बुद्धिमत्ता मनुष्य की एक महत्वपूर्ण मानसिक क्षमता है जो उसकी सोचने, समझने, निर्णय लेने और समस्याओं को हल करने की योग्यता को दर्शाती है। व्यवहार विषय के अंतर्गत, बुद्धि का अध्ययन विभिन्न दृष्टिकोणों से किया जाता है—जैसे भावनात्मक, सामाजिक, संज्ञानात्मक और आध्यात्मिक बुद्धि। भारतीय संदर्भ में बुद्धि की प्रकृति, उसकी विशेषताएँ और बुद्धिलब्धि (IQ) को समझना अत्यंत आवश्यक है।
विगत वर्षों में पूछे गए प्रश्न
वर्ष | प्रश्न | अंक |
2023 | डेविड वेशलर द्वारा प्रतिपादित बुद्धि को परिभाषित कीजिए । | 2M |
2023 | भारतीय परम्परा में बुद्धि के पक्ष (पहलू) के रूप में पहचानी गई क्षमताओं के प्रकार कौन-से हैं ? | 2M |
2021 | बुद्धि को परिभाषित कीजिए। | 2M |
2021 | संवेगात्मक बुद्धि से क्या आशय है? | 2M |
2018 | सांवेगिक बुद्धि क्या है ? | 2M |
2018 | गार्डनर के बहु बुद्धि के सिद्धान्त को स्पष्ट कीजिए । | 5M |
2016 | संवेगात्मक बुद्धि क्या है ? | 2M |
2016Special | सामाजिक बुद्धि क्या है | 2M |
बुद्धि
कई मनोवैज्ञानिकों ने बुद्धिमत्ता को परिभाषित करने का प्रयास किया है। 1923 में, बोरिंग ने एक परिभाषा दी, और बाद में अन्य विशेषज्ञों ने बुद्धि को अलग-अलग ढंग से परिभाषित करने के प्रयास किए जिनके अनुसार बुद्धिमत्ता को तीन पहलुओं में विभाजित किया जा सकता है:
- वातावरण के साथ अनुकूलन
- सीखने की क्षमता, और
- अमूर्त चिंतन
परंतु इन सभी परिभाषाओं में भी बुद्धि के एक पहलू को ही महत्व दिया गया। वास्तव में बुद्धिमत्ता एक प्रकार की क्षमता ना होकर क्षमताओं के एक समूह है। विभिन्न मनोवैज्ञानिकों द्वारा बुद्धिमत्ता को विभिन्न तरीक़ों से परिभाषित किया गया है जो की निम्नलिखित हैं
- ऑक्सफोर्ड शब्दकोश ने बुद्धि को प्रत्यक्षण करने, सीखने, समझने और जानने की योग्यता के रूप में परिभाषित किया है।
- अल्फ्रेड बिने (1905) ने “बुद्धि को अच्छा निर्णय लेने की योग्यता, अच्छा बोध करने की योग्यता और अच्छा तर्क प्रस्तुत करने की योग्यता के रूप में परिभाषित किया।”
- वेसलर (1939) के अनुसार, “बुद्धि एक समुच्चय या सार्वजनिक क्षमता है जिसके सहारे व्यक्ति सउद्देश्य व्यवहार करता है, विवेकशील चिंतन करता है तथा वातावरण के साथ प्रभावकारी ढंग से समायोजन करता है।”
- रॉबिन्सन तथा रॉबिन्सन (1965) के अनुसार “बुद्धि से तात्पर्य संज्ञानात्मक व्यवहारों के सम्पूर्ण वर्ग से होता है, जो व्यक्ति में संज्ञान द्वारा समस्या समाधान करने की क्षमता, नयी परिस्थितियों के साथ समायोजन करने की क्षमता, अमूर्त रूप से सोचने की क्षमता तथा अनुभवों से लाभ उठाने की क्षमता को दिखलाता है।”
- निसेर तथा उनके सहयोगियों (1996) ने बुद्धि को इस प्रकार परिभाषित किया है कि यह व्यक्ति की “जटिल विचारों को समझने, पर्यावरण के साथ प्रभावी ढंग से समायोजन करने, अनुभवों से सीखने, विभिन्न तरह के तर्कों में सम्मिलित होने और चिंतन द्वारा बाधाओं को दूर करने की क्षमता होती है।”
- गार्डनर और स्टर्नबर्ग का सुझाव है कि एक बुद्धिमान व्यक्ति न केवल अपने पर्यावरण से अनुकूलन करता है बल्कि उसमें सक्रियता से परिवर्तन और परिमार्जन भी करता है।
- टरमन – बुद्धि भावात्मक विचारो के अनुरूप चिंतन क्रिया है
बुद्धि की प्रकृति
- बुद्धि कई क्षमताओं का योग होता है।
- बुद्धि की मदद से गत अनुभवों का लाभ मिल पाता है।
- बुद्धि के फलस्वरूप ही व्यक्ति उद्देश्यपूर्ण क्रियाएँ करता है।
- बुद्धि की मदद से व्यक्ति वातावरण में अच्छे ढंग से समायोजन और अनुकूलन करना सीखता है।
- बुद्धि की मदद से व्यक्ति विवेकशील चिंतन और अमूर्त चिंतन करने में समर्थ होता है।
