नीतिशास्त्र एवं मानवीय मूल्य मानव जीवन को सही दिशा देने वाले सिद्धांतों और आचरणों का अध्ययन नीतिशास्त्र का मुख्य उद्देश्य है। यह न केवल अच्छे-बुरे का बोध कराता है, बल्कि मानवीय मूल्यों को समझने और अपनाने की प्रेरणा भी देता है।
विगत वर्षों में पूछे गए प्रश्न
वर्ष | प्रश्न | अंक |
2013 | नीतिशास्त्र विविध आयामों से युक्त एक संवृत्ति है। टिप्पणी करें | 5M |
2013 | ‘निष्पक्षता’ को परिभाषित करें । इसके आधारभूत तत्त्व क्या हैं ? | 2M |
2013 | आपके मत में, लोक प्रशासन में मुख्य नैतिक मूल्य क्या होने चाहिए ? | 2M |
2016 | संकल्प-स्वातंत्रय का अर्थ क्या है ? | 2M |
2018 | सिविल सेवा के मुख्य मूल्य क्या हैं ? | 2M |
2023 | मानवीय मूल्यों के विभेदक लक्षणों का उल्लेख कीजिए। | 5M |
नीतिशास्त्र क्या है?
- नीतिशास्त्र एक मानक विज्ञान और दर्शन शास्त्र की एक शाखा है, जो यह निर्धारित करती है कि एक संवेदनशील प्राणी को किस प्रकार के कर्म करने चाहिए, ताकि वह कर्म नैतिक रूप से अच्छे या बुरे, सही या गलत, और उपयुक्त या अनुपयुक्त के रूप में चिन्हित किए जा सके
- एथिक्स शब्द की उत्पत्ति ग्रीक शब्द ‘एथिकोस’ से हुई है जिसका अर्थ है चरित्र। इसलिए, नीतिशास्त्र सिद्धांतों का एक समूह है जो हमें यह निर्धारित करने में मदद करता है कि क्या सही है और क्या गलत है।
- मैकेन्जी के अनुसार “नीतिशास्त्र मनुष्यों की आदतों के पीछे छिपे सिद्धांतों का विवेचन करता है और उनकी अच्छाई या बुराई के कारणों का विश्लेषण करता है।”
- शुक्रनीति नीति के अनुसार “नीतिशास्त्र सभी शास्त्रों का उपजीव्य (आधार) और लोक स्थिति का व्यवस्थापक है। इसलिए यह धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष, इन चार पुरूषार्थो का प्रदाता है

नैतिकता क्या है?
- नैतिकता, सिद्धांतों का एक व्यक्तिगत समूह है, जो किसी व्यक्ति की धारणा, विचार, दृष्टिकोण, व्यवहार, और कार्यों को मार्गदर्शन प्रदान करता है।
- नैतिकता व्यक्तिगत चरित्र को परिभाषित करती है
नीतिशास्त्र और नैतिकता में अंतर

कारक | नीतिशास्त्र | नैतिकता |
परिभाषा | नियम अथवा सिद्धांत जिनका समाज या पूरा समूह पालन करता है | सिद्धांतों का एक व्यक्तिगत समूह |
प्रभाव | सामाजिक मानदंडों को परिभाषित करती है | व्यक्तिगत चरित्र को परिभाषित करती है |
Locus | बाह्य | आंतरिक |
व्यक्तिपरकता(Subjectivity) | अधिक वस्तुनिष्ठता | अधिक व्यक्तिपरकता |
व्यवहार्यता | अधिक सैद्धांतिक | अधिक व्यावहारिक |
Examples 1 | युद्ध में एक सैनिक द्वारा दुश्मन सैनिक को मारना – नीतिशास्त्र की दृष्टि से यह नैतिक है क्योंकि सामाजिक सिद्धांत उसे भारत और पाकिस्तान सीमा पर हिंसा की अनुमति देते है | किंतु नैतिकता की दृष्टि से यह अनैतिक हो सकता है क्योंकि उस विशिष्ट सैनिक के व्यक्तिगत सिद्धांत हिंसा को ग़लत मानते है (यदि वह सैनिक गांधीवादी सिद्धांतों पर चलने वाला इंसान है) |
Example 2 | मेडिकल आपातकालीन स्थिति में डॉक्टर गर्भपात करने से मना कर देता है – यह अनैतिक है क्योंकि मेडिकल साइंस का नियम कहता है – पहले माँ को बचाएं, भले ही उसके लिए गर्भपात करना पड़े | लेकिन यह नैतिक हो सकता है क्योंकि वह व्यक्तिगत रूप से सोचता है कि भ्रूण को जीवन का उतना ही अधिकार है जितना माँ का अधिकार है। |

अत: एक सिविल सेवक के लिए प्रशासनिक क़ानूनों का पालन सर्वोपरि है, तत्पश्चात् प्रशासनिक नीतिशास्त्र का पालन एवं अंतिम में प्रशासनिक नैतिकता (स्वविवेक) का इस्तेमाल ही उचित होगा !
नीतिशास्त्र के परिणाम
व्यक्तिगत स्तर पर –
नीतिशास्त्र पहचान (identity) का एक प्रमुख स्रोत है। नीतिशास्त्र व्यक्ति को उच्च लक्ष्यों और आत्म-बोध को प्राप्त करने में मदद करती है। नीतिशास्त्र का अभाव व्यक्ति में हताशा और उदासी को जन्म दे सकता है।
- नैतिक व्यक्ति = एपीजे अब्दुल कलाम या अशोक खेमका जैसे ईमानदार नौकरशाह
- अनैतिक व्यक्ति = बाबूलाल कटारा पूर्व RPSC सदस्य जो पेपर लीक में जेल गये
सामाजिक स्तर पर –
नैतिकता समाज में सद्भाव, सामाजिक समरसता, समतावादी समाज, और न्याय की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान देती है। इसके अभाव में समाज में भय, घृणा, अपराध, उदासीनता, असमानता, असहिष्णुता जैसी बुराइयाँ उत्पन्न हो जाती हैं।
- Ex – बांग्लादेश में हाल ही में हुई हिंसा, समाज में स्थित अनैतिक तत्वों का परिणाम है
- Ex – सामाजिक कुरीतियाँ जैसे धार्मिक वैमनस्य, असहिष्णुता, महिला अपराध, छूआछूत, जातिवाद, भ्रष्टाचार इत्यादि का जन्म नैतिकता के अभाव के कारण ही होता है
संगठनात्मक स्तर पर –
- नैतिकता व्यावसायिकता, दक्षता, विश्वास, टीम वर्क, गुणवत्ता, ग्राहक संतुष्टि और बेहतर कार्य संस्कृति की ओर ले जाती है। इसके अभाव में भ्रष्टाचार, अकुशलता, भाई-भतीजावाद और पक्षपात हो सकता है।
- अच्छी कार्य संस्कृति के उदाहरण – टाटा, अजीम प्रेमजी फाउंडेशन और कनेक्ट सिविल्स 😀
- खराब कार्य संस्कृति के उदाहरण – वोक्सवैगन उत्सर्जन घोटाला, सत्यम कंप्यूटर घोटाला, सहारा समूह (सेबी द्वारा कार्रवाई), बॉलीवुड में भाई-भतीजावाद, ICICI चंदा कोचर (हितों का टकराव)
राष्ट्रीय स्तर पर –
नैतिकता धर्मनिरपेक्षता, लोकतंत्र, कानून का शासन, स्वतंत्रता, सामाजिक-आर्थिक न्याय और संवैधानिक आदर्शों को बनाए रखती है। इसकी अनुपस्थिति से सांप्रदायिक दंगे, क्षेत्रवाद, अराजकता, गृहयुद्ध, त्रिशंकु विधानसभाएं आदि समस्याएँ हो सकती हैं।
- Eg. – पाकिस्तान, श्रीलंका और बांग्लादेश जैसे भारत के पड़ोसी देशों में लोकतांत्रिक उथल-पुथल
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर –
नैतिकता सतत विकास, संप्रभुता, मुक्त और निष्पक्ष व्यापार अवधारणा और मानवता को बढ़ावा देती है। नैतिकता के अभाव में आतंकवाद, साम्राज्यवाद या उपनिवेशवाद, संसाधन अभिशाप (Curse of natural resources), युद्ध, जलवायु परिवर्तन, मत्स्य राज (बड़ी मछली छोटी मछली को खाती है) जैसी स्थितियाँ बन सकती हैं।
कानून
कानून मानव व्यवहार और आचरण को विनियमित करने के लिए सरकार द्वारा बनाए गए और अदालतों द्वारा लागू किए गए नियमों का एक समूह है ।
क़ानून एवं नीतिशास्त्र में अंतर
कारक | क़ानून | नीतिशास्त्र |
परिभाषा | मानव व्यवहार और आचरण को विनियमित करने के लिए सरकार द्वारा बनाए गए और अदालतों द्वारा लागू किए गए नियमों का एक समूह | नियम अथवा सिद्धांत जिनका समाज या पूरा समूह पालन करता है |
प्रभाव | शांति एवं व्यवस्था में मददगार | सामाजिक आदर्शों को परिभाषित करता है |
Action 1 | गांधीजी द्वारा सविनय अवज्ञा आंदोलन – यह गैरकानूनी था क्योंकि उस समय कानून ब्रिटिश सरकार द्वारा बनाए गए थे और यह कानूनों के खिलाफ था | लेकिन यह नैतिक था क्योंकि भारतीय समाज ने इस आंदोलन का समर्थन किया था |
Action 2 | नाज़ी जर्मनी में यहूदियों का उत्पीड़न – यह क़ानूनन सही था क्योंकि हिटलर की सरकार ने नियम बनाए थे | लेकिन यह अनैतिक था क्योंकि वैश्विक समाज ने इसकी निंदा की थी। |
नीतिशास्त्र के प्रकार

