Day 47 | RAS Mains 2025 Answer Writing | 90 Days

90 days answer writing

This is Day 47 | 90 Days RAS Mains 2025 Answer Writing, We will cover the whole RAS Mains 2025 with this 90-day answer writing program

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GS Answer Writingकृषि परिदृश्य- उत्पादन एवं उत्पादकता। जल संसाधन और सिंचाई। कृषि विपणन। डेयरी एवं पशुपालन | ग्रामीण विकास और ग्रामीण अवसंरचना | पंचायती राज और राज्य वित्त आयोग | औद्योगिक विकास का संस्थागत ढ़ाँचा। औद्योगिक वृद्धि और नव प्रवृतियाँ। खादी और ग्रामोद्योग । Translation

राजस्थान की 60% आबादी कृषि पर निर्भर है, इसलिए इसे लाभदायक और टिकाऊ बनाना बहुत ज़रूरी है। राज्य का कृषि-निर्यात हिस्सा APEDA उत्पादों का सिर्फ़ 1.5% है। 2019 की यह नीति कृषि-प्रसंस्करण, विपणन और निर्यात में संपूर्ण आपूर्ति श्रृंखला को संबोधित करने का प्रयास करती है।

  • अवधि : 17 दिसंबर, 2019 को लॉन्च; नीति 31 मार्च 2024 तक प्रभावी, 2021 में समीक्षा के साथ।

मुख्य विशेषताएं : 

  • बुनियादी सुविधाओं का विकास: सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्रों में गोदाम, कोल्ड स्टोरेज, पैक हाउस, निर्यात सुविधा केन्द्र, एकत्रीकरण केन्द्र बनाने के लिए समर्थन।
  • फसलों के मूल्य संवर्धन और निर्यात को बढ़ावा देना-  जैसे जीरा, धनिया, ग्वार, इसबगोल, दालें, तिलहन, मेंहदी, किन्नू, सनई, अनार और ताजी सब्जियां आदि।
  • वित्तीय सहायता
  • पूंजीगत सब्सिडी: किसानों एवं उनके संगठनों के लिए परियोजना लागत का 50% (अधिकतम ₹100 लाख तक) तथा अन्य उद्यमियों के लिए 25% (अधिकतम ₹50 लाख तक)।
  • ब्याज सब्सिडी: सावधि ऋण पर 5%; विशिष्ट समूहों (किसान, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, महिलाएं, युवा उद्यमी) के लिए अतिरिक्त 1%।
  • माल ढुलाई सब्सिडी: दूरस्थ बाजार परिवहन और निर्यात के लिए 3 वर्षों के लिए ₹15 लाख/वर्ष; जैविक उत्पाद के लिए 5 वर्षों के लिए ₹20 लाख/वर्ष।
  • बिजली शुल्क सब्सिडी: 5 वर्षों के लिए ₹1.0 प्रति किलोवाट घंटा से लेकर ₹2 लाख/वर्ष तक; ₹10 लाख तक के सौर ऊर्जा संयंत्र लागत पर 30% सब्सिडी।
  • फसलोपरांत होने वाले नुकसान को न्यूनतम करने के लिए क्लस्टर विकास : कृषक समुदायों को लाभ पहुंचाने के लिए कृषि-औद्योगिक पार्कों, खाद्य पार्कों और कृषि-प्रसंस्करण क्लस्टरों के गठन को प्रोत्साहित करना।.
  • FPOs/FPCs को बढ़ावा देना: किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) और किसान उत्पादक कंपनियों (FPCs) के लिए सामान्य सुविधा केंद्र विकसित करना।
  • पशुधन उत्पादों का प्रचार: पशुपालन के लिए समूहों की पहचान करना और अच्छे पशुपालन प्रथाओं के माध्यम से गुणवत्ता वाले पशुधन उत्पादों को बढ़ावा देना।
  • गुणवत्तापूर्ण उत्पादन को बढ़ावा देना : उत्पादन, प्रसंस्करण और पैकेजिंग में  ‘गुड एग्रीकल्चरल प्रैक्टिसेज ’(GAP) और खाद्य सुरक्षा मानकों को अपनाना।
  • अनुबंध खेती:  नियमों और प्रक्रियाओं को सरल बनाया गया; चयनित फसलों के लिए अनुबंध खेती की अनुमति देने के लिए राजस्थान कृषि उपज मंडी अधिनियम, 1961 में संशोधन किया गया।
  • शून्य दोष शून्य प्रभाव नीति: न्यूनतम पर्यावरणीय प्रभाव के साथ उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करवाती है।
  • ट्रेसबिलिटी (पता लगाने की क्षमता) : क्लस्टर-आधारित उत्पादन और एफपीओ के माध्यम से उत्पाद की उत्पत्ति और उत्पादन प्रथाओं को सुनिश्चित करना।।
  • बाज़ारों का विस्तार : राज्य उत्पादन के लिए संभावित अवसरों का डेटाबेस
  • ऑनलाइन मंडियां: पारदर्शिता और बेहतर लाभ के लिए 25 मंडियों को इलेक्ट्रॉनिक राष्ट्रीय कृषि बाजार (eNAM) से जोड़ा गया। 
  • राज्य ब्रांड और भौगोलिक संकेत का संवर्धन : विशिष्ट कृषि-जलवायु विशेषताओं और स्थानीय कौशल वाले राजस्थानी उत्पादों का प्रचार ।
  • रोजगार सृजन और कौशल विकास : राजस्थान राज्य आजीविका विकास निगम (RSLDC) द्वारा क्षेत्र-विशिष्ट कौशल विकास और प्रशिक्षण मॉड्यूल की सुविधा प्रदान की गई।
  • कृषि प्रसंस्करण उद्योग के लिए अनुकूल वातावरण : राजस्थान राज्य कृषि विपणन बोर्ड की सहायता से प्रक्रियाओं को सरल बनाया जाएगा।

