किरणें >30 EHz>30EHz<0.01 nmकैंसर उपचार, नाभिकीय अनुसंधान।
Radio Waves (रेडियो तरंगें)
  • परिभाषा:
    • रेडियो तरंगें वे विद्युतचुंबकीय तरंगें हैं, जिनकी आवृत्ति सबसे कम और तरंग दैर्ध्य सबसे अधिक होती है।
    • आवृत्ति: 300 GHz से कम।
    • तरंग दैर्ध्य: 1 mm से अधिक।
  • प्रकार:
    • माइक्रोवेव: उच्च आवृत्ति (1 GHz से अधिक) और छोटी तरंग दैर्ध्य (<30 सेमी)।
  • संचार गति:
    • निर्वात में: प्रकाश की गति (c = 3 × 10⁸ m/s)।
    • पृथ्वी के वायुमंडल में: वायुमंडलीय गुणों के कारण थोड़ी धीमी 
  • उत्पत्ति:  रेडियो तरंगें आवेशित कणों (Charged Particles) के त्वरण से उत्पन्न होती हैं।
उत्पादन और प्राप्ति (Generation and Reception):
  • उत्पन्न करना :
    • कृत्रिम स्रोत: एंटीना से जुड़े रेडियो ट्रांसमीटर।
    • प्राकृतिक स्रोत: बिजली, खगोलीय पिंड, और गर्म वस्तुओं से उत्सर्जित ब्लैकबॉडी विकिरण।
  • ग्रहण करना:
    • एंटीना रेडियो तरंगों को ग्रहण करता है → इन्हें दोलनशील विद्युत धाराओं में परिवर्तित करता है → सिग्नल प्रसंस्करण के लिए रिसीवर को भेजता है।
उपयोगिता क्यों?
  • वायुमंडल, इमारतों और मौसम की परिस्थितियों को पार कर सकती हैं।
  • लंबी तरंगदैर्ध्य के कारण अवरोधों के चारों ओर मुड़ सकती हैं और पृथ्वी की सतह का अनुसरण कर सकती हैं।
प्रसारण विशेषताएँ
  • लाइन ऑफ साइट (दृष्टि रेखा) : रेडियो तरंगें ट्रांसमीटर और रिसीवर के बीच सीधी रेखा में यात्रा करती हैं।
    • यह 30 MHz से अधिक आवृत्तियों तक सीमित है।
    • उदाहरण: सेल फोन, एफएम रेडियो, टीवी प्रसारण, रडार।
    • दृश्य क्षितिज (Visual Horizon): पृथ्वी की सतह पर प्रसार लगभग 64 किमी (40 मील) तक सीमित है।
  • अप्रत्यक्ष प्रसार (Indirect Propagation): रेडियो तरंगें विवर्तन और परावर्तन द्वारा लाइन ऑफ साइट से आगे पहुँचती हैं।
  • ग्राउंड वेव्स (Ground Waves): 2 मेगाहर्ट्ज़ से कम आवृत्तियों के लिए, रेडियो तरंगें बाधाओं (जैसे, पहाड़) के चारों ओर विवर्तित हो सकती हैं और क्षितिज पर प्रसारित हो सकती हैं।
    • उपयोग: मीडियमवेव और लॉन्गवेव प्रसारण के लिए।
    • VLF और ELF (Very Low Frequency & Extremely Low Frequency) तरंगें पानी के अंदर भी संचारित हो सकती हैं (पनडुब्बी संचार के लिए उपयोग)।
  • आकाश तरंगें : मध्यम और लघु तरंगों पर आयनमंडल से परावर्तित होती हैं और पृथ्वी पर लौटती हैं।
    • उपयोग:  आधुनिक प्रणालियों में सीमित उपयोग, लेकिन सैन्य रडार और शॉर्टवेव रेडियो स्टेशनों द्वारा अब भी उपयोग किया जाता है।
रेडियो तरंगों के अनुप्रयोग
  • संचार : मोबाइल फोन, रेडियो, सैटेलाइट।
  • नेविगेशन: जीपीएस, रडार प्रणालियाँ।
  • प्रसारण : टीवी, एएम/एफएम रेडियो।
  • वैज्ञानिक उपयोग : खगोल विज्ञान, आयनमंडलीय अध्ययन।
  • चिकित्सा अनुप्रयोग:
    • डायथर्मी (Diathermy): गहरे ऊतकों (Deep Tissue) को गर्म करके रक्त प्रवाह को बढ़ाना।
    • हाइपरथर्मिया थेरेपी (Hyperthermia Therapy): कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए रेडियो तरंगों का उपयोग।
  • स्वास्थ्य और पर्यावरणीय प्रभाव
    • गैर-आयनकारी विकिरण:
      • मुख्य प्रभाव: ऊतकों (Tissues) का तापमान बढ़ाना।
    • चिंताएँ :
      • लंबे समय तक उच्च शक्ति वाले रेडियो फ्रीक्वेंसी (RF) क्षेत्रों के संपर्क में रहने से मोतियाबिंद (Cataracts) या ऊष्मीय क्षति (Thermal Damage) हो सकती है।
  • परिरक्षण :
    • फैराडे केज (Faraday Cage): विद्युत चालक सामग्री (Conductive Enclosures) का उपयोग करके रेडियो तरंगों को अवरुद्ध करता है।

आवृत्ति सीमा: 500 kHz से 1000 MHz.

