मोबाइल टेलीफोनी प्रौद्योगिकी विषय का एक महत्वपूर्ण भाग है, जो दूरसंचार के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने का कार्य करता है। इसके माध्यम से लोग बिना तार के किसी भी स्थान से आसानी से संवाद कर सकते हैं।
मोबाइल टेलीफोनी
परिभाषा: मोबाइल टेलीफोनी से तात्पर्य ऐसे वायरलेस संचार प्रणालियों से है, जो उपयोगकर्ताओं को पोर्टेबल डिवाइस (जैसे मोबाइल फोन, टैबलेट) के माध्यम से वॉयस कॉल करने, टेक्स्ट संदेश भेजने और डेटा सेवाओं का उपयोग करने की सुविधा प्रदान करती हैं।
मोबाइल टेलीफोनी की मुख्य विशेषताएं::
- वायरलेस संचार: भौतिक तारों के बिना उपकरणों को जोड़ने के लिए रेडियो आवृत्तियों का उपयोग करता है।
- सेल्युलर तकनीक: भौगोलिक क्षेत्रों को छोटे-छोटे सेल (Cells) में विभाजित किया जाता है, जिनमें प्रत्येक सेल का अपना बेस स्टेशन होता है।
- पोर्टेबिलिटी (गतिशीलता): उपयोगकर्ता नेटवर्क से जुड़े रहते हुए भी स्थान बदल सकते हैं।
- नेटवर्क स्विचिंग: जब उपयोगकर्ता एक सेल से दूसरे में जाता है, तो कॉल और डेटा कनेक्शन स्वतः स्थानांतरित हो जाते हैं।
- रियल-टाइम एक्सेस: वॉयस कॉल, मैसेजिंग और इंटरनेट का तत्काल उपयोग सक्षम बनाता है।
दैनिक जीवन में मोबाइल टेलीफोनी के उदाहरण:
- वॉयस कम्युनिकेशन: 4G या 5G नेटवर्क का उपयोग करके फोन कॉल करना।
- मैसेजिंग सेवाएं: एसएमएस, व्हाट्सऐप और अन्य त्वरित संदेश प्लेटफ़ॉर्म।
- इंटरनेट एक्सेस: मोबाइल उपकरणों पर वेबसाइट ब्राउज़ करना, वीडियो स्ट्रीमिंग करना, या सोशल मीडिया का उपयोग करना।
मोबाइल और फिक्स्ड टेलीफोनी के बीच अंतर:
विशेषता | मोबाइल टेलीफोनी | फिक्स्ड टेलीफोनी |
कनेक्टिविटी | वायरलेस, पोर्टेबल | वायर्ड, स्थान-विशिष्ट |
इंफ्रास्ट्रक्चर | बेस स्टेशनों, मोबाइल स्विचिंग केंद्र (MSC) और वायरलेस लिंक की आवश्यकता होती है। | भौतिक केबल और स्विचिंग केंद्र की आवश्यकता होती है। |
गतिशीलता | उपयोगकर्ता कनेक्टेड रहते हुए स्वतंत्र रूप से मूव कर सकते हैं | फोन लाइन के स्थान तक सीमित |
एप्लिकेशन | वॉयस कॉल, एसएमएस, इंटरनेट, मल्टीमीडिया सेवाएँ। | मुख्यतः वॉयस संचार। |
मोबाइल टेलीफोनी सिस्टम के घटक
मोबाइल संचार सेल्युलर नेटवर्क संरचना पर आधारित है, जिसमें कवरेज क्षेत्र को छोटे-छोटे क्षेत्रों (Hexagonal आकार के सेल्स) में विभाजित किया जाता है। प्रत्येक सेल को एक बेस स्टेशन द्वारा सेवाएं प्रदान की जाती हैं, जो उस सेल में मौजूद मोबाइल उपकरणों के साथ संचार करता है।

सेल्युलर नेटवर्क के मुख्य घटक:
- सेल टावर (बेस स्टेशन) :
- प्रत्येक सेल टावर एक विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र (सेल) को कवर करने और उस क्षेत्र के मोबाइल उपकरणों के साथ संचार को सुगम बनाने के लिए उत्तरदायी होता है।
- सेल्स को ग्रिड के रूप में व्यवस्थित किया जाता है ताकि बड़े क्षेत्रों में निर्बाध कवरेज प्रदान किया जा सके।
- मोबाइल डिवाइस (उपयोगकर्ता उपकरण):
- मोबाइल फोन, स्मार्टफोन, और अन्य संचार उपकरण, जो सिग्नल भेजते और प्राप्त करते हैं।
- मोबाइल स्विचिंग सेंटर्स (MSC):
- MSC एक केंद्रीय घटक है, जो बेस स्टेशनों को कोर नेटवर्क से जोड़ता है।
