भारतीय खेल प्राधिकरण एवं राजस्थान राज्य क्रीड़ा परिषद खेल और योग विषय के अंतर्गत भारत में खेलों के विकास और प्रोत्साहन के लिए महत्वपूर्ण संस्थाएं हैं। भारतीय खेल प्राधिकरण राष्ट्रीय स्तर पर खिलाड़ियों को प्रशिक्षण और सुविधाएं प्रदान करता है, जबकि राजस्थान राज्य क्रीड़ा परिषद राज्य स्तर पर खेल प्रतिभाओं को उभारने और उन्हें समर्थन देने का कार्य करती है।
विगत वर्षों के प्रश्न
वर्ष | प्रश्न | अंक |
2021 | राजस्थान राज्य खेल परिषद द्वारा संचालित किन्हीं चार खेल अकादमियों के नाम लिखिए । | 2M |
2018 | पीएसपीबी टेबिल टैनिस अकादमी पर एक लघु टिप्पणी लिखिए | 5M |
2018 | ‘राजस्थान राज्य क्रीड़ा परिषद’ के सदस्यों का पदानुक्रम बताइए । | 2M |
भारतीय खेल प्राधिकरण

- भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) की स्थापना 1984 में हुई थी।
- इसे 1982 में नई दिल्ली में आयोजित 9वें एशियाई खेलों की विरासत को जारी रखने के लिए बनाया गया था।
- SAI भारत सरकार के खेल विभाग के अंतर्गत कार्य करता है।
- SAI को सोसायटी अधिनियम, 1860 के तहत एक सोसायटी के रूप में पंजीकृत किया गया था।
- SAI भारत में खेलों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- यह विशिष्ट एथलीटों को प्रशिक्षण प्रदान करता है।
- SAI निम्नलिखित के लिए विभिन्न योजनाएं भी संचालित करता है:
- युवा प्रतिभा की पहचान
- युवा एथलीटों का विकास करना।
- ये योजनाएं पूरे भारत में क्षेत्रीय और प्रशिक्षण केंद्रों के माध्यम से कार्यान्वित की जाती हैं।
- SAI शारीरिक शिक्षा और खेल में शैक्षणिक कार्यक्रम प्रदान करता है।
- यह दिल्ली में कई प्रमुख स्टेडियमों के रखरखाव और उपयोग के लिए जिम्मेदार है।
लक्ष्य और उद्देश्य:
- सूक्ष्म स्तर पर प्रतिभा की खोज करना और उत्कृष्टता की ओर प्रतिभा को पोषित करना।
- प्रशिक्षण एवं अंतर्राष्ट्रीय एक्सपोजर।
- वैज्ञानिक खेल उपकरण और वैज्ञानिक कर्मियों के साथ प्रशिक्षण में सहायता।
- वैज्ञानिक मूल्यांकन प्रणाली के साथ प्रदर्शन की निगरानी करना और उसे बढ़ाना।
- राष्ट्रीय टीमों का प्रशिक्षण एवं तैयारी।
- खेल अवसंरचना विकास एवं रखरखाव।
- दिल्ली में 4 स्टेडियम परिसरों और एक शूटिंग रेंज का रखरखाव और उन्नयन।
- व्यापक आधार वाले खेलों के लिए खेल के विभिन्न विषयों में उच्च क्षमता के प्रशिक्षकों और शारीरिक शिक्षाविदों को तैयार करना।
- MYAS की विभिन्न योजनाओं को लागू करने के लिए सहायता उदा. खेलो इंडिया, एनएसएफ, टॉप्स, फिट इंडिया।
- इन स्टेडियमों का निर्माण या नवीनीकरण 1982 में 9th एशियाई खेलों के लिए किया गया था:
- जवाहरलाल नेहरू स्पोर्ट्स स्टेडियम
- इंदिरा गांधी खेल परिसर
- मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम
- डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी स्विमिंग पूल कॉम्प्लेक्स
- डॉ. करणी सिंह शूटिंग रेंज।
दृष्टिकोण एवं रणनीति
- खेलों का विकास और अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शन सहित उत्कृष्टता को बढ़ावा देना जटिल और बहुआयामी है।
- रणनीतियों में शामिल हैं:
- खेल विकास और उत्कृष्टता के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग।
- ओलंपिक और स्वदेशी खेलों में प्रतिभा पहचान के लिए एक संरचित प्रणाली बनाना।