अनुप्रयोग :

  • AM रेडियो: 530 kHz से 1710 kHz.
  • शॉर्टवेव बैंड: Up से 54 MHz.
  • FM रेडियो: 88 MHz से 108 MHz.
  • TV प्रसारण: 54 MHz से 890 MHz.
  • सेलुलर फोन:  यूएचएफ (UHF) बैंड में कार्य करते हैं।
आवृत्ति स्पेक्ट्रम
बैंडआवृत्ति सीमा तरंग दैर्ध्य प्रयोग
अत्यंत निम्न आवृत्ति (ELF)< 3 kHz> 100 kmबिजली
बहुत निम्न आवृत्ति (VLF)3-30 kHz100 – 10 kmसोनार
निम्न आवृत्ति (LF)30-300 kHz10 – 1 kmसमुद्री नेविगेशन
मध्यम आवृत्ति (MF)300 kHz – 3 MHz1 km – 100 mमध्यम तरंग रेडियो
उच्च आवृत्ति(HF)3-30 MHz100 – 1 mशॉर्ट वेव रेडियो
बहुत उच्च आवृत्ति (VHF)30-300 MHz10-1 mएफएम रेडियो
अत्यधिक उच्च आवृत्ति  (UHF)300 MHz – 3 GHz1 m – 10 cmव्यावसायिक टीवी, मोबाइल, रेडियो
सुपर उच्च आवृत्तिy (SHF)3-30 GHz10-1 cmउपग्रह, रडार, संचार

माइक्रोवेव (Microwave)

  • माइक्रोवेव विद्युतचुंबकीय विकिरण का एक रूप हैं, जिनकी तरंगदैर्ध्य रेडियो तरंगों से छोटी लेकिन अवरक्त तरंगों से बड़ी होती है।
    • तरंग दैर्ध्य सीमा : 1 मीटर से 1 मिलीमीटर (आवृत्ति 300 MHz से 300 GHz के बीच)।
    • सामान्य सीमा :  1 GHz से 100 GHz (तरंग दैर्ध्य 30 सेंटीमीटर से 3 मिलीमीटर के बीच)।
  • माइक्रोवेव स्पेक्ट्रम :
    • माइक्रोवेव को आवृत्ति बैंडों में विभाजित किया जाता है, जिनमें शामिल हैं: UHF (अल्ट्रा हाई फ्रिक्वेंसी), SHF (सुपर हाई फ्रिक्वेंसी), EHF (एक्सट्रीमली हाई फ्रिक्वेंसी)
    • सामान्य आवृत्ति बैंड:
      • S, C, X, Ku, K, और Ka बैंड का उपयोग रडार और उपग्रह संचार में किया जाता है।
  • माइक्रोवेव को क्लाइस्ट्रॉन, मैग्नेट्रॉन और गन डायोड जैसे उपकरणों द्वारा उत्पन्न किया जाता है।

प्रसार (Propagation):

  • लाइन-ऑफ-साइट : माइक्रोवेव सीधी रेखाओं में यात्रा करते हैं और दृश्य क्षितिज (पृथ्वी पर लगभग 40 मील या 64 किमी) द्वारा सीमित होते हैं।
    • 100 GHz से ऊपर वायुमंडल (Atmosphere) माइक्रोवेव के लिए अपारदर्शी (Opaque) हो जाता है।

माइक्रोवेव के अनुप्रयोग

  • संचार : पॉइंट-टू-पॉइंट संचार लिंक में उपयोग किया जाता है (जैसे, माइक्रोवेव रेडियो रिले नेटवर्क)।
    • उपग्रह संचार:
      • Ku-बैंड (12–14 GHz): टेलीविजन सेवाओं के लिए
      • X-बैंड, Ka-बैंड : सैन्य संचार के लिए।
  • वायरलेस नेटवर्क :
    • वाई-फाई और ब्लूटूथ: 2.4 GHz ISM बैंड में कार्य करते हैं।
  • रडार (वायु यातायात नियंत्रण, मौसम पूर्वानुमान और नेविगेशन में उपयोग।)
  • उपग्रह नेविगेशन :
    • वैश्विक नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS), iGPS, GLONASS, और Beidou 1.2 GHz से 1.6 GHz के माइक्रोवेव आवृत्ति बैंड का उपयोग करते हैं।
  • रेडियो खगोल विज्ञान :
    • बिग बैंग से कॉस्मिक माइक्रोवेव बैकग्राउंड रेडिएशन (सीएमबीआर) का अध्ययन करने के लिए रेडियो टेलीस्कोप में माइक्रोवेव का उपयोग किया जाता है।
  • चिकित्सा अनुप्रयोग  (डाइथर्मी, कैंसर उपचार)
  • रसोई  (माइक्रोवेव ओवन)
  • औद्योगिक हीटिंग (सुखाने और परिष्करण प्रक्रियाओं में।)
माइक्रोवेव ओवन का सिद्धांत
  • माइक्रोवेव आवृत्ति: माइक्रोवेव 3 GHz (गिगाहर्ट्ज़) पर काम करती हैं, जो जल अणुओं की घूर्णन आवृत्ति के साथ अनुनाद (Resonate) करती है।
  • कार्य करने की प्रक्रिया:
    • माइक्रोवेव से उत्पन्न ऊर्जा पानी के अणुओं द्वारा अवशोषित होती है, जिससे उनके गतिज ऊर्जा और तापमान में वृद्धि होती है।
    • कंपन करते हुए पानी के अणु अपने आस-पास के भोजन के अणुओं को ऊर्जा स्थानांतरित करते हैं, जिससे पूरा खाद्य पदार्थ गर्म होता है।
    • पारंपरिक हीटिंग की तुलना में लाभ :
      • कंटेनर को गर्म किए बिना भोजन को सीधे गर्म करता है।
      • पारंपरिक हीटिंग विधियों की तुलना में अधिक कुशल और तेज़
    • सुरक्षा दिशानिर्देश:
      • पोरसिलेन कंटेनर : चीनी मिट्टी (Porcelain) और कांच (Glass) माइक्रोवेव-सुरक्षित हैं क्योंकि वे माइक्रोवेव को अवशोषित नहीं करते और बिजली का संचालन नहीं करते।
    • धातु कंटेनर: धातु (Metal) और एल्यूमीनियम फॉयल (Aluminum Foil) का प्रयोग वर्जित है, क्योंकि वे माइक्रोवेव को परावर्तित कर सकते हैं और चिंगारी पैदा कर सकते हैं।

स्वास्थ्य और सुरक्षा पर विचार

  • गैर-आयनीकरण विकिरण:
    • मुख्य प्रभाव: सामग्रियों का गर्म होना, विशेष रूप से माइक्रोवेव ओवन में।
  • जैविक प्रभाव:
    • आंखों की संवेदनशीलता : आँख का लेंस और कॉर्निया माइक्रोवेव ऊर्जा को अवशोषित कर सकता है, जिससे गर्म होने के कारण मोतियाबिंद हो सकता है।
    • अन्य ऊतक : माइक्रोवेव के उच्च संपर्क में आने से जलन और नमी से भरपूर क्षेत्रों के गर्म होने के कारण गहरे ऊतकों को नुकसान हो सकता है।

