कोशिका

कोशिका जीवित प्राणियों की संरचनात्मक और क्रियात्मक इकाई होती है। जीव विज्ञान में कोशिका को जीवन की आधारभूत इकाई माना जाता है, क्योंकि सभी जीवधारी एक या एक से अधिक कोशिकाओं से बने होते हैं।

  • सभी जीवधारी कोशिकाओं से बने होते हैं।
  • जीवन की मौलिक संरचनात्मक और क्रियात्मक इकाई।
  • कोशिका से छोटी कोई भी इकाई स्वतंत्र जीवन नहीं व्यतीत कर सकती। 
  • एककोशिकीय जीव:
    • एक ही कोशिका से निर्मित।
    • स्वतंत्र अस्तित्व यापन और जीवन के सभी आवश्यक कार्य करने में सक्षम।
  • बहुकोशिकीय जीव:
    • कई कोशिकाओं से मिलकर बने होते हैं।
  • नोट
    • एंटोनी वॉन ल्यूवेनहूक: सर्वप्रथम जीवित कोशिका का अवलोकन एवं वर्णन किया।
    • रॉबर्ट ब्राउन: केन्द्रक की खोज की।
    • सूक्ष्मदर्शी के विकास (विशेष रूप से इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी) से कोशिकीय संरचनाओं का विस्तृत अध्ययन संभव हुआ।
    • कोशिका सिद्धांत:
      • यह सिद्धांत 1838 – 39 में वनस्पति वैज्ञानिक मैथियास स्लाइडेन एवं प्राणि वैज्ञानिक थियोडर श्वान द्वारा दिया गया।
      • सर्वप्रथम रुडोल्फ बिर्चो द्वारा 1855 में यह बताया कि कोशिकाएं विभाजित होती हैं। इन्होंने स्लाइडेन एवं श्वान के कोशिका सिद्धांत में परिवर्तन भी किया।
      • वर्तमान परिप्रेक्ष्य में कोशिका सिद्धांत
        • सभी जीव कोशिका एवं कोशिका उत्पाद से बने होते हैं।
        • नई कोशिकाओं का निर्माण पूर्ववर्ती कोशिकाओं से होता है।

सभी सजीव कोशिका से निर्मित होते हैं तथा कोशिकाओं की संख्या के आधार पर ये दो प्रकार के होते हैं –

  • कोशिका की माप के आधार पर जीव –
    • सबसे छोटी कोशिका – PPLO (प्लूरोन्यूमोनिया लाइक आर्गेनिज्म) माइकोप्लाज्मा यह एक बिना Call wall युक्त जीवाणु है। यह वायरस तथा जीवाणु के मध्य की योजक कड़ी है। प्रत्येक जीवाणु में चारों ओर पेप्डाइडों ग्लाइकेन एवं न्यूरामिक एसिड की बनी कोशिका भित्ति पाई जाती है जबकि माइकोप्लाज्मा में यह अनुपस्थित होती है। शेष सभी लक्षण जीवाणु के हैं। इसकी कोशिका झिल्ली कोलेस्ट्रॉल की बनी होती है। यह अपनी आकृति बदलता रहता है इसलिए इसे पाइप जगत का ‘जोकर’ कहते हैं।
    • सबसे बड़ी कोशिका – शुतुरमुर्ग का अंडा।
  • सबसे लंबी एकल पादप कोशिका – ऐसिटाबुलेरिया नामक शैवाल, जो केवल एक ही कोशिका से बना होता है। (लम्बाई 10 सेमी.)।
  • सबसे लंबी एकल जन्तु कोशिका – तंत्रिका कोशिका  ( लगभग 1 मीटर तक लंबी)

कोशिका संरचना और प्रकार

सामान्य विशेषताएँ:

  • बाह्य झिल्ली: कोशिका को उसके परिवेश से अलग करती है।
  • केन्द्रक:
    • सघन झिल्लीयुक्त संरचना
    • केन्द्रक में गुणसूत्र होता है जिनमे आनुवंशिक पदार्थ (DNA) उपस्थित होता है।
  • कोशिकाद्रव्य:
    • कोशिका में इसके आयतन को घेरे हुए अर्ध-तरल आव्यूह। 
    • जैविक क्रियाएँ और रासायनिक अभिक्रियाएँ इसी में होती हैं।

कोशिकाओं के प्रकार:

  • प्रोकैरियोटिक कोशिका और यूकैरियोटिक कोशिका (पादप व जंतु कोशिका)

प्रोकैरियोटिक एवं यूकैरियोटिक कोशिकाओं में अंतर

पहलूप्रोकैरियोटिक कोशिकायूकैरियोटिक कोशिका 
केन्द्रकस्पष्ट विभेदित केंद्रक नहीं, केंद्रक को केन्द्रकाय (Nuleoid) कहते हैं।वास्तविक झिल्ली युक्त केन्द्रक 
आकारछोटी (1-10 µm).वृहद (10-100 µm).
कोशिकांगझिल्ली युक्त कोशिकांग अनुपस्थित (जैसे माइटोकॉन्ड्रिया, ER नहीं होते)झिल्ली युक्त कोशिकांग उपस्थित (जैसे माइटोकॉन्ड्रिया, ER, गोल्जी)
DNAवृत्ताकार DNA, हिस्टोन रहितरैखिक DNA, हिस्टोन के साथ जुड़ा हुआ
कोशिका विभाजनद्विविभाजनसमसूत्री और अर्धसूत्री विभाजन
उदाहरणजीवाणु, आर्कियापौधे, प्राणी, कवक, प्रोटिस्टा
राइबोसोमछोटा (70S).कोशिका द्रव्य में बड़ा (80S).
कोशिका भित्तिउपस्थित (जीवाणुओं में पेप्टीडोग्लाइकन की बनी)पौधों में सेल्युलोज की बनी, कवकों में काइटिन; प्राणियों में अनुपस्थित
कशाभिकासरल, कशाभिका से बना।जटिल, माइक्रोट्यूब्यूल से बने