- यह एक हब (Hub) की तरह काम करता है जो कॉल और डेटा को बेस स्टेशनों और बाहरी नेटवर्क (जैसे PSTN या इंटरनेट) के बीच रूट करता है।
- यह विभिन्न बेस स्टेशनों के बीच हेंडऑफ प्रबंधन (ताकि उपयोगकर्ता की सेवा बाधित न हो) और वॉयस एवं डेटा ट्रैफिक को संभालता है।
- कोर नेटवर्क
- यह मोबाइल टेलीफोनी सिस्टम का मुख्य ढांचा है, जो सभी बेस स्टेशनों और स्विचिंग केंद्रों को बाहरी नेटवर्क से जोड़ता है।
- बैकहॉल नेटवर्क:
- बैकहॉल नेटवर्क उस नेटवर्क इन्फ्रास्ट्रक्चर को संदर्भित करता है, जो बेस स्टेशनों को कोर नेटवर्क से जोड़ता है। यह आमतौर पर फाइबर ऑप्टिक केबल्स या माइक्रोवेव लिंक के माध्यम से किया जाता है।
- हैंडओवर (Handover – Handoff):
- हेंडऑफ वह प्रक्रिया है, जिसमें एक चल रहे कॉल या डेटा सत्र को एक सेल से दूसरे सेल में स्थानांतरित किया जाता है। यह सेवा में किसी भी रुकावट को रोके बिना निरंतरता सुनिश्चित करता है।
मॉडुलेशन और मल्टीप्लेक्सिंग तकनीकें
मॉडुलेशन :
मोबाइल फोन में वॉइस सिग्नल को रेडियो तरंगों पर मॉड्यूलेट करके सेल टॉवर तक भेजा जाता है।
मॉडुलेशन के प्रकार:
- फ्रीक्वेंसी मॉडुलेशन (FM): आमतौर पर एनालॉग सिस्टम में उपयोग किया जाता है।
- क्वाड्रेचर एंप्लिट्यूड मॉड्यूलेशन (QAM): डिजिटल सिस्टम में उपयोग किया जाता है, जिससे एक समय में कई बिट्स को संचारित किया जा सकता है।
मल्टीप्लेक्सिंग :
- परिभाषा: मल्टीप्लेक्सिंग एक ही फ्रीक्वेंसी चैनल को कई उपयोगकर्ताओं के बीच साझा करने की अनुमति देता है।
- उदाहरण :
- FDMA (फ्रीक्वेंसी डिवीजन मल्टीप्लेक्सिंग): उपलब्ध फ्रीक्वेंसी स्पेक्ट्रम को अलग-अलग चैनलों में विभाजित करता है। प्रत्येक उपयोगकर्ता को एक विशिष्ट फ्रीक्वेंसी चैनल आवंटित किया जाता है।
- TDMA (टाइम डिवीजन मल्टीप्लेक्सिंग): एक ही फ्रीक्वेंसी को समय स्लॉट (Time Slots) में विभाजित करता है, ताकि कई उपयोगकर्ता एक साथ संचार कर सकें।
- CDMA (कोड डिवीजन मल्टीप्लेक्सिंग): हर उपयोगकर्ता को एक विशिष्ट कोड दिया जाता है, जिससे कई उपयोगकर्ता एक ही फ्रीक्वेंसी पर हस्तक्षेप के बिना संचार कर सकते हैं।
- OFDM (ऑर्थोगोनल फ्रीक्वेंसी डिवीजन मल्टीप्लेक्सिंग): फ्रीक्वेंसी बैंड को छोटे सबकैरीयर्स में विभाजित करता है, जिससे डेटा ट्रांसमिशन तेज़ और हस्तक्षेप रहित होता है।
स्विचिंग तकनीक (Switching Techniques)
स्विचिंग यह निर्धारित करती है कि संचार नेटवर्क में कनेक्शन कैसे स्थापित और प्रबंधित किए जाते हैं।
- सर्किट स्विचिंग (Circuit Switching) :
- कैसे काम करता है : दो उपयोगकर्ताओं के बीच कॉल की अवधि के लिए एक समर्पित संचार पथ स्थापित किया जाता है।
- उपयोग : 1G (एनालॉग) और 2G (GSM) वॉयस कॉल के लिए।
- लाभ : विश्वसनीय, कॉल के दौरान गुणवत्ता स्थिर रहती है।
- हानि: अप्रभावी, क्योंकि समर्पित पथ तब भी खुला रहता है जब डेटा का आदान-प्रदान नहीं होता।
- पैकेट स्विचिंग (Packet Switching) :
- कैसे काम करता है : डेटा को छोटे पैकेट्स में विभाजित किया जाता है, जो नेटवर्क के माध्यम से स्वतंत्र रूप से प्रेषित किए जाते हैं। प्रत्येक पैकेट अलग-अलग मार्ग (Different Routes) से गंतव्य तक पहुँच सकता है, जहाँ उन्हें फिर से संयोजित किया जाता है।
