बैंकिंग एवं गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थान (NBFIs)

बैंकिंग एवं गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थान (NBFIs) वित्तीय प्रणाली के महत्वपूर्ण घटक हैं जो पूंजी जुटाने, निवेश और विपणन (विपणन = मार्केटिंग) सेवाओं में सक्रिय भूमिका निभाते हैं। ये संस्थान पारंपरिक बैंकों के विपरीत होते हुए भी ऋण, बीमा, परिसंपत्ति प्रबंधन और वित्तीय विपणन जैसी सेवाएं प्रदान करते हैं। NBFIs का उद्देश्य वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना और आर्थिक विकास में सहयोग करना होता है।

बैंकिंग एवं गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थान (NBFIs)

वित्तीय संस्थान एक ऐसी कंपनी है जो वित्तीय और मौद्रिक लेन-देन जैसे जमा (Deposits), ऋण (Loans), निवेश (Investments), और मुद्रा विनिमय (Currency Exchange) के व्यवसाय में संलग्न होती है।.

वित्तीय संस्थानों के प्रकार (Types of Financial Institutions):

  1. बैंक (Banks)
  2. गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थान (Non-Banking Financial Institutions – NBFCs)

बैंक- एक ऐसी कंपनी जो जनता से धन जमा स्वीकार करती है, उसे उधार देने या निवेश के उद्देश्य से रखती है। यह धन मांग पर या अन्य तरीकों से वापस किया जा सकता है, और इसे चेक, ड्राफ्ट, आदेश, या अन्य माध्यमों से निकाला जा सकता है। (बैंकिंग विनियमन अधिनियम 1949, धारा 5b)

महत्वपूर्ण अधिनियम:

  1. भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम 1934 (RBI Act 1934)
  2. बैंकिंग विनियमन अधिनियम 1949 (Banking Regulation Act 1949)
  3. भुगतान और निपटान अधिनियम 2007 (Payment and Settlement Systems Act 2007

अनुसूचित बैंक और गैर-अनुसूचित बैंक

अनुसूचित बैंक (Scheduled Banks): अनुसूचित बैंक वे बैंक हैं जो भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 की दूसरी अनुसूची (2nd Schedule) में सूचीबद्ध हैं।

मानदंड (Criteria):

  1. बैंक की चुकता पूंजी (Paid-up Capital) और जुटाए गए धन (Raised Funds) कम से कम ₹5 लाख होनी चाहिए।
  2. बैंक का संचालन जमाकर्ताओं (Depositors) के हितों के प्रतिकूल नहीं होना चाहिए।

उदाहरण (Examples):

  • भारतीय स्टेट बैंक (State Bank of India – SBI)
  • पंजाब नेशनल बैंक (Punjab National Bank – PNB)
  • आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) आदि।

गैर-अनुसूचित बैंक (Non-Scheduled Banks):वे सभी बैंक जो भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम की दूसरी अनुसूची में सूचीबद्ध नहीं हैं, गैर-अनुसूचित बैंक कहलाते हैं।

उदाहरण (Examples):

  • कोस्टल बैंक (Coastal Bank), सुभद्रा लोकल एरिया बैंक लिमिटेड (Subhadra Local Area Bank Ltd) आदि।
विवरणअनुसूचित बैंकगैर-अनुसूचित बैंक
RBI, दूसरी अनुसूचीहाँनहीं
RBI से उधारी की अनुमति?हाँ,
RBI की लिक्विडिटी एडजस्टमेंट फैसिलिटी (LAF) विंडो के माध्यम से
सामान्यतः नहीं,
केवल असाधारण परिस्थितियों में
CRR की आवश्यकताहाँ,
RBI के साथ CRR बनाए रखना अनिवार्य
हाँ,
CRR को RBI के साथ या अपने पास बनाए रख सकते हैं
SLR की आवश्यकताहाँहाँ
क्लियरिंगहाउस के सदस्यहाँ,
RBI क्लियरिंगहाउस के रूप में कार्य करता है
नहीं,
गैर-अनुसूचित बैंक क्लियरिंगहाउस के सदस्य नहीं होते
उदाहरणसार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, निजी बैंक, विदेशी बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, भुगतान बैंक, लघु वित्त बैंक, प्राथमिक शहरी सहकारी बैंक, DCCS, StCBsलोकल एरिया बैंक, प्राथमिक शहरी सहकारी बैंक, DCCS, StCBs, भुगतान बैंक (जैसे जियो और NSDL)