उपरोक्त सभी बिंदुओं से स्पष्ट है कि बुद्धि के स्वरूप को समझने हेतु एक से अधिक कारकों एवं क्षमताओं की आवश्यकता होती है। इस संदर्भ में, थर्स्टन (1938) ने बुद्धि की कुल 7 क्षमताएँ बताई हैं। गिलफोर्ड (1967) ने बुद्धि की कुल 150 क्षमताएँ बताई हैं। थर्स्टन ने इन क्षमताओं को प्राथमिक मानसिक क्षमताएँ कहा है।
बुद्धि की विशेषताएँ
- बुद्धि व्यक्ति की जन्मजात शक्ति है।
- बुद्धि व्यक्ति को वातावरण के साथ प्रभावकारी ढंग से सामंजस्य करने की क्षमता प्रदान करती है।
- बुद्धि व्यक्ति को अमूर्त चिंतन करने की योग्यता देती है।
- बुद्धि व्यक्ति को उद्देश्यपूर्ण क्रिया करने के लिए प्रेरित करती है।
- बुद्धि व्यक्ति को पुराने अनुभवों से लाभ उठाने की योग्यता प्रदान करती है।
- एक से अधिक मानसिक गुणों का समूह बुद्धि है।
- बुद्धि व्यक्ति को किसी भी समस्या के समाधान में अन्तर्दृष्टि प्रदान करती है।
- बुद्धि की सहायता से ही व्यक्ति विवेकपूर्ण, तर्कपूर्ण एवं संगत ढंग से विभिन्न विषयों पर चिंतन कर पाता है।
भारतीय परम्परा में बुद्धि
भारतीय परम्परा में बुद्धि को समाकलित बुद्धि भी कहा जा सकता है जिसमें समाज तथा वैज्ञानिक पर्यावरण में समायोजन के परिप्रेक्ष में योग्यताओं को विकसित करने के संदर्भ को रेखांकित किया है। बुद्धि की संज्ञानात्मक तथा असंज्ञानात्मक दोनों प्रकार की प्रक्रियाओं के समाकलन पर अधिक बल दिया गया है। भारतीय परम्परा में निम्नलिखित क्षमताएँ बुद्धि के अन्तर्गत स्वीकार की जाती हैं —
- संज्ञानात्मक क्षमता : सोच-समझ, विभेदन क्षमता, समस्या समाधान योग्यता, प्रभावी संप्रेषण आदि।
- सामाजिक क्षमता : सामाजिक व्यवहार, सामाजिक व्यवस्था एवं नियमों के प्रति सम्मान, सामाजिक समरसता आदि।
- सांवेगिक क्षमता : संवेग परिपक्वता एवं नियंत्रण, आत्म मूल्यांकन, शिष्टता, अच्छा आचरण आदि।
- उद्यमी क्षमता : प्रतिबद्धता, कठिन परिश्रम, धैर्य, लक्ष्य निर्धारित व्यवहार आदि।
संज्ञानात्मक क्षमता + सामाजिक क्षमता + सांवेगिक क्षमता + उद्यमी क्षमता = भारतीय परम्परा में बुद्धि |
भारतीय संदर्भ में विभिन्न प्रकार की बुद्धि
- युक्ति (व्यावहारिक एवं समस्या समाधान बुद्धि)
- उदाहरण: भगवान गणेश – बुद्धि के देवता, विघ्न हरण कर्ता
- प्रज्ञा (अंतर्ज्ञान पर आधारित बुद्धि)
- उदाहरण: एक साधु द्वारा भविष्य की घटनाओं का पूर्वानुमान लगाना
- चिंतन (गहन मनन एवं तर्कशील बुद्धि)
- उदाहरण: तुलसीदास जी द्वारा किया गया आत्म-चिंतन (स्वयं पर गहन विचार)
- ज्ञान (विषय को समझने और सीखने की बुद्धि)
- उदाहरण: वेदों एवं शास्त्रों का ज्ञान
- विवेक (सही और गलत में अंतर करने की बुद्धि)
- उदाहरण: महाभारत में विदुर की न्यायसंगत सोच
- आध्यात्मिक बुद्धि
- उदाहरण: भगवान बुद्ध और महावीर स्वामी
- सामाजिक बुद्धि
- उदाहरण: भारतीय समाज में वरिष्ठ नागरिकों को अधिक बुद्धिमान माना जाता है क्योंकि उनके पास अधिक सामाजिक पूंजी (Social capital) होती है
बुद्धि लब्धि
बुद्धि लब्धि : 1912 में एक जर्मन मनोवैज्ञानिक विलियम स्टर्न ने बुद्धि लब्धि का संज्ञेय विकसित किया। किसी व्यक्ति की मानसिक आयु को उसकी कालानुक्रमिक आयु से भाग देने के बाद उसको 100 से गुणा करने से उसकी बुद्धि लब्धि प्राप्त हो जाती है।

- 70 से 84 – बौद्धिक विकलांगता (Borderline mental disability)
- 90 से 110 – सामान्य बुद्धि (Normal intelligence)
- 115 से 129 – औसत से अधिक या प्रतिभाशाली (Above average or bright)
ऐतिहासिक रिकॉर्ड दर्शाते हैं कि आइंस्टीन का बुद्धि लब्धि (IQ) 160 से अधिक था।
सांवेगिक बुद्धि
जीवन में सफल होने के लिए उच्च बुद्धि लब्धि तथा शैक्षणिक सफलता