- उपयोग : 3G (HSPA), 4G (LTE), और 5G नेटवर्क में इंटरनेट डेटा के लिए।
- लाभ : बैंडविड्थ का कुशल उपयोग, डेटा ट्रांसमिशन अधिक प्रभावी और तेज़।
- हानि : पैकेट रूटिंग और पुनः संयोजन के कारण ट्रांसमिशन में देरी।
डेटा ट्रांसमिशन:
- मोबाइल नेटवर्क इंटरनेट पर डेटा के कुशल ट्रांसमिशन के लिए पैकेट स्विचिंग का उपयोग करते हैं, जिसमें डेटा को छोटे-छोटे पैकेट्स में विभाजित किया जाता है और इन्हें गंतव्य तक भेजा जाता है।
- उदाहरण: जब आप अपने मोबाइल डिवाइस पर इंटरनेट ब्राउज़ करते हैं या वीडियो स्ट्रीम करते हैं, तो डेटा सर्वर से पैकेट्स के रूप में आपके डिवाइस तक पहुंचता है।
मोबाइल टेलीफोनी का विकास

1G (फर्स्ट जेनरेशन): एनालॉग कम्युनिकेशन (1980 का दशक)
- मुख्य विशेषताएं:
- एनालॉग संचार प्रणालियों पर आधारित।
- केवल वॉयस कम्युनिकेशन की अनुमति (SMS या डेटा सेवाएं नहीं)।
- फ्रीक्वेंसी डिवीजन मल्टीपल एक्सेस (FDMA) तकनीक का उपयोग:
- उपलब्ध कुल स्पेक्ट्रम को फ्रीक्वेंसी स्लॉट्स में विभाजित किया जाता था।
- प्रत्येक उपयोगकर्ता को एक विशिष्ट फ्रीक्वेंसी स्लॉट आवंटित किया जाता था।
- कॉल की अवधि के दौरान, वही फ्रीक्वेंसी स्लॉट किसी अन्य उपयोगकर्ता द्वारा साझा नहीं किया जा सकता था।
- बड़े आकार के फोन, सीमित बैटरी लाइफ।
- प्रयुक्त तकनीक :
- एनालॉग सिग्नल, जिसमें वॉयस को निरंतर तरंग रूपों (Continuous Waveforms) में प्रसारित किया जाता था।
- 800 MHz फ्रीक्वेंसी बैंड पर कार्य करता था।
- सीमाएं :
- खराब वॉयस गुणवत्ता और उच्च शोर हस्तक्षेप।
- डेटा या मैसेजिंग सेवाओं का अभाव।
- सुरक्षा की कमी; कॉल को आसानी से इंटरसेप्ट (सुना) किया जा सकता था।
- उदाहरण (उपकरण) :
- Motorola DynaTAC 8000X (1983) :
- पहला व्यावसायिक रूप से उपलब्ध मोबाइल फोन।
- 1 kg से अधिक वजन, केवल 30 मिनट टॉक टाइम।
- Motorola DynaTAC 8000X (1983) :
- वैश्विक प्रभाव:
- पहली बार मोबाइल संचार को संभव बनाया।
- उच्च लागत के कारण मुख्य रूप से पेशेवरों और उच्च वर्ग द्वारा उपयोग किया जाता था।
2G (सेकंड जेनरेशन): डिजिटल कम्युनिकेशन (1990 का दशक)
- मुख्य विशेषताएं:
- एनालॉग से डिजिटल संचार में बदलाव की शुरुआत।
- SMS (शॉर्ट मैसेज सर्विस) और बुनियादी डेटा सेवाओं की शुरुआत।
- ग्लोबल सिस्टम फॉर मोबाइल कम्युनिकेशन (GSM) और कोड डिवीजन मल्टीपल एक्सेस (CDMA) तकनीकों पर आधारित।
- प्रयुक्त तकनीक :
- टाइम डिवीजन मल्टीपल एक्सेस (TDMA): अधिक उपयोगकर्ताओं को समायोजित करने के लिए फ्रीक्वेंसी को टाइम स्लॉट्स में विभाजित किया गया।
- TDMA: उपयोगकर्ता एक सामान्य फ्रीक्वेंसी स्पेक्ट्रम साझा करते हैं, लेकिन अलग-अलग टाइम स्लॉट्स का उपयोग करते हैं।
- CDMA (Code Division Multiple Access): सभी उपयोगकर्ताओं को समान फ्रीक्वेंसी स्पेक्ट्रम साझा करने की अनुमति देता है। प्रत्येक उपयोगकर्ता की जानकारी को एक अद्वितीय कोड के साथ एन्कोड किया जाता है।
- 2G 900 MHz और 1800 MHz फ्रीक्वेंसी बैंड पर संचालित होता था।
- 1G की तुलना में लाभ:
- बेहतर वॉयस गुणवत्ता और कम शोर।
- कॉल्स में डिजिटल एन्क्रिप्शन के साथ सुरक्षा में वृद्धि।
