गैर-संचारी रोग (NCDs)

गैर-संचारी रोग (NCDs) ऐसे रोग हैं जो एक व्यक्ति से दूसरे में नहीं फैलते, बल्कि अस्वस्थ जीवनशैली और अन्य कारणों से उत्पन्न होते हैं। जीवविज्ञान विषय में हृदय रोग (Cardiovascular), कैंसर (Cancer), मधुमेह (Diabetes), दीर्घकालिक श्वसन एवं गुर्दे रोग (Chronic Respiratory & Kidney), अस्थिक्षय (Osteoporosis) और मोटापा (Obesity) जैसे रोगों का अध्ययन किया जाता है ताकि इनके कारण, प्रभाव और रोकथाम को समझा जा सके।

 हृदय रोग (CVDs)

  • जोखिम कारक – खराब आहार और शारीरिक निष्क्रियता के अलावा, हृदय रोग का पारिवारिक इतिहास, उच्च कोलेस्ट्रॉल और पुराना तनाव जैसे कारक हृदय रोगों के विकास की संभावना को बढ़ाते हैं।
  • प्रकार
    • एथेरोस्क्लेरोसिस: प्लाक जमाव के कारण धमनियों का सख्त और संकरा होना
    • हृदयाघात (मायोकार्डियल इन्फार्क्शन): हृदय की मांसपेशी के एक हिस्से में रक्त प्रवाह अवरुद्ध होने पर होता है
    • स्ट्रोक: मस्तिष्क में रक्त वाहिकाओं का अवरुद्ध होना या फटना, जिससे क्षति होती है
    • परिधीय धमनी रोग (PAD): अंगों में रक्त प्रवाह कम होना, जिससे दर्द या अल्सर होते हैं
  • प्रबंधन – एस्पिरिन, बीटा-ब्लॉकर्स जैसी दवाओं के अलावा, तनाव कम करने और अत्यधिक नमक के सेवन से बचने जैसे जीवनशैली परिवर्तन महत्वपूर्ण हैं।

कैंसर

  • जोखिम कारक: आनुवंशिक उत्परिवर्तन, पर्यावरणीय प्रदूषक, पराबैंगनी (UV) विकिरण का संपर्क, तथा हार्मोनल असंतुलन कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। निष्क्रिय जीवनशैली और मोटापा जैसी जीवनशैली संबंधी पसंद भी प्रमुख योगदानकर्ता हैं।
  • कैंसर जांच: स्तन कैंसर के लिए मैमोग्राम, कोलोरेक्टल कैंसर के लिए कोलोनोस्कोपी, और सर्वाइकल कैंसर के लिए पैप स्मीयर जैसे परीक्षणों द्वारा प्रारंभिक पहचान मृत्यु दर में उल्लेखनीय कमी ला सकती है।
  • कैंसर की रोकथाम:
    • धूम्रपान से परहेज करना सबसे प्रभावी निवारक उपायों में से एक है।
    • नियमित व्यायाम और स्वस्थ वजन बनाए रखना कुछ प्रकार के कैंसर (जैसे कोलोन और स्तन कैंसर) के जोखिम को कम कर सकता है।
    • टीकाकरण: एचपीवी वैक्सीन (सर्वाइकल कैंसर के लिए) और हेपेटाइटिस बी वैक्सीन (लिवर कैंसर के लिए) विशिष्ट कैंसरों की रोकथाम में सहायक हैं।
    • प्रबंधन: नवीन उपचार विधियों में इम्यूनोथेरेपी शामिल है, जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली का उपयोग कर कैंसर से लड़ती है, और लक्षित चिकित्सा, जो कैंसर कोशिका वृद्धि में शामिल विशिष्ट अणुओं को लक्ष्य बनाती है।

मधुमेह (Diabetes):

