Day 13 | RAS Mains 2025 Answer Writing | 90 Days

In this session of RAS Mains 2025 Answer Writing, we explore the ethics of Bhagavad Gita in administration, its influence on governance, and leadership.

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GS Answer Writingनैतिक निर्णय-प्रक्रिया तथा उसमें योगदान देने वाले कारक; सामाजिक न्याय, मानवीय चिन्ता, शासन में जवाबदेही एवं नैतिक आचार संहिता।उपरोक्त विषयों पर आधारित केस अध्ययन।पल्लवन

आचार संहितानैतिक आचार संहिता
आचार संहिता नियमों का एक समूह है जो किसी व्यक्ति या संगठन के मानदंडों और जिम्मेदारियों को रेखांकित करता हैनैतिक आचार संहिता एक महत्वाकांक्षी दस्तावेज है जिसमें किसी संगठन के नैतिक मानक, मूल्य, सिद्धांत और आदर्श शामिल हैं
वस्तुनिष्ठयह व्यक्तिपरक है 
कानूनी समर्थनकोई कानूनी समर्थन नहीं [होटा समिति ने कानूनी समर्थन के लिए इसकी सिफारिश की ]
विशिष्ट, संकीर्ण और पालन करना अनिवार्य है व्यापक, गैर-विशिष्ट, और पालन करना अनिवार्य नहीं है
Ex – राजस्थान सिविल सेवा आचरण नियम 1971Ex – WHO नैतिक आचार संहिता और डॉक्टरों द्वारा ली जाने वाली हिप्पोक्रेटिक शपथ

मानवीय चिंता को एक घटना या घटनाओं की एक श्रृंखला के रूप में परिभाषित किया गया है जो बड़े पैमाने पर मानवता के लिए खतरा है।

humanitarian concernIndian administration 
प्राकृतिक आपदाएंभूकंपसुनामीबाढ़नेपाल भूकंप 2015 – भारतीय प्रशासनिक मशीनरी ने भोजन, दवा, पानी, प्राथमिक चिकित्सा आदि की आपूर्ति करके ऑपरेशन मैत्री में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
2018 में केरल में बाढ़ – आईएएस अधिकारी कन्नन गोपीनाथन ने घर गए बिना 8 दिनों तक लगातार काम किया और एक अन्य आईएएस अधिकारी एमजी राजमाणिक्यम ने अपने कंधे पर चावल की बोरियां उठाईं
सुनामी 2004 – भारत सरकार ने श्रीलंका, मालदीव, थाईलैंड और इंडोनेशिया सहित सुनामी से प्रभावित अन्य देशों को राहत सहायता प्रदान की।
सीरिया भूकंप 2023 – ऑपरेशन दोस्त
महामारी COVID-19 -भीलवाड़ा मॉडल (आईएएस राजेंद्र भट्ट और टीना डाबी)सख्त लॉकडाउन में पुलिस प्रशासन ने की मददऑपरेशन वैक्सीन मैत्री (100 से अधिक देशों को कोविड वैक्सीन)
सीमा पार संकटयूक्रेन (ऑपरेशन गंगा), सीरिया, अफगानिस्तान और सूडान (ऑपरेशन कावेरी) से भारतीयों की निकासी
जलवायु परिवर्तनसौर ऊर्जा नीति, जैव ईंधन नीति, नवीकरणीय ऊर्जा पर काम, पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना जैसी योजनाएं, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन जैसे अंतर्राष्ट्रीय मंच आदि सक्षम भारतीय प्रशासन द्वारा परिकल्पित, कार्यान्वित और समन्वित किए गए हैं। जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक में भारत शीर्ष 10 में
आतंकवादभारत संयुक्त राष्ट्र में सबसे बड़ी शांतिरक्षक  सेना वाला देश है।
गरीबीराष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, मनरेगा, पीएम किसान जैसी विभिन्न योजनाएं
  राजनैतिक शरणार्थी संकटCAA का कार्यान्वयन – सताए गए अल्पसंख्यकों को बचानाभारत ने 1950 के दशक से तिब्बती शरणार्थियों की मेजबानी की है, उन्हें आश्रय, शिक्षा और आजीविका के अवसर प्रदान किए हैंभारत ने म्यांमार में हिंसा से भाग रहे रोहिंग्या शरणार्थियों को शरण दी