- सिम कार्ड (SIM Cards) की शुरुआत, जिससे फोन नेटवर्क बदलना आसान हुआ (Portable)।
- उदाहरण (उपकरण) : Nokia 1100 (सबसे अधिक बिकने वाला फीचर फोन।)
- वैश्विक प्रभाव :
- सस्ती लागत और टेक्स्ट मैसेजिंग के कारण तेजी से अपनाया गया।
- ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में नेटवर्क कवरेज का विस्तार।
2.5G: 3G की ओर कदम
- मुख्य विशेषताएं:
- 2G की तुलना में बेहतर डेटा गति, लेकिन पूर्ण 3G सेवाओं का अभाव।
- नई तकनीकों का परिचय GPRS (जनरल पैकेट रेडियो सर्विस) and EDGE (Enhanced Data Rates for GSM Evolution)।
- GPRS: इंटरनेट एक्सेस के लिए पैकेट-स्विच डेटा ट्रांसमिशन, GSM के साथ काम करता था।
- EDGE (in 2.75G): 8-PSK मॉडुलेशन का उपयोग, जो GPRS की तुलना में उच्च डेटा गति प्रदान करता है।
- इंटरनेट ब्राउज़िंग और ईमेल जैसी बुनियादी इंटरनेट सेवाओं की सुविधा।
3G (थर्ड जेनरेशन): मोबाइल इंटरनेट क्रांति (2000 का दशक)
- मुख्य विशेषताएं:
- डेटा ट्रांसमिशन पर केंद्रित, जिसकी गति 2 Mbps तक थी।
- हाई-स्पीड इंटरनेट, वीडियो कॉलिंग और मल्टीमीडिया सेवाओं की शुरुआत।
- यूनिवर्सल मोबाइल टेलीकम्युनिकेशन सिस्टम (UMTS) और वाइडबैंड CDMA (WCDMA) तकनीकों पर आधारित।
- UMTS/WCDMA: स्पेक्ट्रम के कुशल उपयोग के लिए कोड डिवीजन मल्टीपल एक्सेस (CDMA) का उपयोग करता है। तेज डेटा गति का समर्थन करता है।
- प्रयुक्त तकनीक:
- डेटा के कुशल ट्रांसफर के लिए पैकेट स्विचिंग।
- 2.1 GHz फ्रीक्वेंसी बैंड पर संचालित।
- 2G की तुलना में लाभ :
- निर्बाध वीडियो कॉल और ऑनलाइन स्ट्रीमिंग की सुविधा।
- मोबाइल ऐप्स और मल्टीमीडिया मैसेजिंग सर्विसेज (MMS) का परिचय।
- उदाहरण उपकरण : एप्पल iPhone 3G
- वैश्विक प्रभाव :
- मोबाइल ऐप क्रांति की शुरुआत हुई, जिससे WhatsApp और Facebook जैसे एप्लिकेशन लोकप्रिय हुए।
4G (फोर्थ जेनरेशन): मोबाइल पर ब्रॉडबैंड (2010 का दशक)
- मुख्य विशेषताएं
- ऑल-IP नेटवर्क की शुरुआत, जिसने मोबाइल उपकरणों पर ब्रॉडबैंड जैसी गति प्रदान की।
- डाउनलोड स्पीड 1 Gbps तक।
- वॉयस ओवर LTE (VoLTE) का परिचय, जिसने हाई-डेफिनिशन वॉयस कॉल्स को संभव बनाया।
- प्रयुक्त तकनीक :
- LTE (लॉन्ग-टर्म इवोल्यूशन) और WiMAX मानकों का उपयोग।
- 700 MHz, 1800 MHz, और 2600 MHz फ्रीक्वेंसी बैंड पर संचालित।
- 3G की तुलना में लाभ::
- एचडी वीडियो स्ट्रीमिंग, ऑनलाइन गेमिंग, और बड़े पैमाने पर फाइल ट्रांसफर की सुविधा।
- नेटवर्क की विश्वसनीयता में सुधार और विलंबता (Latency) में कमी।
- उदाहरण उपकरण :
- सैमसंग गैलेक्सी S सीरीज और आईफोन 6 सीरीज।
- भारत में विशेष उदाहरण :
- 2016 में रिलायंस जियो ने किफायती 4G डेटा प्लान पेश करके दूरसंचार बाजार में क्रांति ला दी, जिससे लाखों लोगों के लिए मोबाइल इंटरनेट सुलभ हो गया।
- वैश्विक प्रभाव :
- डिजिटल क्रांति को प्रोत्साहन दिया, जिसमें क्लाउड कंप्यूटिंग, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, और रिमोट वर्किंग समाधान शामिल हैं।
LTE: लॉन्ग-टर्म इवोल्यूशन