इन्फ्रारेड (IR) 

  • इन्फ्रारेड विकिरण विद्युतचुंबकीय विकिरण का एक रूप है, जिसकी तरंगदैर्घ्य दृश्य प्रकाश से लंबी लेकिन माइक्रोवेव से छोटी होती है।
  • तरंग दैर्ध्य सीमा : 750 nm (400 THz) से 1 mm (300 GHz)।
  • निम्न प्रकार विभाजित किया जा सकता है :
    • नियर-IR (Near-IR): 120–400 THz (750–2,500 nm)
    • मिड-IR (Mid-IR): 30–120 THz (2.5–10 μm)
    • फार-IR (Far-IR): 300 GHz–30 THz (10–1 mm)
  • इन्फ्रारेड विकिरण को “ऊष्मा तरंगें” (Heat Waves) भी कहा जाता है क्योंकि जल वाष्प (H₂O), कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) और अमोनिया (NH₃) इसे अवशोषित कर सकते हैं, जिससे तापीय गति (Thermal Motion) बढ़ जाती है।
  • ग्रीनहाउस प्रभाव में भूमिका : पृथ्वी सूर्य के दृश्य प्रकाश को अवशोषित करती है और इसे इन्फ्रारेड विकिरण के रूप में पुनः उत्सर्जित (Re-radiate) करती है।
    • ग्रीनहाउस गैसें इस विकिरण को अवशोषित करके पृथ्वी का तापमान बनाए रखती हैं।
  • इन्फ्रारेड मानव आँखों से अदृश्य होता है।
  • इसे परमाणुओं और अणुओं के कंपन और घूर्णन के कारण उत्सर्जित किया जाता है।
इन्फ्रारेड विकिरण के अनुप्रयोग
  1. रात्रि दृश्यता (Night Vision): कम रोशनी में वस्तुओं को देखने में सहायक।
    • सक्रिय IR प्रकाशमानता: विशेष इन्फ्रारेड लाइट स्रोतों का उपयोग कर दृश्यता बढ़ाई जाती है।
    • उदाहरण: मिलिट्री, अग्निशमन, और सुरक्षा में उपयोग।
  2. थर्मोग्राफी (Thermal Imaging):
    • तापमान अंतर के आधार पर वस्तुओं का पता लगाता है।
    • अनुप्रयोग:
      • मिलिट्री: निगरानी और लक्ष्य ट्रैकिंग।
      • औद्योगिक: ऊष्मा क्षति का पता लगाना, उपकरण की ओवरहीटिंग की जाँच।
      • चिकित्सा: रक्त प्रवाह की निगरानी, अग्निशमन कार्यों में सहायता।
  3. हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग (Hyperspectral Imaging):
    • प्रत्येक पिक्सल के लिए संपूर्ण इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रम को कैप्चर करता है।
    • उपयोग : भूविज्ञान अध्ययन, जैविक विश्लेषण और ड्रोन निगरानी में।
  4. ऊष्मा उत्पादन (Heating):
    • औद्योगिक प्रक्रियाओं में इन्फ्रारेड हीटर का उपयोग: प्लास्टिक वेल्डिंग, पदार्थों को सख्त बनाना (curing), ऐनीलिंग, और प्रिंट ड्राइंग।
    • इन्फ्रारेड सौना (Infrared saunas) और हवाई जहाज से बर्फ हटाना (Aircraft De-icing)।
  5. शीतलन (Cooling):
    • निष्क्रिय दिन के समय रेडिएटिव कूलिंग (Passive Daytime Radiative Cooling – PDRC)
      • सूर्य के प्रकाश को परावर्तित करता है और अंतरिक्ष में ऊष्मा विकिरण करता है।
      • वैश्विक तापन को कम करने में सहायक।
  6. संचार (Communication):
    • रिमोट कंट्रोल: टीवी रिमोट, वीडियो रिकॉर्डर आदि में इन्फ्रारेड एलईडी (LED) का उपयोग।
    • डेटा ट्रांसमिशन: इन्फ्रारेड डेटा एसोसिएशन (IrDA) मानकों के तहत निकट संचार (Short-range communication)।
      • ऑप्टिकल फाइबर: इन्फ्रारेड लेज़र (~1,330–1,550 nm) के माध्यम से डेटा संचरण।
    • स्पेक्ट्रोस्कोपी (Spectroscopy):
जैविक और चिकित्सा क्षेत्र में उपयोग
  • जैविक प्रणालियाँ (Biological Systems):
    • साँप, वैम्पायर चमगादड़, और कुछ कीट शिकार पकड़ने के लिए IR का उपयोग करते हैं।
    • कुछ मछलियाँ नेविगेशन के लिए निकट-IR पर निर्भर करती हैं।
  • फोटोबायोमोड्यूलशन : निकट-IR प्रकाश 
    • घावों को ठीक करने में सहायक होता है।
    • कीमोथेरेपी द्वारा उत्पन्न अल्सर का उपचार करता है।
    • संभावित रूप से तंत्रिका तंत्र को ठीक करने में मदद करता है।
  • स्वास्थ्य खतरें:
    • अधिक इन्फ्रारेड विकिरण के संपर्क में आने से आँखों को नुकसान हो सकता है।
    • उच्च-तापीय औद्योगिक वातावरण में सुरक्षात्मक चश्मे की आवश्यकता।
इन्फ्रारेड विकिरण का विज्ञान और प्रौद्योगिकी में उपयोग
  • खगोल विज्ञान (Astronomy)
    • इन्फ्रारेड टेलीस्कोप से प्रोटोस्टार (Protostars), ग्रहों की ऊष्मा, और सुदूर गैलेक्सियों का अध्ययन।
    • बिग बैंग के प्रमाण के लिए कॉस्मिक माइक्रोवेव बैकग्राउंड रेडिएशन का अध्ययन।
  • मौसम विज्ञान (Meteorology):
    • मौसम उपग्रह इन्फ्रारेड का उपयोग कर:
      • बादलों की ऊँचाई/प्रकार और सतह के तापमान का निर्धारण करते हैं।
      • एल-नीनो और महासागरीय धाराओं का ट्रैकिंग।
  • कला संरक्षण :
    • इन्फ्रारेड रिफ्लेक्टोग्राफी :
      • चित्रों में छिपे हुए प्रारंभिक रेखाचित्र (Underdrawings) प्रकट करता है।
      • ऐतिहासिक पांडुलिपियों में छुपी हुई विवरणों को दिखाता है।
  • सफाई:
    • स्कैनर में इन्फ्रारेड क्लीनिंग से धूल और खरोंच हटाना।