प्रोकैरियोटिक कोशिका के घटक

  • प्लाज्मा झिल्ली:
    • कोशिका को सुरक्षा प्रदान करती है।
    • कोशिका को बाह्य पर्यावरण से अलग करती है।
  • कोशिकाद्रव्य
    • कोशिका के अंदर जैली जैसी संरचना।
    • कोशिका के अन्य अवयवों को निलंबित रखता है।
  • DNA:
    • वृत्ताकार आनुवंशिक पदार्थ।
    • प्रोटीन संश्लेषण एवं कोशिका की गतिविधियों को नियंत्रित करता है।
  • राइबोसोम:
    • गैर-झिल्ली युक्त कोशिकांग।
    • प्रोटीन संश्लेषण का केंद्र।
  • गति संरचनाएँ (कुछ प्रोकैरियोट्स में):
    • सिलिया एवं फ्लैगेला गति में सहायक होते हैं।

यूकैरियोटिक कोशिका के घटक

  • व्यवस्थित केन्द्रक:
    • झिल्लीमय केन्द्रक आवरण युक्त
    • गुणसूत्रों में DNA उपस्थित रहता है।
  • कोशिकाद्रव्य:
    • विस्तृत कक्षयुक्त।
    • विभिन्न झिल्ली युक्त कोशिकांग होते हैं।
  • झिल्ली युक्त कोशिकांग:
    • एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम (Endoplasmic Reticulum – ER): पदार्थों के परिवहन में सहायक।
    • गोल्जीकाय: पदार्थों के संसाधन एवं पैकेजिंग का कार्य।
    • लाइसोसोम: पाचन और अपशिष्ट निष्कासन।
    • माइटोकॉन्ड्रिया: ऊर्जा उत्पादन।
    • सूक्ष्मकाय: विभिन्न चयापचय कार्य।
    • रसधानी: पदार्थों का भंडारण।
  • झिल्ली रहित कोशिकांग:
    • राइबोसोम: कोशिकाद्रव्य और खुरदरी ER पर स्थित होते।
    • सभी कोशिकाओं में पाए जाते हैं (प्रोकैरियोटिक और यूकैरियोटिक दोनों में)।
    • माइटोकॉन्ड्रिया एवं प्लास्टिड्स में भी उपस्थित।
    • तारककाय (प्राणी कोशिका में): कोशिका विभाजन में सहायक।

पादप एवं जंतु कोशिका में अन्तर

विशेषतापादप कोशिकाजंतु कोशिका
कोशिका भित्तिसेल्युलोज निर्मित, उपस्थितअनुपस्थित
क्लोरोप्लास्टप्रकाश-संश्लेषण हेतु उपस्थितअनुपस्थित
रसधानीबड़ी एवं केंद्र में स्थितछोटी या अनुपस्थित
ऊर्जा भंडारणस्टार्च के रूप मेंग्लाइकोजन के रूप में
केंद्रीय कणअधिकांश पौधों में अनुपस्थितउपस्थित
गति संरचनाएँफ्लैगेला या सिलिया दुर्लभफ्लैगेला (शुक्राणु) या सिलिया मौजूद
कोशिका विभाजनकोशिका पट्टिका बनती है।खांचा (Cleavage Furrow) बनता है।
वर्णकक्लोरोफिल और अन्य प्रकाश-संश्लेषी रंजकमेलानिन और अन्य उपयोगी रंजक

(a) पादप कोशिका

कोशिका

(b) जंतु कोशिका

कोशिका झिल्ली

यह सबसे बाहर की तरफ चारों ओर सबसे पतली मुलायम व लचीली झिल्ली होती है, इसे कोशिका झिल्ली या प्लाज्मा झिल्ली कहते हैं।

प्लाज्मा झिल्ली की संरचना

  • प्लाज्मा झिल्ली मुख्य रूप से निम्नलिखित से बनी होती है:
    • लिपिड (मुख्यतः फॉस्फोलिपिड्स).
      • दो सतहों में व्यवस्थित  
      • ध्रुवीय (पोलर) सिरा (Hydrophilic head): बाहर की ओर उन्मुख।
      • अध्रुवीय सिरा (Hydrophobic पुच्छ): अंदर की ओर उन्मुख।
      • कोलेस्ट्रॉल: फॉस्फोलिपिड अणुओं के बीच स्थित होता है।
    • प्रोटीन (विभिन्न कार्यात्मक प्रकारों के)
    • कार्बोहाइड्रेट्स (लिपिड्स और प्रोटीन के साथ जुड़े रहते हैं).
      • ग्लाइकोप्रोटीन एवं ग्लाइकोलिपिड्स के रूप में उपस्थित।
      • झिल्ली की बाह्य सतह पर स्थित होते हैं।
कोशिका