- LTE एक 4G वायरलेस ब्रॉडबैंड मानक है, जिसे उच्च गति डेटा ट्रांसफर, कम विलंबता (Latency), और उच्च क्षमता (Capacity) के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- डाउनलिंक के लिए OFDMA (ऑर्थोगोनल फ्रीक्वेंसी डिवीजन मल्टीपल एक्सेस): यह तकनीक एक ही फ्रीक्वेंसी बैंड को कई छोटे उप-वाहकों (Subcarriers) में विभाजित करती है, जिससे डेटा ट्रांसफर की क्षमता बढ़ती है।
- अपलिंक के लिए SC-FDMA (सिंगल कैरियर फ्रीक्वेंसी डिवीजन मल्टीपल एक्सेस): यह ऊर्जा दक्षता बढ़ाता है और अपलिंक ट्रांसमिशन को स्थिर बनाता है।
- ऑल-IP आर्किटेक्चर,
- LTE में सर्किट-स्विच नेटवर्क (2G/3G में उपयोग किए जाने वाले) को समाप्त कर दिया गया है।
- वॉयस (VoIP) और डेटा दोनों को एक ही IP-आधारित बुनियादी ढांचे पर प्रसारित किया जाता है।
मुख्य विशेषताएं :
- उच्च डेटा गति: डाउनलिंक: 300 Mbps तक।
- अपलिंक: 75 Mbps तक।
- कम विलंबता : 10 मिलीसेकंड से कम, जो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और ऑनलाइन गेमिंग जैसे रीयल-टाइम अनुप्रयोगों को सक्षम बनाता है।
- MIMO (मल्टीपल इनपुट मल्टीपल आउटपुट): डेटा थ्रूपुट और विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए कई एंटेना का उपयोग।
5G (फिफ्थ जेनरेशन): अल्ट्रा-कनेक्टिविटी (2020 का दशक)
- मुख्य विशेषताएं:
- अल्ट्रा-हाई-स्पीड इंटरनेट: डाउनलोड गति 10 Gbps तक, जो तेज़ और निर्बाध डेटा सेवाओं को सक्षम बनाता है।
- कम विलंबता: विलंबता <1 मिलीसेकंड, जो रीयल-टाइम संचार, जैसे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, ऑनलाइन गेमिंग और रिमोट कंट्रोल एप्लिकेशन को संभव बनाता है।
- व्यापक डिवाइस कनेक्टिविटी : प्रति वर्ग किलोमीटर 1 मिलियन उपकरणों का समर्थन।
- यह IoT नेटवर्क, स्मार्ट होम्स और इंडस्ट्रियल ऑटोमेशन के लिए उपयुक्त है।
- नेटवर्क स्लाइसिंग (Network Slicing) : 5G वर्चुअल नेटवर्क (स्लाइस) बनाने की अनुमति देता है। ऑपरेटर विभिन्न अनुप्रयोगों (जैसे स्वास्थ्य सेवा, स्मार्ट सिटी) की विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुसार सेवाओं को अनुकूलित कर सकते हैं। इसमें विश्वसनीयता, गति और विलंबता जैसी प्राथमिकताओं को शामिल किया जा सकता है।
- प्रयुक्त तकनीकें :
- न्यू रेडियो (NR): 5G ने न्यू रेडियो (NR) नामक एक नया रेडियो इंटरफेस पेश किया। यह दो प्रकार की आवृत्तियों पर कार्य करता है:
- Sub-6 GHz (6 GHz से कम) → लंबी दूरी और बेहतर कवरेज।
- मिलीमीटर-वेव (mmWave – 24 GHz से अधिक) → उच्च गति, लेकिन छोटी रेंज।
- स्मॉल सेल्स और मैसिव MIMO (Multiple Input Multiple Output): 5G नेटवर्क में स्मॉल सेल्स का उपयोग नेटवर्क क्षमता और कवरेज बढ़ाने के लिए किया जाता है। ये कम पावर वाले, छोटे रेंज के बेस स्टेशन हैं। घने शहरी क्षेत्रों में बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करते हैं। अधिक उपयोगकर्ताओं को जोड़ने में सक्षम बनाते हैं।
- मैसिव MIMO बड़ी संख्या में एंटेना का उपयोग कर नेटवर्क क्षमता बढ़ाता है।