  • टाइप 1 मधुमेह: एक स्वप्रतिरक्षित विकार है जिसमें प्रतिरक्षा प्रणाली अग्न्याशय की इंसुलिन उत्पादक कोशिकाओं पर हमला करती है। यह आमतौर पर बचपन या किशोरावस्था में निदान होता है।
  • टाइप 2 मधुमेह: अधिक सामान्य है और मुख्य रूप से इंसुलिन प्रतिरोध के कारण होता है, जहां शरीर इंसुलिन का प्रभावी ढंग से उपयोग नहीं कर पाता।
  • गर्भकालीन मधुमेह: गर्भावस्था के दौरान होता है और माँ तथा बच्चे दोनों में आगे चलकर टाइप 2 मधुमेह के विकास का खतरा बढ़ाता है।
  • जटिलताएँ: खराब प्रबंधित मधुमेह से गुर्दे की क्षति, आँखों की समस्याएँ (रेटिनोपैथी), तंत्रिका क्षति (न्यूरोपैथी) और हृदय रोग हो सकते हैं।
  • प्रबंधन:
    • रक्त शर्करा स्तर की नियमित निगरानी
    • इंसुलिन थेरेपी (टाइप 1 के लिए)
    • जीवनशैली में परिवर्तन (टाइप 2 के लिए)
    • मेटफॉर्मिन या सल्फोनीलयूरिया जैसी दवाएँ।

चिरकालिक श्वसन रोग (Chronic Respiratory Diseases – CRDs):

  • दमा (Asthma): वायुमार्ग में सूजन और संकुचन की विशेषता है, जो अक्सर एलर्जी, व्यायाम या ठंडी हवा से शुरू होता है।
  • क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD): क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस और एम्फिसीमा जैसी स्थितियाँ शामिल हैं, जो आमतौर पर तंबाकू के धुएँ या वायु प्रदूषण के लंबे समय तक संपर्क में रहने के कारण होती हैं।
  • व्यावसायिक फेफड़ों के रोग: सिलिकोसिस या एस्बेस्टोसिस जैसे रोग, जो कार्यस्थल पर धूल या रसायनों की साँस लेने के कारण होते हैं।
  • प्रबंधन:
    • दवाएँ: ब्रोन्कोडायलेटर्स या कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स युक्त इनहेलर्स जो वायुमार्ग को खोलने और सूजन कम करने में मदद करते हैं।
    • जीवनशैली समायोजन: ट्रिगर्स से बचना, वायु शोधक का उपयोग करना और फेफड़ों की कार्यक्षमता में सुधार के लिए व्यायाम करना।
    • फुफ्फुसीय पुनर्वास: व्यायाम, शिक्षा और समर्थन को शामिल करने वाला एक कार्यक्रम जो दीर्घकालिक (क्रोनिक)  फेफड़ों की स्थिति वाले व्यक्तियों के स्वास्थ्य में सुधार करता है।

चिरकालिक वृक्क/गुर्दा रोग (CKD)

  • जोखिम कारक: उच्च रक्तचाप और मधुमेह किडनी क्षति के प्रमुख कारण हैं।
  • रोग अवस्थाएँ: 5 चरणों में बढ़ता है – हल्की क्षति से लेकर पूर्ण किडनी फेल्योर (स्टेज 5) जिसमें डायलिसिस या प्रत्यारोपण जरूरी होता है।
  • लक्षण: शुरुआत में अक्सर कोई लक्षण नहीं। बाद में थकान, सूजन और पेशाब में बदलाव दिखते हैं।
  • प्रबंधन:
    • मूल कारणों (मधुमेह/उच्च रक्तचाप) का नियंत्रण
    • आहार परिवर्तन (कम नमक-प्रोटीन)
    • लक्षण नियंत्रण की दवाएँ
    • अंतिम चरण में डायलिसिस/प्रत्यारोपण

मानसिक स्वास्थ्य विकार

  • अवसाद (डिप्रेशन): मनोदशा, व्यवहार और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, जिससे निराशा की भावना, रुचि की कमी और दैनिक कार्यप्रणाली में महत्वपूर्ण बाधा उत्पन्न होती है।
  • चिंता विकार: सामान्यीकृत चिंता विकार, आतंक विकार और सामाजिक चिंता विकार शामिल हैं। इनमें अत्यधिक चिंता, भय और तेज धड़कन, पसीना आना जैसे शारीरिक लक्षण दिखाई देते हैं।
  • द्विध्रुवी विकार: मनोदशा में अत्यधिक उतार-चढ़ाव की विशेषता होती है, जिसमें उन्मत्त एपिसोड (उत्साहित मनोदशा) और अवसादग्रस्त एपिसोड शामिल होते हैं।
  • प्रबंधन:
    • थेरेपी: संज्ञानात्मक-व्यवहार थेरेपी (सीबीटी), परामर्श या मनोचिकित्सा
    • दवाएं: अवसादरोधी, चिंतारोधी दवाएं या मूड स्टेबलाइजर्स
    • जीवनशैली: तनाव प्रबंधन, नियमित व्यायाम और संतुलित जीवनशैली