अधिनीतिशास्त्र
- यह नैतिकता और नैतिक सिद्धांतों की उत्पत्ति और अर्थ को समझने में मदद करता है।
- यह नैतिक सिद्धांतों की वैधता का आकलन करता है ।
- पूछे जाने वाले सवाल –
- नैतिक निर्णय क्या है?
- अच्छाई क्या है?
- जैसे की –
- क्रिकेट क्या है?
- क्या गली क्रिकेट को क्रिकेट कहा जा सकता है?
- इसके तत्व हैं –
- नैतिक यथार्थवाद (सार्वभौमिकता)
- नैतिक प्रतियथार्थवाद (व्यक्तिपरकवाद)
मानदंडक नीतिशास्त्र
- यह जांचने के लिए कि किसी को कैसे कार्य करना चाहिए (कौनसा कार्य अच्छा है, कौनसा बुरा)
- किसी के व्यवहार का लिटमस परीक्षण करना और उसके बाद सजा अथवा पारितोषिक देना
- पूछे जाने वाले सवाल –
- क्या यह कार्यवाही सही है?
- क्या यह व्यवहार अच्छा है?
- जैसे की – क्या वह अच्छा क्रिकेट खेल रहा है?
- इसके तत्व हैं –
- सदाचार नीतिशास्त्र, कर्तव्यशास्त्र, परिणामवाद, निष्काम कर्म आदि।
व्यावहारिक नीतिशास्त्र
- वास्तविक दुनिया की स्थितियों और कार्यों में नैतिक सिद्धांतों को लागू करना ।
- यह नैतिकता का उपयोग करके व्यावहारिक/वास्तविक जीवन की समस्याओं को हल करने में मदद करता है।
- पूछे जाने वाले सवाल –
- क्या मुझे बच्चे को रिफंड करना चाहिए?
- क्या हमें इच्छामृत्यु की अनुमति देनी चाहिए?
- जैसे की – क्या मांकड़िंग (क्रिकेट में खिलाडी को चकमा देकर स्टम्प करना) नैतिक है?
- इसके तत्व हैं –
- चिकित्सा नैतिकता, पर्यावरण नैतिकता, खेल नैतिकता, व्यावसायिक नैतिकता आदि ।
सादृश्य द्वारा समझना
नीचे दी गई तीन तस्वीरें क्रिकेट से संबंधित हैं। इसकी मदद से विभिन्न प्रकार की नैतिकताएँ स्पष्ट की गई है –
- अधिनीतिशास्त्र – क्रिकेट क्या है? क्रिकेट की उत्पत्ति कहाँ से हुई है ? क्या गली क्रिकेट को क्रिकेट कहा जा सकता है?
- मानदंडक नीतिशास्त्र – क्या वह अच्छा/बुरा क्रिकेट खेल रहा है?
- व्यावहारिक नीतिशास्त्र – क्या क्रिकेट में मांकड़िंग नैतिक है?

मानदंडक नीतिशास्त्र
इसे तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है:-

कर्तव्यवाद –
यह एक नैतिक सिद्धांत है जो मानता है कि किसी कार्य के अच्छा या बुरा होने का निर्धारण उस कार्य द्वारा अनुसरण किए गए नियमों और कर्तव्यों से होता है। इसमें मुख्य ध्यान कार्य के साधनों पर होता है, जबकि परिणाम या साध्य का महत्व गौण (कम) होता है।
प्रस्तावक –
- इमानुएल काण्ट
- गीता –
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि ॥
- विलियम डेविड रॉस (ब्रिटिश दार्शनिक)
परिणामवाद/उद्देश्यवाद –
यह एक नैतिक सिद्धांत है जो मुख्य रूप से अच्छे परिणामों पर ध्यान केंद्रित करता है। इसमें साध्य (अंतिम परिणाम) को सर्वोपरि माना गया है –
इसमें शामिल है –
- नैतिक अहंवाद
- उपयोगितावाद –
- जेरेमी बेन्थम (इंग्लैण्ड का दार्शनिक)
- जॉन स्टुअर्ट मिल
- यूडेमोनिया
- सुखवाद (हेडोनिजम) – चार्वाक या लोकायत
यावत् जीवेत् सुखम् जीवेत्। ऋणं कृत्वा घृतं
पिबेत्। भस्मिभूतस्य देहस्य पुनरागमनं कुतः।
सद्गुण नीतिशास्त्रः –
सद्गुण नीतिशास्त्र एक दृष्टिकोण है जो सद्गुणों को नैतिकता का केंद्रीय तत्व मानता है। इस दृष्टिकोण के अनुसार, एक नैतिक व्यक्ति कभी भी गलत कार्य नहीं कर सकता। उदाहरण के लिए, महाभारत युद्ध में भगवान कृष्ण द्वारा की गई कूटनीतिक चाल भी नैतिक मानी जाती है, क्योंकि वे स्वयं एक चरित्रवान व्यक्ति थे और धर्म के लिए संघर्ष कर रहे थे।
यह सिद्धांत निम्नलिखित द्वारा समर्थित है –
- सुकरात, प्लेटो (4 प्रमुख गुण), अरस्तू और कन्फ्यूशियस
कुछ नैतिक अवधारणाएँ
मनोवैज्ञानिक अहंवाद (Psychological Egoism)
मनोवैज्ञानिक अहंवाद (Psychological Egoism) यह सिद्धांत प्रस्तावित करता है कि मनुष्य स्वाभाविक रूप से स्वार्थी होता है और केवल अपने व्यक्तिगत लाभ, सुख और कल्याण के बारे में चिंतित रहता है। इसके अनुसार, व्यक्ति को दूसरों की चिंता या परवाह नहीं होती।
- उदाहरण – जयचंद [जयचंद ने न केवल पृथ्वीराज की मदद करने से इनकार कर दिया बल्कि आक्रमणकारी राजा मुहम्मद गौरी से गठबंधन भी कर लिया]
- उदाहरण – क्रिकेट में मैच फिक्सिंग (व्यक्तिगत स्वार्थ > खेल भावना/खेल नैतिकता)
आलोचना (मनोवैज्ञानिक अहंवाद के विपक्ष में तर्क)-
- कई स्थितियों में लोग स्वयं की जान जोखिम में डालकर दूसरों की मदद करते हैं।
- उदाहरण – सैनिक युद्ध स्थितियों में अपने साथियों को बचाने के लिए खुद को बलिदान कर देते हैं।
- उदाहरण– कई माता-पिता अपने बच्चों के कल्याण के लिए व्यक्तिगत आराम की परवाह किए बिना संघर्ष करते हैं। ऐसे कई उदाहरण हैं जब माताओं ने अपने बच्चों की रक्षा के प्रयास में अपनी जान दे दी
- Real-life example – पन्नाधाय ने मेवाड़ साम्राज्य के लिए अपने बेटे का बलिदान दिया
नैतिक अहंवाद (Ethical Egoism)
नैतिक अहंवाद (Ethical Egoism) यह सिद्धांत कहता है कि लोगों को अपने स्वार्थ के अनुसार कार्य करना चाहिए। इसके अनुसार, स्वहित में कार्य करने का मतलब है कि हमें ऐसे कार्य करने चाहिए जो हमारी ख़ुशी को अधिकतम करें और हमारे दुःख को कम करें (सुखवाद)।
प्रस्तावक –
- थॉमस हॉब्स, मैंडेविले और एडम स्मिथ
- मैंडेविले – आत्म संरक्षण अस्तित्व का पहला नियम है
समस्या – कभी-कभी नैतिक अहंवाद नैतिक कार्यों की ओर ले जाता है और कभी-कभी अनैतिक
- Eg. – अपनी संतुष्टि के लिए धूम्रपान बंद करना एक नैतिक निर्णय है
- Eg. – एक युगल द्वारा ख़ुद की मानसिक शांति के लिए लिया गया तलाक अनैतिक हो सकता है क्योंकि इससे उनकी संतानों के विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है
नैतिक अहंवाद के विपक्ष –
Ethical altruism (नैतिक परोपकारिता) – नैतिक परोपकारिता एक नैतिक सिद्धांत है जो कहता है कि लोगों का नैतिक दायित्व है कि वे दूसरों की मदद करें, उनकी सेवा करें या उन्हें लाभ पहुँचाएँ, भले ही इसके लिए उन्हें अपने हितों का त्याग करना पड़े।
- Eg. – देश के लिए क़ुर्बानी, सत्येन्द्र दुबे सर (IES) ने राष्ट्रीय राजमार्ग घोटाले को उजागर करते हुए अपनी जान गंवा दी
सामाजिक समझौता सिद्धांत (थॉमस हॉब्स)
- Social contract theory
- थॉमस हॉब्स ने अपनी पुस्तक लेविथान में यह सिद्धांत दिया है।
- व्यक्ति अपनी स्वतंत्रता एक संप्रभु के हाथों में देने के लिए केवल इस शर्त पर सहमत होते हैं, कि उनके जीवन की सुरक्षा उस संप्रभु शक्ति के द्वारा की जाएगी
- वे प्राकृतिक अवस्था की स्थिति से बचने के लिए ऐसा करते हैं
प्राकृतिक अवस्था – नियमों, राजनीति या सरकार के बिना एक समाज। इस राज्य में, लोग बिना किसी परिभाषित कर्तव्यों या दायित्वों के जो चाहें करने के लिए स्वतंत्र हैं [आसान भाषा में – जंगल राज]

नैतिक सापेक्षवाद (Moral Relativism)