- विशिष्ट खेलों में उत्कृष्टता की संभावना वाले क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना।
- विभिन्न आयु और कौशल स्तरों पर प्रशिक्षण के लिए बुनियादी ढांचे और एक रूपरेखा की स्थापना करना।
- प्रशिक्षण कार्यक्रमों में SAI, राज्य सरकारों और राष्ट्रीय खेल महासंघों (NSF) को शामिल करना।
- अकादमियों और उत्कृष्टता केंद्रों के विकास में कॉर्पोरेट भागीदारी को प्रोत्साहित करना।
- कोचिंग विकास और पर्यवेक्षण में सुधार।
- एथलीटों के लिए वैज्ञानिक और तकनीकी सहायता को मजबूत करना।
- गुणवत्तापूर्ण खेल सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित करना और स्वदेशी खेल सामान उद्योग को बढ़ावा देना।
राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र
- भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) ने ओलंपिक और अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों के लिए एथलीटों को प्रशिक्षित करने के लिए राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र (NCOE) की स्थापना की है।
- एनसीओई प्रदान करते हैं:
- अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे के साथ विशेष प्रशिक्षण।
- खेल विज्ञान सहायता और प्रशिक्षित पोषण विशेषज्ञों से व्यक्तिगत आहार।
- शीर्ष प्रशिक्षकों, योग्य कर्मचारियों और उच्च प्रदर्शन निदेशकों द्वारा पर्यवेक्षण।
- एनसीओई भारत की सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं के लिए नियमित कोचिंग शिविर के रूप में कार्य करता है।
- वे राष्ट्रीय टीम चयन के लिए दूसरे और तीसरे विकल्प के तौर पर विकल्पों के साथ एक प्रतिभा पूल प्रदान करते हैं।
- एनसीओई अभिजात वर्ग से लेकर विकासात्मक स्तर तक के एथलीटों को समायोजित करता है।
6 स्तंभ

- एथलीट
- प्रशिक्षक
- खेल विज्ञान सहायता
- उच्च गुणवत्ता युक्त खेल का मैदान
- विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचा
- आवश्यकतानुसार आहार
दृष्टिकोण – “एथलीट केंद्रित, कोच चालित”
राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र (एनसीओई) 23 प्राथमिकता वाले विषयों पर ध्यान केंद्रित करते हैं जहां भारतीय एथलीट अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में मजबूत प्रदर्शन और पदक क्षमता दिखाते हैं।
तीरंदाजी | हैंडबॉल | कयाकिंग और कैनोइंग | तैराकी |
एथलेटिक्स | जूडो | पावरलिफ्टिंग | तायक्वोंडो |
बाक्सिंग | कबड्डी | रोइंग | टेबल टेनिस |
साइकिलिंग | खो-खो | शूटिंग | वालीबॉल |
तलवारबाजी | जिमनास्टिक्स | फुटबॉल | कुश्ती |
हॉकी | वुशु | भारोत्तोलन |
खेल प्रोत्साहन योजनाएँ
- राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र (NCOE)
- SAI प्रशिक्षण केंद्र (STCs)
- STC/SAGs का विस्तार केंद्र
- NSTC
- नियमित विद्यालय
- स्वदेशी खेल और मार्शल आर्ट (आईजीएमए)
- अखाड़े
- SAI का ऑपरेशन डिवीजन राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए विभिन्न आयु समूहों में प्रतिभाशाली एथलीटों की खोज और पोषण करने के उद्देश्य से खेल प्रचार योजनाओं के कार्यान्वयन की देखरेख करता है।
ये योजनाएं SAI के क्षेत्रीय केंद्रों के माध्यम से कार्यान्वित की जाती हैं:
बेंगलुरु | सोनीपत | गुवाहाटी |
कोलकाता | लखनऊ | इम्फाल |
गांधीनगर | चंडीगढ | भोपाल |
कांदिवली(मुंबई) |