ही पर्याप्त नहीं है। हम अनेक ऐसे व्यक्ति पाते हैं, जो उच्च शैक्षिक प्रतिभा वाले तो हैं, परंतु अपने जीवन में सफल नहीं हो पाते। परिवार में तथा कार्य स्थान पर उनको अनेक समस्याएँ रहती हैं। वे अच्छा अंतर्वैयक्तिक संबंध नहीं बना पाते क्योकि उन्में सांवेगिक बुद्धि की कमी होती है। सांवेगिक बुद्धि के संज्ञेय को सर्वप्रथम सैलोवी एवं मेयर ने प्रतिपादित किया जिसकी वैज्ञानिक और सैद्धांतिक व्याख्या गोलेमन (1998) अपनी बहुचर्चित पुस्तक ‘इमोशनल इंटेलिजेंस: वाई इट केन मैटर मोर देन आईक्यू’ (Emotional Intelligence: Why it can matter more than IQ?) में की ।
योग्यता मॉडल (Ability Model)
- भावनात्मक बुद्धिमत्ता (EI) का योग्यता मॉडल इसे एक मानक बुद्धिमत्ता के रूप में परिभाषित करता है, जिसमें एक विशिष्ट मानसिक क्षमताओं का समावेश होता है।
- सैलोवी एवं मेयर के अनुसार “अपने तथा दूसरे व्यक्तियों के संवेगों को समझना,उनमे विभेदन करना तथा फिर प्राप्त सूचना के अनुसार अपने चिंतन से व्यवहारों को निर्देशित करने की योग्यता ही सांवेगिक बुद्धि है।” यह परिभाषा सांवेगिक बुद्धि (EI) के चार प्रमुख पहलुओं को शामिल करती है: 1. भावनाओ का प्रत्यक्षण [पहचानना], 2. भावनाओं को चिंतन से जोड़ना, 3. भावनाओ को समझना [विश्लेषण कर पाना] 4. भावनाओ का प्रबंधन।

- भावनात्मक पहचान (Emotional Perception) – चेहरे के हावभाव, आवाज के लहजे और भाषा के माध्यम से भावनाओं को पहचानना
- भावनात्मक एकीकरण (Emotional Integration) – सोचने और निर्णय लेने में भावनाओं को शामिल करना
- भावनात्मक समझ (Emotional Understanding) – उदाहरण: एक शिक्षक समझता है कि किसी बच्चे का खराब प्रदर्शन पढ़ाई की कमी के कारण नहीं, बल्कि पारिवारिक समस्याओं के कारण है
- भावनात्मक प्रबंधन (Emotional Management) – अपनी और दूसरों की भावनाओं को नियंत्रित करना। उदाहरण: भीड़ नियंत्रण के दौरान एक RPS अधिकारी का शांत और संतुलित रहना
मिश्रित और गुणात्मक मॉडल
- मिश्रित मॉडल और गुणात्मक मॉडल, भावनात्मक बुद्धिमत्ता (EI) को व्यापक दृष्टिकोण से परिभाषित करते हैं। ये मॉडल संज्ञानात्मक क्षमताओं के साथ व्यक्तित्व गुणों जैसे आशावाद , प्रेरणा और तनाव सहनशीलता को एकीकृत करते हैं।
- यह दृष्टिकोण EI की व्यापक समझ प्रदान करता है, जिसमें मानसिक दक्षताओं और विशेष व्यवहारों दोनों को शामिल किया जाता है।
- प्रमुख मिश्रित मॉडल – Boyatzis-Goleman Model व संवेगात्मक -सामाजिक बुद्धि का बार ओन मॉडलl
- डेनियल गोलेमैन ने अपनी बहुचर्चित पुस्तक Emotional Intelligence: Why it can matter more than IQ? में स्पष्ट रूप से यह समझाया कि जिंदगी की सफलताओं का केवल 20 प्रतिशत बुद्धि लब्धि के कारण होता है और बाकी 80 प्रतिशत सफलता सांवेगिक बुद्धि (Emotional intelligence) के कारण होती है। उसके अनुसार सांवेगिक बुद्धि “अपने एवं दूसरों के भावों को पहचानने की क्षमता तथा अपने आप को अभिप्रेरित करके एवं अपने और अपने संबंधों में संवेगों को प्रबंधित करने की क्षमता है। सांवेगात्मक बुद्धि द्वारा उन क्षमताओं का वर्णन होता है जो शैक्षिक वृद्धि या बुद्धि लब्धि द्वारा मापे जाने वाले पूर्णतः संज्ञानात्मक क्षमताओं से भिन्न परंतु उसके पूरक होते हैं।
इस सिद्धांत में गोलेमन ने सांवेगिक क्षमताओं के सेट के बारे में भी बताया है जो एक व्यक्ति को दूसरे से अलग करता है जो कि चार समूहों में विभाजित है।
- आत्म जागरूकता (Self Awareness): अपने संवेगों, शक्तियों और कमजोरियों को समझने की क्षमता।
- आत्म प्रबंधन (Self Management): अपने अभिप्रेरकों (Motives) को प्रबंधित करने और व्यवहारों को नियंत्रित करने की क्षमता।
- आत्म प्रेरणा – जुनून की भावना
- सामाजिक जागरूकता (Social Awareness): दूसरों के कार्य, अनुभव एवं उनके कारणों को समझने की क्षमता।