परिचय –

  1. यह केस अध्ययन विकास (रासायनिक उत्पादन) बनाम संरक्षण (प्रदूषित नदियों को बचाना), व्यावसायिक जीवन (नौकरी में ईमानदारी) बनाम व्यक्तिगत जीवन (बीमार माता-पिता और भाई-बहनों की देखभाल), आर्थिक नैतिकता (नौकरी बचाना) और सामाजिक नैतिकता (डाउनस्ट्रीम में ग्रामीणों को बचाना) की नैतिक दुविधाओं का प्रतिनिधित्व करता है। 
  2. हाल ही में, एनजीटी ने खतरनाक रसायनों के डंपिंग के कारण देश भर में नदी खंडों की बिगड़ती स्थिति पर एक आदेश पारित किया।
  3. नदी और ग्रामीणों के स्वास्थ्य की अनदेखी, क्रमशः अनुच्छेद 48ए (पर्यावरण संरक्षण) और अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार) में निर्धारित संवैधानिक नैतिकता का उल्लंघन है।

हितधारक – इंजीनियरिंग स्नातक, ग्रामीण लोग, नदी, सहकर्मी, वरिष्ठ, परिवार के सदस्य, स्वयं

  1. मेरे तर्क –
  • अंतरात्मा की आवाज़ के ख़िलाफ़ [साफ़ अंतरात्मा सबसे नरम तकिया है]
  • संवैधानिक नैतिकता के विरुद्ध [अनुच्छेद 21 का उल्लंघन – ग्रामीणों के जीवन का अधिकार और ए 48ए – पर्यावरण संरक्षण के लिए राज्य का कर्तव्य]
  • जवाबदेही (अपने कर्तव्य के प्रति), सहानुभूति (ग्रामीणों के प्रति), मानवता (जहरीले रसायनों के कारण जीवन की हानि), न्याय और अन्य मानवीय मूल्यों जैसे मूल्यों का उल्लंघन
  • पर्यावरणीय नैतिकता और जैव रासायनिक नैतिकता के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है (खतरनाक कचरे का सुरक्षित निपटान)
  • इससे एक बुरी मिसाल कायम होगी और इसलिए एक ख़राब कार्य संस्कृति भी बनेगी
  • ‘सर्वे भवन्तु सुखिन, सर्वे सन्तु निरामया’ के दर्शन के विरुद्ध

   B) कार्रवाई की सलाह क्या और क्यों –

  • डंपिंग के पर्याप्त ठोस सबूत इकट्ठा करें (जैसे तस्वीरें, पानी के नमूने, उपग्रह चित्र इत्यादि) – इससे उसे अदालत में भी बात साबित करने में मदद मिलेगी
  • स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में डेटा इकट्ठा करने के लिए गाँव के डॉक्टर या पीएचसी (प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र) से संपर्क करना
  • सहकर्मियों को विश्वास में लेना और उन्हें सच्चाई के लिए खड़े होने के लिए मनाना
  • जो गलत हो रहा है उसके प्रति ग्रामीणों में जागरूकता [तीसरे पक्ष के माध्यम से]

Paper 4 (Comprehension part) – पल्लवन

 मनुष्य का जीवन कर्म-प्रधान है। किसी महापुरुष ने सत्य ही कहा है कि, “जीतने वाले कभी हार नहीं मानते और हार मानने वाले कभी जीत नहीं सकते।” असफलताएँ सफलता का आधार स्तंभ हैं। गिरकर उठना जीवन का मूल मंत्र है। हर असफलता हमें कुछ महत्वपूर्ण सबक सिखा के जाती है और सफल होने की ओर अग्रसर करती है। हमें धैर्य के साथ, ध्येय की ओर कटिबद्ध होकर अभ्यास करते रहना चाहिए। कहा गया है-

करत-करत अभ्यास से जड़‌मति होत सुजान; रसरी आवत जात है, सिल पर पड़त निशान। 

 अर्थात्, प्रयास से हर कार्य किया जा सकता है, किन्तु असफल होने पर निराश होने की बजाय इरादों को और मजबूत किया जाना चहिए। थॉमस एडीसन भी कईं असफलताओं के बाद सफल हुए। अमिताभ बच्चन की पहली सफल फिल्म कईं रुकावटों के बाद आई। कर्तव्य पथ की राह सदा सुगम नहीं होती लेकिन हर विफलता रूपी चुनौती का सामना कर मंज़िल तक पहुंचा जा सकता है।

“मैं हारा हूं, पर मैंने हार नहीं मानी” 

हार जीत में तभी बदल सकती है जब हम अपने लक्ष्य की ओर और अधिक ऊर्जा के साथ बढ़ें। जो व्यक्ति अंधेरे पथ में भी स्वंय दीपक बनकर अपनी राह तलाश लेता है, वास्तव में वही इंसान सफल और कर्मठ है। 

असफलता को अपनी जीत का आधार बना लें। 
याद रखिए- ना हार में ना जीत में, किंचित नहीं भयभीत में;
कर्तव्य पथ पर जो भी मिला, यह भी सही, वह भी सही।

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