दृश्य प्रकाश (Visible Light)

  • यह विद्युतचुम्बकीय स्पेक्ट्रम (Electromagnetic Spectrum) का वह भाग है जिसे मानव आंख द्वारा देखा जा सकता है।
  • तरंग दैर्ध्य (Wavelength): 380 नैनोमीटर (nm) से 760 नैनोमीटर (nm) तक।
  • रंग (Colors): बैंगनी → नीला → हरा → पीला → नारंगी → लाल।
  • आवृत्ति सीमा (Frequency): 400–790 थर्ट्ज़ (THz)।
मुख्य विशेषताएँ
  • सूर्य द्वारा दृश्य प्रकाश का उत्सर्जन:
    • सूर्य अपने ऊर्जा उत्सर्जन का अधिकतम भाग दृश्यमान स्पेक्ट्रम में छोड़ता है, हालांकि यह समग्र रूप से अधिकतर ऊर्जा अवरक्त (Infrared) रूप में उत्सर्जित करता है।
  • स्पेक्ट्रम के रंग :
    • दृश्य प्रकाश में बैंगनी (सबसे छोटी तरंगदैर्ध्य) से लेकर लाल (सबसे लंबी तरंगदैर्ध्य) तक के रंग होते हैं।
    • इंद्रधनुष (Rainbows): दृश्य प्रकाश इंद्रधनुष बनाता है, जिसमें लाल के ठीक पीछे अवरक्त (Infrared) प्रकाश और बैंगनी (Violet) के ठीक पीछे पराबैंगनी प्रकाश होता है।
    • श्वेत प्रकाश (White Light): दृश्यमान स्पेक्ट्रम की सभी तरंगदैर्ध्य का संयोजन।
    • प्रिज्म प्रभाव (Prism Effect): जब सफेद प्रकाश प्रिज्म से होकर गुजरता है, तो यह अपने विभिन्न रंगों में विभाजित हो जाता है।
  • जैविक महत्व:
    • दृष्टि : दृश्यमान प्रकाश अणुओं और परमाणुओं में इलेक्ट्रॉनों को उत्तेजित करता है, जिससे ऊर्जा-स्तर परिवर्तन होते हैं।
      • यह प्रक्रिया मानवीय दृष्टि तंत्र के मूल में होती है।
      • प्रकाश परावर्तित होता है → आँख इसे पहचानती है → मस्तिष्क इसे रंगों और छायाओं के रूप में व्याख्या करता है।
    • प्रकाश संश्लेषण : पौधे विशेष तरंगदैर्ध्य को अवशोषित कर रासायनिक प्रतिक्रियाओं को संचालित करते हैं, जिससे ऊर्जा उत्पन्न होती है।
दृश्य प्रकाश के अनुप्रयोग
दैनिक उपयोग
  • प्रकाश :
    • सूर्य से प्राकृतिक प्रकाश
    • घरों, कार्यालयों और सड़कों के लिए कृत्रिम प्रकाश (जैसे बल्ब, एलईडी)।
  • दृष्टि: मनुष्यों और जानवरों को उनके आसपास के वातावरण को देखने और उसके साथ इंटरैक्ट करने में सक्षम बनाता है।
संचार
  • ऑप्टिकल फाइबर प्रौद्योगिकी:
    • प्रकाश स्पंदनों (Light Pulses) के माध्यम से उच्च गति डेटा (इंटरनेट आदि) संचारित करता है, आमतौर पर नज़दीकी अवरक्त श्रेणी में।
    • न्यूनतम सिग्नल हानि के साथ तेज़ इंटरनेट और संचार।
  • सिग्नल लाइट्स:
    • यातायात संकेतक, लाइटहाउस और अन्य संकेतक दृश्य प्रकाश का उपयोग करते हैं।
इमेजिंग और मनोरंजन 
  • फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी:
    • कैमरे दृश्यमान प्रकाश का उपयोग कर छवियाँ कैप्चर करते हैं।
    • प्रोजेक्टर और स्क्रीन दृश्यमान प्रकाश उत्सर्जित कर चित्र और वीडियो प्रदर्शित करते हैं।
  • होलोग्राफी :
    • कला, सुरक्षा और डेटा संग्रहण में 3D होलोग्राम बनाने के लिए दृश्य प्रकाश का उपयोग करता है।
चिकित्सा (एंडोस्कोपी): 
  • आंतरिक अंगों को देखने के लिए एक पतली, लचीली नलिका के माध्यम से दृश्य प्रकाश का उपयोग करता है।
विज्ञान और अनुसंधान 
  • स्पेक्ट्रोस्कोपी : पदार्थ के साथ दृश्य प्रकाश की पारस्परिक क्रिया का अध्ययन कर रासायनिक संरचना की पहचान।
  • खगोल विज्ञान : ऑप्टिकल टेलीस्कोप दृश्य प्रकाश के माध्यम से तारों, ग्रहों और आकाशगंगाओं का अध्ययन करते हैं।
  • माइक्रोस्कोपी (Microscopy): प्रकाश सूक्ष्मदर्शी जैविक और सामग्री अध्ययन के लिए वस्तुओं को आवर्धित करने के लिए दृश्य प्रकाश का उपयोग करते हैं।
कृषि
  • ग्रीनहाउस लाइटिंग : दृश्य प्रकाश (या कृत्रिम ग्रो लाइट) पौधों में प्रकाश संश्लेषण को बनाए रखता है।
रंग मुद्रण और डिस्प्ले : 
  • प्रिंटर और डिजिटल स्क्रीन दृश्य स्पेक्ट्रम का उपयोग कर रंगों को पुनः प्रस्तुत करते हैं।
औद्योगिक अनुप्रयोग 
  • लेज़र कटिंग और वेल्डिंग : उच्च-तीव्रता वाले दृश्य प्रकाश का उपयोग कर सटीक कटिंग और वेल्डिंग।
सुरक्षा और निगरानी
  • दृश्यमान लेजर पॉइंटर (Visible Laser Pointers): प्रस्तुतियों और विभिन्न ऑपरेशनों में मार्गदर्शक उपकरण के रूप में उपयोग।
  • निगरानी कैमरे (Surveillance Cameras): दृश्य प्रकाश का उपयोग कर सुरक्षा निगरानी प्रणाली में उपयोग।
शिक्षा और मनोरंजन 
  • डिस्प्ले (Displays): स्क्रीन, प्रोजेक्टर, और VR सिस्टम दृश्य प्रकाश उत्सर्जित कर शैक्षिक सामग्री और इमर्सिव अनुभव प्रदान करते हैं।
  • लेजर शो (Laser Shows): मनोरंजन आयोजनों में रंगीन दृश्य प्रभाव उत्पन्न करने के लिए दृश्य प्रकाश लेजर का उपयोग।