- सामाजिक कौशल (Social Skills): स्वयं के व्यवहार से दूसरों से वांछित परिणाम प्राप्त करने एवं व्यक्तिगत लक्ष्यों की प्राप्ति की क्षमता।
गोलेमन के अनुसार जीवन के अलग-अलग क्षेत्रों में सफल होने के लिए संवेगिक क्षमताओं की आवश्यकता होती है और इसी कारण गोलेमन ने अपने मॉडल को ‘कार्यनिष्पादन का सिद्धांत’ कहा है।
गुणात्मक मॉडल (Trait Model)
- गुणात्मक मॉडल भावनात्मक बुद्धिमत्ता (EI) को व्यक्तित्व ढांचे के भीतर स्थित भावनात्मक आत्म-धारणाओं के एक समूह के रूप में परिभाषित करता है। यह मॉडल व्यवहार संबंधी प्रवृत्तियों और आत्म-धारित क्षमताओं (गुणों) को सम्मिलित करता है, जैसे: अनुकूलन क्षमता, आत्म-विश्वास एवं दृढ़ता, भावना नियंत्रण
- बार-ऑन (Bar-On) ने सवेगात्मक बुद्धि को इस प्रकार परिभाषित किया कि, “भावनात्मक बुद्धिमत्ता व्यक्ति की दैनिक पर्यावरणीय परिवर्तनों से निपटने की क्षमता को दर्शाती है और व्यक्ति की पेशेवर और व्यक्तिगत प्रयासों सहित जीवन में सफलता का अनुमान लगाने में सहायक होती ।”
सेलोवी बनाम गोलेमैन: सेलोवी की परिभाषा भावनात्मक बुद्धिमत्ता के चार पहलुओं को कवर करती है (भावनात्मक प्रत्यक्षण, भावनात्मक एकीकरण, भावनात्मक समझ, और भावनात्मक प्रबंधन), जबकि गोलेमैन ने भावनात्मक बुद्धिमत्ता (EQ) को जीवन के भावनात्मक पक्ष से संबंधित गुणों के समूह के रूप में परिभाषित किया। गोलेमैन ने भावनात्मक बुद्धिमत्ता के 5 पहलुओं का प्रस्ताव रखा (स्वयं की भावनाओं को जानना, स्वयं की भावनाओं का प्रबंधन करना, स्वयं को प्रेरित करना, दूसरों की भावनाओं को पहचानना, और भावनाओं को संभालना)।

सांवेगिक बुद्धिमान व्यक्तियों की विशेषताएँ:
- अपनी भावनाओं और संवेगों को जानना और उसके प्रति संवेदनशील होना।
- दूसरे व्यक्तियों के विभिन्न संवेगों को उनकी शरीर भाषा, आवाज़ और स्वरक तथा आनन अभिव्यक्तियों पर ध्यान देते हुए जानना और उसके प्रति संवेदनशील होना।
- अपने संवेगों को अपने विचारों से संबद्ध करना ताकि समस्या समाधान तथा निर्णय करते समय उन्हें ध्यान में रखा जा सके।
- अपने संवेगों की प्रकृति और तीव्रता के शक्तिशाली प्रभाव को समझना।
- अपने संवेगों और उनकी अभिव्यक्तियों को दूसरों से व्यवहार करते समय नियंत्रित करना ताकि शांति और सामंजस्य की प्राप्ति हो सके।
व्यक्तिगत एवं प्रशासनिक जीवन में भावनात्मक बुद्धिमत्ता का महत्व
प्रशासनिक जीवन में –
- संचार/संपर्क में सुधार: भावनात्मक बुद्धिमत्ता (EI) अंतरव्यक्तिक कौशल को बढ़ाती है, जिससे संचार स्पष्ट और अधिक प्रभावी होता है। उदाहरण के लिए, IAS दिव्या देवराजन ने प्रभावी संचार के लिए तीन महीनों में गोंडी सीखी।
- संघर्ष समाधान: उच्च EI वाले व्यक्ति संघर्षों को अधिक प्रभावी ढंग से प्रबंधित और हल कर सकते हैं, जिससे सहयोगी कार्य वातावरण को बढ़ावा मिलता है। उदाहरण के लिए, IPS चेतन सिंह राठौर ने प्रदर्शनकारियों को राष्ट्रीय गान गाने के लिए राजी किया।
- नेतृत्व कौशल: EI नेताओं को अपनी टीमों को प्रेरित और प्रोत्साहित करने में मदद करती है, जिससे वे उनकी भावनाओं और जरूरतों को समझ सकें। उदाहरण के लिए, IAS एन प्रभाकर रेड्डी ने अपने बच्चों का नामांकन सरकारी स्कूल में कराया।
- अनुकूलनशीलता: उच्च EI पेशेवरों को बदलती परिस्थितियों के अनुकूल होने और कार्यस्थल की चुनौतियों को धैर्य के साथ पार करने में सक्षम बनाती है। उदाहरण के लिए, IAS टीना डाबी का नवो बाडमेर मिशन, APJ Abdul kalam as DRDO scientist, President and professor
- बेहतर निर्णय लेना: EI भावनात्मक नियंत्रण को सुविधाजनक बनाती है, जिससे निर्णय लेने की प्रक्रिया अधिक तर्कसंगत और संतुलित होती है।
