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GS Answer Writing – राज्य मानवाधिकार आयोग, राज्य निर्वाचन आयोग, लोकायुक्त, राजस्थान लोक सेवा आयोग, राजस्थान लोक सेवा गारण्टी अधिनियम, 2011 एवं राजस्थान सुनवाई का अधिकार अधिनियम, 2012, संक्षिप्तीकरण
SHRC : मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 की धारा 21 के अंतर्गत; मार्च 2000 से क्रियाशील
अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा एक समिति की सिफारिशों पर की जाती है, जिसमे मुख्यमंत्री (प्रमुख), विधानसभा अध्यक्ष, राज्य के गृह मंत्री और विधानसभा में विपक्ष के नेता होते हैं। विधान परिषद वाले राज्य के मामले में, परिषद के अध्यक्ष और परिषद में विपक्ष के नेता भी समिति के सदस्य होंगे।
इसके अलावा, किसी उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश या वर्तमान जिला न्यायाधीश को संबंधित राज्य के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श के बाद ही नियुक्त किया जा सकता है।
- राजस्थान सरकार ने शिकायतों की समयबद्ध सुनवाई और निपटान प्रदान करने के उद्देश्य से 1 अगस्त 2012 को सुनवाई का अधिकार अधिनियम लागू किया।
- जन सुनवाई अधिकारी (पीएचओ): पीएचओ को 15 दिनों के भीतर शिकायतों का निपटान करने का काम सौंपा गया है। यदि कोई शिकायत खारिज कर दी जाती है, तो लिखित रूप में कारण प्रदान किया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त, शिकायतों पर निर्णय 7 दिनों के भीतर सूचित किया जाना चाहिए।
- प्रथम अपीलीय प्राधिकारी: जिन व्यक्तियों की बात नहीं सुनी गई है या वे पीएचओ के निर्णय से असंतुष्ट हैं, वे 30 दिनों के भीतर प्रथम अपीलीय प्राधिकारी के पास अपील कर सकते हैं। 30 दिनों के बाद दायर की गई अपीलों पर वैध कारणों के साथ विचार किया जा सकता है। प्रथम अपीलीय प्राधिकारी से 21 दिनों के भीतर अपीलों पर निर्णय लेने की अपेक्षा की जाती है।
- द्वितीय अपीलीय प्राधिकारी: प्रथम अपीलीय प्राधिकारी के निर्णय के तीस दिन के भीतर द्वितीय अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष दूसरी अपील की जा सकती है। बाद में दायर की गई अपीलों पर पर्याप्त कारण के साथ विचार किया जा सकता है।
- दूसरे अपीलीय प्राधिकारी के पास पीएचओ या प्रथम अपीलीय प्राधिकारी को सुनवाई का आदेश देने या निर्दिष्ट समय सीमा के भीतर अपील का निपटान करने या अपील को अस्वीकार करने का अधिकार है।
- द्वितीय अपीलीय प्राधिकारी पीएचओ पर पांच सौ रुपये से लेकर पांच हजार रुपये तक का जुर्माना लगा सकता है।
राजस्थान लोक सेवा गारंटी अधिनियम, 2011 27 विभागों में 300 से अधिक सेवाओं की गारंटी देता है। सुनवाई का अधिकार अधिनियम, 2012 समयबद्ध सुनवाई और शिकायत समाधान सुनिश्चित करता है। हालाँकि, कार्यान्वयन के एक दशक से अधिक समय के बाद भी, सार्वजनिक सेवा वितरण में सुधार करने में उनका प्रदर्शन इष्टतम नहीं रहा है।
प्रभावी कार्यान्वयन के उपाय:
- अपीलीय अधिकारी: विभागीय अधिकारियों के स्थान पर उपखण्ड अधिकारी, सहायक निदेशक, जिला कलेक्टर एवं संभागीय आयुक्त को द्वितीय अपील अधिकारी के रूप में नियुक्त करें।
- निरीक्षण प्रणाली का विस्तार करें
- अपीलीय अधिकारियों, उप निदेशकों और उच्च विभागीय मुख्यालय अधिकारियों के कार्यालयों के निरीक्षण के लिए मानदंड स्थापित करना।
- जिला स्तरीय अधिकारियों, एडीएम, सीईओ जिला परिषद, एसडीएम आदि द्वारा निरीक्षण के लिए मानदंड परिभाषित करना।
- विभाग के अधिकारियों का मूल्यांकन करके आवधिक शिकायत निवारण तंत्र लागू करना
- नियमित समीक्षा एवं निगरानी प्रणाली:
- डीएम एवं एसडीएम द्वारा ऑनलाइन एवं ऑफलाइन दर्ज मामलों की साप्ताहिक समीक्षा।
- विभागीय जिला अधिकारियों द्वारा साप्ताहिक समीक्षा
- विभागाध्यक्ष स्तर पर एवं प्रशासनिक विभाग के सचिव स्तर पर मासिक समीक्षा।
- सिटीजन चार्टर एवं जॉब चार्ट : आरजीडीपीएस एक्ट के तहत सिटीजन चार्टर एवं जॉब चार्ट की अधिसूचना का प्रावधान पोर्टल पर सम्मिलित एवं प्रदर्शित किया जाये।
- पोर्टल एकीकरण: संपर्क पोर्टल को प्रस्तावित आरजीडीपीएस पोर्टल के साथ एकीकृत करें।
- सामाजिक लेखापरीक्षा: वित्त विभाग के अंतर्गत गठित SSAAT के माध्यम से लेखापरीक्षा आयोजित करना।
- राज्य स्तर पर लोक सेवा प्रदाय गारंटी आयोग का गठन
- सहायता केंद्र: शिकायत निवारण के लिए ग्राम/वार्ड स्तर पर स्थापना।
- स्वचालित अग्रेषण: गैर-वितरित सेवा आवेदन स्वचालित रूप से उच्च अधिकारियों को अग्रेषित किए जाएंगे।
- जुर्माने की राशि बढ़ाएँ। 2000 से रु. वर्तमान से 20000 रु. 500 से रु. 5000.
- राजस्थान पारदर्शिता और सामाजिक जवाबदेही विधेयक (आरटीएसएबी) को शीघ्र अपनाया जाए ।
- 2019 में, सामाजिक जवाबदेही विधेयक का मसौदा तैयार करने पर सलाह देने के लिए पूर्व राज्य चुनाव आयोग राम लुभाया की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था।
- प्रचार-प्रसार: जागरूकता के लिए समाचार पत्रों, टीवी, रेडियो, होर्डिंग्स आदि का उपयोग करें।
- प्रशिक्षण: नामित अधिकारियों और अपील अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण प्रदान करें।
इन उपायों से सार्वजनिक सेवा वितरण और शिकायत निवारण में पारदर्शिता, जवाबदेही और दक्षता बढ़ेगी, जिससे RGDPS अधिनियम, 2011 और राजस्थान RTH अधिनियम, 2012 के उद्देश्य पूरे होंगे।
Paper 4 (Comprehension part) – संक्षिप्तीकरण
शीर्षक-निराशा और शारीरिक योग्यता
निराशा मनुष्य की शारीरिक योग्यता को नष्ट करती है। यह शारीरिक थकावट से अधिक भीषण होती है। ताज़गी एवं इन्द्रियों में स्फूर्ति आने से निराशा समाप्त हो जाती है। प्रत्येक बुद्धिमान व्यक्ति हर अवस्था में शारीरिक योग्यता प्राप्त कर सदा अधिक काम करते हुए आगे बढ़ना चाहता है।