- मिलीमीटर वेव्स: 5G उच्च फ्रीक्वेंसी बैंड (24 GHz और उससे अधिक) में संचालित होता है, पारंपरिक सेल्युलर फ्रीक्वेंसी की तुलना में अधिक बैंडविड्थ प्रदान करता है। तेज डेटा ट्रांसमिशन और उच्च क्षमता सुनिश्चित करता है। सिग्नल की रेंज सीमित होती है। बाधाओं (जैसे इमारतें या पेड़) और हस्तक्षेप के प्रति अधिक संवेदनशील। 5G नेटवर्क में स्मॉल सेल्स, मैसिव MIMO और मिलीमीटर वेव्स का संयोजन नेटवर्क की शक्ति, गति और कवरेज को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- मिलीमीटर-वेव तकनीक : 24 GHz से 100 GHz तक के उच्च फ्रीक्वेंसी बैंड पर कार्य करती है। यह पारंपरिक फ्रीक्वेंसी बैंड्स की तुलना में अधिक बैंडविड्थ और डेटा गति प्रदान करती है।
- एडवांस बीमफॉर्मिंग (Advanced Beamforming) : सिग्नल को सीधे डिवाइस की ओर केंद्रित करता है, जिससे सिग्नल गुणवत्ता और नेटवर्क दक्षता में सुधार होता है। सटीक डेटा ट्रांसमिशन।
- Uses OFDM (ऑर्थोगोनल फ्रीक्वेंसी डिवीजन मल्टीप्लेक्सिंग) : अपलिंक और डाउनलिंक दोनों के लिए बेस वेवफॉर्म के रूप में उपयोग होता है। स्पेक्ट्रम का कुशल उपयोग। हस्तक्षेप (Interference) को कम करने में सहायक।
- डायनेमिक स्पेक्ट्रम शेयरिंग (DSS): मौजूदा 4G और 5G स्पेक्ट्रम का कुशल उपयोग सुनिश्चित करता है। 4G और 5G दोनों तकनीकों को एक ही फ्रीक्वेंसी बैंड साझा करने देता है, जिससे पुरानी और नई तकनीकों के बीच ट्रांज़िशन सुगम होता है।
- न्यू रेडियो (NR): 5G ने न्यू रेडियो (NR) नामक एक नया रेडियो इंटरफेस पेश किया। यह दो प्रकार की आवृत्तियों पर कार्य करता है:
4G के मुकाबले 5G के फायदे:
- स्वचालित वाहन, रिमोट सर्जरी, और स्मार्ट सिटी जैसे अनुप्रयोगों को सक्षम बनाता है।
- औद्योगिक स्वचालन (Industrial Automation) और संवर्धित वास्तविकता (Augmented Reality – AR)/आभासी वास्तविकता (Virtual Reality – VR) में सुधार करता है।
- उदाहरण उपकरण :
- Samsung Galaxy S23 Ultra और iPhone 15 Pro 5G-सक्षम उपकरण हैं।
- भारत-विशिष्ट उदाहरण:
- Airtel और Reliance Jio ने 2022 में 5G लॉन्च किया, जिससे शहरी और ग्रामीण कनेक्टिविटी में बदलाव आ रहा है।
- वैश्विक प्रभाव:
- स्वास्थ्य, विनिर्माण, और शिक्षा क्षेत्रों में क्रांति ला रहा है।
- अत्यधिक विश्वसनीय संचार प्रणालियों (Ultra-Reliable Communication Systems) के माध्यम से उद्योगों को डिजिटल रूप से बदल रहा है।
भारत में 5G स्पेक्ट्रम आवंटन
कुल उपलब्ध स्पेक्ट्रम
- कुल स्पेक्ट्रम की पेशकश: विभिन्न बैंड्स में लगभग 72,097.85 MHz।
- वैधता अवधि: यह स्पेक्ट्रम 20 वर्षों के लिए आवंटित किया गया है।
- आवंटित फ्रीक्वेंसी बैंड्स: स्पेक्ट्रम नीलामी में निम्न, मध्यम और उच्च श्रेणी के कई फ्रीक्वेंसी बैंड शामिल थे:
- निम्न बैंड: 600 MHz, 700 MHz, 800 MHz, 900 MHz, 1800 MHz, 2100 MHz, 2300 MHz
- मध्यम बैंड: 3300 MHz
- उच्च बैंड: 26 GHz
पहली प्रमुख नीलामी (अगस्त 2022)
- कुल बोली: नीलामी से ₹1.5 लाख करोड़ (लगभग US$17.97 बिलियन) की आय हुई, जिसमें 71% उपलब्ध स्पेक्ट्रम बेचा गया।
- Reliance Jio: ₹88,078 करोड़ खर्च करके 24.74 GHz का स्पेक्ट्रम हासिल किया।
- Bharti Airtel: ₹43,084 करोड़ की बोली लगाकर 19.867 GHz का स्पेक्ट्रम खरीदा।
- Adani Group: 26 GHz बैंड में निजी नेटवर्क के लिए स्पेक्ट्रम हासिल किया।
दूसरी नीलामी (जून 2024)