शैक्षणिक इकाइयाँ (Academic Wings) निम्नलिखित स्थानों पर स्थित हैं:
- नेताजी सुभाष राष्ट्रीय खेल संस्थान, पटियाला
- लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षा महाविद्यालय (LNCPE), तिरुवनंतपुरम
खेल विज्ञान सुविधाएं पटियाला,बेंगलुरु और कोलकाता में सुविकसित हैं,अन्य केंद्रों में उन्नयन की योजना बनाई गई है।
टार्गेट ओलंपिक पोडियम योजना (TOPS)

- युवा मामले और खेल मंत्रालय (MYAS) ने सितंबर 2014 में टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (TOPS) शुरू की।
- TOPS एथलीटों के प्रबंधन के लिए एक तकनीकी सहायता टीम बनाने के लिए अप्रैल 2018 में इस योजना को नया रूप दिया गया।
- TOPS ओलंपिक और पैरालंपिक खेलों के लिए पहचाने गए एथलीटों को समग्र सहायता प्रदान करता है।
- ओलंपिक पदक प्राप्त कर सकने वाले विशिष्ट (एलीट) खिलाड़ियों की पहचान एक समिति द्वारा की जाती है — जिसे “TOPS एलीट एथलीट्स आइडेंटिफिकेशन कमेटी” कहा जाता है।
- समर्थन में शामिल हैं:
- विदेशी प्रशिक्षण
- अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भागीदारी
- उपकरण प्रावधान
- कोचिंग शिविर
- प्रत्येक एथलीट के लिए ₹50,000 का मासिक वजीफा
- TOPS एक प्रमुख कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य भारत के शीर्ष एथलीटों को ओलंपिक पदक जीतने के लिए अपनी तैयारी बढ़ाने में सहायता करना है।
मिशन ओलंपिक सेल (MOC)
- मिशन ओलंपिक सेल (एमओसी) टॉप योजना के तहत चयनित एथलीटों की सहायता के लिए एक समर्पित निकाय है।
- MOC की अध्यक्षता भारतीय खेल प्राधिकरण के महानिदेशक (DG, SAI) करते हैं।
- समिति की बैठकों में शामिल हैं:
- संबंधित राष्ट्रीय खेल महासंघों (एनएसएफ) के प्रतिनिधि
- एसएआई के परियोजना अधिकारी
- अन्य सदस्य
- एमओसी का उद्देश्य है:
- एथलीटों को सर्वोत्तम सहायता प्रदान करने के लिए प्रक्रियाओं और तरीकों पर बहस करना, चर्चा करना और निर्णय लेना।
- एमओसी के फोकस क्षेत्रों में शामिल हैं:
- एथलीटों का चयन, बहिष्करण और प्रतिधारण।
- ऐसे प्रशिक्षकों और प्रशिक्षण संस्थानों का चयन जो TOPS सहायता प्राप्त कर सकते हैं।
कार्य –
- टॉप स्कीम एथलीटों के लिए अनुकूलित कार्यक्रमों को मंजूरी देना।
- इन कार्यक्रमों के लिए वित्त पोषण की अनुशंसा करना।
- प्रशिक्षण में एथलीट की प्रगति की निगरानी और समीक्षा करना।
- एथलीटों की आकस्मिक जरूरतों को पूरा करना।
- एथलीटों से उनकी प्रगति के बारे में नियमित रूप से संवाद करना।
- कार्यों को लागू करने के लिए भागीदार एजेंसियों के साथ काम करना।
- लाभार्थियों के लिए दस्तावेज़ीकरण और अनुबंध सुनिश्चित करना।
- एनएसडीएफ टॉप योजना के तहत प्रायोजकों और भागीदारों के प्रति प्रतिबद्धताओं को पूरा करना।
खेलो इंडिया राष्ट्रीय कार्यक्रम
भारत में जमीनी स्तर पर खेल संस्कृति को पुनर्जीवित करने और भारत को एक महान खेल राष्ट्र के रूप में स्थापित करने के लिए खेल और युवा मामलों के मंत्रालय द्वारा खेलो इंडिया राष्ट्रीय कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी।
- यह कार्यक्रम “उत्कृष्टता के लिए खेल” के साथ-साथ “सभी के लिए खेल” को बढ़ावा देने का प्रयास करता है।
खेलो इंडिया निम्नलिखित योजनाओं का विलय है:
- राजीव गांधी खेल अभियान (आरजीकेए)
- शहरी खेल अवसंरचना योजना (यूएसआईएस)