अल्ट्रावायलेट (UV) विकिरण

पराबैंगनी विकिरण विद्युत-चुंबकीय (EM) स्पेक्ट्रम का वह भाग है जो दृश्य  प्रकाश से उच्च लेकिन एक्स-रे से निम्न आवृत्ति का होता है।

  • तरंग दैर्ध्य सीमा : 10–400 नैनोमीटर।
  • आवृत्ति सीमा: दृश्य प्रकाश से उच्च, एक्स-रे से कम।
  • ऊर्जा स्तर : UV फोटॉन की ऊर्जा 3.1 से 12 इलेक्ट्रॉन वोल्ट होती है, जो आयनीकरण (Ionization) या रासायनिक प्रतिक्रियाएँ उत्पन्न करने के लिए पर्याप्त होती है।
UV विकिरण के प्रकार
  1. UVA (315–400 nm):
    • सबसे कम हानिकारक; पृथ्वी की सतह तक पहुँचता है।
    • त्वचा के टैनिंग और उम्र बढ़ाने में योगदान देता है।
  2. UVB (280–315 nm):
    • आंशिक रूप से ओजोन परत द्वारा अवशोषित किया जाता है।
    • सनबर्न (Sunburn) और डीएनए क्षति (DNA Damage) का मुख्य कारण।
  3. UVC (100–280 nm):
    • पृथ्वी के वायुमंडल द्वारा पूरी तरह से अवशोषित।
    • अत्यधिक आयनीकरण करने वाला, कीटाणुशोधन (Sterilization) में उपयोगी।
इतिहास और खोज
  • 1801 में जोहान विल्हेम रिटर (Johann Wilhelm Ritter) ने पराबैंगनी विकिरण की खोज की।
  • इसे पहले “रासायनिक किरणें” (Chemical Rays) कहा गया क्योंकि यह रासायनिक प्रतिक्रियाएँ उत्पन्न करता है।
स्रोत:
  • प्राकृतिक :सूर्य द्वारा उत्सर्जित कुल ऊर्जा का लगभग 10% पराबैंगनी विकिरण होता है।
    • वायुमंडल की भूमिका :
      • UVC पूरी तरह अवशोषित।
      • UVB का अधिकांश भाग अवशोषित, लेकिन थोड़ा भाग पृथ्वी तक पहुँचता है।
      • UVA मुख्यतः सतह तक पहुँचता है (~95%)।
  • कृत्रिम (Artificial) : पारा-वाष्प (Mercury-vapor) लैंप, ब्लैक लाइट (Black Light), टैनिंग लैंप (Tanning Lamps), चेरेंकोव विकिरण (Cherenkov Radiation)
अल्ट्रावायलेट विकिरण के उपयोग
  1. स्वास्थ्य
    • विटामिन D संश्लेषण : UVB त्वचा में विटामिन D संश्लेषण को प्रेरित करता है।
    • उचित मात्रा में संपर्क हड्डियों के स्वास्थ्य और मूड नियंत्रण में सहायक होता है।
    • फोटोथेरेपी : सोरायसिस, एक्जिमा और विटिलिगो जैसी त्वचा समस्याओं के उपचार में उपयोगी।
      • सटीकता : LASIK आंख सर्जरी में संकेंद्रित किरणों के लिए UV का उपयोग किया जाता है।
  2. विकिरण और सैनिटाइजेशन
    • जर्मिसाइडल लैंप : UVC प्रभावी रूप से सतहों, हवा, और पानी को सैनिटाइज करता है।
  3. स्वास्थ्य देखभाल : SARS-CoV-2 जैसे वायरस को कम करने के लिए पल्स्ड UV लाइट या फॉर-UVC (222 nm) का उपयोग किया जाता है।
  4. फोरेंसिक्स और सुरक्षा :
    • शरीर के तरल पदार्थ (रक्त, लार) का पता लगाने में उपयोगी।
    • दस्तावेज़ों और नकली मुद्रा की प्रामाणिकता जाँचने के लिए UV-संवेदनशील मार्कर।
  5. खगोलशास्त्र :
    • UV टेलीस्कोप से गर्म तारे और सुदूर गैलेक्सियों का अध्ययन।
  6. पशु दृष्टि (Animal Vision):
    • कुछ पक्षी, मधुमक्खियाँ और सरीसृप नियर-UV (Near-UV) का उपयोग संचार और शिकार के लिए करते हैं।
  7. लिथोग्राफी:
    • अर्धचालक (Semiconductor) निर्माण और सर्किट बोर्ड निर्माण में उपयोग।
  8. विश्लेषणात्मक रसायनशास्त्र :
    • UV स्पेक्ट्रोस्कोपी : प्रोटीन, न्यूक्लिक एसिड और प्रदूषकों का विश्लेषण।
    • पर्यावरणीय प्रदूषकों का पता लगाना : पानी और हवा में प्रदूषकों का पता लगाने के लिए।
  9. वायु शुद्धिकरण (Air Purification):
    • UV ऑक्सीकरण से वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (VOCs) और अन्य प्रदूषकों का विघटन।
  10. पॉलीमर प्रसंस्करण :
    • UV क्यूरिंग जल्दी से चिपकने वाले पदार्थों और कोटिंग्स को कठोर करता है।
    • दंत फिलिंग्स, स्याही और ऑप्टिकल फाइबर कोटिंग्स में उपयोग होता है।
  11. UV फोटोग्राफी : धुंधले स्याही और छिपे दस्तावेजों को फ्लोरेसेंस के माध्यम से कैप्चर करता है।
  12. फ्लोरेसेंट डाई : वस्त्रों, कागजों, और फॉरेन्सिक स्प्रे (जैसे, पेपर स्प्रे) में उपयोग होता है।
  13. फ्लोरेसेंट कला  : ब्लैकलाइट पेंट्स और UV प्रभावों का उपयोग मनोरंजन पार्कों में किया जाता है।
  14. आग का पता लगाना : UV सेंसर “सोलर-ब्लाइंड” तरंगदैर्ध्य को पहचानकर आग का पता लगाते हैं।
हानिकारक प्रभाव :
  • त्वचा का नुकसान:
    • सनबर्न और टैनिंग:  UVB डीएनए को नुकसान पहुँचाता है और त्वचा कैंसर के जोखिम को बढ़ाता है।
    • बुढ़ापे की प्रक्रिया :  UVA कोलेजन को तोड़ता है, जिससे झुर्रियाँ जल्दी आ सकती हैं।
  • आंखों का नुकसान :
    • UVC और UVB फोटोकेराटाइटिस (Photokeratitis – Snow Blindness) और मोतियाबिंद (Cataracts) का कारण बन सकते हैं।
  • प्रतिरक्षा प्रणाली का दमन: UVA प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करता है, जिससे त्वचा रोगों का खतरा बढ़ता है।
  • सामग्री का क्षरण:
    • पॉलीमर्स और रंग : UV विकिरण प्लास्टिक, रस्सियाँ, और रंगों को कमजोर कर देता है।
    • यह पॉलीमर्स, पिगमेंट्स, और रंगों को क्षतिग्रस्त करता है।
      • संग्रहालयों में UV अवरोधक (UV Blocking) सामग्रियों का उपयोग संरक्षण के लिए किया जाता है।
UV विकिरण से सुरक्षा (UV Blocking Mechanisms)
  • ओज़ोन परत : UVC को पूर्णतः और UVB को आंशिक रूप से अवशोषित करती है।
    • ओज़ोन का क्षरण : क्लोरोफ्लोरोकार्बन्स (CFCs) ओज़ोन परत को नुकसान पहुँचाते हैं, जिससे UV का संपर्क बढ़ता है, जो एक वैश्विक समस्या है।
  • सुरक्षात्मक सामग्री (Protective Materials):
    • सनस्क्रीन (Sunscreens – जिंक ऑक्साइड, टाइटेनियम डाइऑक्साइड)।
  • 300 nm से नीचे की UV तरंगों को अवरुद्ध करने वाला कांच।
  • UPF रेटिंग वाले कपड़े UV एक्सपोजर कम करते हैं।

