अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम विश्व इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना है, जिसने उपनिवेशवाद के विरुद्ध संघर्ष को नई दिशा दी। यह संग्राम 18वीं शताब्दी में अमेरिका के उपनिवेशों द्वारा ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए लड़ा गया था।
विगत वर्षों में पूछे गये प्रश्न
वर्ष | प्रश्न | अंक |
2021 | अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम के वैचारिक पृष्ठभूमि की विवेचना करें । | 5M |
अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम
अमेरिकी क्रांति (1775-1783) 13 अमेरिकी उपनिवेशों और ग्रेट ब्रिटेन के बीच का एक संघर्ष था।
- यह संघर्ष मुख्य रूप से सामंतवाद, विदेशी शासन तथा आर्थिक शोषण के खिलाफ न हो कर , बल्कि ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के विरुद्ध अपने प्राकृतिक अधिकारों और स्वतंत्रता के लिए था।
- कुछ इतिहासकार इसे अमेरिकी उपनिवेशवासियों और ब्रिटेन के बीच लड़े गए एक गृहयुद्ध के रूप में मानते हैं।
मुख्य विशेषताएँ:
- समान संस्कृति: दोनों पक्षों के बीच धर्म, भाषा, भोजन और रीति-रिवाज समान थे।
- सीमित भागीदारी:
- केवल व्यापारी और मध्य वर्ग ही इस संघर्ष में शामिल थे।
- रेड इंडियंस और महिलाओं को इससे बाहर रखा गया था।
- प्रारंभिक संविधान में आम जनता, महिलाओं और अफ्रीकी अमेरिकियों को मतदान का अधिकार नहीं दिया था ।
- आर्थिक मुद्दा केंद्र में: कार्ल एल.बेकर ने इस संघर्ष को उपनिवेशों और ब्रिटेन के बीच एक आर्थिक संघर्ष माना है।
अमेरिकी उपनिवेशों की पृष्ठभूमि और उनका ब्रिटेन से संबंध:
- 13 अमेरिकी उपनिवेश ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा थे और उन्हें 17वीं से 18वीं शताब्दी के बीच स्थापित किया गया था।
- उपनिवेशों पर ब्रिटेन का शासन था और उपनिवेशवासियों (colonists) ने खुद को “ब्रिटिश नागरिक” या “ब्रिटिश अधीनस्थ” मानते थे ।
- आर्थिक संबंध: ये उपनिवेश ब्रिटेन की व्यापारिक प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थे, जो तंबाकू, कपास और लकड़ी जैसी कच्ची सामग्रियों की आपूर्ति करते थे। बदले में, ब्रिटेन उन्हें तैयार माल उपलब्ध कराता था।
- राजनीतिक और कानूनी संबंध: उपनिवेश ब्रिटिश कानून के अधीन थे और उनके अधिकांश गवर्नर ब्रिटिश क्राउन द्वारा नियुक्त किए जाते थे। हालाँकि उपनिवेशों की अपनी स्थानीय विधान परिषद थी, जो आंतरिक मामलों का प्रबंधन करती थी।
- सैन्य सुरक्षा: ब्रिटेन, उपनिवेशों को फ्रांस और स्पेन जैसी विदेशी शक्तियों और मूल निवासियों के प्रतिरोध से सैन्य सुरक्षा प्रदान करता था।
अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम के कारण
ब्रिटेन के प्रति सहानुभूति की कमी:
- प्रारंभिक बसने वाले लोगो में कुछ अपराधी या धार्मिक उत्पीड़न या राजनीतिक दमन से बचने के लिए भागे हुए लोग होते थे, जिनकी ब्रिटिश क्राउन के प्रति कोई वफादारी नहीं थी।