नैतिक सापेक्षवाद ( के अनुसार, नैतिक निर्णय किसी विशेष व्यक्ति या समाज से संबंधित होते हैं और सार्वभौमिक रूप से सब पर लागू नहीं होते हैं
2 प्रकार –
- नैतिक विषयवाद – सही और गलत व्यक्तिगत राय का मामला है।
- उदाहरण – समलैंगिक विवाह पर राय
- सांस्कृतिक सापेक्षवाद – किसी संस्कृति के भीतर ऐसे नैतिक मानक हो सकते हैं जो उस संस्कृति के लिए सही हों लेकिन किसी अन्य संस्कृति के लिए नहीं। उदाहरण – हिंदू बनाम मुस्लिम संस्कृति के लिए बहुविवाह
- सकारात्मक (+) – विविधता को बढ़ावा देता है
- जैसे, विभिन्न संस्कृतियों में विविधता सांस्कृतिक सापेक्षवाद के कारण ही स्वीकार्य है
- नकारात्मक (-) – कुछ वर्गों के साथ अन्याय
- जैसे, भारत में तीन तलाक मुस्लिम महिलाओं के साथ अन्यायपूर्ण प्रथा है और हिंदू धर्म में सबरीमाला मंदिर में जाने से महिलाओं को रोकना उनके साथ अन्याय है
- सकारात्मक (+) – विविधता को बढ़ावा देता है
नैतिक वस्तुनिष्ठवाद (Moral Objectivism)
नैतिक वस्तुनिष्ठवाद (Moral Objectivism) का सिद्धांत यह है कि कुछ नैतिक सत्य वस्तुनिष्ठ होते हैं। इसके अनुसार, कुछ कार्य हर समय सभी लोगों के लिए सही होते हैं और अन्य कार्य हर समय सभी लोगों के लिए गलत होते हैं ।
- उदाहरण – किसी निर्दोष व्यक्ति को मारना सार्वभौमिक रूप से गलत है या सच बोलना सभी संस्कृतियों में सार्वभौमिक रूप से नैतिक है
प्रस्तावक –
- परिणामवादी – यदि किसी कार्य का परिणाम (साध्य) सही है, तो कार्य हमेशा सही होता है
- कर्तव्यशास्त्र (डोन्टोलॉजिस्ट) – यदि साधन (नियमों या सिद्धांतों का समूह) सही हैं, तो कार्य हमेशा सही होता है
नियतिवाद का सिद्धांत (Theory of Determinism)
- मनुष्य के निर्णय और कार्य बाहरी शक्तियों द्वारा निर्धारित होते हैं। इसलिए वे अपने कार्यों के लिए स्वयं ज़िम्मेदार नहीं हैं
- उसके कार्य जीन, मस्तिष्क और पर्यावरणीय कारकों पर निर्भर करते हैं
विभिन कारक –
- समय (उदाहरण – 18वीं सदी में गुलामी को नैतिक माना जाता था, सती प्राचीन भारत में पवित्र/नैतिक मानी जाती थी)
- स्थान – दक्षिण भारत के कुछ गाँवों में थलाईकूथल (जिसमें परिवार के लोग अपने ही बुज़ुर्गों की हत्या कर देते हैं), को नैतिक प्रथा माना जाता रहा है
- परिस्थितियाँ (आवश्यकता बनाम लालच)
- Eg. – एक भूखा व्यक्ति चोरी करता है – क्या वह नैतिक/अनैतिक है? [जरूरत के लिए चोरी]
- Eg. – गबन में लिप्त एक भ्रष्ट अधिकारी [लालच के लिए चोरी]
- कानून (तीन तलाक, समलैंगिक संबंध – ग़ैरक़ानूनी थे, अब क़ानून सही है, लेकिन सामाजिक स्वीकृति के बाद ही नैतिक माने जाएँगे )
- साधन (इरादे) और साध्य (परिणाम)
- कर्ता – कृत्य करने वाला व्यक्ति
- उदाहरण – भीम द्वारा दुर्योधन को मारना नैतिक माना जा सकता है, क्योंकि भीम धर्म के पक्ष में था, भले ही उसने युद्ध के नियम का उल्लंघन किया ।
- उदाहरण – किशोर अपराधों में सज़ा पर कुछ रियायत क्योंकि उसका दिमाग सही-गलत में फर्क करने के लिए पूरी तरह विकसित नहीं है ।
- उदाहरण – आईपीसी की धारा 84 [विक्षिप्त व्यक्ति को किसी कार्य के लिए दंडित नहीं किया जा सकता]
स्वतंत्र इच्छा का सिद्धांत
स्वतंत्र इच्छा का सिद्धांत (Doctrine of Freedom of will) यह मानता है कि वे कार्य जो बाहरी कारकों द्वारा निर्देशित नहीं होते हैं या जिनका प्रेरणा स्रोत आवश्यकता नहीं होती, वे स्वतंत्र इच्छाओं द्वारा किए जाते हैं। अत: व्यक्ति अपने कार्यों के लिए स्वयं ज़िम्मेदार हैं
→ 3 शर्तें (स्वतंत्र इच्छा का सिद्धांत तभी लागू होगा जब निम्न 3 शर्तों का पालन होगा) –
- विकल्पों की उपलब्धता
- कार्य करने की क्षमता
- परिस्थितियों के प्रति जागरूकता
उदाहरण –
- साहसिक खेल (स्कूबा डाइविंग) में स्वतंत्र इच्छा का सिद्धांत लागू होता है
- बिना किसी पूर्वाग्रह या दबाव के न्यायालय का निर्णय
आलोचना: आवश्यकता द्वारा शासित दुनिया में स्वतंत्र इच्छा की संभावना नहीं हो सकती।
- सुकरात के अनुसार, “अच्छा ज्ञान = अच्छा कार्य” होता है, अर्थात् सही ज्ञान हमेशा अच्छे कार्य की ओर ले जाता है। हालांकि, अरस्तू के अनुसार, स्वतंत्र इच्छा के कारण, अच्छा ज्ञान हमेशा अच्छे कार्यों में परिणत नहीं होता।
दोहरे प्रभाव का सिद्धांत (Doctrine of Double Effect)
कुछ कार्यों के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों परिणाम होते हैं इसलिए यह तय करना मुश्किल होता है कि वह कार्य अच्छा है या बुरा है।
- उदाहरण – आत्मरक्षा में किसी की हत्या करना ।
- उदाहरण – संपार्श्विक क्षति [पाँच लोगो की जान बचाने में एक की जान चले जाना]
- उदाहरण – माँ बनाम भ्रूण [एक को बचाने पर दूसरे की जान को ख़तरा]
नैतिक एजेंट को दोनों परिणामों के लिए जिम्मेदार होना होगा। नैतिक एजेंट को अच्छे परिणाम के आधिक्य के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए ।
मानवीय मूल्य
मूल्य वह मार्गदर्शक सिद्धांत, विचारधारा और विश्वास हैं जिन्हें व्यक्ति प्रिय मानता है और अपनाने की आकांक्षा रखता है
- उदाहरण – न्याय, साहस, संयम, आदि

अवगुण – अवांछनीय प्रथाएँ, व्यवहार या आदत जिन्हें आम तौर पर समाज में गलत माना जाता है
- उदाहरण – भ्रष्टाचार, हिंसा, बेईमानी आदि

मूल्यों का वर्गीकरण
मूल्यों को चार श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है :-


- उद्देश्यों पर आधारित –
- साधन के रूप में (सहायक मूल्य) – धन, पोषण [ये किसी अन्य मूल्य को प्राप्त करने में सहायक की भूमिका निभाते है, जैसे पोषण का मूल्य स्वास्थ्य के मूल्य को प्राप्त करने में सहायक है]
- साध्य के रूप में (अन्तर्निहित मूल्य) – प्रेम, स्वतंत्रता, स्वास्थ्य [इनका स्वयं का वजूद होता है]
- पदानुक्रम पर आधारित –
- सार्वभौमिक मूल्य – स्वतंत्रता, खुशी, बुद्धिमत्ता, प्रेम
- सांस्कृतिक मूल्य – अतिथि देवो भव, सहिष्णुता
- सामाजिक मूल्य – भाईचारा,
- संगठनात्मक मूल्य – उत्कृष्टता, दक्षता, अनुशासन, कार्य प्रतिबद्धता, नवाचार
- व्यक्तिगत मूल्य
- स्रोत के आधार पर –
- आंतरिक मूल्य (आध्यात्मिकता, आत्मसम्मान, सचेतनता)
- बाहरी मूल्य (सम्मान, प्यार, शारीरिक उपस्थिति)
- क्षेत्र के आधार पर –
- आर्थिक मूल्य – काम में दक्षता
- पर्यावरणीय मूल्य – सतत विकास
- वैज्ञानिक मूल्य – सटीकता, बौद्धिक अखंडता, आदि
- प्रशासनिक मूल्य – 2nd ARC, नोलन समिति, आदि द्वारा प्रस्तावित
- राजनीतिक मूल्य – पारदर्शिता, जवाबदेही, आदि
- लोकतांत्रिक मूल्य – न्याय, कानून का शासन, समानता, आदि
प्रशासनिक मूल्य

