मानव रोग मनुष्य के स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारणों और स्थितियों का समूह हैं। जीवविज्ञान में मानव रोगों का अध्ययन हमें यह समझने में मदद करता है कि संक्रामक और असंक्रामक रोग कैसे उत्पन्न होते हैं और उनसे बचाव के उपाय क्या हो सकते हैं।
मानव रोग
विगत वर्षों में पूछे गए प्रश्न
| वर्ष | प्रश्न | अंक |
| 2023 | “श्री अन्न” क्या है ? उन्हें पोषक-धान्य (न्यूट्री-सीरिअल्स) क्यों माना जाता है ?मानव के आहार-नाल से सम्बद्ध पाचक ग्रन्थियों एवं उनके स्त्रावण का वर्णन कीजिए। | 10M |
| 2023 | “डी.एन.ए. वैक्सीन” क्या होती है ? विश्व की प्रथम कोविड-19 “डी.एन.ए. वैक्सीन” का नाम बताइए । | 2M |
| 2018 | (अ) संक्रमणीय बीमारियों के क्या कारण हैं ?(ब) निम्नलिखित बीमारियों को संक्रमणीय और गैर-संक्रमणीय बीमारियों में वर्गीकृत कीजिए(i) अल्जाइमर(ii) ट्रेकोमा(iii) कोलेरा (vi) अस्थमा(v) रैबीज | 5M |
| 2018 | उपार्जित प्रतिरक्षा तथा उसके प्रकारों का संक्षिप्त विवरण दीजिए ? | 5M |
| 2016 special | ‘डेंगु बुखार’ के कारक जीव तथा इसके वाहक का नाम लिखिए ? | 2M |
| 2016 special exam | मानवों में गुणसूत्री विकार क्या होते हैं ? इस प्रकार के किन्हीं दो विकारों के कारण व लक्षण लिखिए । | 10M |
स्वास्थ्य और रोग का विकास
- स्वास्थ्य की प्रारंभिक अवधारणाएँ:
- स्वास्थ्य को एक बार शरीर के तरल पदार्थों (दोषों) के संतुलन के रूप में माना जाता था, जैसा कि हिप्पोक्रेट्स और आयुर्वेदिक प्रणाली द्वारा प्रस्तावित किया गया था। उदाहरण के लिए, अत्यधिक “काला पित्त” बुखार और कुछ व्यक्तित्व लक्षणों से जुड़ा हुआ माना जाता था।
- वैज्ञानिक प्रगति:
- विलियम हार्वे ने रक्त परिसंचरण की खोज की, जिसने दोष सिद्धांत को चुनौती दी।
- थर्मामीटर के आविष्कार ने इस धारणा को गलत साबित कर दिया कि “काला पित्त” वाले लोगों का शरीर का तापमान असामान्य होता है।
- आधुनिक समझ:
- आज, स्वास्थ्य को केवल बीमारी की अनुपस्थिति के बजाय शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कल्याण के रूप में परिभाषित किया जाता है।
- प्रतिरक्षा प्रणाली स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जो तंत्रिका और अंतःस्रावी प्रणाली जैसे मानसिक और शारीरिक कारकों से प्रभावित होती है।
रोगों के प्रकार
संक्रामक रोग (Communicable Diseases):
संक्रामक रोग हानिकारक सूक्ष्मजीवों जैसे बैक्टीरिया, वायरस, कवक और परजीवियों के कारण होते हैं। ये रोग सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकते हैं।
- संचरण:
- हवा (जैसे, फ्लू, टीबी)
- पानी (जैसे, हैजा, टाइफाइड)
- शारीरिक तरल पदार्थ (जैसे, एचआईवी/एड्स, हेपेटाइटिस)
- दूषित भोजन (जैसे, खाद्य विषाक्तता, साल्मोनेला)
- कीट (जैसे, मलेरिया, डेंगू)
- उदाहरण: फ्लू (इन्फ्लुएंजा), टीबी (तपेदिक), एचआईवी/एड्स, मलेरिया।
असंक्रामक रोग (Non-Infectious Diseases):