ऑस्टियोपोरोसिस

  • जोखिम कारक: महिलाओं को विशेषकर रजोनिवृत्ति के बाद अधिक खतरा होता है। आयु, पारिवारिक इतिहास, धूम्रपान और कैल्शियम की कमी इसके जोखिम को बढ़ाते हैं।
  • लक्षण: मामूली चोट पर हड्डी टूटना, पीठ दर्द और कुबड़ापन।
  • प्रबंधन:
    • दवाएं: बिसफॉस्फोनेट्स, एस्ट्रोजन रिसेप्टर मॉड्यूलेटर्स (SERMs) और हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी
    • व्यायाम: वजन उठाने वाले व्यायाम जैसे चलना, दौड़ना और प्रतिरोधक प्रशिक्षण
    • आहार: कैल्शियम और विटामिन डी का बढ़ा हुआ सेवन

मोटापा

  • जोखिम कारक: आनुवंशिक कारक, अस्वास्थ्यकर आहार, शारीरिक गतिविधि की कमी, भावनात्मक कारक, कुछ विशिष्ट दवाएं
  • जटिलताएँ: मधुमेह, हृदय रोग, कुछ प्रकार के कैंसर, स्लीप एप्निया
  • प्रबंधन:
    • आहार संबंधी हस्तक्षेप: कैलोरी सेवन में कमी, संतुलित आहार ग्रहण करना, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों से परहेज।
    • व्यायाम: वजन घटाने के लिए एरोबिक व्यायाम और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग जैसी नियमित शारीरिक गतिविधियाँ।
    • व्यवहारिक चिकित्सा: भावनात्मक भोजन को संबोधित करने और दीर्घकालिक जीवनशैली परिवर्तन हेतु मनोवैज्ञानिक परामर्श
    • शल्य चिकित्सा हस्तक्षेप: गंभीर मामलों में गैस्ट्रिक बाईपास जैसी बैरिएट्रिक सर्जरी की सिफारिश।

गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) के लिए निवारक उपाय

  1. प्राथमिक निवारण:
    • फलों, सब्जियों और साबुत अनाज से युक्त संतुलित आहार।
    • नियमित शारीरिक गतिविधि (साप्ताहिक कम से कम 150 मिनट मध्यम या 75 मिनट तीव्र गतिविधि)।
    • धूम्रपान से परहेज और शराब का सेवन सीमित करना।
    • रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल स्तर और ग्लूकोज स्तर जैसे स्वास्थ्य मापदंडों की नियमित जाँच।
  2. द्वितीयक निवारण:
    • कैंसर (जैसे मैमोग्राम), मधुमेह (जैसे रक्त ग्लूकोज परीक्षण) और उच्च रक्तचाप (जैसे नियमित बीपी माप) की शीघ्र पहचान हेतु जाँच।
  3. तृतीयक निवारण:
    • दवाओं और जीवनशैली संशोधन द्वारा गैर-संचारी रोगों का प्रबंधन, जटिलताओं की रोकथाम और जीवन-गुणवत्ता में सुधार।
    • हृदय रोग, स्ट्रोक और कैंसर जैसी दीर्घकालिक (क्रोनिक) बीमारियों से पीड़ित रोगियों के लिए पुनर्वास एवं सहायता।

राष्ट्रीय गैर-संचारी रोग निवारण एवं नियंत्रण कार्यक्रम (एनपी-एनसीडी)