मानवीय मूल्यों की विशेषताएं
- सार्वभौमिकता – सत्य, अहिंसा, ईमानदारी, सत्यनिष्ठा, शांति और सहयोग जैसे मूल्य
- संस्कृति और संदर्भ पर निर्भर करता है –
- उदाहरण – सती प्रथा [प्राचीन भारतीय समाज द्वारा एक मूल्य के रूप में स्वीकृत]
- नीतिशास्त्र और नैतिकता की नींव – मानवीय मूल्यों को नैतिक आधार माना जाता है जो व्यक्तियों को सही और गलत के बीच अंतर करने में मार्गदर्शन प्रदान करता है
- जन्मजात और अर्जित –
- टीम वर्क, सहयोग जैसे कुछ मूल्य स्कूली शिक्षा और अन्य पाठ्येतर कार्यक्रमों के दौरान हासिल किए जाते हैं
- करुणा और सहानुभूति जैसे कुछ मूल्य कई व्यक्तियों में जन्मजात होते हैं या किसी विशेष लिंग में इसका अनुपात अधिक हो सकता है [उदाहरण – महिलाओं में करुणा का अधिक पाया जाना]
- गतिशील और विकासशील प्रकृति – मूल्य समय के साथ विकसित होते हैं
- लैंगिक समानता (भारत में नारीवाद)
- पर्यावरणीय मूल्य 21वीं सदी में विकसित हो रहे हैं
- अंतर्संबंध – एक मूल्य अक्सर दूसरे को पुष्ट करता है
- Ex – सहानुभूति का मूल्य दान के मूल्य को बढ़ावा देता है
- Ex – करुणा, अहिंसा को बढ़ावा देती है
विभिन्न सद्गुण
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(1)समानुभूति (Empathy)
अन्य लोगों की भावनाओं को समझने की क्षमता और उनके साथ तदनुसार व्यवहार

महत्व –
- इससे लोगों के साथ अच्छे रिश्ते बनाने में मदद मिलती है।
- यह अनुनय-विनय में सहायता करता है। जब आप लोगों की भावनाओं को समझते हैं, तो वे आप पर भरोसा करते हैं।
- नागरिकों को बेहतर सेवा प्रदान करने हेतु महत्वपूर्ण है।
उदाहरण –
- पी नरहरि –
- इंदौर के डीएम रहते हुए दिव्यांग लोगों के लिए काम किया [पंचस्पर्श चिकित्सा]
- प्रशांत नायर
- ऑपरेशन सुलेमानी – भूखे लोगों के लिए मुफ्त भोजन
- महात्मा गांधी –
- उन्होंने अपने फैंसी बैरिस्टर सूट और कॉलर को त्याग दिया, खुद को एक धोती में लपेट लिया और साबरमती आश्रम की स्थापना की, जहां वे 1917 से 1930 तक रहे। आश्रम का साधारण जीवन किसानों की परिस्थितियों को महसूस करने के लिए अपनाया
(2)समानता (Equality)
- समान मामलों में समानता का व्यवहार करना
- समान क़ाबिलियत वाले लोगों को समान अवसर, अधिकार और दर्जा देना।
- यह समानता राजनीतिक, आर्थिक, लैंगिक या सामाजिक हो सकती है।
महत्व
- असमानता से अराजकता, संसाधनों की बर्बादी (उपभोक्तावाद) और बुनियादी मानव अधिकारों का हनन होता है (भोजन, आश्रय और कपड़े जैसी बुनियादी जरूरतों का अभाव) ।
- संवैधानिक लक्ष्य [प्रस्तावना में स्पष्ट रूप से प्रतिष्ठा और अवसर की समानता का उल्लेख है]
- शांतिपूर्ण और समृद्ध समाज के लिए समानता आवश्यक घटक है (असमानता क्रांति की जनक होती है)
- असमानता अलोकतांत्रिक और शोषणकारी है। इससे प्रतिभा का दमन होता है और नैतिक पतन होता है।
उदाहरण –
- नेल्सन मंडेला –
- रंगभेद के ख़िलाफ़
- अश्वेतों से हो रहे अन्याय के ख़िलाफ़ संघर्ष किया
- मार्टिन लूथर किंग –
- संयुक्त राज्य अमेरिका में नागरिक अधिकार आंदोलन के सबसे प्रमुख नेताओं में से एक
- जीन-जैक्स रूसो –
- समानता के बिना स्वतंत्रता नहीं मिल सकती
(3)जवाबदेही (Accountability)
नीतिशास्त्र में जवाबदेही का मतलब उत्तरदायित्व है। यह अंतिम परिणामों के लिए उत्तरदायी होने की भावना है।
महत्व –
- यह विश्वास पैदा करता है
- प्रदर्शन में सुधार लाता है
- यह निर्णय के स्वामित्व को बढ़ावा देता है [जवाबदेही होने पर लोग अपने काम को महत्व देते हैं]
- एक सिविल सेवक सरकार, अपने वरिष्ठ, और उन लोगों के प्रति जवाबदेह होता है जिनकी वह सेवा कर रहा है। इसका मतलब यह है कि सिविल सेवकों को सत्ता में किसी भी राजनीतिक दल की परवाह किए बिना समान मानक की स्वतंत्र, स्पष्ट, निष्पक्ष और उत्तरदायी सलाह प्रदान करनी चाहिए।
उदाहरण –
- लाल बहादुर शास्त्री पहले रेल मंत्री थे जिन्होंने एक बड़ी रेल दुर्घटना के बाद नैतिक जिम्मेदारी महसूस करते हुए पद से इस्तीफा दे दिया था
- जब 1979 में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के नेतृत्व में एसएलवी-3 मिशन विफल होकर उपग्रह बंगाल की खाड़ी में गिर गया, तब इसरो के अध्यक्ष सतीश धवन ने उस विफलता की जिम्मेदारी अपने ऊपर ली।
(4)अनुकूलनशीलता (Adaptability)
नई परिस्थितियों में समायोजन करने में सक्षम होने का गुण
महत्व
- एक सिविल सेवक का काम बहुत गतिशील होता है। लोक सेवक अक्सर विभिन्न विधाओं का सतही ज्ञान रखते हैं, लेकिन किसी भी एक विधा में गहन विशेषज्ञता हासिल नहीं कर पाते। विभिन्न संगठनों/लोगों से निपटने के लिए सिविल सेवक में अनुकूलनशीलता का गुण आवश्यक है
- हालाँकि, यह सावधानी बरतनी चाहिए कि आप अपने बुनियादी मूल्यों और सिद्धांतों पर कायम रहें। अनुकूलन का मतलब नकल करना या ग़लत कार्य शैली को स्वीकार करना नहीं है।
- लंबे समय तक अस्तित्व में रहने वाली प्रजातियाँ न तो सबसे ताकतवर है और न ही सबसे बुद्धिमान। यह वो प्रजातियाँ है जो परिवर्तन के लिए सबसे अधिक अनुकूलनशील होती है – डार्विन
उदाहरण –
- किरण बेदी –
- उन्होंने ट्रैफिक पुलिस अधिकारी के तौर पर, तिहाड़ जेल में आईजी के तौर पर या गोवा में IG जैसी विभिन्न भूमिकाओं में खुद को अनुकूल बनाया
- महात्मा गांधी –
- दक्षिण अफ्रीका में 20 वर्ष से अधिक समय बिताने के बावजूद वह जल्द ही भारत और इसकी समस्याओं के अनुकूल बन गये। हालाँकि, कोई भी कार्रवाई करने से पहले उन्होंने भारत भ्रमण किया
- ए पी जे अब्दुल कलाम –
- चाहे डीआरडीओ एवं इसरो में वैज्ञानिक हो, विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हों या भारत के राष्ट्रपति के रूप में हो, डॉ ए पी जे कलाम ने हर पद के साथ न्याय किया। वह प्रत्येक पद के लिए बहुत अच्छी तरह से अनुकूलित थे
(5) संयम (Temperance)
क्रिया, विचार या भावना में संतुलन
महत्व
- सार्वजनिक सेवाओं में असंयमी व्यक्ति कार्यस्थल पर भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी, गबन, यौन उत्पीड़न जैसे अवगुणों में लिप्त होता है।
- भोजन में असंयमितता से मोटापा और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं पैदा होंगी।
- अधिकतर अपराध शराब के नशे में होते हैं
- संयमी लोक सेवक को अपने अधीनस्थों के बीच सम्मान और विश्वास प्राप्त होता है।
- संयम एक आंतरिक लेखापरीक्षा प्रणाली के रूप में कार्य करता है
उदाहरण –
- गुलाबी गैंग – अपने शराबी पतियों के खिलाफ खड़ा होने वाला एक स्वयं सहायता समूह
- राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों (डीपीएसपी) के अनुच्छेद 47 में कहा गया है कि राज्य को सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए कदम उठाने चाहिए और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नशीले पेय और दवाओं के सेवन पर रोक लगानी चाहिए।
- विशाखा दिशानिर्देश
(6) दृढ़ता (Tenacity)
दृढ़ निश्चयी होने का गुण
महत्व –
- एक सिविल सेवक को राजनीतिक दबाव, वरिष्ठों का हस्तक्षेप, माफिया, कर चोरों, बार-बार स्थानांतरण, खराब कार्य संस्कृति, व्यक्तिगत जीवन की समस्याओं इत्यादि को सहन करना पड़ता है, इन सबके बावजूद उसे अपना कर्तव्य पथ पर दृढ़ रहने की आवश्यकता है। सरकार के चेहरे के रूप में, वे कभी हार नहीं मान सकते।
- उदाहरण – एक आईएएस अधिकारी ने स्वीकार किया कि मुंबई बम विस्फोट मामले के दौरान उन्हें कई दिनों तक प्रति दिन 18 घंटे काम करना पड़ा। ऐसे में आपके अच्छे काम को कोई मान्यता न मिलने के बावजूद आपको दृढ़ निश्चयी होकर आगे बढ़ते रहने की जरूरत है
उदाहरण –
- IAS आरती डोगरा – शारीरिक चुनौतियों के बावजूद वह अपनी प्रशासनिक दक्षता के लिए जानी जाती हैं
- उदाहरण – मान लीजिए कि एक प्रभावशाली परिवार का व्यक्ति कोई अपराध करता है और आप पर FIR दर्ज न करने का दबाव है। ऐसे मामले में आप हार नहीं मान सकते क्योंकि पीड़ित के परिवार को आपसे उम्मीदें हैं, आप अपने द्वारा ली गई शपथ से बंधे हैं और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आप दबाव के आगे झुककर आरोपी के बुरे मकसद को बढ़ावा नहीं दे सकते। ऐसे में आपको दृढ़ निश्चयी होकर, FIR दर्ज कराकर सही उदाहरण पेश करना होगा