असंक्रामक रोग रोगजनकों के कारण नहीं होते हैं और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैल सकते हैं। ये अक्सर जीवनशैली, आनुवंशिकता या पर्यावरणीय प्रभावों के कारण समय के साथ विकसित होते हैं।
- उदाहरण: कैंसर, हृदय रोग, मधुमेह, उच्च रक्तचाप।
आनुवंशिक विकार (Genetic Disorders):
- आनुवंशिक विकार व्यक्ति के आनुवंशिक पदार्थ (डीएनए) में असामान्यताओं के कारण होते हैं। ये विकार माता-पिता से विरासत में मिल सकते हैं या स्वतः उत्पन्न हो सकते हैं।
- प्रकार:
- एकल-जीन विकार: एक जीन में उत्परिवर्तन के कारण (जैसे, सिस्टिक फाइब्रोसिस, सिकल सेल एनीमिया)
- गुणसूत्रीय विकार: गुणसूत्रों की संख्या या संरचना में परिवर्तन (जैसे, डाउन सिंड्रोम, टर्नर सिंड्रोम)।
- बहुकारक विकार: आनुवंशिक प्रवृत्ति और पर्यावरणीय कारकों का संयोजन (जैसे, हृदय रोग, मधुमेह)।
- उदाहरण:
- सिस्टिक फाइब्रोसिस: फेफड़ों और पाचन तंत्र को प्रभावित करता है, जिससे गाढ़ा बलगम जमा होता है।
- सिकल सेल एनीमिया: लाल रक्त कोशिकाएँ विकृत हो जाती हैं, जिससे रुकावट और दर्द होता है।
- डाउन सिंड्रोम: जब किसी व्यक्ति में गुणसूत्र 21 की एक अतिरिक्त प्रति होती है, जिससे बौद्धिक अक्षमता और शारीरिक असामान्यताएँ होती हैं।
अल्पता रोग (Deficiency Diseases):
कमी से होने वाले रोग तब होते हैं जब शरीर में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी होती है। ये रोग संतुलित आहार सुनिश्चित करके रोके जा सकते हैं।
- उदाहरण:
- स्कर्वी: विटामिन सी की कमी के कारण होता है। लक्षणों में मसूड़ों से खून आना, कमजोरी और थकान शामिल हैं।
- रिकेट्स: विटामिन डी की कमी के कारण होता है, जिससे हड्डियाँ कमजोर हो जाती हैं और कंकाल विकृत हो जाता है।
- एनीमिया: अक्सर आयरन की कमी के कारण होता है, जिससे थकान, कमजोरी और पीलापन जैसे लक्षण होते हैं।
जीवनशैली से जुड़े रोग (Lifestyle Diseases):
जीवनशैली से जुड़े रोग मुख्य रूप से खराब आहार, शारीरिक गतिविधि की कमी, धूम्रपान और अत्यधिक शराब के सेवन जैसी आदतों से प्रभावित होते हैं। ये रोग स्वस्थ आदतों को अपनाकर रोके जा सकते हैं।
- उदाहरण:
- मोटापा
- चिरकालिक श्वसन रोग: जैसे क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) और अस्थमा, जो अक्सर धूम्रपान या पर्यावरणीय प्रदूषकों से जुड़े होते हैं।
- ड्रग और अल्कोहल का दुरुपयोग।
ऑटोइम्यून रोग (Autoimmune Diseases):
ऑटोइम्यून रोग तब होते हैं जब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से अपने स्वस्थ कोशिकाओं और ऊतकों पर हमला करती है।
- उदाहरण:
- रुमेटीइड आर्थराइटिस: जोड़ों में सूजन पैदा करने वाला एक ऑटोइम्यून विकार।
- मल्टीपल स्केलेरोसिस: एक रोग जिसमें प्रतिरक्षा प्रणाली तंत्रिका फाइबर के सुरक्षात्मक आवरण पर हमला करती है, जिससे तंत्रिका क्षति होती है।
- टाइप 1 डायबिटीज: प्रतिरक्षा प्रणाली अग्न्याशय में इंसुलिन उत्पादक कोशिकाओं को नष्ट कर देती है।