व्यक्तिगत जीवन में –
- संबंधों में सुधार: EI सहानुभूति और समझ को बढ़ाती है, जिससे व्यक्तिगत संबंध गहरे और अधिक अर्थपूर्ण होते हैं।
- तनाव प्रबंधन: उच्च EI वाले व्यक्ति तनाव को बेहतर ढंग से संभाल सकते हैं, जिससे मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- आत्म-जागरूकता: EI आत्म-प्रतिबिंब को बढ़ावा देती है, जिससे व्यक्ति अपनी भावनाओं और ट्रिगर्स को समझने में मदद मिलती है।
- संघर्ष प्रबंधन: यह व्यक्तियों को व्यक्तिगत संबंधों में संघर्षों को शांति से और रचनात्मक तरीके से संभालने में सक्षम बनाती है।
- सहानुभूति और करुणा: EI सहानुभूति की भावना को बढ़ावा देती है, जिससे व्यक्ति दूसरों की भावनाओं और अनुभवों से जुड़ सकते हैं।
सामाजिक बुद्धि
सामाजिक बुद्धिमत्ता (SI) शब्द का प्रयोग सबसे पहले डेवी और लुल ने किया था। लेकिन, सामाजिक बुद्धिमत्ता की आधुनिक अवधारणा थॉर्नडाइक (1920) ने दी। इन्होंने बुद्धिमत्ता को 3 प्रकारों में विभाजित किया। सामाजिक बुद्धि, मूर्त बुद्धि, अमूर्त बुद्धि। उनके अनुसार यह “पुरुषों और महिलाओं, लड़कों और लड़कियों को समझने और प्रबंधित करने, और मानव संबंधों में समझदारी से कार्य करने की क्षमता” है।
हावर्ड गार्डनर का बहु-बुद्धि सिद्धांत: गार्डनर ने अपनी बहु-बुद्धि सिद्धांत में अंतरव्यक्तिगत बुद्धि को शामिल किया, जो सामाजिक बुद्धिमत्ता के समान है और दूसरों की भावनाओं, इच्छाओं, और उद्देश्यों को समझने की क्षमता को दर्शाता है।
हालाँकि, सामाजिक बुद्धिमत्ता की कई परिभाषाएँ हो सकती हैं पर वास्तव में यह एक क्षमताओं का समूह है जो किसी व्यक्ति को दो लोगों, टीमों या बड़े समूहों के साथ स्वस्थ संबंध बनाने और क़ायम रखने में सक्षम बनाता है। सरल शब्दों में, यह दूसरों के साथ जीने, प्यार करने और काम करने की क्षमता है।व्यवहार के संदर्भ में, बोयाट्जिस (Boyatzis,2009) ने परिभाषित किया है कि “सामाजिक बुद्धिमत्ता दूसरों के बारे में भावनात्मक जानकारी को पहचानने, समझने और उपयोग करने की क्षमता है जो प्रभावी या बेहतर प्रदर्शन का कारण बनती है।”
सामाजिक बुद्धिमत्ता (SI) सीखे गए व्यवहारों से प्रदर्शित कौशलों का मिश्रण है। SI को बेहतर करने के लिए हमें:
- नए व्यवहारों और बातचीत के तरीकों को अपनाना होगा।
- यह समझना होगा कि आपका व्यवहार दूसरों को कैसे प्रभावित करता है।
Karl Albrecht का सामाजिक बुद्धिमत्ता (SI) मॉडल
कार्ल अल्ब्रेक्ट ने सामाजिक बुद्धिमत्ता को “दूसरों के साथ अच्छे से पेश आने और उनके सहयोग को प्राप्त करने की क्षमता” के रूप में परिभाषित किया है। उन्होंने इसे पाँच प्रमुख आयामों में विभाजित किया, जिसे उन्होंने S.P.A.C.E. मॉडल कहा:

- Situational Awareness (स्थितिजन्य जागरूकता): विभिन्न सामाजिक परिस्थितियों और उनके गतिशीलता को समझने की क्षमता।
- एक आरपीएस अधिकारी भीड़ के हिंसक हिस्से से अवगत है
- Presence (उपस्थिति): आत्मविश्वास, करिश्मा, और दूसरों पर सकारात्मक प्रभाव डालने की क्षमता।
- किसी से बातचीत करते समय आँखों से गहरा संपर्क बनाए रखें
- Authenticity (प्रामाणिकता): ईमानदारी और सच्चाई के साथ खुद को प्रस्तुत करने की योग्यता।
- एक मित्र द्वारा दी गई निष्पक्ष, सच्ची सलाह [भले ही इससे अस्थायी रूप से भावनाएं आहत हों]
- Clarity (स्पष्टता): सटीक और प्रभावी संचार करने की क्षमता
- संरचित तरीका, डेटा, तथ्य, उदाहरण
- Empathy (सहानुभूति): दूसरों की भावनाओं और दृष्टिकोण को समझने और महसूस करने की क्षमता
- पुलिस स्टेशन में पीड़ित को मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान करना
महत्व
- नेतृत्व, व्यवसाय, शिक्षा, एवं व्यक्तिगत संबंधों में अंतरसंबंध कौशल को सुधारने में सहायक।