(7) सहिष्णुता (Tolerance)
यह उन विश्वासों, अभ्यासों, या व्यवहार को स्वीकार करने की इच्छा है जो आपके स्वयं के मतों से भिन्न हो सकते हैं, भले ही आप उनसे असहमत हों।
महत्व –
- यह लोगों के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, मानवीय गरिमा और धार्मिक प्रथाओं जैसे बुनियादी मौलिक अधिकारों को सुनिश्चित करता है
- एक सहिष्णु समाज, असहिष्णु समाज की तुलना में कहीं अधिक विविध और शांतिपूर्ण होता है। इसका अभाव हिंसा को जन्म देता है। वैश्वीकृत दुनिया में जहां समुदाय पहले की तुलना में कहीं अधिक विविध हैं, सहिष्णुता आवश्यक है
- एक सिविल सेवक के रूप में, सहिष्णु होना बहुत आवश्यक है क्योंकि आपको कानून के दायरे में रहना होगा। यदि आपके पास पर्याप्त सबूत नहीं हैं तो आप किसी के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सकते। अतः उस अवधि के लिए धैर्य एवं सहनशीलता आवश्यक है
- सोशल मीडिया का यह युग हम सभी को बड़ी संख्या में लोगों के साथ बातचीत करने और व्यापक ज्ञान/परिप्रेक्ष्य प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है। सहनशीलता के बिना, ये वाद-विवाद या बातचीत, ट्रोलिंग और दुर्व्यवहार में बदल जाती है। इसलिए असहिष्णुता इस खूबसूरत संसाधन की बर्बादी का कारण बनती है
- अपने होम कैडर के अलावा किसी अन्य राज्य में तैनात एक सिविल सेवक को उस राज्य की संस्कृति के प्रति सहिष्णु नहीं होने पर अनुकूलन करने में कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है। उसे अपने कर्तव्य के प्रभावी निर्वहन और सुधार के लिए कार्य करने के लिए नई भाषा, संस्कृति, रीति-रिवाजों, विचारों और राय के प्रति सहिष्णु होना चाहिए।
उदाहरण –
- असहिष्णुता के कारण श्रीलंका में गृह युद्ध जैसी समस्याएं उत्पन्न हुई
- इससे ऑस्ट्रेलिया में भारतीय छात्रों के साथ भेदभाव और हिंसा जैसी घटनाओं से बचने में मदद मिलेगी.
- भारत सबसे सहिष्णु देश है और इसलिए शांतिपूर्ण और विविधतापूर्ण है
- हिंदू धर्म से जैन और बौद्ध धर्म का सफल उद्भव और तीनों का एक साथ अस्तित्व
- मध्यकाल से लेकर आज तक हिंदू-मुस्लिम एकता और बहुभाषी भारत
- भारत यहूदी धर्म, पारसी धर्म, तिब्बती और यहां तक कि ईसाई धर्म से संबंधित उत्पीड़ित लोगो का शरणदाता रहा है
- शिक्षा का सर्वोच्च परिणाम सहनशीलता है – हेलेन केलर
- सहनशीलता कमजोरी की निशानी नहीं बल्कि ताकत की निशानी है – दलाई लामा
- असहिष्णुता स्वयं हिंसा का एक रूप है और सच्ची लोकतांत्रिक भावना के विकास में बाधा है – महात्मा गांधी
- मैं आपकी बात से असहमत हो सकता हूं, लेकिन अपनी बात कहने के आपके अधिकार की रक्षा मैं मरते दम तक करूंगा – वॉल्टेयर
(8) पारदर्शिता (Transparency)
काम में खुलापन ही पारदर्शिता है। पारदर्शिता से आशय है की आवश्यकता पड़ने पर संबंधित हितधारक आपका काम देख सकते है
महत्व –
- पारदर्शिता नियमों और विनियमों का पालन करने में सक्षम बनाती है और संसाधनों के दुरुपयोग पर अंकुश लगाती है
- हितधारकों में विश्वास की वृद्धि
- पारदर्शिता के अभाव से अविश्वास और असुरक्षा की भावना पैदा होती है
- संबंधित हितधारक को सही निर्णय लेने में सक्षम बनाता है।
- उदाहरण के लिए, चुनावों में उम्मीदवार की प्रोफ़ाइल में पारदर्शिता से मतदाता सही उम्मीदवार को चुनने में सक्षम होंगे
- फर्जी खबरों के खतरे पर अंकुश लगेगा
- टीम वर्क को बढ़ावा देता है
- प्रशासन को न केवल निष्पक्ष होना चाहिए बल्कि निष्पक्ष दिखना भी चाहिए, इसलिए पारदर्शिता अत्यंत आवश्यक है
उदाहरण –
- श्री पी मणिवन्नन
- [आईएएस अधिकारी बैच 1998] ने पारदर्शिता के लिए अपने कार्यालय में सीसीटीवी कैमरे लगाए हैं
- अरुणा रॉय – पूर्व सिविल सेवक और आरटीआई कार्यकर्ता
- आरटीआई अधिनियम 2005
- प्रौद्योगिकी की मदद से पारदर्शिता –
- AEPS [आधार सक्षम भुगतान प्रणाली]
- GeM [सरकारी ई बाज़ार]
- सीसीटीवी
- बॉयोमीट्रिक प्रणाली
- सोशल ऑडिट –
- सोसायटी फॉर सोशल ऑडिट एकाउंटेबिलिटी एंड ट्रांसपेरेंसी, राजस्थान (SSAAT)
(9) वस्तुनिष्ठता (Objectivity)
व्यक्तिगत भावना, विश्वास, कल्पना या धारणाओं से परे जाकर, तथ्यों पर आधारित निर्णय लेना ही वस्तुनिष्ठता है
महत्व –
- हितों के टकराव से बचने के लिए
- इससे लोगों के बीच साख और विश्वास बढ़ेगा
- संसाधनों का कुशल उपयोग
- जब भर्ती/पदोन्नति/स्थानांतरण वस्तुनिष्ठ आधार पर हो तो बेहतर प्रतिभा को आकर्षित किया जा सकता है
- जिन लोगों को अस्वीकार (Reject) कर दिया गया है उन्हें तथ्यों पर आधारित प्रतिक्रिया (feedback) से सुधार का मौक़ा मिलेगा
- वस्तुनिष्ठता निर्णय लेने में समय की देरी को कम करती है
- पारदर्शिता को बढ़ावा
- आपके पूर्वाग्रह या दुराग्रह पर काबू पाने में आपकी मदद करता है
- यदि आप वस्तुनिष्ठ हैं, तो आप दोनों पक्षों को सुनेंगे। इससे फैसले की सटीकता बढ़ेगी
उदाहरण –
- हाल ही में, OSCAR ने अपनी नई श्रेणी – ‘लोकप्रिय’ पुरस्कार को समाप्त कर दिया है क्योंकि इस पुरस्कार में विजेता का चयन करने के लिए कोई स्पष्ट वस्तुनिष्ठ मानदंड नहीं था और इसलिए इसकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा हो गया था
- स्वच्छ सर्वेक्षण रैंकिंग, उत्कृष्टता संस्थान रैंकिंग, वायु गुणवत्ता सूचकांक, HDI सूचकांक जैसे नीतिगत उपाय, जब स्पष्ट और वस्तुनिष्ठ मापदंडों पर आधारित होते हैं, तो वे वास्तव में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन को प्रेरित करते है
- यूपीएससी/आरपीएससी द्वारा उम्मीदवारों का चयन करने के लिए स्पष्ट वस्तुनिष्ठ मानदंड [प्री/मेन/साक्षात्कार]
(10) निष्पक्षता (Fairness)
बिना पक्षपात या भेदभाव के निर्णय लेना
महत्व –
- दक्षता को अधिकतम करना और सीमित संसाधनों का बेहतर उपयोग करना
- सभी को समान अवसर देना
- निष्पक्ष व्यवहार संबंधित हितधारकों में विश्वास स्थापित करता है
- यह लोगों की भागीदारी को बढ़ावा देता है। यदि उनके साथ उचित/निष्पक्ष व्यवहार किया जाए तो वे किसी उद्देश्य में अपना योगदान देने में प्रसन्न होंगे। उदाहरण के लिए ओ पी मुंजाल और कार्यकर्ताओं का रिश्ता [Hero Cycle के संस्थापक]
- निष्पक्षतापूर्ण व्यवहार न करने पर लोगों को अपने अधिकारों की मांग करने के नाजायज तरीकों को अपनाने का बहाना मिल जाता है [हड़ताल, बंध, हिंसा इत्यादि]
- उदाहरण के लिए, सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों ने उनके साथ हो रहे अनुचित व्यवहार के कारण हड़ताल कर दी। शुरू में उन्होंने चेतावनी दी, लेकिन किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया। यह हड़ताल पूरे राज्य में फैल गई, जिसके परिणामस्वरूप तीन गंभीर रूप से बीमार मरीजों की मृत्यु हो गई। डॉक्टरों ने अपने इस कदम को सही ठहराते हुए कहा कि उनके साथ लंबे समय से हो रहे पक्षपातपूर्ण व्यवहार के कारण उन्हें यह कदम उठाना पड़ा।
उदाहरण –
- मार्टिन लूथर किंग जूनियर –
- अश्वेत अमेरिकियों के साथ उचित (निष्पक्षतापूर्ण) व्यवहार के लिए संघर्ष किया
- हीरो साइकिल –
- यह संगठन स्वीपर से लेकर सीईओ तक जुड़े हर व्यक्ति के साथ उचित व्यवहार के लिए जाना जाता है। जब विनिमय दर से ओपी मुंजाल को अप्रत्याशित लाभ हुआ, तो उन्होंने लाभ को प्रबंधकों, कर्मचारियों और यहां तक कि डीलरों में समान रूप से वितरित किया। यह निष्पक्षता कार्यकर्ताओं की निष्ठा में झलकती है। मांग बढ़ने पर वे सभी कारखाने में अतिरिक्त समय बिताने के लिए हमेशा तैयार मिलते है
(11) माफी (Forgiveness)
किसी के द्वारा की गई गलती, दोष, या अपराध के लिए मन में नाराजगी और विरोधाभास को समाप्त करना।
महत्व –
- बदला लेना दोनों पक्षों के लिए हानिकारक है।
- आँख के बदले आँख पूरी दुनिया को अंधा बना देगी – महात्मा गांधी
- इससे पहले कि आप बदला लेने की यात्रा पर निकलें, दो कब्रें खोदें – कन्फ्यूशियस
- क्षमा हमें संतुष्टि का एहसास कराती है [मन का बोझ हल्का हो जाता है]
- गलती करना मानव का स्वभाव है और क्षमा देवताओं का गुण
- क्षमा अतीत को नहीं बदल सकती लेकिन यह भविष्य को बदल सकती है
उदाहरण –
- नक्सलियों के लिए केंद्र सरकार द्वारा आत्मसमर्पण सह पुनर्वास नीति
- दिल्ली से लाहौर बस सेवा [अटल जी ने पाकिस्तान को उसके पिछले कर्मों के लिए माफ कर दिया और अच्छे संबंध बनाने का प्रयास किया]
- नलबाना अभयारण्य [चिल्का झील]-
- वन अधिकारियों ने अभयारण्य में शिकारियों को माफ करने का फैसला किया और उन्हें पक्षी संरक्षण शिविर में नौकरी देने की पेशकश की
- भारत ने आज़ादी के बाद ब्रिटिश सरकार को माफ़ किया, कॉमनवेल्थ का हिस्सा बने और आज भी ब्रिटिश सरकार के साथ अच्छे संबंध है
(12) धैर्य, सहन-शक्ति (Fortitude)
मानसिक शक्ति जो व्यक्ति को लंबे समय तक दर्द या विपरीत परिस्थितियों का साहस के साथ सामना करने में सक्षम बनाती है
महत्व –
- एक प्रशासक को सही समय पर [पर्याप्त सबूत इकट्ठा करने के बाद], सही जगह पर [अच्छी तरह से सोचे-समझे परिणामों के साथ] और सही कानून का उपयोग करके जवाबी कार्रवाई करनी चाहिए।
- चाहे वह राजनीतिक दबाव हो, गुंडों से सीधी धमकियां हों, साथियों का दबाव हो या पारिवारिक दबाव हो,पद की पवित्रता बनाए रखने के लिए धैर्य आवश्यक है
उदाहरण –
- बी आर अंबेडकर – यह उनकी सहन-शक्ति है कि उन्होंने लंबे समय तक भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने हार नहीं मानी
- गांधीजी – अंग्रेजों के गुस्से को भड़काने के बजाय उसके खिलाफ लड़ने के लिए धैर्य को अपनाया। उन्होंने कहा कि- हम अपने दर्द के जरिए उन्हें उनके अन्याय का एहसास कराएंगे.
(13) विवेक (prudence)
यह बुद्धि का व्यावहारिक उपयोग है
महत्व –
- सीमित संसाधनों का अधिकतम उपयोग
- अनावश्यक जोखिमों से बचने के लिए
उदाहरण –
- सुरेंद्र कुमार सोलंकी – महिलाओं को सौर ऊर्जा का प्रशिक्षण देकर उन्होंने 2 समस्याओं का समाधान किया – दूरस्थ क्षेत्र में बिजली की समस्या और महिलाओं की बेरोजगारी की समस्या
- भारतीय सेना की रणनीति – गन्ने के खेतों में पानी भरना और पाकिस्तानी टैंकों को कीचड़ में फँसाना। कभी-कभी युद्ध में समझदारी बाहुबल पर भारी पड़ जाती है
- एम एस धोनी – अपनी शारीरिक योग्यता के साथ-साथ धोनी विकेट के पीछे अपने समझदारी भरे फैसलों के लिए भी जाने जाते हैं
(14) दृढ़ता (Perseverance)
कठिनाइयों, असफलताओं, या विरोध के बावजूद किसी कार्य को लगातार करने की क्षमता।
महत्व –
- जीवन में सबसे बड़ी महिमा कभी न गिरने में नहीं है, बल्कि हर बार गिरकर उठने में है – नेल्सन मंडेला
उदाहरण –
- जैक मा – अलीबाबा (181 अरब डॉलर की कंपनी) के संस्थापक, विभिन्न नौकरी साक्षात्कारों में 30 बार खारिज कर दिए गए थे
- थॉमस अल्वा एडिसन – एक आविष्कारक के रूप में, एडिसन ने प्रकाश बल्ब का आविष्कार करने से पहले लगभग 1,000 असफल प्रयास किए