प्लाज्मा झिल्ली के कार्य:-

  1. सीमा निर्धारण एवं सुरक्षा: कोशिका को उसके वातावरण से अलग करता है। आंतरिक घटकों की सुरक्षा करता है।
  2. चयनात्मक पारगम्यता: अणुओं के प्रवेश एवं निकास को नियंत्रित करता है। कोशिका में आंतरिक स्थिरता (होमियोस्टेसिस) बनाए रखता है।
  3. परिवहन: आयन, पोषक तत्व एवं अपशिष्ट के प्रवेश और निष्कासन को नियंत्रित करता है।
    1. निष्क्रिय परिवहन: ऊर्जा की आवश्यकता नहीं। जैसे ऑक्सीजन एवं कार्बन डाइऑक्साइड का प्रसार, परासरण।
    2. सक्रिय परिवहन: अणुओं को सांद्रता प्रवणता के विरुद्ध ले जाने के लिए ATP का उपयोग करता है। उदाहरण: Na⁺/K⁺ पंप (Sodium-Potassium Pump)।
  4. एंडोसाइटोसिस (अंतःकोशिकाग्राही प्रक्रिया) एवं एक्सोसाइटोसिस (बहिर्गमन प्रक्रिया):
    1. एंडोसाइटोसिस:
      1. बड़े कणों को ग्रहण करता है।
      2. उदाहरण: फैगोसाइटोसिस – ठोस पदार्थों को अंदर लेना।
    2. एक्सोसाइटोसिस:
      1. अपशिष्ट पदार्थों या स्रावों को बाहर निकालता है।
  5. कोशिका संकेतन: प्रोटीन एवं ग्लाइकोप्रोटीन हार्मोन एवं अन्य संकेत अणुओं के लिए रिसेप्टर के रूप में कार्य करते हैं। कोशिका को पर्यावरणीय परिवर्तनों का प्रत्युतर देने में सहायता करता है।
  6. कोशिका संयोजन: ग्लाइकोप्रोटीन (Glycoproteins) कोशिकाओं के बीच जुड़ाव में सहायता करते हैं। यह ऊतक निर्माण और स्थिरता के लिए आवश्यक है।
  7. ऊर्जा रूपांतरण: कुछ कोशिकाओं (जैसे प्रोकैरियोट्स) में ATP उत्पादन में सहायता करता है।
  8. संरचनात्मक समर्थन: कोशिकाद्रव्य कंकाल के साथ अंतःक्रिया करके कोशिका के आकार को बनाए रखता है।

कोशिका भित्ति

संरचना और कार्य

  • कोशिका भित्ति एक दृढ़, निर्जीव आवरण होती है जो पौधों, कवकों, शैवाल और कुछ जीवाणुओं में पाई जाती है। यह कोशिका को संरक्षण, समर्थन प्रदान करती है तथा पदार्थों के आवागमन को नियंत्रित करती है।

कोशिका भित्ति की संरचना:

  • पादप में:
    • सेल्युलोज: मुख्य संरचनात्मक घटक।
    • हेमीसेल्युलोज और पेक्टिन: लचीलेपन एवं संरचना को बनाए रखने में सहायक।
  • कवक में:
    • काइटिन: प्रमुख संरचनात्मक घटक।
    • ग्लूकान्स: कोशिका भित्ति को समर्थन प्रदान करते हैं।
  • जीवाणु में:
    • पेप्टीडोग्लाइकन: प्रमुख संरचनात्मक घटक, जो ग्राम-पॉजिटिव एवं ग्राम-नेगेटिव जीवाणुओं में पाया जाता है।
  • शैवाल में:
    • ​​सेल्युलोज, पेक्टिन, या शैवाल-विशिष्ट पॉलीसेकेराइड्स : प्रजातियों के अनुसार भिन्न होते हैं।

अंतः झिल्लिकीय तंत्र

अंतः झिल्लिकीय तंत्र, यूकैरियोटिक कोशिकाओं में झिल्ली युक्त कोशिकांगों का एक जाल है, जो अणुओं के संश्लेषण, रूपांतरण, परिवहन और अपघटन में सहयोग करता है। 

मुख्य घटक

  1. अंतरद्रव्यी जालिका (Endoplasmic Reticulum – ER)
  2. गॉल्जीकाय
  3. लाइसोसोम
  4. रसधानी

नोट – माइटोकॉन्ड्रिया, प्लास्टिड (क्लोरोप्लास्ट), एवं पेरॉक्सिसोम (Peroxisomes) इस तंत्र का भाग नहीं होते।

अंतरद्रव्यी जालिका

  • अंतरद्रव्यी जालिका (ER) एक महत्वपूर्ण कोशिकांग है, जो प्रोटीन एवं लिपिड संश्लेषण एवं परिवहन में सहायक होता है।
  • यह नलिकाओं एवं झिल्ली युक्त थैलों का एक नेटवर्क होता है, जो यूकैरियोटिक कोशिकाओं के कोशिकाद्रव्य में पाया जाता है।
  • ER, कोशिका के आंतरिक भाग को दो अलग-अलग कक्षों में विभाजित करता है:
    • ल्यूमिनल (ER के अंदर का भाग)
    • एक्स्ट्रा-ल्यूमिनल (कोशिकाद्रव्य से जुड़ा बाहरी भाग)
कोशिका
अंतरद्रव्यी जालिका के प्रकार:
  1. खुरदरी अंतरद्रव्यी जालिका (Rough ER – RER):
    • संरचना:  बाहरी सतह पर राइबोसोम पाए जाते हैं, जिससे इसकी सतह खुरदरी दिखती है।
    • कार्य: स्रावी प्रोटीन, प्लाज्मा झिल्ली और लाइसोसोम के लिए प्रोटीन संश्लेषण।
    • उपस्थिति: सक्रिय प्रोटीन संश्लेषण वाली कोशिकाओं (जैसे अग्नाशयी कोशिकाएँ और प्लाज्मा कोशिकाएँ) में पाया जाता है।
  2. मृदु अंतरद्रव्यी जालिका (SER):
    • संरचना: राइबोसोम अनुपस्थित होते हैं, जिससे इसकी सतह चिकनी होती है।
    • कार्य: लिपिड संश्लेषण ( जैसे – स्टेरॉयडल हार्मोन का निर्माण।) औषधियों के अपचयन और कार्बोहाइड्रेट चयापचय में भी भूमिका निभाता है। मांसपेशी कोशिकाओं में कैल्शियम आयनों का भंडारण और विनियमन करता है।