ब्रिटिश व्यापारिक नीति :
- वाणिज्यिक नीति: उपनिवेशों को मुख्य रूप से कच्चे माल के स्रोत और ब्रिटिश वस्तुओं के बाजार के रूप में देखा जाता था।
- नेविगेशन एक्ट्स (1651-1660): इसने उपनिवेशों के व्यापार को सीमित किया, जिससे वे केवल ब्रिटेन या ब्रिटिश नियंत्रित बंदरगाहों को निर्यात कर सकते थे।
- अन्य प्रतिबंध: लौह अधिनियम (1750), ऊन अधिनियम (1699) और टोपी (फर) अधिनियम (1732) जैसी नीतियों ने उपनिवेशों के औद्योगिक विकास को जटिल बना दिया, जिससे उपनिवेशवासियों में निराशा बढ़ने के साथ मुक्त व्यापार की माँग भी बढ़ी।
कर बढ़ाने के लिए नीतियों में बदलाव:
- फ्रांसीसी युद्ध के बाद: युद्ध के खर्चों की वसूली करने के लिए ब्रिटेन ने उपनिवेशों पर करों की एक श्रृंखला थोप दी, जिससे उन्हें विरोध का सामना करना पड़ा।
- शुगर एक्ट (1764) एवं स्टांप एक्ट (1765): इन क़ानूनों ने उपनिवेशों पर करों की शुरुआत की, जो उनकी वित्तीय स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव डालते थे।
- टाउनशेंड एक्ट्स (1767): इस क़ानून के अनुसार उपनिवेशों में आयातित काँच, रंग, कागज़ और चाय पर कर लगाया गया।
1763 की उद्घोषणा:
- फ्रांसीसी युद्ध के बाद, ब्रिटेन ने उत्तरी अमेरिका में अपलाचियन पहाड़ियों के पश्चिमी क्षेत्रों सहित विशाल क्षेत्र हासिल कर लिए
- स्थानीय अमेरिकी जनजातियों के साथ संघर्ष को रोकने के लिए ब्रिटिश सरकार ने 1763 की उद्घोषणा जारी की, जिसमें उपनिवेशवासियों को अपलाचियन पहाड़ियों के पश्चिम की ओर जाने से मना कर दिया गया।
- इस उद्घोषणा ने उपनिवेशवासीयों में निराशा पैदा कर दी , क्योंकि कई युद्ध में भाग लेकर इस भूमि को पुरस्कार के रूप में पाने की उम्मीद कर रहे थे।
बौद्धिक जागरण:
- जॉन लॉक: लॉक के प्राकृतिक अधिकारों (जीवन, स्वतंत्रता, संपत्ति) पर विचारों ने उपनिवेशवासियों को प्रेरित किया।
- मोंतेस्क्यू: मोंतेस्क्यू ने सरकार की शक्तियों के पृथक्करण का सिद्धांत दिया, ताकि किसी एक शाखा की शक्ति अत्यधिक न हो जाये।
- थॉमस पेन की “कॉमन सेंस” (1776): इस पुस्तक ने स्वतंत्रता के विचार को प्रोत्साहित किया और कहा कि “एक द्वीप, महाद्वीप को शासित नहीं कर सकता।”
- पेन ने अपनी पुस्तक “द राइट्स ऑफ मैन” में लोकतंत्र, स्वतंत्रता और मानवाधिकारों के सिद्धांतों का समर्थन किया और “द एज ऑफ रीजन” पुस्तक में ईसाई धर्म की परंपराओं और धर्मग्रंथों की आलोचना की।
- बेंजामिन फ्रैंकलिन: उन्होंने अमेरिकन फिलोसॉफिकल सोसाइटी की स्थापना की जिसने नये विचारों के आदान प्रदान के केंद्र के रूप में कार्य किया।
- जेम्स ओटिस: ओटिस अपने शक्तिशाली बयान “प्रतिनिधित्व नहीं तो कर नहीं” (No taxation without representation) के लिए प्रसिद्ध हैं, ओटिस का यह तर्क था कि अगर ब्रिटिश संसद में उपनिवेशवासियों का कोई प्रतिनिधि नहीं है, तो उन पर कर लगाना अन्यायपूर्ण और अवैध है।