ऋण सुविधा निधि का निर्माण : नीति के तहत पात्र इकाइयों को ऋण सुविधा प्रदान करने के लिए “राजस्थान राज्य सहकारी बैंक लिमिटेड” के साथ 500 करोड़ रुपये का कोष स्थापित किया जाएगा।

राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद (RGAVP): अक्टूबर 2010 में राजस्थान सरकार द्वारा SHG पर आधारित सभी ग्रामीण आजीविका कार्यक्रमों को लागू करने के लिए स्थापित किया गया।

प्रमुख गतिविधियाँ: संस्था निर्माण, क्षमता निर्माण, वित्तीय समावेशन, आजीविका 

ग्रामीण विकास में भूमिका:

  1. आजीविका कार्यक्रमों का कार्यान्वयन: राज्य भर में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) और 9 जिलों के 36 ब्लॉकों में राष्ट्रीय ग्रामीण आर्थिक परिवर्तन परियोजना (NRETP) को क्रियान्वित किया जा रहा है (परियोजना जून 2024 में पूर्ण)।
  2. वित्तीय रूप से टिकाऊ प्लेटफॉर्म बनाना (उपलब्धियां): 1.0 लाख रुपये तक के एसएचजी उत्पादों की सीधी खरीद की अनुमति; खुदरा स्टोर, कैंटीन और आउटलेट स्थापित करना; सुरक्षा सखी में महिलाओं को पंजीकृत करना; अमेज़न पर एसएचजी उत्पाद अपलोड करना; एफपीओ, वन धन केंद्र और उत्पादक समूह का गठन; राजस्थान महिला निधि क्रेडिट को-ऑपरेटिव फेडरेशन लिमिटेड की स्थापना; उजाला मिल्क प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड और हाड़ौती महिला किसान प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड की स्थापना।
  3. वित्तीय और सार्वजनिक सेवाओं की पहुंच में सुधार: RGAVP से परिक्रामी निधि और आजीविका निधि के माध्यम से वित्तीय सहायता प्रदान की गई; बैंक खाते खोले गए और 3,903 करोड़ रुपये के ऋण दिए गए। राज सखी ऐप के माध्यम से समय पर भुगतान की सुविधा। मिशन पंच रत्न के तहत SHG उत्पादों का विपणन – फिजिकल स्टोर्स, ई-कॉमर्स, निर्यात, सरकारी खरीद और सेवाएँ