गोल्जीकाय

कोशिका
  • खोज: सर्वप्रथम कैमिलो गोल्जी ने 1898 में इसे देखा और उनके नाम पर गोल्जीकाय नाम रखा गया।
  • संरचना: चपटे, डिस्क के आकार की थैलियों (Cisternae) से मिलकर बना होता है। ये 0.5 µm से 1.0 µm व्यास के होते हैं और एक-दूसरे के समानांतर व्यवस्थित होते हैं।
  • कार्य: यह प्रोटीन एवं लिपिड्स को संशोधित, छांटने, और पैक करने का कार्य करता है। यह अंतरद्रव्यी जालिका (ER) से प्राप्त प्रोटीन और लिपिड को कोशिका के अन्य भागों या बाहरी परिवहन के लिए तैयार करता है। इसे “कोशिका का डाकघर” भी कहा जाता है।

लाइसोसोम

  • संरचना: ये गोल्जीकाय द्वारा निर्मित झिल्ली-बद्ध पुटिकाएँ होती हैं।
  • इनमें हाइड्रोलिटिक एंजाइम (हाइड्रोलेज) होते हैं, जिनमें शामिल हैं:
    • लाइपेज: वसा (Lipids) को तोड़ते हैं।
    • प्रोटीएस: प्रोटीन को अपघटित करते हैं।
    • कार्बोहाइड्रेटेज़: कार्बोहाइड्रेट को विघटित करते हैं।
  • कार्य: ये कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, लिपिड्स और न्यूक्लिक अम्ल का पाचन करते हैं।
  • कोशिका में अपशिष्ट निष्कासन और स्व-पाचन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसे “कोशिका का अपशिष्ट निपटान तंत्र” भी कहा जाता है।

नोट – इन्हें आत्मघाती थैलियाँ (Sucide Vassles) भी कहते हैं क्योंकि इसमें अन्तः कोशिकीय पाचन के विघटनकारी एन्जाइम पाए जाते हैं।

रसधानी (रिक्तिका)

  • यह झिल्ली युक्त कोषिकीय संरचना होती है, जो कोशिकाद्रव्य में स्थित होती है। जल, पोषक तत्व, अपशिष्ट पदार्थ एवं अन्य पदार्थों का भंडारण।
  • पौधों की कोशिकाओं में, बड़ी केंद्रीय रसधानी पानी को रोककर और स्फीत दबाव बनाकर इसके आकार को बनाए रखने में मदद करती है।
  • रसधानी अपशिष्ट निपटान और कोशिका के आंतरिक संतुलन को बनाए रखने में भी भूमिका निभाती हैं। पशु कोशिकाओं में छोटे रिक्तिकाएँ होती हैं, जो ज़्यादातर भंडारण और परिवहन के लिए होती हैं।

माइटोकॉन्ड्रिया

  • संरचना:
    • माइटोकॉन्ड्रिया दोहरी-झिल्ली युक्त कोशिकांग होते हैं। आमतौर तश्तरीनुमा बेलनाकार में पाए जाते हैं। 
    • आकार: 0.2–1.0 µm व्यास एवं 1.0–4.1 µm लंबाई।
    • बाहरी झिल्ली: कोशिकांग की सीमा बनाती है। आंतरिक झिल्ली: इसमें क्रिस्टे (Cristae) नामक गुच्छेदार संरचनाएँ होती हैं, जो झिल्ली की सतह क्षेत्रफल को बढ़ाती हैं।
    • भीतरी कक्ष जो घने व समांगी पदार्थ से भरा होता है, आधात्री (मैट्रिक्स) कहते हैं। जिसमें माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए, राइबोसोम (70S), और प्रोटीन संश्लेषण के लिए आवश्यक घटक मौजूद होते हैं।
कोशिका
  • कार्य:
    • माइटोकॉन्ड्रिया को कोशिका का ऊर्जा गृह (Powerhouse) कहा जाता है, क्योंकि वे वायवीय श्वसन में शामिल होकर ATP (Adenosine Triphosphate) का उत्पादन करते हैं, जो कोशिका की ऊर्जा मुद्रा (Energy Currency) है।
    • इनमें स्वयं का वृत्ताकार डीएनए होता है और ये विखंडन द्वारा विभाजित हो सकते हैं।

लवक (प्लास्टिड्स)

  • संरचना: प्लास्टिड्स बड़े, झिल्ली से घिरे अंगक होते हैं, जो पौधों की कोशिकाओं और कुछ यूग्लीनॉयड्स में पाए जाते हैं। इनमें विभिन्न रंजक होते हैं, जो पौधों को विशेष रंग प्रदान करते हैं।
  • लवक के प्रकार:
    • हरित लवक (क्लोरोप्लास्ट): क्लोरोफिल और कैरोटिनॉयड रंजक होते हैं।
      • प्रकाश ऊर्जा को ग्रहण करके प्रकाश-संश्लेषण की प्रक्रिया संचालित करते हैं।
    • वर्णी लवक (Chromoplasts): कैरोटिनॉयड रंजक जैसे कैरोटीन और जैंथोफिल होते हैं।
      • पौधों के विभिन्न भागों को पीला, नारंगी या लाल रंग प्रदान करते हैं।
    • अवर्णी लवक (Leucoplasts):
      • रंगहीन लवक जो स्टार्च, तेल और प्रोटीन का भंडारण करते हैं।