- राष्ट्रीय खेल प्रतिभा खोज योजना (एनएसटीएसएस)
16 विषय शामिल हैं:
- तीरंदाजी, एथलेटिक्स, बैडमिंटन, बास्केटबॉल, मुक्केबाजी, फुटबॉल, जिमनास्टिक, हॉकी, जूडो, कबड्डी, खो-खो, शूटिंग, तैराकी, वॉलीबॉल, भारोत्तोलन और कुश्ती।
उद्देश्य:
- खेल को व्यक्तिगत विकास,सामुदायिक विकास,आर्थिक विकास और राष्ट्रीय विकास के साधन के रूप में मुख्यधारा में लाना
- खेलो इंडिया कार्यक्रम को 12 खंडों (वर्टिकल्स) में विभाजित किया गया है: इनमें से 8 का क्रियान्वयन भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) द्वारा, 3 का युवा मामलों एवं खेल मंत्रालय द्वारा, और 1 का लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षा संस्थान द्वाराकिया जाता है।
भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) द्वारा क्रियान्वित:

- खेल मैदान विकास
- राज्य स्तरीय खेलो इंडिया केंद्रलक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षा संस्थान द्वारा
- वार्षिक खेलकूद प्रतियोगिता
- प्रतिभा खोज एवं विकास
- विकलांग लोगों के बीच खेलों को बढ़ावा देना
- राष्ट्रीय/क्षेत्रीय/राज्य खेल शिक्षाविदों को सहायता
- स्कूली बच्चों की शारीरिक फिटनेस
- ग्रामीण एवं स्वदेशी/आदिवासी खेलों को बढ़ावा देना
युवा मामलों एवं खेल मंत्रालय द्वारा क्रियान्वित:

- महिलाओं के लिए खेल
- खेल अवसंरचना का उपयोग और निर्माण/उन्नयन
- शांति और विकास के लिए खेल
लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षा संस्थान द्वारा क्रियान्वित:

- सामुदायिक कोचिंग विकास
खेलो इंडिया केंद्र
- वर्तमान में देशभर में कुल खेलो इंडिया केंद्रों की संख्या 960 है, जिनमें से 715 केंद्र सक्रिय रूप से कार्यरत हैं।
- राजस्थान में पहले खेलो इंडिया केंद्रों की संख्या 33 थी, जो अब बढ़कर कुल 51 केंद्र हो गई है।
फिट इंडिया मूवमेंट

- लॉन्च तिथि: 29 अगस्त 2019 माननीय प्रधान मंत्री द्वारा।
- उद्देश्य: फिटनेस को दैनिक जीवन का अभिन्न अंग बनाना।
- मिशन: अधिक शारीरिक रूप से सक्रिय जीवनशैली की दिशा में व्यवहारिक परिवर्तन लाना
मुख्य उद्देश्य:
- फिटनेस को आसान,मनोरंजक और स्वतंत्र रूप प्रचारित करना।
- केंद्रित अभियानों के माध्यम से फिटनेस और शारीरिक गतिविधियों के बारे में जागरूकता फैलाना।
- स्वदेशी खेलों को प्रोत्साहित करना।
- सुनिश्चित करना कि फिटनेस हर स्कूल, कॉलेज/विश्वविद्यालय, पंचायत/गांव आदि तक पहुंचे।
- नागरिकों के लिए जानकारी साझा करने,जागरूकता बढ़ाने और व्यक्तिगत फिटनेस कहानियाँ साझा करने के लिए एक मंच बनाना।
फिट इंडिया मूवमेंट का महत्व:
- जागरूकता और व्यवहार परिवर्तन, फिटनेस के प्रति लोगों की मानसिकता में बदलाव, जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों की व्यापकता को कम करना।
- सरकार, शैक्षणिक संस्थानों, खेल संगठनों और स्वास्थ्य निकायों से व्यापक समर्थन।
- शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में फिटनेस के बुनियादी ढांचे का विकास। इसमें फिटनेस सेंटर, पार्क, वॉकिंग ट्रैक और खेल सुविधाओं की स्थापना शामिल है।
- आयोजनों, फिटनेस चुनौतियों और अभियानों के माध्यम से समुदायों को फिटनेस गतिविधियों में शामिल करना।
खेलो इंडिया यूथ गेम्स
- प्रारंभ: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वर्ष 2018 में।