- कुल बोली: नीलामी से ₹11,340 करोड़ (US$1.35 बिलियन) की आय हुई, जो अनुमानित ₹96,000 करोड़ (US$11.3 बिलियन) के मूल्यांकन से काफी कम थी। → लक्षित राजस्व का केवल 12%।
- ऑफर किया गया स्पेक्ट्रम: कुल 10,523 MHz उपलब्ध था।
- प्रमुख खरीदार:
- Bharti Airtel: ₹6,856.76 करोड़ खर्च करके कुल 97 MHz स्पेक्ट्रम प्राप्त किया।
- Vodafone Idea: ₹3,510 करोड़ में कुल 50 MHz स्पेक्ट्रम खरीदा।
- Reliance Jio: अतिरिक्त स्पेक्ट्रम के लिए ₹973.62 करोड़ की बोली लगाई।
विशेषता | 5G | 6G |
स्पीड | 20 Gbps तक (सैद्धांतिक) | अपेक्षित 100 Gbps से 1 Tbps तक |
लेटेंसी | न्यूनतम 1 मिलीसेकंड | लक्ष्य 1 माइक्रोसेकंड |
स्पेक्ट्रम उपयोग | Sub-6 GHz और 24.25 GHz से ऊपर | 30 GHz to 3 THz |
नवाचार | उन्नत मोबाइल ब्रॉडबैंड क्षमताएँ | होलोग्राफिक संचार, AI-संचालित प्रबंधन, निर्बाध IoT कनेक्टिविटी |
ऊर्जा दक्षता | मध्यम स्तर के दक्षता सुधार | अत्यधिक ऊर्जा-कुशल होने की उम्मीद |
अनुप्रयोग | उन्नत गेमिंग, स्वायत्त ड्राइविंग | उन्नत टेलीमेडिसिन, इमर्सिव VR/AR अनुभव, इंडस्ट्री 4.0 अनुप्रयोग |
भविष्य का विकास: 5G के बाद (6G)
- अपेक्षित लॉन्च: 2030 के दशक में।
- स्पीड: 1 Tbps (टेराबिट प्रति सेकंड) तक।
- AI का एकीकरण: बुद्धिमान संचार प्रणालियों के लिए।
- उपयोग के मामले: उन्नत होलोग्राफिक संचार, अंतरिक्ष-आधारित इंटरनेट, और मानव-मशीन इंटरफेस।
भारत 6G विज़न: 2023 में जारी
- लॉन्च उद्देश्य: भारत सरकार ने 2023 में “भारत 6G विज़न” (Bharat 6G Vision) लॉन्च किया, जिसका उद्देश्य भारत को 2030 तक 6G प्रौद्योगिकी में वैश्विक अग्रणी बनाना है। इस पहल में भारत 6G एलायंस (B6GA) की स्थापना शामिल है, जो उद्योग के हितधारकों, शिक्षाविदों और अंतरराष्ट्रीय साझेदारों को 6G विकास पर सहयोग के लिए एक साथ लाता है।
पेटेंट लक्ष्य:
- सरकार का लक्ष्य: 2030 तक वैश्विक 6G पेटेंट्स का कम से कम 10% भारतीय कंपनियों और संस्थानों के पास हो।
- हालांकि, देश को 6G नेतृत्व हासिल करने में महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है,
- अवसंरचना तैयार करना (Infrastructure Readiness)।
- अनुसंधान और विकास (R&D) के लिए पर्याप्त धनराशि सुनिश्चित करना।
- वैश्विक तकनीकी प्रतिस्पर्धा और मानकों का निर्धारण।
पीढ़ी | मुख्य विशेषताएँ | प्रयुक्त तकनीक | स्पीड | वैश्विक प्रभाव |
1G(1980s) | एनालॉग वॉयस कम्युनिकेशन, बड़े फोन, कोई SMS या डेटा नहीं। | FDMA, एनालॉग सिग्नल (800 MHz बैंड)। | ~2.4 kbps | मोबाइल संचार को संभव बनाया, लेकिन खराब वॉयस गुणवत्ता और उच्च लागत। |
2G(1990s) | डिजिटल वॉयस और SMS, पोर्टेबल फोन। | GSM, CDMA, TDMA (900/1800 MHz बैंड) | ~64 kbps | बेहतर वॉयस स्पष्टता, SMS सेवा, सुरक्षा में सुधार।मोबाइल फोन अधिक किफायती और व्यापक रूप से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में तेजी से अपनाए गए। |
2.5G(Late 1990s – Early 2000s) | बेहतर डेटा स्पीड, बेसिक इंटरनेट ब्राउज़िंग | GPRS, EDGE | ~100-200 kbps | 2G और 3G के बीच पुल, मोबाइल ईमेल और ब्राउज़िंग को सक्षम किया। |