राइबोसोम

राइबोसोम कोशिकाओं में महत्वपूर्ण आणविक मशीनें होती हैं, जो प्रोटीन संश्लेषण (अनुवादन) के लिए उत्तरदायी होती हैं। ये मैसेंजर RNA (mRNA) में निहित आनुवंशिक सूचना का अनुवादन करके क्रियाशील प्रोटीन का निर्माण करने में केंद्रीय भूमिका निभाते हैं।

  • राइबोसोम की संरचना:
    • संघटन: राइबोसोमल आरएनए (rRNA) और प्रोटीन से निर्मित।
    • उपखंड:
      • बड़ी उपइकाई: अमीनो अम्लों के बीच पेप्टाइड बंध बनाती है।
      • छोटी उपइकाई: mRNA को पढ़ती है और प्रोटीन संश्लेषण को निर्देशित करती है।
    • स्वेडबर्ग इकाई (S): राइबोसोम उपइकाइयों का आकार और घनत्व Svedberg (S) इकाइयों में मापा जाता है।
  • स्थितियाँ:
    • मुक्त राइबोसोम: कोशिकद्रव्य में स्वतंत्र रूप से तैरते रहते हैं और साइटोसोल के लिए प्रोटीन संश्लेषित करते हैं।
    • बंधे हुए राइबोसोम: खुरदरी अंतरद्रव्यी जालिका (Rough ER) से जुड़े होते हैं और झिल्ली, कोशिकांग, या स्राव के लिए प्रोटीन का संश्लेषण करते हैं।
राइबोसोम का कार्य:
  • प्रोटीन संश्लेषण:
    • राइबोसोम कोशिका में प्रोटीन निर्माण के प्रमुख स्थल होते हैं। इस प्रक्रिया को अनुवाद (Translation) कहा जाता है, जिसमें mRNA की आनुवंशिक जानकारी को पढ़कर अमीनो अम्लों को पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला में जोड़ा जाता है, जिससे प्रोटीन का निर्माण होता है।
राइबोसोम और अनुवांशिक कूट:
  • राइबोसोम, mRNA कोडॉन (विशिष्ट अमीनो अम्लों के लिए कूटबद्ध) को पढ़ते हैं, एवं tRNA (ट्रांसफर आरएनए) उपयुक्त अमीनो अम्लों को लाकर राइबोसोम पर प्रस्तुत करता है।
प्रोकैरियोटिक और यूकैरियोटिक राइबोसोम 
प्रोकैरियोट्सयूकैरियोट्स
छोटे आकार के (70S)बड़े आकार के (80S)
पूरी तरह से साइटोप्लाज्म में मुक्तस्वतंत्र रूप से साइटोप्लाज्म में या रफ ER से जुड़े हो सकते हैं
  • भले ही आकार में भिन्नता हो, दोनों प्रकार की कोशिकाओं में राइबोसोम का कार्य समान रहता है।
  • संरचनात्मक भिन्नताओं के कारण एंटीबायोटिक्स विशेष रूप से जीवाणु के राइबोसोम को प्रभावित कर सकते हैं, जबकि यूकैरियोटिक कोशिकाएँ अप्रभावित रहती हैं।
कोशिका

कोशिकीय कंकाल (Cytoskeleton)

कोशिकीय कंकाल एक प्रोटीन तंतुओं का जाल होता है, जो कोशिका को संरचना, सहारा और आकार प्रदान करता है। यह निम्नलिखित घटकों से बना होता है:

  • सूक्ष्म तंतु (Microfilaments): पतले तंतु होते हैं जो कोशिका के आकार को बनाए रखने में सहायता करते हैं और इसकी गति (जैसे मांसपेशी संकुचन के दौरान) को सक्षम बनाते हैं।
  • मध्यवर्ती तंतु (Intermediate Filaments): यह कोशिका को यांत्रिक समर्थन प्रदान करते हैं और उसकी सुरक्षा व अखंडता बनाए रखने में मदद करते हैं।
  • सूक्ष्म नलिकाएँ (Microtubules): यह खोखली नलिकाएँ होती हैं जो इसके आकार, आंतरिक परिवहन और विभाजन में सहायता करती हैं। माइटोसिस (कोशिका विभाजन) के दौरान धुरी तंतु (Spindle Fibers) का निर्माण इन्हीं से होता है।
The Cell

तारककाय व तारककेंद्र (सैन्द्रोसोम तथा सैन्ट्रीयोल)

  • तारककाय: सेंट्रोसोम वह क्षेत्र है जो सूक्ष्म नलिकाओं का संगठन करता है और कोशिका विभाजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसमें एक जोड़ी तारककेंद्र और अक्रिस्टलीय परिकेंद्रीय द्रव्य शामिल होते हैं।
  • तारककेंद्र: ये सूक्ष्म नलिकाओं से बनी बेलनाकार संरचनाएँ होती हैं। पशु कोशिकाओं में, ये माइटोसिस और मीओसिस के दौरान धुरी तंतुओं (Spindle Fibers) के संगठन में सहायता करते हैं, जिससे गुणसूत्रों का सही विभाजन सुनिश्चित होता है।