- प्रारंभिक नाम: खेलो इंडिया स्कूल गेम्स।
- नाम परिवर्तन: वर्ष 2019 में इसका नाम बदलकर खेलो इंडिया यूथ गेम्स कर दिया गया।
- वार्षिक आयोजन: हर वर्ष जनवरी या फरवरी में आयोजित किया जाता है।
- उद्देश्य: खेलो इंडिया पहल के तहत खेल संस्कृति को बढ़ावा देना और जमीनी स्तर पर खेल प्रतिभा की पहचान करना।
- 2023 का आयोजन: खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2023 का आयोजन तमिलनाडु में जनवरी 2024 में हुआ।
- आगामी आयोजन:खेलो इंडिया यूथ गेम्स (KIYG) और पैरा गेम्स का आयोजन अप्रैल 2025 में बिहार में किया जाएगा।
राष्ट्रीय युवा नीति
- यह नीति 2003 में पहली बार प्रस्तुत की गई थी
- 2014 में इसे संशोधित किया गया।
- यह युवाओं के विकास और सशक्तिकरण के लिए एक ढांचा प्रदान करती है और सरकार की भूमिका को स्पष्ट करती है, जिसमें युवाओं की भलाई को मार्गदर्शित और बढ़ावा देना शामिल है।
- नीति का मुख्य उद्देश्य यह है कि युवा लोग राष्ट्र की विकास प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लें और उनके समग्र विकास को सुनिश्चित किया जाए।
उद्देश्य:
- युवाओं का सशक्तिकरण: सरकार युवाओं को शासन, शिक्षा, और समुदाय विकास में भाग लेने के अवसर प्रदान करके उनके समाज में भूमिका को सशक्त बनाना चाहती है।
- स्वास्थ्य और कल्याण: युवाओं की शारीरिक, मानसिक, और भावनात्मक भलाई सुनिश्चित करना। स्वास्थ्य सेवाओं, मानसिक स्वास्थ्य समर्थन, और मनोरंजन गतिविधियों तक पहुंच प्रदान करना।
- शिक्षा और कौशल विकास: शिक्षा और कौशल विकास को बढ़ावा देना ताकि युवाओं की रोजगार क्षमता में सुधार हो सके। प्रौद्योगिकिक कौशल, उद्यमिता प्रशिक्षण, और व्यावसायिक शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
- सामाजिक समावेशन: समाज के हाशिए पर रहने वाले युवाओं, लड़कियों और अल्पसंख्यक समुदायों द्वारा अनुभव की जाने वाली चुनौतियों को संबोधित करते हुए सामाजिक समावेशन को बढ़ावा देना
- राष्ट्र निर्माण में युवा भागीदारी: नीति यह सुनिश्चित करती है कि युवाओं की राजनीतिक, सामाजिक, और सांस्कृतिक प्रक्रियाओं में सक्रिय भागीदारी हो, ताकि वे भारत के लोकतांत्रिक ताने-बाने का हिस्सा बन सकें।
- पर्यावरणीय स्थिरता: नीति पर्यावरण शिक्षा और सतत विकास को बढ़ावा देती है, ताकि युवा अपनी पर्यावरणीय जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक हों और पर्यावरण संरक्षण में सक्रिय रूप से भाग लें।
राजस्थान राज्य खेल परिषद
राजस्थान राज्य खेल परिषद राजस्थान में खेल गतिविधियों के विकास और राज्य के खिलाड़ियों को कोचिंग प्रदान करने के लिए राज्य स्तर पर सर्वोच्च निकाय है।
- इसकी स्थापना 1957 में राजस्थान सरकार द्वारा की गई थी।
- युवा मामले एवं खेल विभाग के नियंत्रण में।
- यह राजस्थान राज्य सोसायटी अधिनियम, 1958 के तहत एक सोसायटी के रूप में पंजीकृत है।
राजस्थान राज्य खेल परिषद संरचना:
- संरक्षक: राजस्थान के राज्यपाल
- उप संरक्षक: राजस्थान के मुख्यमंत्री
- अध्यक्ष: परिषद के मुख्य कार्यकारी
- अन्य प्रमुख सदस्य:
- उपाध्यक्ष
- कोषाध्यक्ष
- राज्य सरकार द्वारा 12 से अधिक नामांकित सदस्य
- 6 पदेन सदस्य।
ऐतिहासिक नेतृत्व:
- श्री वी.जी. कानेटकर परिषद के पहले अध्यक्ष थे।