- सामाजिक बुद्धिमत्ता एक कौशल है, जिसे समय के साथ विकसित एवं संवर्धित किया जा सकता है।
- यह व्यक्तिगत एवं पेशेवर दोनों क्षेत्रों में प्रासंगिक है, जहाँ यह टीमवर्क, वार्ता कौशल, एवं भावनात्मक कल्याण में सहायता करता है।
सामाजिक और भावनात्मक बुद्धिमत्ता के बीच संबंध
भावनात्मक बुद्धिमत्ता (EI) और सामाजिक बुद्धिमत्ता (SI) आपस में घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए हैं क्योंकि दोनों में भावनाओं की समझ और प्रबंधन शामिल है। हालांकि, दोनों का ध्यान अलग-अलग पहलुओं पर केंद्रित होता है।
- SI दूसरों के साथ संबंध बनाने और समझने की क्षमता है।
- EI अपने और दूसरों की भावनाओं को पहचानने और नियंत्रित करने की क्षमता है।
दोनों एक-दूसरे को पूरक करते हैं और अच्छे संबंधों के लिए जरूरी हैं।
उदाहरण के लिए मानिए की आप एक टीम में काम कर रहे हैं। आपका एक सहयोगी परेशान है क्योंकि उसे लगता है कि उसे निर्णय लेने की प्रक्रिया से बाहर रखा गया है।
- यदि आपके पास भावनात्मक बुद्धिमत्ता (EI) है, तो आप पहले अपने सहयोगी की निराशा को पहचानेंगे और अपनी प्रतिक्रिया को इस तरह नियंत्रित करेंगे कि आप शांत और सहायक बने रहें।
- यदि आपके पास सामाजिक बुद्धिमत्ता (SI) है, तो आप इस समझ का उपयोग करके अपने सहयोगी से बातचीत करेंगे, उनकी भावनाओं को स्वीकार करेंगे, और उन्हें भविष्य के निर्णयों में शामिल करने के तरीके खोजेंगे, जिससे टीम में सामंजस्य बढ़ेगा।
इस प्रकार, EI आपको भावनाओं को समझने में मदद करता है, जबकि SI उस समझ का उपयोग करके बेहतर संबंध बनाने और सामाजिक परिस्थितियों को सुचारू रूप से नेविगेट करने में सहायक होता है।

यह चित्र भावनात्मक बुद्धिमत्ता (EI) और सामाजिक बुद्धिमत्ता (SI) के बीच के संबंध को स्पष्ट करता है। इन दोनों के उभयनिष्ठ भाग का अर्थ है कि ये बुद्धिमत्ताएँ एक साथ मिलकर जटिल भावनात्मक और सामाजिक परिस्थितियों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने में मदद करती हैं।
संबंधों को सफलतापूर्वक नेविगेट करने के लिए दोनों ही अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। सामाजिक बुद्धिमत्ता (SI) में कुछ समस्याएँ तब उत्पन्न हो सकती हैं जब भावनात्मक बुद्धिमत्ता (EI) पूरी तरह से विकसित नहीं होती है, और इसके विपरीत भी सही है।
संज्ञानात्मक बुद्धि
संज्ञानात्मक बुद्धिमत्ता का तात्पर्य उन मानसिक क्षमताओं से है जो ज्ञान अर्जित करने, तर्कसंगत सोचने और समस्याओं को प्रभावी ढंग से हल करने में सहायक होती हैं। इसमें ध्यान, स्मृति, निर्णय-निर्माण, भाषा कौशल और समस्या-समाधान जैसी संज्ञानात्मक प्रक्रियाएँ शामिल हैं। यह सोचने, सीखने, स्मृति और समस्या को सुलझाने जैसे कौशलों में निपुणता प्रदान करता है, जो व्यक्तिगत और व्यावसायिक सफलता के लिए आवश्यक हैं।
पियाजे का संज्ञानात्मक विकास मॉडल :
पियाजे का संज्ञानात्मक विकास मॉडल यह दर्शाता है कि बच्चे मानसिक विकास के अलग-अलग चरणों से कैसे गुजरते हैं, जहाँ प्रत्येक चरण की अपनी विशेष सोचने और दुनिया को समझने की क्षमता होती है। पियाजे के मॉडल में चार मुख्य चरण होते हैं:
पियाजे द्वारा प्रतिपादित संज्ञानात्मक विकास की अवस्थाएँ
अवस्था | सन्निकट आयु | विशेषताएँ |
संवेदी-प्रेरकस्पर्श, दृष्टि, ध्वनि, स्वाद | 0-2 वर्ष | शिशु संवेदी अनुभवों का शारीरिक क्रियाओं के साथ समन्वय करते हुए संसार का अन्वेषण करता है। |
पूर्व-संक्रियात्मक शब्द, चित्र, इशारे | 2-7 वर्ष | प्रतीकात्मक विचार विकसित होते हैं; वस्तु स्थायित्व उत्पन्न होता है; बच्चा वस्तु के विभिन्न भौतिक गुणों को समाहित नहीं कर पाता है। |