- सैमुअल एडम्स और थॉमस जेफरसन: एडम्स और जेफरसन ने एक पत्राचार समिति की स्थापना की, जो राष्ट्रवादी विचारों को फैलाने और उपनिवेशों में बौद्धिक जागरूकता को बढ़ावा देने का काम करती थी।
- हार्वर्ड कॉलेज (1636) और विलियम एवं मैरी कॉलेज (1693): ये शिक्षा के महत्वपूर्ण केंद्र बन गए।
- समाचार पत्र: बोस्टन न्यूज़-लेटर (1704) जैसे समाचार पत्रों ने जागरूकता फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1765 तक समाचार पत्रों की संख्या 25 तक पहुँच गई ।
गवर्नरों और स्थानीय विधान परिषदों के बीच तनाव:
- उपनिवेशों का शासन ब्रिटिश नियुक्त गवर्नर और उसकी कार्यकारिणी द्वारा किया जाता था।
- स्थानीय विधानपरिषद अक्सर ब्रिटिश हस्तक्षेप का विरोध करती थी, जिससे तनाव उत्पन्न होता था।
सात वर्षीय युद्ध (1757-1763):
- ब्रिटेन और फ्रांस के बीच लड़ा गया।
- युद्ध के परिणामस्वरूप फ्रांस ने उत्तरी अमेरिका में अपने क्षेत्रों को ब्रिटेन को खो दिया।
- इस युद्ध ने अमेरिकी लोगों को यह एहसास दिलाया कि उन्हें अब ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन की आवश्यकता नहीं है।
उपनिवेशों का खुला वातावरण
- समय के साथ, अमेरिकी उपनिवेशवासियों ने ब्रिटेन से अलग एक विशिष्ट पहचान विकसित की। ब्रिटेन की कठोर सामाजिक वर्ग व्यवस्था की तुलना में अमेरिकी समाज अधिक उदार, प्रगतिशील और समानता पर आधारित था।
- स्थानीय स्वशासन की भावना के कारण अमेरिकी उपनिवेशवासी किसी भी बाहरी शक्ति द्वारा उनकी सहमति के बिना कानून और कर थोपे जाने के खिलाफ थे।
प्रारंभिक ब्रिटिश हस्तक्षेप की कमी
- ब्रिटेन ने शुरुआत में उपनिवेशों पर भारी नियंत्रण नहीं लगाया, जिससे स्वतंत्रता की भावना बढ़ी तथा ब्रिटिश कानून जैसे नेविगेशन अधिनियमों को प्रभावी ढंग से लागू नहीं किया गया।
- जब ब्रिटेन ने नियंत्रण लागू करने की कोशिश की, तो तब तक उपनिवेश बहुत अधिक स्वतंत्र हो चुके थे और उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया।
सैद्धांतिक मतभेद
- ब्रिटेन का दृष्टिकोण: ब्रिटेन का मानना था कि उसकी संसद को सर्वोच्च अधिकार प्राप्त है, जिसमें उपनिवेशों पर शासन करने का अधिकार भी शामिल है।
- उपनिवेशवादियों का दृष्टिकोण: उपनिवेशवादी खुद को संसद से नहीं, बल्कि राजा से जुड़ा मानते थे। ➔ “प्रतिनिधित्व के बिना कर नहीं” का नारा उनकी आवाज बन गया।
- तनाव का बढ़ना: जब जॉर्ज III और प्रधानमंत्री ग्रेनविल ने नए कर लागू किए, तो तनाव और अधिक बढ़ गया।
जॉर्ज III की ग़लत आर्थिक नीतियाँ
- शुगर एक्ट (1764):
- इस अधिनियम ने विदेशी शराब के आयात को प्रतिबंधित कर शीरे पर कर लगा दिया।
- अमेरिकियों को महँगा अंग्रेजी शीरा ख़रीदना पड़ा, जिससे असंतोष उत्पन्न हुआ। (शीरा – शराब बनाने में काम आता था)
- करेंसी एक्ट (1764):
- इसने स्थानीय मुद्रा के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया, जिससे भुगतान की कठिनाइयाँ उत्पन्न हुईं।
- क्वार्टरिंग एक्ट (1765):
- इस अधिनियम के तहत उपनिवेशवासियों को ब्रिटिश सैनिकों के आवास की लागत उठानी पड़ी।