यूनिवर्सल बैंक और विभेदित बैंक

यूनिवर्सल बैंक (Universal Bank):

यूनिवर्सल बैंक वे बैंक हैं जो एक ही छत के नीचे विभिन्न प्रकार की वित्तीय सेवाएँ प्रदान करते हैं। इसमें पारंपरिक बैंकिंग सेवाएँ जैसे ऋण देना और जमा स्वीकार करना, साथ ही निवेश बैंकिंग, धन प्रबंधन, बीमा, और अन्य वित्तीय उत्पाद शामिल होते हैं।

उदाहरण (Examples):

  • भारतीय स्टेट बैंक (State Bank of India – SBI)
  • एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank) आदि।

विभेदित बैंक (Differentiated Banks): 

  • विभेदित बैंक वे बैंक हैं जिन्हें भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा विशेष बैंकिंग सेवाएँ और उत्पाद प्रदान करने के लिए लाइसेंस दिया जाता है, जो विशिष्ट क्षेत्रों में ही उपलब्ध होते हैं।
  • उदाहरण (Examples): क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (Regional Rural Banks – RRBs),लघु वित्त बैंक (Small Finance Banks) आदि।
विवरणयूनिवर्सल बैंकविभेदित बैंक (Differentiated Bank)
गतिविधियों का दायराकोई प्रतिबंध नहीं। सभी बैंकिंग सेवाएं प्रदान कर सकते हैं।प्रतिबंधित हो सकता है। उदाहरण: भुगतान बैंक ऋण नहीं दे सकते, लघु वित्त बैंक ऋण दे सकते हैं, लेकिन कम से कम 50% ऋण ₹25 लाख से कम होना चाहिए।
संचालन का क्षेत्रकोई प्रतिबंध नहीं। पूरे भारत में कहीं भी शाखाएं खोल सकते हैं।प्रतिबंधित हो सकता है। उदाहरण: लोकल एरिया बैंक 2-3 जिलों से अधिक में शाखाएं नहीं खोल सकते, RRBs के संचालन का क्षेत्र सरकार की अधिसूचना से सीमित किया जाता है।
उदाहरणसार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, निजी बैंक आदि।क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, लोकल एरिया बैंक, भुगतान बैंक, लघु वित्त बैंक, प्राथमिक शहरी सहकारी बैंक

Digital Banking

  • 100% डिजिटल बैंक वे बैंक होते हैं जिनकी कोई भौतिक उपस्थिति नहीं होती है और वे अपनी सभी सेवाएँ इंटरनेट पर प्रदान करते हैं।
  • सिफारिश: नीति आयोग ने 100% डिजिटल बैंकों को लाइसेंस जारी करने की सिफारिश की है।
  • वैश्विक उदाहरण: यूके: Starling Bank, Monese Bank ; चीन: WeBank
  • भारत में वर्तमान स्थिति: भारत में वर्तमान में 100% डिजिटल बैंकों का कोई प्रावधान नहीं है। मौजूदा भौतिक बैंक ही डिजिटल बैंकिंग सेवाएँ प्रदान कर रहे हैं।
  • लाभ :
    •  कम परिचालन लागत
    • कम ब्याज दर पर ऋण
    • वित्तीय समावेशन
    • बैंकों के बीच प्रतिस्पर्धा
डिजिटल बैंकिंग इकाइयाँ
  • अर्थ: मौजूदा बैंक ऐसी बैंकिंग इकाइयां स्थापित करते हैं जिसमें कैश डिपॉजिट मशीन, एटीएम, मुफ्त वाईफाई कनेक्शन, और बैंक प्रतिनिधि होते हैं।
  • संचालन का तरीका: ये इकाइयाँ 24×7 बैंकिंग सेवाएँ प्रदान करती हैं।
  • पेपरलेस प्रोसेसिंग: खातों का खोलना, ऋण आवेदन आदि सभी प्रक्रियाएं बिना कागजी दस्तावेजों के की जाती हैं।
  • सेवाएँ:
    • खाता खोलना
    • ऋणों का एंड-टू-एंड डिजिटल प्रोसेसिंग
    • इंटरनेट बैंकिंग कियोस्क
    • एटीएम के माध्यम से नकद निकासी और नकद जमा
    • ग्राहकों के लिए डिजिटल किट: मोबाइल बैंकिंग, इंटरनेट बैंकिंग, डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड और मास ट्रांज़िट सिस्टम कार्ड
    • अटल पेंशन योजना, पीएम जीवन ज्योति योजना आदि के लिए ग्राहकों का डिजिटल नामांकन
  • पात्र संस्थाएँ: घरेलू अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (RRBs, पेमेंट बैंक और लोकल एरिया बैंक को छोड़कर) इन इकाइयों को स्थापित कर सकते हैं।
  • क्षेत्र: इन इकाइयों को खोलने के लिए अलग से लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होती है और इन्हें ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में खोला जा सकता है।