केन्द्रक

न्यूक्लियस (केन्द्रक) की संरचना

  • केन्द्रक एक झिल्लीबद्ध कोशिकांग है, जो सभी यूकैरियोटिक कोशिकाओं में पाया जाता है।
  • यह द्वि-स्तरीय झिल्ली से घिरा होता है, जिसे केद्रक आवरण कहते हैं।
  • इस न्यूक्लियर आवरण में छिद्र  होते हैं, जो केन्द्रक और कोशिका द्रव्य के बीच पदार्थों के आदान-प्रदान में सहायता करते हैं।
  • न्यूक्लियस के अंदर केन्द्रकद्रव्य नामक पदार्थ पाया जाता है।
  • केन्द्रकद्रव्य में क्रोमैटिन उपस्थित होता है, जो DNA और प्रोटीन्स का बना होता है और आनुवंशिक जानकारी को संग्रहीत करता है।
  • इसके अतिरिक्त, न्यूक्लियस में केंद्रिका भी पाया जाता है, जो राइबोसोम के निर्माण का प्रमुख स्थल होता है।
कोशिका

न्यूक्लियस (केन्द्रक) के कार्य

  1. आनुवंशिक सामग्री का भंडारण – केन्द्रक डीएनए को संग्रहीत करता है, जिसमें कोशिका के लिए आवश्यक आनुवंशिक निर्देश होते हैं।
  2. जीन अभिव्यक्ति का नियंत्रण – केन्द्रक यह नियंत्रित करता है कि कौन से जीन सक्रिय (On) या निष्क्रिय (Off) होंगे, जिससे कोशिका की कार्यप्रणाली संचालित होती है।
  3. कोशिका विभाजन – केन्द्रक सुनिश्चित करता है कि कोशिका विभाजन (माइटोसिस और मीओसिस) के दौरान आनुवंशिक सामग्री सही ढंग से प्रतिलिपि बनाकर वितरित हो।
  4. राइबोसोम उत्पादन – न्यूक्लियस के अंदर स्थित केन्द्रिका राइबोसोमल आरएनए (rRNA) के संश्लेषण में सहायक होता है और राइबोसोम के उपखंडों का निर्माण करता है।

केन्द्रक की खोज और नामकरण:

  • 1831: रॉबर्ट ब्राउन ने सबसे पहले केन्द्रक का वर्णन किया।
  • क्रोमैटिन:फ्लेमिंग ने केन्द्रक के उस पदार्थ को नाम दिया, जो क्षारीय रंगों से रंगता है।

केन्द्रक में विविधताएँ:

  1. बहुकेंद्रकीय कोशिकाएँ: कुछ जीवों में एक से अधिक केन्द्रक पाए जाते हैं, जैसे – कवक (Fungi), कुछ शैवाल (Some Algae), कंकाल पेशी कोशिकाएँ (Skeletal Muscle Cells)
  2. केन्द्रक रहित कोशिकाएँ: कुछ कोशिकाएँ परिपक्व होने के बाद अपना न्यूक्लियस खो देती हैं, जैसे:
    • स्तनधारी जीवो की लाल रक्त कोशिकायें
    • संवहनी पौधों की चालनी नलिका कोशिकाएँ

क्रोमैटिन: 

क्रोमैटिन डीएनए (DNA) और प्रोटीन (मुख्य रूप से हिस्टोन्स) का एक जटिल रूप होता है, जो केन्द्रक के अंदर पाया जाता है।

  • यह डीएनए को एक संकुचित संरचना में पैक करता है, जिससे यह न्यूक्लियस के अंदर समा सके।
  • जीन अभिव्यक्ति को नियंत्रित करता है, क्योंकि यह डीएनए तक पहुँच को नियंत्रित करता है।
  • कोशिका विभाजन के दौरान, क्रोमैटिन संघनित होकर गुणसूत्र का निर्माण करता है।
The Cell

गुणसूत्र

कोशिका विभाजन  के दौरान, क्रोमैटिन संघनित होकर अतिकुंडलित संरचना गुणसूत्र का निर्माण करता है, जो सूक्ष्मदर्शी में स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं।

गुणसूत्र संगठन:
  • निर्माण (Made of):
    • डीएनए (DNA): आनुवंशिक सामग्री।
    • प्रोटीन:
      • हिस्टोन्स और नॉन-हिस्टोन्स, जो डीएनए को व्यवस्थित करने में सहायता करते हैं।
    • मानव में:
      • प्रत्येक कोशिका में 46 गुणसूत्र (23 जोड़ो) होते हैं।
      • एक एकल मानव कोशिका में डीएनए की कुल लंबाई लगभग 2 मीटर होती है।
गुणसूत्र की संरचना:
  1. गुणसूत्रबिंदु (Centromere):
    • प्राथमिक संकीर्णन जो दो क्रोमैटिड्स को आपस में जोड़े रखता है।
  2. काइनेटोकॉर:
    • गुणसूत्रबिंदु के दोनों ओर बिम्ब आकार संरचना।
    • कोशिका विभाजन के दौरान, स्पिंडल तंतु इससे जुड़ते हैं।
The Cell
कोशिका

सूक्ष्मकाय (Microbodies)

  • “बहुत सारी झिल्ली आवृत सूक्ष्म थैलियाँ जिसमें विभिन्न प्रकार के एंजाइम मिलते हैं, ये पौधों व जंतु कोशिकाओं में पाई जाती हैं।”
  • इनमें ऐसे एंजाइम होते हैं, जो विषहरण (Detoxification) और लिपिड चयापचय जैसे विशिष्ट कार्यों को संपन्न करते हैं।