- स्टाम्प एक्ट (1765):
- इस कानून ने उपनिवेशों में सभी कानूनी दस्तावेज़ों, समाचार पत्रों, खेलों के कार्डों और अन्य मुद्रित सामग्री पर कर लगाया।
- स्टाम्प एक्ट उपनिवेशवासियों पर पहला प्रत्यक्ष कर था।
- उपनिवेशवासियों ने “बिना प्रतिनिधित्व के कर नहीं” (No taxation without representation) का प्रसिद्ध नारा अपनाया । उनका तर्क था कि केवल उनकी अपनी सभाओं को ही उन पर कर लगाने का अधिकार है, न कि ब्रिटिश संसद को।
- चाय कर (1767):
- इस अधिनियम ने चाय, काँच और पेंट पर कर लगाया।
- इस कर से ब्रिटिश गवर्नर के प्रशासन को वित्तपोषित किया गया, जिससे उपनिवेशवादियों का गुस्सा और बढ़ गया।
- इसके परिणामस्वरूप बोस्टन टी पार्टी (1773) जैसे विद्रोह हुए।
अमेरिकी स्वतंत्रता संघर्ष की प्रमुख घटनाएँ
बोस्टन हत्याकांड (5 मार्च, 1770):
- न्यूयॉर्क विधानसभा को ब्रिटिश सैनिकों के लिए आवास और भोजन प्रदान न करने के कारण निलंबित कर दिया गया।
- इससे ब्रिटिश सैनिकों और नागरिकों के बीच तनाव बढ़ गया।
- ब्रिटिश सैनिकों ने तीन नागरिकों की हत्या कर दी।
- इस हत्याकांड के परिणामस्वरूप केवल चाय कर को छोड़कर टाउनशेंड करों को समाप्त कर दिया गया।
बोस्टन टी पार्टी (16 दिसंबर, 1773):
- ईस्ट इंडिया कंपनी वित्तीय संकट में थी और अमेरिका में चाय पर एकाधिकार चाहती थी।
- फ्रांसीसी और डच चाय की तस्करी रोकने के लिए ब्रिटिश संसद ने कंपनी को कम कीमतों पर चाय बेचने का अधिकार दिया।
- 16 दिसंबर की रात को सैमुअल एडम्स और उनके अनुयायियों के निर्देश पर 50 लोगों ने पोर्ट ऑफ बोस्टन में जहाज पर हमला कर चाय के बक्से समुद्र में फेंक दिए, इस घटना को ‘बोस्टन टी पार्टी’ कहा जाता है।
- किंग जॉर्ज III ने गुस्से में आकर बोस्टन पर पाँच कठोर कानून लागू किए जैसे कि बोस्टन पोर्ट तब तक बंद रहेगा, जब तक चाय की क्षतिपूर्ति नहीं की जाती है।
प्रथम महाद्वीपीय कांग्रेस (5 सितंबर,1774):
- 12 उपनिवेशों (जॉर्जिया को छोड़कर) के प्रतिनिधि ब्रिटेन से अपने अधिकारों की माँग करने के लिए मिले।
लेक्सिंगटन हत्याकांड (19 अप्रैल, 1775):
- ब्रिटिश ने सैमुअल एडम्स और जॉन हैनकॉक को गिरफ्तार करने की कोशिश की।
- इसके विरोध में लेक्सिंगटन में एक लड़ाई में 8 अमेरिकी स्वयंसेवक मारे गए, जो सशस्त्र प्रतिरोध की शुरुआत का प्रतीक था।
द्वितीय महाद्वीपीय कांग्रेस (10 मई, 1775):
- कांग्रेस ने जॉन हैनकॉक की अध्यक्षता में फिलाडेल्फिया में बैठक की।
- जॉर्ज वॉशिंगटन को महाद्वीपीय सेना का कमांडर नियुक्त किया गया।
- कांग्रेस ने इंग्लैंड के साथ संबंध तोड़ने और विदेशी मदद प्राप्त करने का निर्णय लिया।
स्वतंत्रता की घोषणा (4 जुलाई, 1776):
- 4 जुलाई 1776 को महाद्वीपीय कांग्रेस ने 13 उपनिवेशों की स्वतंत्रता की घोषणा की।
- थॉमस जेफरसन द्वारा तैयार की गई इस घोषणा में कहा गया कि “जन्म से सभी मनुष्य समान हैं” और उन्हें “जीवन, स्वाधीनता एवम् सुख की खोज” का जन्मजात अधिकार है।
अमेरिकी क्रांति में महत्वपूर्ण विजय:
- ट्रेंटन की लड़ाई (1776): जॉर्ज वॉशिंगटन ने ब्रिटिश बलों को हराया, जिससे मनोबल बढ़ा।
- सराटोगा की लड़ाई (1777): एक प्रमुख अमेरिकी विजय जिसने फ्रांस को ब्रिटेन के खिलाफ युद्ध में शामिल होने के लिए राजी किया।
- यॉर्कटाउन की लड़ाई (1781): फ्रांसीसी समर्थन के साथ वॉशिंगटन ने ब्रिटिश जनरल कॉर्नवॉलिस को आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर किया। यह क्रांति की अंतिम प्रमुख लड़ाई थी।
विदेशी सहयोगियों से समर्थन:
- फ्रांस ने सात वर्षीय युद्ध में अपनी हार का बदला लेने के लिए अमेरिकी क्रांति का समर्थन किया।
- फ्रांसीसी कमांडर लाफायेते ने अमेरिकी सेना में शामिल हुए।
- फ्रांस, स्पेन और हॉलैंड ने अमेरिकी उपनिवेशों की मदद के लिए युद्धपोत भेजे।
पेरिस की संधि (3 दिसंबर, 1783)
- पेरिस की संधि से युद्ध आधिकारिक रूप से समाप्त हो गया
- ब्रिटेन ने 13 अमेरिकी उपनिवेशों की स्वतंत्रता को मान्यता दी।
- अमेरिका स्वतंत्रता प्राप्त करने वाला पहला उपनिवेश बना, जो विश्व इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना थी।
- 4 जुलाई को अमेरिका में स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो स्वतंत्रता की घोषणा की स्वीकृति की याद में है।
ब्रिटिश पराजय के कारण
- भौगोलिक दूरी:
- ब्रिटिश अपने देश से बहुत दूर लड़ रहे थे, जबकि अमेरिकियों को अपने स्थानीय इलाकों की अच्छी जानकारी थी।
- अमेरिकी सहयोगी देशों जैसे स्पेन, फ्रांस और हॉलैंड ने ब्रिटिश आपूर्ति लाइनों को अवरुद्ध किया।
- उत्साह की कमी:
- ब्रिटिश सैनिक अपने ही जातीय भाइयों के खिलाफ लड़ रहे थे, जिससे उनकी प्रेरणा कम हो गई।
- अमेरिकी स्वयंसेवक राष्ट्रवाद और नागरिक अधिकारों की लड़ाई के लिए प्रेरित थे।
- जर्मन किराए के सैनिक:
- कई ब्रिटिश सैनिक जर्मनी से भाड़े पर लाए गए थे और उनमे प्रतिबद्धता की कम थी। वही दूसरी और अमेरिकी स्वयंसेवकों में लड़ने की मजबूत इच्छा शक्ति थी।
- ब्रिटिश नेतृत्व की विफलताएँ:
- ब्रिटिश जनरलों जैसे विलियम होवे ने युद्ध जीतने के कई अवसर चूके। इसके विपरीत जॉर्ज वॉशिंगटन एक सक्षम कमांडर साबित हुए।
अमेरिकी स्वतंत्रता संघर्ष का प्रभाव
राजनीतिक प्रभाव
लोकतांत्रिक राष्ट्र का उदय और लिखित संविधान:
- पेरिस की संधि के बाद 13 अमेरिकी उपनिवेश एक संप्रभु लोकतांत्रिक राष्ट्र बन गए।
- एक लिखित संविधान पेश किया गया, जिसने सुनिश्चित किया:
- राज्यों के लिए आंतरिक स्वतंत्रता।
- एक संघीय शासन प्रणाली।
- नागरिकता, मतदान के अधिकार और समानता जैसे सिद्धांत स्थापित किए गए।
- हालाँकि, इन अधिकारों का पूर्ण रूप से अनुप्रयोग उस समय अफ्रीकी अमेरिकियों, मूल अमेरिकियों और महिलाओं के लिए नहीं था।
ब्रिटिश औपनिवेशिक रणनीति में बदलाव:
- अमेरिका की विजय ने अन्य उपनिवेशों को ब्रिटिश शासन को चुनौती देने के लिए प्रेरित किया।
