Day 29 | RAS Mains 2025 Answer Writing | 90 Days

90 days answer writing

This is Day 29 | 90 Days RAS Mains 2025 Answer Writing, We will cover the whole RAS Mains 2025 with this 90-day answer writing program

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GS Answer Writingराजस्थान के संत, लोक देवता एवं महत्वपूर्ण विभूतियाँ । अनुवाद

 ● मेवाड़ (राजस्थान) में सक्रिय क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी।

 ● श्याम जी कृष्णवर्मा, रासबिहारी बोस और अन्य क्रांतिकारियों से संपर्क ।

 ● 1903 में जब महाराणा फतेहसिंह लॉर्ड कर्जन के “दिल्ली दरबार” के लिए निकले तो उन्हों ने डिंगल में 13 व्यंग्यात्मक सोरठे – “चेतवानी रा चुंगट्या “ भेजा। 

 ● प्यारे लाल नामक संत की हत्या और देशद्रोह का आरोप लगा कर हजारी बाग जेल भेज दिया गया ।

 ● अश्वघोष द्वारा लिखित “ बुद्ध चरित” का हिंदी अनुवाद और कवि राजा श्यामलदास की जीवनी लिखी ।

Kesari Singh Barahat

दादूदयाल, जिनका जन्म 1544 ई. में अहमदाबाद, गुजरात में हुआ था और जिन्हें ‘राजस्थान के कबीर‘ के नाम से जाना जाता है, ने आध्यात्मिक गतिविधियों से भरपूर जीवन जीया।

  • दादू ने कर्मकांड, जाति-प्रथा, मूर्ति पूजा, रूढ़िवाद आदि का कड़ा विरोध किया।
  • उन्होंने एकेश्वरवाद पर जोर दिया।
  • उन्होंने धार्मिक सद्भाव को बढ़ावा दिया अर्थात ईश्वर वह है जो हिंदू-मुसलमान के बीच भेदभाव नहीं करता।
  • दादू ने ब्रह्म, जीव, जगत और मोक्ष पर अपनी शिक्षा सरल भाषा (सधुक्कड़ी) में दी।
  • उन्होंने निर्गुण भक्ति (भगवान का कोई अमूर्त रूप नहीं है) का प्रचार किया।
dadu dayal ji Nairana

जिन व्यक्तियों ने मातृभूमि के लिए बलिदान दिया या नैतिक जीवन व्यतीत किया वे लोक देवता बन गये और धीरे-धीरे पूजा पद्धतियों का उदय हुआ। धीरे-धीरे, वे लोगों की पहचान और परंपराओं का अभिन्न अंग बन गये।

प्रसिद्ध लोक देवता → पंच पीर (पाबूजी, हरबूजी, रामदेवजी, गोगा जी और मेहा जी), मल्लीनाथ जी आदि

प्रसिद्ध लोक देवियाँ → करणी माता, जीण माता, शीतला माता आदि

सामाजिक एवं सांस्कृतिक महत्व:

  1. समाज सुधारक: छुआछूत और जातिगत भेदभाव का विरोध किया, इसके बजाय सामाजिक सद्भाव और समानता को बढ़ावा दिया – रामदेव जी, करणी माता
  2. महिला सशक्तिकरण: दलित वर्ग की डाली बाई रामदेव जी की मुंहबोली बहन थी।
  3. सांप्रदायिक सद्भाव: उनकी पूजा विभिन्न समुदायों के लोगों को एक साथ लाती है, एकता और आपसी सम्मान को बढ़ावा देती है।
     ● रामदेव को “पीरों का पीर” और सांप्रदायिक सद्भाव का देवता कहा जाता है।
  1. ग्रामीण समुदायों के लिए पूजा का सरलीकरण:
     ● उन्होंने लोगों को यह अहसास कराया कि मंदिर, मूर्ति और उनसे जुड़े कर्मकांड निरर्थक हैं। यानी रामदेव जी ने मूर्ति पूजा का विरोध किया
    लोक देवताओं में विश्वास उन्हें औपचारिक धार्मिक अध्ययन के बिना एकता, समानता और नैतिक मूल्यों के सांस्कृतिक मंत्रों को समझने में मदद कर रहा है।
  1. वीरता: स्वतंत्रता संग्राम के दौरान वीर फत्ता जी, डूंग जी-जवाहर जी
  2. पशु रक्षा: पाबूजी और तेजाजी ने गायों की रक्षा करते हुए अपने प्राणों का बलिदान दिया,
  3. स्थानीय साहित्य और स्थानीय भाषा को बढ़ावा: रामदेव जी ने “चोबीस वानिया” लिखी; देवनारायण जी की “फड़”।
  4. आध्यात्मिक उपचार: गोगा को सर्प रक्षक देवता के रूप में पूजा जाता है। किसान खेत जोतने से पहले अपने हाथ में “गोगा रखड़ी” बांधते हैं
  5. मान्यताएँ : मामा देव – वर्षा के देवता, शीतला माता – चेचक की देवी,
  6. लोक संगीत और नृत्य : तेरह ताली (रामदेव जी), अग्नि नृत्य, रामदेव जी का जम्मा, फड़ आदि को बढ़ावा देना।
  7. मेले और त्यौहार : इन त्यौहारों में पारंपरिक संगीत और नृत्य सहित विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियाँ शामिल होती हैं, जो राजस्थान की सांस्कृतिक जीवंतता को बढ़ावा देती हैं।

पाबूजी का मेला – कोलमुंड गांव, गोगा जी का मेला – ददरेवा और गोगामेढ़ी, तेजाजी का पशु मेला – परबतसर (नागोर), मल्लीनाथ पशु मेला – तिलवाड़ा, शीतला माता गधा मेला – चाकसू

उनकी पूजा न केवल सांस्कृतिक मूल्यों को बढ़ावा देती है बल्कि एकता और समानता को भी प्रोत्साहित करती है, जो विभिन्न त्योहारों और परंपराओं के माध्यम से राजस्थान की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा को दर्शाती है।

Paper 4 (Comprehension part) –  अनुवाद

वनस्पति और पशु वर्ग समाप्त होने के कगार पर हैं। बढ़ती हुई जनसंख्या की जरूरतों को संतुष्ट करने के लिये वृक्ष कटाव बहुत अधिक बढ़ गया है । बर्बाद हुए जंगलों ने पूरी खाद्य श्रृंखला को बाधित कर दिया है जिससे जानवर भी प्रभावित हुए हैं। विभिन्न उद्देश्यों के लिए जानवरों का शिकार करने से भी उनकी संख्या कम हो गई है।

जानवरों को उनके प्राकृतिक आवास स्थान से दूर रखने से भी उनके जीवन दर कम हो रही है। वृक्षारोपण, मानव जनसंख्या पर रोक, प्राकृतिक संसाधनों का बुद्धिमत्तापूर्ण और कम-से-कम प्रयोग आदि कुछ ऐसे उपाय हैं जिनका सख्ती से पालन आने वाली पीढ़ियों को एक सुसम्पन्न भविष्य देने के लिए करना ही होगा ।

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