- वर्तमान अध्यक्ष (09 सितम्बर, 2024): डाॅ. नीरज कुमार पवन, शासन सचिव, युवा मामले एवं खेल विभाग राजस्थान।
- खेल नीति का मसौदा जारी: राजस्थान राज्य खेल नीति -2013
प्रशासनिक व्यवस्था:
खेल गतिविधियों और प्रशासन के लिए पद:
- खेल गतिविधियों और प्रशासनिक कार्यों के लिए 483 पद सृजित।
- 235 अधिकारी संवर्ग के पद, जिनमें शामिल हैं:
- परिषद् के सचिव, अधीनस्थ संवर्ग, मंत्रालयिक संवर्ग एवं सहायक संवर्ग।
- अधिकारियों के 103 पद भरे, 132 पद खाली।
- निःशुल्क खेल प्रशिक्षण हेतु 248 खेल प्रशिक्षक के पद स्वीकृत।
- वर्तमान में 72 खेल प्रशिक्षक कार्यरत, 176 पद रिक्त।
जिला खेल प्रशिक्षण केंद्र:
- खेलों को बढ़ावा देने और नियमित प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए सभी 33 जिलों में कार्य किया जा रहा है।
- स्टाफ में एक खेल अधिकारी/प्रभारी, कनिष्ठ क्लर्क और जिला-विशिष्ट लोकप्रिय खेलों के आधार पर प्रशिक्षक शामिल हैं।
- कार्यालय और मैदान के रख-रखाव के लिए नियुक्त चौकीदार और गेम बॉय।
जिला खेल अधिकारी की भूमिका:
- विभिन्न खेलों की प्रतियोगिताओं का आयोजन करता है।
- अधीनस्थ कर्मचारियों और प्रशिक्षकों की मदद से होनहार खिलाड़ियों को गहन प्रशिक्षण प्रदान करता है।
खेलों को प्रोत्साहित करने की पहल
राजस्थान ने खेलों को प्रोत्साहित करने और एथलीटों का समर्थन करने के लिए कई पहल लागू की हैं:
- राजस्थान राज्य खेल नीति 2013: राष्ट्रीय नेतृत्व करने और अंतरराष्ट्रीय पहचान हासिल करने के लिए सुविधाएं और अवसर विकसित करने के उद्देश्य से।
- ग्रामीण ओलंपिक: पहले ग्रामीण ओलंपिक में ग्रामीण स्तर पर खेलों को बढ़ावा देने के लिए 25 से 40 लाख खिलाड़ी शामिल हुए।
- उपलब्धियों का सम्मान: महाराणा प्रताप पुरस्कार और गुरु वशिष्ठ पुरस्कार जैसे पुरस्कार उत्कृष्ट एथलीटों और कोचों को सम्मानित करते हैं।
- बढ़ी हुई पुरस्कार राशि: ओलंपिक और अन्य अंतरराष्ट्रीय पदक विजेताओं के लिए नकद पुरस्कार में उल्लेखनीय वृद्धि, ओलंपिक स्वर्ण पदक के लिए 3 करोड़ रुपये तक।
- रोजगार के अवसर: पदक विजेताओं के लिए सरकारी सेवाओं में आउट-ऑफ-टर्न आधार पर नौकरी की नियुक्तियाँ।
- खेल अवसंरचना: खेल सुविधाओं का विकास और बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए निजी संस्थाओं को समर्थन, जिसमें राजस्थान खेल विश्वविद्यालय की स्थापना भी शामिल है।
- प्रशिक्षण शिविर: वार्षिक आवासीय प्रशिक्षण शिविर, जिसमें जनजातीय क्षेत्रों के लिए विशेष शिविर भी शामिल हैं।
- खेल अकादमियाँ और छात्रावास: विभिन्न अकादमियाँ और छात्रावास युवा एथलीटों को प्रशिक्षण और सहायता प्रदान करते हैं।
- आरक्षण और लाभ: उत्कृष्ट खिलाड़ियों के लिए सरकारी नौकरियों में 2% आरक्षण, साथ ही रियायती भूमि, मुफ्त यात्रा और दैनिक भत्ते जैसे अन्य लाभ।
- संस्थागत समर्थन: राजस्थान राज्य खेल परिषद राज्य में खेलों को बढ़ावा देने के लिए नीतियों और महत्वपूर्ण योजनाओं को मंजूरी देती है, साथ ही नीचे उल्लिखित अन्य कार्य भी करती है।
- खेलों को बढ़ावा देने के लिए खेल संघ: राजस्थान खेल (पंजीकरण, मान्यता और संघों का विनियमन) अधिनियम, 2005 द्वारा शासित।
भारतीय खेल प्राधिकरण एवं राजस्थान राज्य क्रीड़ा परिषद/ भारतीय खेल प्राधिकरण एवं राजस्थान राज्य क्रीड़ा परिषद / भारतीय खेल प्राधिकरण एवं राजस्थान राज्य क्रीड़ा परिषद