- इसी तरह की घटनाओं को रोकने के लिए, इंग्लैंड ने ब्रिटिश राष्ट्रमंडल (कॉमनवेल्थ) का गठन किया। यह एक ऐसा मंच था जहां उपनिवेशी देश अपनी चिंताओं को व्यक्त कर सकते थे। इसका उद्देश्य ब्रिटिश ताज के प्रति वफादारी बनाए रखना था।
फ्रांसीसी क्रांति के लिए प्रेरणा:
- अमेरिका के संघर्ष में फ्रांस की भागीदारी ने उसकी आर्थिक स्थिति को कमजोर किया।
- युद्ध में भाग लेने वाले फ्रांसीसी सैनिकों ने राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक अधिकारों के बारे में सीखा, जिसने फ्रांस में समान अधिकारों की मांग को प्रेरित किया और अंततः फ्रांसीसी क्रांति का कारण बना।
आयरलैंड को लाभ:
- अमेरिकी संघर्ष से आयरलैंड अपनी स्वतंत्रता की माँग के लिए प्रेरित हुआ ।
- आयरिश लोगों ने एक स्वतंत्र संसद और व्यापार प्रतिबंधों को हटाने की माँग की ।
- इंग्लैंड ने सहानुभूति के साथ प्रतिक्रिया दी और वहाँ की संसद की व्यवस्थापिका को स्वतंत्र कर दिया ।
राजशाही पर प्रभाव:
- अमेरिकी क्रांति ने दैवीय राजशाही और निरंकुश शासन के विचार को चुनौती दी, जिससे यूरोप में राजशाही और भी कमजोर हो गई ।
- ब्रिटिश संसद की शक्ति में वृद्धि:
- अमेरिकी संघर्ष में किंग जॉर्ज III की विफलता ने राजशाही को कमजोर कर दिया।
- ब्रिटिश संसद ने प्रधानमंत्री लॉर्ड नॉर्थ और किंग को पराजय के लिए जिम्मेदार ठहराया।
- इसके परिणामस्वरूप राजशाही की शक्ति कम हुई और संसद की शक्ति बढ़ी।
वैश्विक प्रभाव :
- लैटिन अमेरिकी क्रांतियाँ: सिमोन बोलिवर जैसे नेताओं ने अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम से प्रेरणा ली।
- अमेरिकी क्रांति स्व-शासन की संभावना का प्रतीक बन गई इसने फ्रांसीसी, स्पेनिश और पुर्तगाली उपनिवेशों में विद्रोह को प्रेरित किया।
आर्थिक प्रभाव
ब्रिटिश आर्थिक नियंत्रण का अंत:
- वाणिज्यवाद का अंत (End of Mercantilism): क्रांति ने वाणिज्यवाद प्रणाली को समाप्त किया।
वाणिज्य का विस्तार:
- अमेरिका एक स्वतंत्र व्यापार राष्ट्र बन गया, जो अब ब्रिटिश व्यापार कानूनों द्वारा प्रतिबंधित नहीं था।
- अमेरिका अब सीधे फ्रांस, स्पेन और नीदरलैंड जैसे देशों के साथ व्यापार कर सकता था।
सामाजिक प्रभाव
राजनीतिक भागीदारी में वृद्धि:
- क्रांति ने श्वेत पुरुषों के लिए, विशेष रूप से संपत्ति के मालिकों के लिए, राजनीतिक अधिकारों का विस्तार किया।
- दास लोगों, महिलाओं और मूल अमेरिकियों को नए राजनीतिक प्रणाली से बाहर रखा गया।
दासत्व पर प्रभाव:
- क्रांति ने स्वतंत्रता के आदर्शों को बढ़ावा दिया लेकिन दासत्व दक्षिणी राज्यों में जारी रहा।
धार्मिक स्वतंत्रता:
- चर्च और राज्य के बीच अलगाव लागू किया गया।
- शिक्षा को धार्मिक संस्थाओं से स्वतंत्र कर दिया गया।
- हर व्यक्ति को धार्मिक स्वतंत्रता और किसी भी धर्म को अपनाने का अधिकार दिया गया।
- यूरोप के राज्य-समर्थित चर्चों के विपरीत धार्मिक सहिष्णुता बढ़ी और धार्मिक अल्पसंख्यकों को अधिक स्वतंत्रता मिली।
राष्ट्रीय पहचान का उदय:
- नागरिकों ने खुद को ब्रिटिश अधीनस्थ के बजाय अमेरिकियों के रूप में देखना शुरू कर दिया ।