मूर्त संक्रियात्मक (2+2 = 4) | 7-11 वर्ष | बच्चा मूर्त घटनाओं के संबंध में तर्कसंगत तर्कना कर सकता है और वस्तुओं को विभिन्न समूहों में वर्गीकृत कर सकता है। वस्तुओं की मानसिक प्रतिमाओं पर प्रतिवर्तनीय मानसिक संक्रियाएँ करने में सक्षम होता है। |
औपचारिक संक्रियात्मक प्रेम, लोकतंत्र, परिकल्पना आदि | 11-15 वर्ष | किशोर तर्क का अनुप्रयोग अधिक अमूर्त रूप से कर सकते हैं; परिकल्पनात्मक चिंतन विकसित होते हैं। |
आध्यात्मिक बुद्धि
आध्यात्मिक बुद्धि को सर्वोच्च बुद्धि के रूप में माना जाता है। यह अंतरात्मा की स्थिति एवं इसके संसार में होने, के संबंध से जुड़ा हुआ है आत्म-जागरूकता के अलावा, इसका तात्पर्य हमारे पारलौकिक, आपसी संबंधों, पृथ्वी और सभी प्राणियों के साथ संबंधों के बारे में जागरूकता से है। यह कहा जा सकता है कि आध्यात्मिक गुणांक ‘बुद्धिमत्ता गुणांक’ और ‘भावनात्मक गुणांक’ का कुल योग है।

दाना ज़ोहार और मार्शल (2000) के अनुसार, “आध्यात्मिक बुद्धि का तात्पर्य जीवन के वास्तविक अर्थ, ध्येय और मूल्य के लिए हमारी आकांक्षा और क्षमता के विकास से है, जो तर्क व भावना, मन और शरीर के बीच एक कड़ी की सुविधा प्रदान करती है।” जिससे हम यह मूल्यांकन कर सकते हैं कि कौन सा जीवन-पथ या क्रिया अधिक सार्थक है।

नासेल (2004) इसे भेद करने, अर्थ की खोज करने और आध्यात्मिक मुद्दों को हल करने की क्षमता के रूप में परिभाषित करते हैं।
धर्म और आध्यात्मिक गुणांक के बीच संबंध
आध्यात्मिक गुणांक (SQ) का उपयोग धर्म के बारे में अधिक आध्यात्मिक रूप से बुद्धिमान बनने के लिए कर सकते हैं। एक व्यक्ति जो उच्च SQ रखता है, वह कोई भी धर्म अपना सकता है, लेकिन उसके विचारों में संकीर्णता, कट्टरता, या पूर्वाग्रह नहीं होगा। इसी प्रकार, एक व्यक्ति जो उच्च SQ रखता है, वह बिना किसी धर्म का पालन किए भी आध्यात्मिक गुणों से संपन्न हो सकता है।”
इस प्रकार, SQ किसी विशेष धर्म का पालन किए बिना भी व्यक्ति को नैतिकता और आध्यात्मिकता से जोड़ सकता है।
आध्यात्मिक बुद्धिमत्ता के घटक
आध्यात्मिक बुद्धिमत्ता के पाँच प्रमुख घटक होते हैं:
- अधिगमन (Transcendence): अपने अहंकार से परे जाकर एक दूसरे से जुड़े संपूर्णता का अनुभव करना।
- चेतना (Consciousness): स्वयं को जानना और स्पष्ट उद्देश्य के साथ जागरूक जीवन जीना।
- अर्थ (Meaning): दैनिक अनुभवों को शुद्ध और सार्थक बनाने की क्षमता।
- अनुग्रह/कृपा (Grace): समस्याओं को हल करने के लिए आध्यात्मिक साधनों का उपयोग करना और विश्वास या भरोसे के आधार पर एक आशावादी दृष्टिकोण बनाए रखना।
- सत्य (Truth): सदाचारी होने की क्षमता। स्वीकृति, क्षमा, अपनाना और प्रेम करना।
आध्यात्मिक बुद्धि के सिद्धांत
ज़ोहर के अनुसार, आध्यात्मिक बुद्धि के मूल में 12 अलग-अलग सिद्धांत हैं:
- आत्म-जागरूकता (Self-Awareness): अपने आस्थाएँ, मूल्य और गहन प्रेरणाओं को समझना।
- स्वाभाविकता (Spontaneity): वर्तमान क्षण में जीना और तात्कालिकता के प्रति संवेदनशील होना।
- दृष्टि और मूल्य-आधारित नेतृत्व (Vision and Value-led): गहरे सिद्धांतों और आस्थाओं के आधार पर कार्य करना।
- समग्रता (Holism): बड़े पैटर्न, संबंधों और कनेक्शनों को देखना, और एकता की भावना रखना।
- करुणा (Compassion): दूसरों के प्रति गहरी सहानुभूति और “महसूस करना” की क्षमता।
- विविधता की स्वीकार्यता (Celebration of Diversity): दूसरों की भिन्नताओं को सराहना और मान्यता देना।
- क्षेत्र स्वतंत्रता (Field Independence): भीड़ के खिलाफ खड़ा होना और अपने सिद्धांतों को बनाए रखना।
- नम्रता (Humility): Larger context में अपनी सच्ची भूमिका का अनुभव करना।