(15) सत्यनिष्ठा/अक्षतता/अखंडता (Integrity)
- स्थान, समय और संदर्भ की परवाह किए बिना नैतिक सिद्धांतों का कड़ाई से पालन
- अखंडता = समझौता करने से पूर्ण इनकार [ऐसे सिद्धांत जो कभी खंडित ना हो]
- बुद्धि सही मार्ग को जानना है, सत्यनिष्ठा उस पर चलना है
महत्व –
- कार्यबल में सत्यनिष्ठा से संगठन की कार्यक्षमता बढ़ती है
- यह विभिन्न हितधारकों के बीच विश्वास बढ़ाता है
- दुविधा में रहते हुए सबसे उचित निर्णय लेने में मदद करता है
- हितों के टकराव जैसी स्थितियों से बचाता है
- उदाहरण के लिए, एक सत्यनिष्ठ अधिकारी कभी भी वरिष्ठों, रिश्तेदारों या परिवार के किसी सदस्य के दबाव में नहीं आएगा, भले ही उसे उस समय व्यक्तिगत संबंधों से समझौता करना पड़े। वह सही काम केवल इसलिए करेगा क्योंकि वह काम सही है।
उदाहरण –
- IES सत्येन्द्र दुबे
- महात्मा गांधी –
- चौरी चौरा घटना के पश्चात असहयोग आंदोलन को वापस लेना (क्योंकि अहिंसा का सिद्धांत कभी खंडित नहीं होना चाहिए)
- विचार, वाणी और कर्म में सामंजस्य ही सत्यनिष्ठा है
- गांधी जी द्वितीय विश्व युद्ध में अंग्रेजों की मदद करने के लिए तैयार थे क्योंकि उस समय अंग्रेजों की कमजोरी का फायदा उठाना उनके नैतिक सिद्धांतों के खिलाफ था। साथ ही ब्रिटिश साम्राज्य के एक हिस्से के रूप में, उन्होंने सोचा कि स्वतंत्रता की मांग को सर्वोच्च प्राथमिकता पर रखते हुए उस समय अंग्रेजों की मदद करना भारत का नैतिक कर्तव्य था।
(16) निष्पक्षता (Impartiality)
- पक्षपाती या पूर्वाग्रही न होने का गुण
- वस्तुनिष्ठ मानदंडों के आधार पर निर्णय लेना
- सरदार पटेल ने सिविल सेवकों के पहले बैच को संबोधित करते हुए निष्पक्षता को प्रशासन के प्रमुख स्तंभों में से एक बताया।
(17) प्रतिबद्धता (Commitment)
किसी उद्देश्य के प्रति समर्पित होने का गुण
महत्व –
- विश्वास स्थापित करना
- संगठन की कार्यकुशलता को बढ़ाना
- यदि आप किसी कार्य के प्रति प्रतिबद्ध हैं, तो आपको किसी बाहरी प्रेरणा की आवश्यकता नहीं है। प्रतिबद्धता आपको काम के दौरान ही उपलब्धि का अहसास कराती है
- स्वयं को अनुशासित बनाना। जब आप किसी चीज़ के लिए प्रतिबद्ध होते हैं तो आपको कोई बहाना स्वीकार नहीं होता
उदाहरण –
- पोमा टुडू – एक आईएएस अधिकारी जो पहाड़ी पर आदिवासियों से मिलने और उनकी शिकायतें सुनने के लिए 2 घंटे तक पैदल चलीं
- नीरू यादव – हॉकी सरपंच (बालिका शिक्षा) के रूप में जानी जाती हैं, महिला सशक्तिकरण की दिशा में काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं
- श्याम सुंदर ज्याणी – राजस्थान में वनीकरण के लिए पिछले 25 वर्षों से प्रतिबद्ध हैं

(18) करुणा (Compassion)
वह भावना जो तब उत्पन्न होती है जब आप किसी दूसरे का दुःख देखते हैं और उस दुःख को दूर करने के लिए प्रेरित महसूस करते हैं ।
महत्व –
- अधिकांश नीतियां निराश्रितों, विकलांगों, भेदभाव से पीड़ित और गरीबों के लिए हैं। उनके प्रति करुणा एक अधिकारी को नीतियों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए अथक परिश्रम करने के लिए प्रेरित करेगी।
- दयालु नेता (Leaders) प्रभावी होते हैं
- इससे आत्म संतुष्टि मिलेगी [यदि आपके काम को आधिकारिक मान्यता नहीं मिली है, तो भी आप आगे बढ़ते रहेंगे]
- जनता से बेहतर ढंग से जुड़ने में सहायक
- यह आपको कार्रवाई करने में प्रतिक्रियाशील होने के बजाय सक्रिय बना देगा
- यह नौकरशाही के लोकतांत्रिक दृष्टिकोण को प्रदर्शित करेगा
उदाहरण –
- जे के सोनी सर – चरण पादुका अभियान और रक्तकोष फाउंडेशन
- “जो जीवन दूसरों के लिए नहीं जिया गया, वह जीवन नहीं है” – मदर टेरेसा
- नेपाल भूकंप पीड़ितों के प्रति भारत की करुणा, वैक्सीन कूटनीति आदि
- प्रेम और करुणा आवश्यकताएं हैं, विलासिता नहीं। इनके बिना मानवता जीवित नहीं रह सकती – 14वें दलाई लामा