कोशिका विभाजन एक मौलिक प्रक्रिया है, जो सभी जीवों में वृद्धि, पुनरुत्पादन और क्षतिग्रस्त ऊतकों की मरम्मत को संभव बनाती है। यह आनुवंशिक सामग्री की सटीक प्रतिकृति और वितरण सुनिश्चित करता है। इस प्रक्रिया में डीएनए प्रतिकृति, कोशिका वृद्धि और विभाजन जैसे घटनाक्रम शामिल होते हैं, जो एक क्रमबद्ध श्रृंखला में संगठित होते हैं, जिसे कोशिका चक्र कहते हैं।

इस प्रकार, कोशिका चक्र वह अनुक्रमिक प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से कोशिका बढ़ती है, अपने डीएनए की प्रतिकृति बनाती है और दो पुत्री कोशिकाओं में विभाजित होती है।

कोशिका चक्र के चरण

कोशिका चक्र को दो मुख्य चरणों में विभाजित किया जाता है:

  1. अंतरावस्था (तैयारी चरण): इस चरण में कोशिका वृद्धि करती है और डीएनए की प्रतिकृति बनाती है। यह मानव कोशिकाओं में कुल कोशिका चक्र अवधि का लगभग 95% भाग होता है
    • G1 चरण: कोशिका वृद्धि करती है और सामान्य कार्य करती है।
    • S चरण: डीएनए प्रतिकृति होती है।
    • G2 चरण: कोशिका विभाजन के लिए वृद्धि करती है और त्रुटियों की जांच करती है।
  2. M चरण (Mitotic Phase – विभाजन चरण): इस चरण में वास्तविक विभाजन होता है, जिसमें केन्द्रक का विभाजन (कार्योकाइनिसिस) और कोशिका द्रव्य का विभाजन (साइटोकाइनिसिस) शामिल होते हैं।
कोशिका

माइटोसिस (सूत्री कोशिका विभाजन) : माइटोसिस वह प्रक्रिया है जिसमें केंद्रक दो समान केंद्रक में विभाजित होता है।

  1. पूर्वावस्था (Prophase):
    • क्रोमैटिन संघनित होकर गुणसूत्रों में परिवर्तित हो जाता है।
    • केंद्रकीय झिल्ली विघटित होने लगती है।
    • तारककेंद्र कोशिका के विपरीत ध्रुवों की ओर बढ़ते हैं और तर्कु तंतु (स्पिंडल फाइबर) बनने लगते हैं।
  2. मध्यावस्था (Metaphase):
    • गुणसूत्र कोशिका के केंद्र (Metaphase Plate) पर पंक्तिबद्ध हो जाते हैं।
    • स्पिंडल तंतु गुणसूत्र के गुणसूत्रबिंदु से जुड़ जाते हैं।
  3. पश्चावस्था (Anaphase):
    • सिस्टर गुणसूत्रांश (Sister Chromatids) स्पिंडल तंतुओं द्वारा विपरीत ध्रुवों की ओर खिंच लिए जाते हैं।
  4. ​​अंतावस्था (Telophase):
    • गुणसूत्र अपने विपरीत ध्रुवों पर पहुंच जाते हैं और फिर से विघटित होकर लंबे और पतले हो जाते हैं।
    • केंद्रकीय झिल्ली फिर से बनने लगती है और स्पिंडल तंतु गायब हो जाते हैं।

कोशिकाद्रव्य विभाजन (साइटोकाइनिसिस)

  • कोशिकाद्रव्य विभाजित होता है, जिसके परिणामस्वरूप दो अलग-अलग संतति कोशिकाएं बनती हैं, जिनमें से प्रत्येक का अपना केंद्रक होता है।
    • प्राणी कोशिकाओं में: एक विदर खांच (cleavage furrow) बनता है, जो कोशिका को दो भागों में विभाजित कर देता है।
    • पादप कोशिकाओं में: केंद्र में एक कोशिका प्लेट बनती है, जो विकसित होकर एक नई कोशिका भित्ति में बदल जाती है।
The Cell
कोशिका चक्र की अवधि:
  • एक कोशिका द्वारा एक चक्र को पूरा करने के लिए आवश्यक समय जीव और कोशिका प्रकार के अनुसार भिन्न होता है।
  • मानव कोशिकाएं: ~24 घंटे।
    • अंतरावस्था (Interphase): ~23 घंटे।
    • M चरण (M Phase): ~1 घंटा।
  • यीस्ट कोशिकाएं: ~90 मिनट।

माइटोसिस बनाम मीयोसिस

समसूत्री विभाजन (माइटोसिस):

  • माइटोसिस वह कोशिका विभाजन है, जो विकास, ऊतक मरम्मत, और अलैंगिक प्रजनन के लिए उत्तरदायी है।
  • इसके परिणामस्वरूप दो आनुवंशिक रूप से समान संतति कोशिकाएं बनती हैं, जिनमें मूल कोशिका के समान गुणसूत्र संख्या होती है।

अर्ध सूत्री विभाजन (मीयोसिस):

  • मियोसिस एक विशेष प्रकार का कोशिका विभाजन है जो गुणसूत्र संख्या को आधा कर देता है, जिससे एक द्विगुणित (डिप्लोइड) कोशिका से चार अगुणित (हैप्लोइड) कोशिकाएं (युग्मक जैसे शुक्राणु और अंडे) उत्पन्न होती हैं।
  • यह दो चरणों में होता है, मियोसिस I और मियोसिस II, और यह लैंगिक प्रजनन के लिए आवश्यक है।
  • महत्व:
    • मियोसिस संतानों में आनुवंशिक विविधता सुनिश्चित करता है।
    • यह पीढ़ियों में स्थिर गुणसूत्र संख्या बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।

मियोसिस की मुख्य विशेषताएं:

  • गुणसूत्र संख्या को द्विगुणित (डिप्लोइड, 2n) से अगुणित (हैप्लोइड, n) में कम कर देता है।
  • मियोसिस के दौरान क्रॉसिंग ओवर और स्वतंत्र अपव्यूहन (independent assortment) के माध्यम से आनुवंशिक विविधता सुनिश्चित होती है।
  • जंतुओं में युग्मक (गैमीट्स, जैसे शुक्राणु और अंडे) और पादपों में बीजाणु उत्पन्न होते हैं।
अर्धसूत्री विभाजन के चरण
  • अर्धसूत्री विभाजन I (अपचयी विभाजन): पहला विभाजन गुणसूत्र संख्या को द्विगुणित (2n) से अगुणित (n) में कम कर देता है।
    • पूर्वावस्था I (Prophase I): समजात गुणसूत्र जोड़े बनाते हैं और क्रॉसिंग ओवर (आनुवंशिक सामग्री का आदान-प्रदान) होता है।
    • मध्यावस्था I (Metaphase I): समजात गुणसूत्र जोड़े मध्य रेखा पट्टिका पर संरेखित होते हैं।
    • पश्चावस्था I (Anaphase I): समजात गुणसूत्र विपरीत ध्रुवों की ओर खिंचे जाते हैं (क्रोमैटिड्स जुड़े रहते हैं)।
    • अन्त्यावस्था I और कोशिकाद्रव्य विभाजन (Telophase I & Cytokinesis): दो अगुणित कोशिकाएं बनती हैं, जिनमें से प्रत्येक में मूल गुणसूत्र संख्या का आधा भाग होता है।
    • अंतरालावस्था (Interkinesis): एक संक्षिप्त विश्राम चरण होता है, जिसमें डीएनए प्रतिकृति नहीं होती है।
कोशिका
  • अर्धसूत्री विभाजन II (सम विभाजन): यह विभाजन समसूत्री विभाजन के समान होता है और सिस्टर क्रोमैटिड्स को अलग करता है।
    • पूर्वावस्था II (Prophase II): दोनों अगुणित कोशिकाओं में गुणसूत्र फिर से संघनित हो जाते हैं।
    • मध्यावस्था II (Metaphase II): गुणसूत्र मध्यांश पर पंक्तिबद्ध होते हैं।
    • पश्चावस्था II (Anaphase II): सिस्टर अर्द्धगुणसूत्र (क्रोमैटिड्स) अलग होकर विपरीत ध्रुवों की ओर खिंचे जाते हैं।
    • अन्त्यावस्था II और कोशिकाद्रव्य विभाजन (Telophase II & Cytokinesis): चार अगुणित संतति कोशिकाएं बनती हैं, जिनमें से प्रत्येक आनुवंशिक रूप से अद्वितीय होती है।

अर्धसूत्री विभाजन II के बाद, चार अगुणित कोशिकाएं उत्पन्न होती हैं, जो युग्मकों (गैमीट्स) के रूप में कार्य करती हैं और लैंगिक प्रजनन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। यह प्रक्रिया आनुवंशिक विविधता को बनाए रखने में मदद करती है।

कोशिका

समसूत्री विभाजन और अर्धसूत्री विभाजन के बीच अंतर

पहलू समसूत्री विभाजनअर्धसूत्री विभाजन
उद्देश्यवृद्धि, मरम्मत और अलैंगिक प्रजननलैंगिक प्रजनन के लिए युग्मक का निर्माण
विभाजन की संख्या1 विभाजन2 विभाजन (Meiosis I और Meiosis II)
संतति कोशिकाओं की संख्या2 संतति कोशिकाएं 4 संतति कोशिकाएं 
गुणसूत्रों की संख्या समान रहती है (द्विगुणित, 2n → 2n)आधी हो जाती है (द्विगुणित, 2n → अगुणित, n)
आनुवंशिक विविधतासंतति कोशिकाएं मूल कोशिका के समान होतीसंतति कोशिकाएं आनुवंशिक रूप से अद्वितीय होती 
क्रॉसिंग ओवर नहीं होतापूर्वावस्था I (Prophase I) के दौरान होता है
उत्पादित कोशिकाओं का प्रकारकायिक (सोमैटिक) कोशिकाएंयुग्मक (शुक्राणु या अंडे)
घटनास्थल सभी शरीर कोशिकाओं मेंकेवल जनन अंगों (अंडाशय/वृषण) में
विकास में भूमिकाआनुवंशिक विविधता में योगदान नहीं देताआनुवंशिक विविधता को बढ़ाता है
कोशिकाद्रव्य विभाजनअंतावस्था (Telophase) के अंत में एक बार होता है, जिससे दो कोशिकाएं बनती हैंदो बार होता है (Meiosis I और Meiosis II के बाद)
महत्त्व* वृद्धि: नए कोशिकाओं का निर्माण करके जीव के विकास में मदद करता है।
* मरम्मत : क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को बदलता है (जैसे घाव भरने में)।
* अलैंगिक प्रजनन: एककोशिकीय जीवों में प्रजनन की आधारशिला है।
* आनुवंशिक स्थिरता: समान कोशिकाएँ बनाकर गुणसूत्रों की संख्या को बनाए रखता है।
* युग्मक निर्माण: शुक्राणु और अंडाणु का उत्पादन करता है।
* गुणसूत्र संख्या बनाए रखना: सुनिश्चित करता है कि संतान में सही गुणसूत्र संख्या हो।
* आनुवंशिक विविधता (Genetic Variation): क्रॉसिंग ओवर और स्वतंत्र पृथक्करण के कारण उत्परिवर्तन और अनुकूलन को बढ़ावा देता है।
error: Content is protected !!
Scroll to Top