3G(2000s) | हाई-स्पीड इंटरनेट, वीडियो कॉल, मल्टीमीडिया सेवाएं | UMTS, WCDMA, पैकेट स्विचिंग (2.1 GHz बैंड) | ~2 Mbps | वीडियो कॉलिंग, स्ट्रीमिंग, मोबाइल ऐप्स की शुरुआत।मोबाइल ऐप क्रांति की शुरुआत, जिससे WhatsApp और Facebook जैसे प्लेटफ़ॉर्म लोकप्रिय हुए। |
4G(2010s) | ब्रॉडबैंड स्पीड, VoLTE, HD स्ट्रीमिंग। | LTE, WiMAX (700/1800/2600 MHz बैंड) | ~1 Gbps | HD वीडियो, गेमिंग, बड़े फ़ाइल ट्रांसफ़र संभव हुए।डिजिटल क्रांति को बढ़ावा, क्लाउड कंप्यूटिंग और रिमोट वर्क को सक्षम किया। |
5G(2020s) | अल्ट्रा-हाई स्पीड, कम लेटेंसी, IoT इकोसिस्टम। | मिलीमीटर-वेव, बीमफॉर्मिंग, MIMO (24-100 GHz)। | ~10 Gbps | स्वचालित वाहन, AR/VR, स्मार्ट शहर।हेल्थकेयर और विनिर्माण जैसे उद्योगों को बदल रहा है, शहरी और ग्रामीण कनेक्टिविटी में व्यापक सुधार ला रहा है। |
Beyond 5G (6G)(Expected in 2030s) | AI एकीकरण, होलोग्राफिक कम्युनिकेशन। | TBD | ~1 Tbps | स्पेस-आधारित इंटरनेट, उन्नत मानव-मशीन इंटरफेस।अभूतपूर्व स्पीड का लक्ष्य, बुद्धिमान प्रणालियों और अंतरिक्ष-आधारित नेटवर्क जैसी नई उपयोग के मामलों के साथ संचार में क्रांति। |
दूरसंचार अधिनियम, 2023
सारांश
- अधिनियमित (Enacted): 25 दिसंबर, 2023
- प्रतिस्थापित करता है: भारतीय तार अधिनियम, 1885 और भारतीय वायरलेस टेलीग्राफी अधिनियम, 1933।
- उद्देश्य: भारत में दूरसंचार सेवाओं को आधुनिक बनाना और विनियमित करना।
मुख्य प्रावधान
- OTT सेवाओं का नियमन:
- अधिनियम ने ओवर-द-टॉप (OTT) सेवाओं को पारंपरिक दूरसंचार सेवाओं की तरह नियमन के दायरे में लाया।
- सरकार की शक्तियाँ:
- राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए दूरसंचार उपकरणों को निलंबित या प्रतिबंधित करने का अधिकार।
- राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में दूरसंचार सेवाओं का प्रबंधन या निलंबन।
- स्पेक्ट्रम आवंटन:
- नीलामी-आधारित स्पेक्ट्रम आवंटन की शुरुआत, उपग्रह ब्रॉडबैंड पर ध्यान केंद्रित करके ग्रामीण कनेक्टिविटी में सुधार।
- राइट ऑफ वे (RoW):
- सार्वजनिक/निजी संपत्ति पर दूरसंचार बुनियादी ढांचा स्थापित करने के लिए ढांचा तैयार किया।
- उपभोक्ता संरक्षण:
- उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा और डेटा गोपनीयता सुनिश्चित करना।
- दूरसंचार क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहित करना।
- निगरानी और इंटरसेप्शन:
- राज्य की सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए संचार इंटरसेप्शन की अनुमति।
प्रतिक्रियाएँ
- सकारात्मक पक्ष (Positive Aspects):
- OTT सेवाओं का बेहतर नियमन, जिससे डिजिटल सेवाओं को कानूनी स्पष्टता मिलेगी।
- दूरसंचार क्षेत्र में आधुनिक प्रौद्योगिकियों को अपनाने में सहायता मिलेगी।
- ग्रामीण क्षेत्रों में टेलीकॉम सेवाओं का विस्तार होगा।
- आलोचना:
- सरकार को अत्यधिक अधिकार मिलने से गोपनीयता (Privacy) और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (Freedom of Expression) पर खतरा।
- मसौदा प्रक्रिया (Drafting Process) में पारदर्शिता की कमी।
- “डिजिटल भारत निधि (Digital Bharat Nidhi)” द्वारा यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड (USOF) को बदलना, जिससे ग्रामीण टेलीकॉम सेवाओं पर प्रभाव पड़ सकता है।