(19) संतोष (Contentment)
- यह एक मानसिक या भावनात्मक स्तर की संतुष्टि और पर्याप्तता है।
- यह एक खुशहाल जीवन की ओर ले जाती है। (खुशी आत्म-संतोष की स्थिति है।)
महत्व –
- यह हमें लालच, ईर्ष्या और बुरे साधनों से मुक्त कराता है। इसलिए एक संतुष्ट सिविल सेवक रिश्वत या पैसा कमाने के किसी अन्य नाजायज साधन के बारे में कभी नहीं सोचेगा
- यह हमें और अधिक उदार बनाता है
- यह हमें हमारे पास जो कुछ है उसकी सराहना करने और उसका पूरा उपयोग करने की अनुमति देता है
- यह परोपकारिता जैसे गुणों को बढ़ावा देता है
- यह आपको अधिक भरोसेमंद और सम्मानजनक बनाता है [एक सिविल सेवक में होने वाले बहुत महत्वपूर्ण गुण]।
- माणिक सरकार, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री, का जनता ने लंबे समय तक विश्वास किया क्योंकि उन्होंने एक सरल और संतोषपूर्ण जीवन जीया।
- भले ही आपके काम को पहचान न मिले, लेकिन यह आपको आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा देता है। काम से संतुष्टि शाश्वत प्रेरणा का स्रोत है
उदाहरण –
- लाल बहादुर शास्त्री
- एपीजे अब्दुल कलाम – एक सूटकेस के साथ राष्ट्रपति भवन में प्रवेश किया और उसी के साथ बाहर निकले।
- त्रिपुरा के सीएम माणिक सरकार ने 2023 का चुनाव नहीं लड़ा। उन्होंने खुलासा किया कि युवा नेतृत्व के लिए मार्ग प्रशस्त करने के लिए उन्होंने ऐसा किया था
- संतोष सबसे बड़ा धन है – बुद्ध
(20) सहयोग (Cooperation)
पारस्परिक लाभ या समान उद्देश्य के लिए मिलकर काम करने की प्रक्रिया
महत्व –
- इससे मानव संसाधनों का बहुत प्रभावी ढंग से उपयोग करने में मदद मिलेगी। याद रखें कि समग्रता, इसके भागों के योग से अधिक होती है। (एक और एक ग्यारह)
- विविध विचार, विविध संसाधन, बेहतर परिणाम
- बेहतर नीति कार्यान्वयन (जन आंदोलन)
- यह कर्मचारियों के बीच एक बंधन बनाएगा और इस प्रकार भेदभाव, पीठ पीछे की बातों, यौन उत्पीड़न, अनुशासनहीनता आदि जैसी समस्याओं का समाधान करेगा।
- सदस्यों के बीच विवादों को कम करता है
- एकता में अटूट शक्ति होती है
- प्रतिभा खेल जीतती है लेकिन टीमवर्क चैंपियनशिप जीतता है – माइकल जॉर्डन
- अगर हर कोई एक साथ आगे बढ़ रहा है, तो सफलता अपने आप आ जाती है – हेनरी फोर्ड
उदाहरण –
- डॉ. वर्गीस कुरियन – किसानों के सहयोग से अमूल का निर्माण
- श्याम सुंदर पालीवाल – पीपलांत्री गांव के लोगों की मदद से पर्यावरण संरक्षण


इसरो –
- मंगलयान और चंद्रयान में बेहतरीन टीम वर्क
- इसी तरह, एक प्रभावी टीम वर्क ही गगनयान को लक्ष्य तक पहुंचा सकता है। इसमें अंतरिक्ष वैज्ञानिक (रॉकेट, क्रू मॉडल, एस्केप सिस्टम), वायु सेना विशेषज्ञ (अंतरिक्ष अभियानों के लिए पायलटों की भर्ती के लिए), बायो इंजीनियर (अंतरिक्ष में जीवन), भौतिकी वैज्ञानिक (एंटी ग्रेविटी), विदेशी एजेंसियां (अंतरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षित करने के लिए) इत्यादि शामिल हैं।
प्राचीन भारतीय संस्कृति –
- भारतीय गाँव की अर्थव्यवस्था टीमवर्क का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। यहाँ कार्यों का स्पष्ट विभाजन होता था; उदाहरण के लिए, एक बढ़ई अपनी सेवाएँ प्रदान करता था और इसके बदले में उसकी अन्य आवश्यकताओं को पूरा किया जाता था।
- रामायण जैसे भारतीय महाकाव्य – माता सीता को लंका से वापस लाने में टीम वर्क के महत्व को दर्शाया गया हैं। भगवान राम ने वानर सेना से सहायता लेने में संकोच नहीं किया।
(20) साहस (Courage)
कठिन/खतरनाक स्थिति में डर को नियंत्रित करने की क्षमता
महत्व –
- साहस का अर्थ डर का अभाव नहीं बल्कि उस पर विजय पाना और सही निर्णय लेना है
- साहस भय पर नियंत्रण है, न कि उसका अभाव – मार्क ट्वेन
- यह आपके कर्तव्य को पूरा करने में मदद करता है → एक आईआरएस अधिकारी को छापेमारी करने के लिए साहस की आवश्यकता होती है, एक आईपीएस/आरपीएस अधिकारी को भीड़ को नियंत्रित करने के लिए साहस की आवश्यकता होती है (जोखिम के बावजूद उसे कुछ आवश्यक निर्णय लेने पड़ते है), एक आईएएस/आरएएस अधिकारी को किसी भी राजनीतिक दबाव के खिलाफ खड़े होने के लिए साहस की आवश्यकता होती है, एक विदेश सेवा अधिकारी (IFS) को विश्व मंचों पर आश्वस्त दिखने के लिए साहस की आवश्यकता होती है.
उदाहरण –
- मृदुल कच्छावा –
- मृदुल कच्छावा ने अपनी टीम के साथ मात्र 11 महीने में चंबल के 44 कुख्यात डकैतों और 12 कुख्यात अपराधियों को जेल भेजा
- दुर्गा शक्ति नागपाल –
- ग्रेटर नोएडा में रेत माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई
- टी एन शेषन –
- पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त, चुनाव सुधारों के लिए अपने साहसी निर्णय के लिए जाने जाते हैं
- गांधी जी –
- चुटकी भर नमक से ब्रिटिश साम्राज्य को हिला देना
- रानी लक्ष्मी बाई –
- 1857 की क्रांति में अंग्रेजों से संघर्ष किया
(21) अनुशासन (Discipline)
अनुशासन वह क्रिया या निष्क्रियता है जिसका पालन एक शासन प्रणाली के अनुसार किया जाना चाहिए
महत्व –
- फोकस बढ़ता है और इस प्रकार कार्यकुशलता बढ़ती है – अनुशासनहीन कार्य ब्राउनियन गति (यादृच्छिक गति) की तरह है और संगठन की प्रगति में बाधक बनता है
- लोग दूसरों की तुलना में एक अनुशासित सिविल सेवक पर अधिक भरोसा करेंगे
- स्वस्थ जीवन जीने के लिए आत्म-अनुशासन महत्वपूर्ण है [सही खान-पान, धूम्रपान न करना, जल्दी उठना आदि]
उदाहरण –
- ई. श्रीधरन – कोंकण रेलवे को 8 साल के अंदर पूरा किया
- भारतीय सेना अपने अनुशासन के लिए जानी जाती है
- अक्षय कुमार –
(22) लचीलापन (Resilience)
कठिनाइयों से शीघ्र उबरने की क्षमता
- डॉ. किरण बेदी ने एक बार कहा था, बारंबार स्थानांतरण के लिए खुद को तैयार रखने के लिए उन्होंने कभी भी भारी फर्नीचर में निवेश नहीं किया।
- डॉ रवीन्द्र गोस्वामी – जब जिले में डॉक्टर हड़ताल पर थे, तत्कालीन बूंदी कलेक्टर, ने एक डॉक्टर की भूमिका निभाई (क्योंकि वह स्वयं एमबीबीएस थे)

(23) आभार (Gratitude)
- किसी व्यक्ति द्वारा आपकी की गई मदद के लिए उसकी सराहना करने की प्रबल भावना
- Eg – भारतीय समाज में ऋण की अवधारणा
- शिक्षकों के प्रति आभार प्रकट करने के लिए ऋषि ऋण
- भूत ऋण प्रकृति, जानवरों और पौधों के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए है.