- मूलभूत प्रश्न “क्यों?” पूछने की प्रवृत्ति (Tendency to Ask Fundamental “Why?” Questions): चीजों को समझने और गहराई में जाने की आवश्यकता।
- आत्म परीक्षण की क्षमता (Ability to Reframe): दीर्घकालिक दृष्टिकोण के साथ बड़े चित्र को देखना।
- विपत्ति में सकारात्मता देखना (Positive Use of Adversity): गलतियों, विफलताओं, और दुःख से सीखना और बढ़ना।
- सेवा की भावना (Sense of Vocation): सेवा करने और कुछ लौटाने की भावना का अनुभव करना।
IQ, EQ और SQ की तुलनात्मक समझ
विभिन्न विद्वान IQ, EQ और SQ के बीच संबंध को निम्नलिखित तरीके से देखते हैं-

एकीकृत मॉडल:
IQ, EQ और SQ साथ काम करते हैं। सफलता और खुशी इनके परस्पर तालमेल से मिलती है।
अनुक्रमिक मॉडल:
- IQ आधार है, फिर EQ, और सबसे ऊपर SQ
- EQ को विकसित करने के लिए IQ चाहिए, और दोनों से SQ तक पहुंचते हैं।


योगात्मक मॉडल:
- SQ = IQ + EQ
- तर्क (IQ) और भावनाओं (EQ) के मेल से आध्यात्मिक समझ (SQ) प्राप्त होती है।
बुद्धि (Intelligence) | क्रियाएँ (Operations) |
बौद्धिक गुणांक (IQ) | ज्ञान, समझ, अनुप्रयोग, विश्लेषण, योजना, कार्यान्वयन |
भावनात्मक गुणांक (EQ) | टीमवर्क, नेतृत्व, जागरूकता, क्रिया, संबंध प्रबंधन, भावनात्मक कल्याण, शारीरिक कल्याण, आशावाद, कौशल, अनुभव |
आध्यात्मिक गुणांक (SQ) | मूल्यांकन, संश्लेषण, निर्णय, अंतर्दृष्टि, रचनात्मकता, समस्या समाधान, अंतर्ज्ञान, अभिनव सोच, प्रेरणा, दृष्टि, प्रतिबद्धता, लचीलापन, आत्म-विश्वास, खुशी, प्रवाह |
सांस्कृतिक बुद्धि
एंग और वान डाइन के अनुसार, “सांस्कृतिक बुद्धि किसी व्यक्ति की सांस्कृतिक रूप से विविध परिस्थितियों में प्रभावी रूप से कार्य करने की क्षमता के रूप में परिभाषित किया जाता है।”
सांस्कृतिक बुद्धि का अर्थ है विभिन्न सांस्कृतिक पृष्ठभूमियों के लोगों के साथ प्रभावी रूप से काम करने की क्षमता। यह सांस्कृतिक संवेदनशीलता और जागरूकता से आगे बढ़ती है, जिससे व्यक्ति सांस्कृतिक भिन्नताओं का रणनीतिक उपयोग करके नवीन समाधान प्राप्त कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, भारत में मैकडॉनल्ड्स त्योहार के दौरान स्थानीय आहार संबंधी प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए विशेष नवरात्रि भोजन पेश करता है। यह परंपराओं का सम्मान करके सांस्कृतिक बुद्धि को दर्शाता है, अंततः ग्राहक संतोष और ब्रांड वफादारी को बढ़ाता है।
सांस्कृतिक गुणांक (CQ) में विभिन्न सांस्कृतिक सेटिंग्स में समझ, अनुकूलन और उन्नति शामिल है, जो इसे IQ और EQ का स्वाभाविक विस्तार बनाता है। CQ एक लचीली क्षमता है जिसे प्रशिक्षण और कोचिंग के माध्यम से बढ़ाया जा सकता है। सांस्कृतिक रूप से विविध संदर्भों में, CQ –
- व्यक्तिगत अनुकूलनशीलता,
- निर्णय और विचारण,
- बातचीत कौशल,
- विश्वास, विचार साझा करना, और नवाचार
- नेतृत्व की प्रभावशीलता एवं
- लाभप्रदता और लागत की बचत इत्यादि को सुदृढ़ करता है ।
CQ मददगार होता है
- अन्य लोगों से संबंध बनाने में: विभिन्न संस्कृतियों के मूल्यों, विश्वासों, और संचार शैलियों के प्रति जागरूक रहना, जिससे वे समझदारी और सहानुभूति के साथ दूसरों से जुड़ सकें।
- बाहरी वातावरण में अनुकूलन करने में: उदाहरण के लिए, उच्च CQ वाले शिक्षक विभिन्न पृष्ठभूमियों के छात्रों को समझ सकते हैं और अपनी शिक्षण विधियों को अनुकूलित कर सकते हैं।
- संघर्षों को हल करने में: असहमति के स्रोतों की पहचान करना और समस्याओं को हल करने के लिए रणनीतियाँ विकसित करना।
- संवाद करने में: विभिन्न संस्कृतियों में संचार शैलियों, गैर-मौखिक संकेतों, और बारीकियों को सटीकता से समझना और व्याख्या करना।
- नवाचार करने में: सांस्कृतिक भिन्नताओं का रणनीतिक उपयोग करके अधिक नवीन समाधान प्राप्त करना।