एक्स-रे (X-rays)

  • परिभाषा : उच्च-ऊर्जा वाली विद्युतचुंबकीय विकिरण जो UV से छोटी और गामा किरणों से लंबी तरंगदैर्ध्य वाली होती है (10 नैनोमीटर से 10 पिकोमीटर तक)।
  • विल्हेम कॉनराड रॉन्टगन ने 1895 में इसका खोज की।
  • गुण:
    • आयनीकरण विकिरण (Ionizing Radiation): डीएनए को क्षति पहुँचा सकता है।
    • ठोस पदार्थों और ऊतकों (Tissues) में प्रवेश करने की क्षमता।
    • चिकित्सा निदान और सामग्री विज्ञान में उपयोग।
    • अत्यधिक संपर्क से कैंसर और जलने (Burns) जैसी समस्याएँ।
एक्स-रे के चिकित्सा उपयोग (Medical Uses of X-rays) 
  1. प्रोजेक्शनल रेडियोग्राफी :
    • हड्डी की इमेजिंग : फ्रैक्चर, निमोनिया, फेफड़े की बीमारियों आदि का पता लगाने के लिए।
    • दंत रेडियोग्राफी : कैविटी (Cavities) और दाँतों की अन्य समस्याओं का पता लगाना।
    • पेट के X-ray : आंतों में रुकावट या तरल पदार्थ की पहचान।
  2. कंप्यूटेड टोमोग्राफी /CT स्कैन :
    • आंतरिक शरीर संरचनाओं के क्रॉस-सेक्शनल 3D चित्र।
  3. फ्लोरोस्कोपी (Fluoroscopy) :
    • रियल-टाइम इमेजिंग।
    • हृदय कैथीटरीकरण (Cardiac Catheterization) और बेरियम निगलन परीक्षण (Barium Swallow) में उपयोग।
  4. रेडियोथेरेपी:
    • उच्च-खुराक एक्स-रे (High-Dose X-rays) का उपयोग कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए।
X-रे के अन्य उपयोग
  1. X-रे क्रिस्टलोग्राफी:
    • पदार्थों और अणुओं की परमाणु संरचना का निर्धारण करने के लिए उपयोग (जैसे, डीएनए संरचना की खोज)।
  2. X-रे खगोलशास्त्र:
    • आकाशीय पिंडों का अध्ययन जो X-रे उत्सर्जित करते हैं (जैसे, तारे, ब्लैक होल)।
  3. औद्योगिक और गुणवत्ता नियंत्रण
    • औद्योगिक रेडियोग्राफी (Industrial Radiography): सामग्री (जैसे, वेल्ड्स, पाइप) के दोषों या कमजोर स्थानों का निरीक्षण।
    • CT उद्योग में (CT in Industry): आंतरिक निरीक्षण के लिए 3D मॉडल बनाना।
  4. सुरक्षा:
    • एयरपोर्ट बैगेज स्कैनर X-रे का उपयोग करके सामान की सुरक्षा जांच करते हैं।
    • सीमा चौकियों पर ट्रकों और कंटेनरों की जाँच।
  5. कला और सांस्कृतिक संरक्षण : 
    • X-रे का उपयोग चित्रों और अन्य कलाकृतियों का निरीक्षण करने के लिए किया जाता है ताकि उनकी पुनर्स्थापना या सतह के नीचे छुपी परतों का पता लगाया जा सके।
  6. प्रमाणन :
    • निर्माण में गुणवत्ता नियंत्रण और वस्तुओं की आंतरिक संरचनाओं की जांच करके नकली उत्पादों (जैसे, चिप्स, मुद्रा, कला) का पता लगाना।
लाभ और सीमाएँ
  • लाभ :
    • गैर-आक्रामक और तेज़ (Non-invasive and Quick): X-रे इमेजिंग तेज़ होती है, जिससे यह आपातकालीन स्थितियों के लिए आदर्श होती है।
    • उच्च रिज़ॉल्यूशन (High Resolution): हड्डियों और धातु जैसी ठोस वस्तुओं में बारीक विवरण को पकड़ने में सक्षम।
  • सीमाएँ :
    • विकिरण संपर्क : X-रे आयनकारी विकिरण होते हैं, जो अत्यधिक उपयोग करने पर ऊतक क्षति और कैंसर का जोखिम बढ़ा सकते हैं।
    • लागत और पहुँच: उन्नत X-रे तकनीकों जैसे CT स्कैन महंगे हो सकते हैं और सभी जगह उपलब्ध नहीं होते।
हानिकारक प्रभाव
  • हानिकारक प्रभाव:
    • X-रे को कैंसरजनक के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
    •  CT स्कैन से उच्च विकिरण खुराक कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकती है।
  • गर्भावस्था के दौरान जोखिम:
    • X-रे गर्भस्थ शिशु को नुकसान पहुँचा सकते हैं, इसलिए गर्भावस्था में वैकल्पिक विधियाँ (जैसे अल्ट्रासाउंड) उपयोग की जाती हैं।
  • विकिरण संपर्क :
    • निदानात्मक X-रे से नियमित संपर्क विकिरण-प्रेरित कैंसर का कारण बन सकता है।
  • सुरक्षात्मक उपाय
    • सीसा शील्डिंग (Lead Shielding) का उपयोग, संपर्क को सीमित करना और अनावश्यक स्कैन से बचना।