  • प्रारंभ वर्ष: 2010
  • केंद्रित क्षेत्र: हृदय रोग, कैंसर एवं मधुमेह जैसे गैर-संचारी रोगों का प्रबंधन (भारत में 63% मृत्यु का कारण)।
  • लक्ष्य: निम्न के माध्यम से एनसीडी की रोकथाम एवं नियंत्रण:
    • अवसंरचना सुदृढ़ीकरण
    • स्वास्थ्य संवर्धन
    • प्रारंभिक निदान एवं प्रबंधन
    • मानव संसाधन विकास
  • कार्यान्वयन: राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत राष्ट्रीय, राज्य एवं जिला स्तर पर क्रियान्वयन।
  • वित्तीय सहायता:
    • सामान्य राज्य: 60:40 (केंद्र:राज्य)
    • पूर्वोत्तर एवं पर्वतीय राज्य: 90:10
मुख्य घटक
  • एनसीडी जांच: 30 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों में मधुमेह, उच्च रक्तचाप, मुख, स्तन एवं सर्वाइकल कैंसर की स्क्रीनिंग।
  • एनसीडी क्लीनिक: जिला/सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) स्तर पर एनसीडी क्लीनिक तथा कार्डियक केयर यूनिट्स (सीसीयू) की स्थापना।
  • कैंसर देखभाल: डे केयर सेंटर्स की स्थापना एवं तृतीयक कैंसर देखभाल सुविधाओं का सुदृढ़ीकरण।
  • प्रशिक्षण: आशा कार्यकर्ता, एएनएम तथा चिकित्सा अधिकारियों को प्रारंभिक पहचान एवं निवारण हेतु प्रशिक्षित करना।
  • डिजिटल उपकरण: डेटा ट्रैकिंग एवं स्क्रीनिंग्स हेतु राष्ट्रीय एनसीडी पोर्टल तथा मोबाइल एप्लिकेशन्स का उपयोग।

गैर-संचारी रोग (एनसीडी):

रोग प्रकारजोखिम कारकलक्षणरोकथामउपचार/प्रबंधन
हृदय रोगअस्वास्थ्यकर आहार, धूम्रपान, निष्क्रियतासीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ, चक्करसंतुलित आहार, व्यायाम, धूम्रपान न करेंदवाएं, शल्य चिकित्सा, जीवनशैली परिवर्तन
कैंसरधूम्रपान, खराब पोषण, आनुवंशिकतावजन घटना, दर्द, गांठ, खांसीधूम्रपान छोड़ें, नियमित जांच, व्यायामशल्य चिकित्सा, कीमोथेरेपी, इम्यूनोथेरेपी
मधुमेहमोटापा, अस्वास्थ्यकर आहार, आनुवंशिकताप्यास लगना, बार-बार पेशाब आना, थकानआहार नियंत्रण, व्यायाम, रक्त शर्करा मॉनिटरिंगइंसुलिन, दवाएं, जीवनशैली समायोजन
क्रोनिक श्वसन रोगधूम्रपान, वायु प्रदूषण, आनुवंशिकताखांसी, सांस लेने में कठिनाई, घरघराहटधूम्रपान छोड़ें, वायु गुणवत्ता सुधारदवाएं, ऑक्सीजन थेरेपी, पुनर्वास
क्रोनिक किडनी रोगमधुमेह, उच्च रक्तचाप, धूम्रपानसूजन, थकान, मतलीरक्तचाप नियंत्रण, संतुलित आहारडायलिसिस, दवाएं, जीवनशैली परिवर्तन
मानसिक स्वास्थ्य विकारआनुवंशिकता, आघात, तनाव, मादक द्रव्यों का सेवनमूड स्विंग, उदासी, थकानतनाव प्रबंधन, पेशेवर सहायता लेनामनोचिकित्सा, दवाएं, जीवनशैली परिवर्तन
ऑस्टियोपोरोसिसउम्र बढ़ना, धूम्रपान, कैल्शियम की कमीहड्डी में दर्द, फ्रैक्चरव्यायाम, कैल्शियम और विटामिन डी युक्त आहारदवाएं, सप्लीमेंट्स, फिजिकल थेरेपी
मोटापाखराब आहार, निष्क्रियता, आनुवंशिकताथकान, सांस फूलना, शरीर का अत्यधिक भारसंतुलित आहार, व्यायाम, व्यवहारिक चिकित्साआहार नियंत्रण, व्यायाम, दवाएं, शल्य चिकित्सा
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