अखिल भारत वित्तीय संस्थान (All India Financial Institutions – AIFIs)

  • स्थापना: AIFIs की स्थापना संसद के अधिनियम द्वारा विकास के उद्देश्य से की जाती है।
  • ये संस्थान जनता से जमा स्वीकार नहीं करते हैं।
  • ये संस्थान सरकार से धन संग्रहित करते हैं और बॉन्ड जारी करके भी धन जुटाते हैं।
  • AIFIs सार्वजनिक को ऋण प्रदान नहीं करते हैं। अधिकांश ऋण वाणिज्यिक बैंकों को दिए जाते हैं। उदाहरण के लिए, NABARD क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRBs) को ऋण प्रदान करता है।
  • AIFIs बैंकों द्वारा दिए गए ऋणों को पुनर्वित्त प्रदान करने और उन्हें समर्थन देने के रूप में बहुआयामी भूमिका निभाते हैं।
  • AIFIs को विकास बैंक (Development Banks) के रूप में भी जाना जाता है।

वर्तमान में पांच AIFIs:

  • NABARD (राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक)
  • SIDBI (लघु उद्योग विकास बैंक)
  • EXIM (एक्सपोर्ट-इंपोर्ट बैंक)
  • NHB (राष्ट्रीय आवास बैंक)
  • NaBFID (राष्ट्रीय वित्तीय अवसंरचना और विकास बैंक)

गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ (एनबीएफसी)

गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ (Non-Banking Financial Companies – NBFCs):

  • परिचय: NBFC एक कंपनी है जो कंपनी अधिनियम के तहत पंजीकृत होती है और ऋण और अग्रिमों के व्यवसाय, शेयरों/स्टॉक्स/बॉन्ड्स/डेबेंचर्स/प्रतिभूतियों के अधिग्रहण में लगी होती है। NBFC को “शैडो बैंकिंग संस्थान” के रूप में भी जाना जाता है।
  • जमा स्वीकृति: कुछ NBFCs केवल समय-आधारित जमा स्वीकार करती हैं, मांग जमा (डिमांड डिपॉजिट) स्वीकार नहीं करती हैं।
  • वित्तीय गतिविधियाँ: NBFC की “मुख्य व्यवसाय” (Principal Business) वित्तीय गतिविधियाँ होती हैं।
  • मुख्य व्यवसाय का 50-50 नियम (50-50 Rule of Principal Business):किसी कंपनी को RBI द्वारा NBFC के रूप में पंजीकृत किया जाएगा, यदि वित्तीय गतिविधि कंपनी का मुख्य व्यवसाय है।वित्तीय गतिविधि तब कंपनी का मुख्य व्यवसाय मानी जाती है जब कंपनी की वित्तीय संपत्तियाँ कुल संपत्तियों का 50% से अधिक होती हैं और वित्तीय संपत्तियों से प्राप्त आय कुल आय का 50% से अधिक होती है।