गामा किरणें (Gamma Rays)

  • परिभाषा : गामा किरणें अत्यधिक उच्च-ऊर्जा वाली विद्युतचुंबकीय विकिरण हैं, जिनकी तरंगदैर्घ्य एक्स-रे से भी छोटी होती है।
  • तरंगदैर्ध्य : 10 पिकोमीटर (pm) से कम।
  • आवृत्ति : 30 एक्साहर्ट्ज (3×10¹⁹ Hz) से अधिक।
  • फोटॉन ऊर्जा: 100 keV to 8 MeV
  • प्रवेश क्षमता (Penetration): अत्यधिक शक्तिशाली, इसे अवरुद्ध करने के लिए सीसा (Lead) या कंक्रीट (Concrete) जैसी उच्च घनत्व (High Density) वाली सामग्रियों की आवश्यकता होती है।
गामा किरणों की खोज
  • 1900: फ्रांसीसी वैज्ञानिक पॉल विलार्ड (Paul Villard) ने रेडियम का अध्ययन करते समय गामा किरणों की खोज की।
  • 1903: अर्नेस्ट रदरफोर्ड (Ernest Rutherford) ने इस विकिरण को “गामा किरणें” नाम दिया, जिससे इसे पहले खोजी गई अल्फा (α) और बीटा (β) किरणों से अलग पहचाना गया।
विशेषताएँ
  • आयनन विकिरण:
    • गामा किरणें DNA उत्परिवर्तन, कैंसर, और अंगों को नुकसान पहुँचा सकती हैं।
    • उच्च खुराक से जलन और विकिरण रोग हो सकता है।
  • प्रवेश क्षमता (Penetration)
    • गामा किरणें मानव शरीर और कई ठोस पदार्थों में आसानी से प्रवेश कर सकती हैं।
    • इससे बचाव के लिए विशेष सुरक्षा उपाय आवश्यक होते हैं।
  • पदार्थ के साथ परस्पर क्रिया:
    • फोटोइलेक्ट्रिक प्रभाव (Photoelectric Effect): गामा फोटॉन किसी परमाणु से इलेक्ट्रॉन को बाहर निकाल सकता है।
    • कॉम्पटन प्रकीर्णन (Compton Scattering): गामा फोटॉन किसी इलेक्ट्रॉन को ऊर्जा देकर दिशा बदल सकता है।
    • युग्म उत्पादन (Pair Production): 1.02 MeV से अधिक ऊर्जा होने पर, गामा फोटॉन इलेक्ट्रॉन-पॉज़िट्रॉन जोड़ी उत्पन्न कर सकता है।
स्रोत
  • प्राकृतिक स्रोत :
    • रेडियोधर्मी क्षय : पोटेशियम-40, कोबाल्ट-60 जैसे प्राकृतिक रेडियो समस्थानिकों के क्षय से गामा किरणें उत्पन्न होती हैं।
    • स्थलीय गामा-रे फ्लैश : वायुमंडलीय गरज (Thunderstorms) से उत्पन्न।
    • कॉस्मिक स्रोत :  सुपरनोवा, पल्सर और ब्रह्मांडीय किरणों से उत्पन्न।
  •  कृत्रिम स्रोत:
    • नाभिकीय रिएक्टर : नाभिकीय विखंडन (Fission) के दौरान गामा किरणें उत्पन्न होती हैं।
    • हाई-एनर्जी फिजिक्स प्रयोग : लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर (LHC) जैसे उपकरणों से कणों की टक्कर के दौरान गामा किरणों का उत्सर्जन।
  • कण भौतिकी में
    • इलेक्ट्रॉन-पॉज़िट्रॉन विनाश: जब एक इलेक्ट्रॉन और एक पॉज़िट्रॉन परस्पर नष्ट होते हैं, तो गामा किरणें उत्सर्जित होती हैं।
अनुप्रयोग
  1. चिकित्सा क्षेत्र में उपयोग:
    • गामा-नाइफ सर्जरी: मस्तिष्क ट्यूमर के उपचार में उपयोग किया जाता है, जिसमें केंद्रित गामा किरणें ट्यूमर पर निर्देशित की जाती हैं, जिससे आसपास के ऊतकों को कम से कम नुकसान होता है।
    • डायग्नोस्टिक इमेजिंग: पोजीट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी (PET) स्कैन में उपयोग किया जाता है, जहां रेडियोलेबल्ड पदार्थों द्वारा उत्सर्जित गामा किरणों का उपयोग शरीर की इमेजिंग के लिए किया जाता है।
      • चिकित्सा अनुप्रयोगों में सबसे सामान्य गामा उत्सर्जक टेक्निशियम-99m है।
    • स्टेरलाइज़ेशन: चिकित्सा उपकरणों और खाद्य पदार्थों को कीटाणुरहित करने के लिए उपयोग।
    • कैंसर उपचार: गामा किरणें विकिरण चिकित्सा में कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए उपयोग की जाती हैं।
  2. औद्योगिक उपयोग::
    • गैर-विनाशकारी परीक्षण: गामा किरणें सामग्री का निरीक्षण करती हैं, भागों में खामियों का पता लगाती हैं, और घनत्व को मापती हैं (जैसे, खनन, रसायन में)। धातुओं और पाइपलाइनों की दरारों की जाँच के लिए।
    • खाद्य विकिरण: जीवाणुओं को नष्ट कर भोजन खराब होने से रोकता है।
  3. खगोल विज्ञान:
    • गामा-किरण खगोल विज्ञान: गामा किरणों द्वारा सुपरनोवा विस्फोट (Supernova Explosions) और गामा-रे बर्स्ट (Gamma-Ray Bursts) का अध्ययन।
  4. सुरक्षा:
    • कंटेनर सुरक्षा: गामा-किरण स्कैनर का उपयोग शिपिंग कंटेनरों में छिपी हुई वस्तुओं का पता लगाने के लिए किया जाता है।
स्वास्थ्य प्रभाव
  • निम्न-खुराक संपर्क (Low-Dose Exposure):
    • कैंसर और आनुवंशिक उत्परिवर्तन (Genetic Mutations) का खतरा बढ़ सकता है। उदाहरण: परमाणु संयंत्र कर्मचारियों में कैंसर का थोड़ा अधिक जोखिम।
  • उच्च-खुराक संपर्क (High-Dose Exposure):
    • गारंटीकृत क्षति (जैसे, विकिरण बीमारी, बालों का झड़ना)।
गामा किरणों से सुरक्षा (Shielding and Protection)
  • सीसा: इसकी उच्च घनत्व और परमाणु संख्या के कारण, गामा विकिरण से बचाव के लिए सीसे का व्यापक उपयोग किया जाता है।
  • डीप्लीटेड यूरेनियम: कुछ मामलों में, गामा किरणों को रोकने की बेहतर क्षमता के कारण इसका उपयोग ढाल के रूप में किया जाता है।