क्षमता निर्माण के प्रति दृष्टिकोण: स्वयं सहायता समूहों से परे समग्र दृष्टिकोण; वित्तीय सहायता के बहुविध चरण; बचत और ऋण मॉडल; आजीविका विविधीकरण; सामाजिक और आजीविका सुरक्षा; समुदाय से समुदाय तक शिक्षा (CRP Model); कौशल विकास और रोजगार; वेब आधारित MIS प्रणाली के माध्यम से प्रभावी निगरानी

राज्य में कीमती पत्थर एवं आभूषण, हस्तशिल्प, खाद्य प्रसंस्करण, ऑटो कम्पोनेंट्स, वस्त्र, चमड़ा और आयामी पत्थरों के क्षेत्र में MSMEs का बहुत मजबूत आधार है।  

उठाए गए कदम : 

  1. राजस्थान MSME नीति 2024 – 31 मार्च 2029 तक प्रभावी। वैश्विक प्रतिस्पर्धी और स्थानीय उपयुक्त MSMEs को प्रोत्साहन। RIPS 2024 के तहत ₹50 करोड़ तक ऋण पर ब्याज अनुदान। NSE/BSE लिस्टिंग हेतु ₹15 लाख की इक्विटी सहायता। तकनीकी उन्नयन व IPR प्रमाणीकरण हेतु 50% सहायता। डिजिटलीकरण, ई-कॉमर्स, ट्रेड फेयर हेतु 75% अनुदान
  2. मुख्यमंत्री लघु उद्योग प्रोत्साहन योजना (MLUPY):25 लाख रुपये तक के ऋण पर 8 प्रतिशत ब्याज अनुदान, 5 करोड़ रुपये तक के ऋण पर 6 प्रतिशत ब्याज अनुदान तथा 10 करोड़ रुपये तक के ऋण पर 5 प्रतिशत ब्याज अनुदान प्रदान किया जा रहा है।
  3. राजस्थान MSME संशोधन अधिनियम-2023: राज्य सरकार की मंजूरी प्राप्त करने के लिए छूट अवधि को 3 से बढ़ाकर 5 वर्ष किया गया है। इस प्रकार, 5 वर्षों के लिए निरीक्षण या एनओसी-मुक्त उद्योग स्थापित करने की अनुमति दी गई है।
  4. एकीकृत क्लस्टर विकास योजना (8 दिसंबर 2024 से लागू) – 2029 तक 15 क्लस्टर लक्ष्य। क्षमता निर्माण हेतु ₹50 लाख, CFC हेतु ₹10 करोड़ सहायता। कच्चा माल भंडार, ई-कॉमर्स प्रोत्साहन
  5. राज्य स्तरीय One-Stop Shop: उद्योग से संबंधित मुद्दों के त्वरित समाधान के लिए 14 विभागों के अधिकारियों का एकल मंच।
  6. MSME निवेशक सुविधा केंद्र (MIFC): उद्यमियों को आवश्यक सहायता और जानकारी प्रदान करने के लिए जिला उद्योग और वाणिज्य केंद्रों में स्थापित की गई।
  7. राजस्थान वित्त निगम (RFC): 1955 से औद्योगिक परियोजनाओं के लिए MSMEs को वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
  8. राजस्थान निर्यात संवर्धन परिषद और आरोह कंसल्टिंग के बीच सहयोग: इसका उद्देश्य प्रशिक्षण कार्यक्रमों और विशेषज्ञ मार्गदर्शन के माध्यम से एमएसएमई के लिए निर्यात को डिजिटल और सुविधाजनक बनाना है।
  9. डॉ. आंबेडकर दलित-आदिवासी योजना – ब्याज अनुदान + मार्जिन मनी सहायता।

मुख्यमंत्री युवा उद्यम प्रोत्साहन योजना – युवाओं हेतु मार्जिन मनी + ब्याज अनुदान सुविधा।

Paper 4 (Comprehension part) –  Translation

ANS

  1. It was just like a dream, wasn’t it?
  2. The day before yesterday, I saw him sitting at a distant corner.
  3. When I was little (a kid), I would (used to) often see my father doing labour.
  4. The moment I opened the window, I got to know that it was not a boy but a girl.
  5. He yelled/shouted at the ant “How dare you bother me?”

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