Difference between Banks and NBFCs

विवरणबैंकगैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFCs)
धन का स्रोत?जमा (Deposits)बाजार आधारित उपकरण (Market-based instruments) (अधिकांश हिस्सा), समय जमा (Time Deposits)
जमा के प्रकार?मांग जमा (Demand Deposit) और स्थिर जमा (Fixed Deposit) दोनोंकेवल स्थिर जमा (Time Deposit)
जमा बीमित?हाँ, DICGC द्वारा बीमितनहीं
उधार देना?हाँहाँ
CRR?हाँनहीं
SLR?हाँहाँ, केवल जमा स्वीकार करने वाली NBFCs के लिए
प्राथमिकता क्षेत्र ऋण (PSL)?हाँनहीं
पूंजी पर्याप्तता अनुपात (CAR)?हाँहाँ
भुगतान और निपटान प्रणाली का हिस्सा?हाँ, चेक बुक जारी कर सकते हैंनहीं, चेक बुक जारी नहीं कर सकते
क्रेडिट कार्ड?हाँहाँ, RBI से पूर्व अनुमति की आवश्यकता। SBI Card, BOB Card
नियमन?कड़ी निगरानी (Strict Regulation)आंशिक रूप से नियमन (Partially Regulated) या बिना नियमन (Unregulated)
पारदर्शिता?अधिक पारदर्शी (More Transparent)कम पारदर्शी (Less Transparent)

RBI द्वारा विनियमित NBFCs

इन्वेस्टमेंट एंड क्रेडिट कंपनी (Investment and Credit Company – ICC):
  • वाहनों, ट्रैक्टरों आदि जैसी संपत्तियों का वित्तपोषण।
  • अन्य उद्देश्यों के लिए ऋण प्रदान करना।
  • प्रतिभूतियों में निवेश।
  • उदाहरण:
    • श्रीराम ट्रांसपोर्ट (Shriram Transport), बजाज फाइनेंस (Bajaj Finance), महिंद्रा फाइनेंस (Mahindra Finance – जमा लेने वाली), आदित्य बिड़ला कैपिटल (Aditya Birla Capital – गैर-जमा लेने वाली), ICICI सिक्योरिटीज लिमिटेड (ICICI Securities Ltd.
इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी (Infrastructure Finance Company – IFC):
  • कार्य: कम से कम 75% संपत्तियां इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में ऋण के रूप में होनी चाहिए।
  • उदाहरण:
    • असीम इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस (Aseem Infrastructure Finance)
    • भारतीय रेलवे वित्त निगम (Indian Railway Finance Corporation – IRFC)
    • पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन (Power Finance Corporation – PFC)
कोर इन्वेस्टमेंट कंपनी (Core Investment Company – CIC):
  • कार्य: कम से कम 90% संपत्तियाँ शेयरों, बॉन्ड्स, प्रतिभूतियों के रूप में होनी चाहिए।
  • उदाहरण: एल एंड टी फाइनेंस (L&T Finance), रिलायंस कैपिटल (Reliance Capital), टाटा कैपिटल (Tata Capital)
अवसंरचना ऋण निधि (Infrastructure Debt Fund – IDF):
  • कार्य: 5 साल की न्यूनतम अवधि के रुपये या डॉलर-मूल्यवर्ग के बॉन्ड्स जारी करके संसाधनों को जुटाना।
  • उदाहरण: कोटक अवसंरचना ऋण निधि लिमिटेड (Kotak Infrastructure Debt Fund Limited), इंडिया इंफ्रा डेब्ट लिमिटेड (India Infradebt Limited)
सूक्ष्म वित्त संस्थान (Microfinance Institutions – MFIs):
  • कार्य: बिना किसी जमानत के छोटे-मूल्य के ऋण प्रदान करना।
  • उदाहरण: मुथूट माइक्रोफाइनेंस (Muthoot Microfinance)
    • अन्नपूर्णा (Annapurna)
फैक्टरिंग कंपनियाँ (Factoring Companies):
  • कार्य: MSMEs की व्यापार चालान (Trade Invoices) का फैक्टोरिंग करना।
  • उदाहरण: सीमेंस फैक्टर लिमिटेड (Siemens Factor Ltd), एसबीआई ग्लोबल फैक्टर्स (SBI Global Factors)
​​पी2पी लेंडिंग प्लेटफार्म (P2P Lending):
  • कार्य: उधारकर्ताओं और ऋणदाताओं को एक साथ लाने के लिए एक मंच प्रदान करना।
  • उदाहरण: लेंडबॉक्स (Lendbox)
अकाउंट एग्रीगेटर्स (Account Aggregators):
  • कार्य: उधारकर्ताओं की वित्तीय जानकारी को एकत्रित करना ताकि बैंकों को बिना किसी परेशानी के ऋण देने में सहायता हो सके।
  • उदाहरण: फिनवु (Finvu), वनमनी (OneMoney)
हाउसिंग फाइनेंस कंपनियाँ (Housing Finance Companies – HFCs):
  • हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां आवास ऋण प्रदान करती हैं, जिनके घरों की खरीद, निर्माण, मरम्मत, और उन्नयन के लिए ऋण शामिल होते हैं। ये कंपनियां उन व्यक्तियों और परिवारों को वित्तीय सहायता प्रदान करती हैं जो अपने आवासीय उद्देश्यों को पूरा करना चाहते हैं।
  • उदाहरण:
    • LIC हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (LIC Housing Finance Limited)
    • बजाज हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (Bajaj Housing Finance Limited)