संचार में विशिष्ट आवृत्ति बैंड का उपयोग

  • रेडियो प्रसारण :
    • एएम रेडियो (AM Radio):
      • मध्यम आवृत्ति (300 kHz – 3 MHz)। 
      • लंबी दूरी तक संचार, लेकिन शोर और हस्तक्षेप की संभावना अधिक।
    • एफएम रेडियो:
      • बहुत उच्च आवृत्ति (Very High Frequency – VHF): 30 MHz – 300 MHz
      • बेहतर ध्वनि गुणवत्ता, कम हस्तक्षेप, लेकिन कम दूरी तक संचार।
  • टेलीविज़न प्रसारण :
    • VHF और UHF बैंड (30 MHz – 3 GHz)।
  • मोबाइल संचार:
    • UHF बैंड (300 MHz – 3 GHz): 2G, 3G, 4G नेटवर्क के लिए।
    • SHF बैंड (3 GHz – 30 GHz): 5G नेटवर्क के लिए।
  • उपग्रह संचार  : 
    • SHF (Super High Frequency): 3 GHz – 30 GHz
    • EHF (Extremely High Frequency): 30 GHz – 300 GHz
  • नेविगेशन :
    • VLF (Very Low Frequency) और LF (Low Frequency): विमानन और समुद्री नेविगेशन के लिए।
    • UHF: GPS प्रणाली के लिए।
  • सैन्य संचार :
    • HF (High Frequency – 3 MHz – 30 MHz): लंबी दूरी के संचार के लिए।
    • SHF: रडार और रक्षा प्रणालियों में उपयोग।

स्पेक्ट्रम आवंटन और प्रबंधन (Spectrum Allocation and Management)

  • स्पेक्ट्रम आवंटन क्या है?
    • विभिन्न प्रकार की संचार सेवाओं के लिए विशिष्ट आवृत्ति बैंड को आवंटित करने की प्रक्रिया ताकि बिना हस्तक्षेप (Interference) के कुशल संचार सुनिश्चित किया जा सके।
    • इसे अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय नियामक निकायों द्वारा प्रबंधित किया जाता है।
  • नियामक निकाय:
    • इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन (ITU): वैश्विक स्तर पर स्पेक्ट्रम आवंटन की निगरानी करता है।
    • भारत: वायरलेस प्लानिंग एंड कोऑर्डिनेशन विंग (WPC): यह संचार मंत्रालय का हिस्सा है और राष्ट्रीय रेडियो नियामक प्राधिकरण है जो लाइसेंसिंग सहित आवृत्ति स्पेक्ट्रम प्रबंधन के लिए जिम्मेदार है और सभी वायरलेस उपयोगकर्ताओं की आवश्यकताओं को पूरा करता है।
  • भारत में स्पेक्ट्रम आवंटन का उदाहरण :
    • 4G/5G सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम नीलामी में मोबाइल ऑपरेटरों की भागीदारी।
    • स्पेक्ट्रम मूल्य निर्धारण: मांग, आवृत्ति सीमा, और प्रौद्योगिकी के आधार पर ।
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