(24) अहिंसा (Non violence)
अहिंसा का अर्थ केवल हिंसा न करना ही नहीं है; यह उत्पीड़न का विरोध करने या परिवर्तन लाने के लिए की जाने वाली सकारात्मक कार्रवाई करने का एक तरीका भी है
महत्व –
- अहिंसा को अपनाने वाले आईपीएस/आरपीएस अधिकारी अपराधी को हिरासत में यातना से खुद को रोकेंगे और अन्य रणनीति अपनाएंगे
- लोगों को शाकाहारी भोजन अपनाने के लिए प्रेरित करना जिससे पानी और ऊर्जा की बचत होगी।
उदाहरण –
- महात्मा गांधी
- जैन धर्म
- बौद्ध धर्म
(25) वफादारी (Loyalty)
किसी व्यक्ति या संस्था के प्रति दृढ़ समर्थन या निष्ठा दिखाना
- सिविल सेवकों को संविधान, देश के कानून और लोगों के प्रति वफादार होना चाहिए
(26) नेतृत्व (Leadership)
नेतृत्व की क्षमता रखने वाला व्यक्ति ना केवल रास्ता दिखाता है, बल्कि उस रास्ते पर चलता भी है
- उदाहरण –
- सरदार वल्लभभाई पटेल
- सैम मानेकशॉ
- रतन टाटा
(27) एकजुटता (Solidarity)
किसी समूह के सदस्य के रूप में एकता या समर्थन
महत्व –
- सिविल सेवकों को विभिन्न विभाग प्रमुखों और कनिष्ठ सदस्यों के साथ एकजुटता से काम करने की जरूरत है
- मानवता के प्रति एकजुटता का तात्पर्य निराश्रितों और हाशिये पर खड़े लोगों के प्रति अत्यधिक प्रतिबद्धता से है। यह वह समूह है जिस पर किसी लोक सेवक को सबसे अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। गरीबी, भेदभाव, उत्पीड़न आदि इस समूह को बड़े समुदाय से अलग-थलग कर देता है जो एकजुटता के विपरीत है
- सामान्य संवैधानिक लक्ष्यों पर आधारित राजनीतिक एकजुटता रचनात्मक राजनीति की ओर ले जाती है
- परिवार प्रेम और एकजुटता से बंधे हुए हैं। एक कुशल सिविल सेवक का निजी जीवन शांतिपूर्ण और खुशहाल होना चाहिए।
उदाहरण –
- अन्ना हजारे जी – रालेगांव सिद्धि
- आर्मस्ट्रांग पाम – क्राउडफंडिंग का उपयोग करके एक सड़क बनाई
- भारत का “वसुधैव कुटुंबकम” और “अतिथि देवो भव:” पूरी मानवता के प्रति एकजुटता का प्रतिबिंब है।
- सामाजिक एकजुटता सांप्रदायिक हिंसा और मॉब लिंचिंग जैसी हालिया समस्याओं से बचने में मदद करती है। एकजुटता पुरुषों और महिलाओं के बीच लैंगिक अंतर को भी कम करती है
- आर्थिक एकजुटता स्वयं सहायता समूहों को बढ़ावा देती है
(28) सादगी (Simplicity)
- श्री माणिक सरकार – ₹ 2,000 के बैंक बैलेंस के साथ सबसे गरीब मुख्यमंत्री [जैसा कि उन्होंने चुनावी हलफनामे में घोषित किया है]
- स्वर्गीय मनोहर पर्रिकर – गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री और रक्षा मंत्री, जमीन से जुड़े व्यक्तित्व वाले
- श्री बाबूलाल खराड़ी (आदिवासी विकास मंत्री) – अभी भी कच्चे मकान में रहते हैं
(29) वैज्ञानिक स्वभाव (Scientific temperament)
- डॉ समित शर्मा –
- राजस्थान सरकार के एक आईएएस अधिकारी, एमबीबीएस की डिग्री, जेनेरिक चिकित्सा में क्रांति लेकर आए
- लक्ष्मण सिंह –
- जल संरक्षण हेतु चौका तकनीक
- लापोड़िया गांव से (जयपुर के पास)
- रुक्मणि रियार (आईएएस) –
- हनुमानगढ़ जिले के तत्कालीन कलेक्टर ने राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस पुरस्कार जीता
- चिन्मयी गोपाल (आईएएस) –
- महिला स्वयं सहायता समूह की सहायता से टोंक जिले में मशरूम की खेती [कृषि में नवाचार]
- एमएस स्वामीनाथन – भारतीय हरित क्रांति के जनक
- सैम पित्रोदा – भारत में आईटी क्रांति के जनक
(30) ईमानदारी (Honesty)
- शास्त्री जी –
- आजादी की लड़ाई के दौरान जब वह जेल में थे तो उन्हें अपनी बीमार बेटी के साथ समय बिताने के लिए 15 दिन की पैरोल दी गई थी। दुर्भाग्यवश उसी दिन उनकी बेटी की मृत्यु हो गई। शास्त्रीजी ने अंतिम संस्कार किया और जेल लौट आये। यह उनकी ईमानदारी का स्तर दर्शाती है
(31) विनम्रता (Humility or Modesty)
महत्व –
- ग्रामीण नागरिक 20 साल बाद भी एक विनम्र अधिकारी को एवं उसके द्वारा दी गई सेवाओं को याद रखते है। यह प्रशासन में लोगो के विश्वास को बढ़ाता है
- यह एक सकारात्मक कार्य संस्कृति सुनिश्चित करेगा – यदि संगठन का मुखिया विनम्र है, तो अन्य लोग उसके साथ काम करने में अच्छा महसूस करेंगे और अपना अधिकतम योगदान देंगे
- एक विनम्र अधिकारी शिकायतों को धैर्यपूर्वक सुनता है और लोगों को आश्वासन देता है कि उनकी शिकायत पर ध्यान दिया जाएगा
- यदि आप विनम्र हैं, तो लोग ईमानदार राय और प्रतिक्रिया देने के लिए अधिक स्वतंत्र होंगे
- यह वफादारी पैदा करता है – यदि आप विनम्र हैं, तो लोग आपके प्रति वफादार होंगे
- लोक सेवक विभिन्न विधाओं का सतही ज्ञान रखते हैं, पर किसी में पारंगत नहीं होते। उन्हें उस क्षेत्र के कुछ विशेषज्ञों के साथ काम करना होगा। ऐसे विषय विशेषज्ञों के साथ काम करने के लिए विनम्रता बहुत जरूरी है
- एपीजे अब्दुल सर –
- राष्ट्रपति भवन का पूरा स्टाफ उन्हें एक देखभाल करने वाले और प्यार करने वाले राष्ट्रपति के रूप में जानता है। रसोइयों में से एक को याद आया कि जब भी कोई तीसरी डिश होती थी [नियमित से एक अतिरिक्त], तो वह पूछते था कि क्या आज कोई त्यौहार है। इस घटना से पता चलता है कि वह हर मामले में खुद को दूसरों के बराबर मानते थे
- रोजर फेडरर और राहुल द्रविड़ अपने विनम्र व्यवहार के लिए जाने जाते है
(32) न्याय (Justice)
कानूनी या दार्शनिक मापदंड जिस पर निष्पक्षता लागू की जाती है
महत्व –
- कहीं भी अन्याय हर जगह के न्याय के लिए खतरा है।
- न्याय का मतलब काम में सच्चाई से है
- न्याय ही समाज में शांति का जनक है। अन्याय से युक्त समाज अराजकता, विद्रोह एवं हिंसा से ग्रसित होता है
उदाहरण –
- उदयपुर जिला कलेक्टर ताराचंद मीना –
- आदिवासी विकास के लिए मिशन कोटड़ा (आदिवासियों के साथ न्याय)
- ऑपरेशन अस्मिता – कलेक्टर रेनू जयपाल द्वारा महिलाओं एवं बेटियों की गरिमा को बचाने के लिए [देश की आधी जनसंख्या के साथ न्याय का एक प्रयास]
- जैसाण शक्ति – महिला सशक्तिकरण – टीना डाबी
(33) दया (Kindness)
- करुणा = समानुभूति + दया यानी करुणा में आप दूसरों की तकलीफ महसूस करते हैं और मदद करने की कोशिश करते हैं। दयालुता में आप बस दूसरों की मदद करते हैं।
- करुणा की अनुभूति गहरी और व्यक्तिगत होती है।
- जैसे – राह चलते एक भिखारी को देखा। एक दयालु व्यक्ति उसे पैसे देता है और आगे बढ़ जाता है। एक करुणामय व्यक्ति उससे बात करेगा, उसकी समस्याओं को जानने की कोशिश करेगा और फिर सर्वोत्तम संभव तरीके से उसकी मदद करेगा
(34) उदारता (Generosity)
- अजीम प्रेमजी (wipro), रतन टाटा, शिव नादर (HCL), अनिल अग्रवाल (वेदांता फाउंडेशन) आदि जैसे उदार व्यवसायी
(35) दायित्व (Obligation)
कुछ करने या नहीं करने के लिए नैतिक या कानूनी रूप से बाध्य होने की स्थिति
एक सिविल सेवक के दायित्व –
- देश के कानून का पालन
- अखंडता एवं गरिमा बनाए रखना
- आधिकारिक जानकारी को गोपनीय रखना
- आचार संहिता का पालन करना
- अखिल भारतीय सेवा आचरण नियम 1968
अवगुण
- अवगुण अवांछनीय प्रथाएँ, व्यवहार या आदतें हैं जिन्हें आम तौर पर समाज में गलत माना जाता है
- Eg. – भ्रष्टाचार, उदासीनता, आलस्य
अवगुण उदाहरण
- गलत कामों के खिलाफ चुप रहना
- हिंसा
- सुस्ती
- उदासीनता
- भ्रष्टाचार
- आतुरता
- निष्ठाहीनता
- चापलूसी
- अन्याय
- शठता
- फिजूलखर्ची
- बेवफ़ाई
- घृणा
- अहंकार
- लालच
Practice Questions
Q.1 नैतिक सापेक्षवाद से आप क्या समझाते है ? [2 M]
Q.2 नियतिवाद के सिद्धांत को उदाहरण सहित समझाइए. [5 M]
Q. 3 नैतिक मूल्यों को अपनाने से वास्तव में प्रशासन को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। उदाहरण सहित समझाइये. [10 M]