SEBI द्वारा विनियमित NBFCs

स्टॉक ब्रोकिंग कंपनी (Stock Broking Company):

  • कार्य: ये NBFCs ग्राहकों के लिए स्टॉक्स और शेयरों की खरीद और बिक्री करती हैं।
  • उदाहरण: एंजल वन (Angel One), ICICI डायरेक्ट (ICICI Direct)

म्यूचुअल फंड कंपनी (Mutual Fund Company):

  • कार्य: ये NBFC निवेशकों से धनराशि एकत्रित करके स्टॉक्स, बॉन्ड्स, और अन्य परिसंपत्तियों जैसी प्रतिभूतियों में निवेश करती हैं। इन कंपनियों का संचालन पेशेवर धन प्रबंधकों द्वारा किया जाता है।
  • उदाहरण: SBI म्यूचुअल फंड (SBI Mutual Fund), HDFC म्यूचुअल फंड (HDFC Mutual Fund)

वेंचर कैपिटल फंड (Venture Capital Fund):

  • कार्य: ये NBFC निवेशकों से धनराशि एकत्रित करके स्टॉक्स, बॉन्ड्स, और अन्य परिसंपत्तियों जैसी प्रतिभूतियों में निवेश करती हैं। इन कंपनियों का संचालन पेशेवर धन प्रबंधकों द्वारा किया जाता है।
  • उदाहरण: नेक्सस वेंचर पार्टनर्स (Nexus Venture Partners), एक्सेल (Accel)

मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स (MCA) द्वारा विनियमित NBFCs:

निधि कंपनी (Nidhi Company):

  • कार्य: ये कंपनियाँ अपने सदस्यों से जमा प्राप्त करती हैं और केवल आपसी लाभ के लिए अपने सदस्यों को ऋण प्रदान करती हैं।
  • उदाहरण: जागृति निधि लिमिटेड (Jagriti Nidhi Limited) – राजस्थान, यूनिफर्स्ट म्युचुअल बेनिफिट निधि लिमिटेड (Unifirst Mutual Benefit Nidhi Limited) – महाराष्ट्र

राज्य सरकारों द्वारा विनियमित NBFCs:

चिट फंड कंपनी (Chit Fund Company):

कार्य: 

  • यह एक प्रकार की घूर्णी बचत और ऋण संघ (Rotating Savings and Credit Association – ROSCA) है, जिसमें एक समूह के लोग एक सामान्य पूल में धन का योगदान करते हैं।
  • प्रत्येक महीने, एक सदस्य को एकत्रित धनराशि दी जाती है, जिसे नीलामी या लॉटरी द्वारा चुना जाता है। यह प्रक्रिया तब तक दोहराई जाती है जब तक कि हर सदस्य को उसकी हिस्सेदारी नहीं मिल जाती।
  • उदाहरण: गोकुलम चिट्स (Gokulam Chits), केरल सरकार से संबंधित चिट्टी (Government of Kerala Linked Chitty)

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