ओटीटी प्लेटफॉर्म सोशल मीडिया व उनके प्रभाव आज के आधुनिक युग में प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में ओटीटी प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। ये दोनों माध्यम न केवल मनोरंजन का नया तरीका प्रदान करते हैं, बल्कि समाज, विचारों और संचार के स्वरूप को भी बदल रहे हैं। इस विषय में हम इनके विभिन्न प्रभावों का अध्ययन करेंगे।
ओटीटी प्लेटफॉर्म व उनके प्रभाव
परिभाषा :
- ऑवर-द-टॉप (OTT) प्लेटफॉर्म्स वे डिजिटल सेवाएँ हैं जो इंटरनेट के माध्यम से सीधे उपभोक्ताओं को ऑडियो, वीडियो या टेक्स्ट सामग्री प्रदान करती हैं। ये पारंपरिक ब्रॉडकास्ट या केबल टीवी वितरण के तरीकों पर निर्भर नहीं करती हैं।
- IT नियम 2021 के तहत, OTT प्लेटफॉर्म्स को ऑनलाइन क्यूरेटेड कंटेंट प्लेटफॉर्म्स (OCCPs) के रूप में परिभाषित किया गया है।
- ऑनलाइन क्यूरेटेड कंटेंट में फिल्में, वेब सीरीज, पॉडकास्ट आदि शामिल हैं, जो दर्शकों को मांग पर उपलब्ध कराए जाते हैं, चाहे वह सब्सक्रिप्शन के माध्यम से हो या अन्य तरीकों से।
- Ormax रिपोर्ट : भारत में 481 मिलियन OTT उपयोगकर्ता हैं (कुल जनसंख्या का 34%), वही 102 मिलियन पेड सब्सक्रिप्शन हैं।
लोकप्रिय OTT प्लेटफॉर्म्स के उदाहरण
- वीडियो स्ट्रीमिंग : Netflix, Amazon Prime Video, Disney+ Hotstar।
- म्यूजिक स्ट्रीमिंग : Spotify, Apple Music.
- गेमिंग और लाइव स्ट्रीमिंग : Twitch, YouTube.
OTT प्लेटफॉर्म्स की प्रमुख विशेषताएँ
- ऑन-डिमांड कंटेंट : दर्शक कभी भी, कहीं भी, और किसी भी डिवाइस पर कंटेंट देख सकते हैं।
- इंटरनेट-आधारित डिलीवरी: कंटेंट पारंपरिक केबल या सैटेलाइट के बजाय, ब्रॉडबैंड नेटवर्क्स के माध्यम से दिया जाता है।
- विविध कंटेंट : फिल्मों, वेब सीरीज, डॉक्यूमेंट्रीज़ और रियलिटी शोज़ जैसे विभिन्न शैलियों में कंटेंट की उपलब्धता।
- सब्सक्रिप्शन-आधारित राजस्व मॉडल : पारंपरिक विज्ञापन-आधारित टीवी मॉडल से सब्सक्रिप्शन-आधारित सेवाओं की ओर बदलाव।
- वैश्विक पहुंच: कंटेंट सीमा पार दर्शकों के लिए भी उपलब्ध है।
OTT प्लेटफॉर्म्स को संचालित करने वाली तकनीकें
- क्लाउड कंप्यूटिंग :
- बड़ी मात्रा में कंटेंट को स्टोर करने और इसे बिना रुकावट उपभोक्ताओं तक पहुँचाने में मदद करता है।
- उदाहरण: Netflix की वैश्विक स्ट्रीमिंग सेवा Amazon Web Services (AWS) द्वारा संचालित है।
- CDNs (कंटेंट डिलीवरी नेटवर्क्स):
- दुनियाभर में फैले सर्वरों के माध्यम से कंटेंट वितरित करते हैं, जिससे लेटेंसी कम होती है और स्ट्रीमिंग की गुणवत्ता बेहतर होती है।
- एडैप्टिव स्ट्रीमिंग टेक्नोलॉजी:
- उपयोगकर्ता की इंटरनेट स्पीड के अनुसार वीडियो की गुणवत्ता को वास्तविक समय में समायोजित करती है।
- उदाहरण: HLS (HTTP Live Streaming) और MPEG-DASH।
- DRM (डिजिटल राइट्स मैनेजमेंट):
- पाइरेसी और अनधिकृत साझाकरण से कंटेंट की सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
OTT प्लेटफॉर्म्स का प्रभाव
सांस्कृतिक प्रभाव
- सामग्री की विविधता → OTT प्लेटफ़ॉर्म्स अंतरराष्ट्रीय, क्षेत्रीय और विशिष्ट सामग्री को वैश्विक दर्शकों तक लाते हैं।
- उदाहरण: नेटफ्लिक्स पर के-ड्रामा गैर-कोरियाई भाषी देशों में बेहद लोकप्रिय हुए हैं।
- लाभ: सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा।
- स्थानीय कंटेंट का उत्थान → क्षेत्रीय शो और फिल्में (जैसे, Stage, Disney+ Hotstar पर क्षेत्रीय कंटेंट) क्षेत्रीय मनोरंजन उद्योग को मजबूत करती हैं।
- उपभोग के पैटर्न में बदलाव → दर्शक अब निर्धारित टीवी शेड्यूल की बजाय ऑन-डिमांड और बिंज-वॉचिंग मॉडल को पसंद करते हैं। उदाहरण: पूरे शो के सीजन एक साथ रिलीज होते हैं।
- सामग्री की अधिकता → कंटेंट के ढेरों विकल्प होने से दर्शकों को क्या देखना है, यह तय करना मुश्किल हो जाता है। जिससे निर्णय में कठिनाई या सामग्री से थकान (content fatigue) हो सकती है।
तकनीकी प्रभाव
- इंटरनेट की पैठ → OTT प्लेटफॉर्म हाई-स्पीड इंटरनेट की मांग को बढ़ाते हैं, जिससे ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में तकनीकी एडॉप्शन बढ़ता है।
- स्ट्रीमिंग तकनीक का विकास → एडैप्टिव स्ट्रीमिंग, क्लाउड कंप्यूटिंग, और कंटेंट डिलीवरी नेटवर्क्स (CDNs) ने बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए तकनीक को उन्नत किया है।
सामाजिक प्रभाव
- सुगम्यता → बहु-भाषा, सबटाइटल (उदाहरण के लिए, नेटफ्लिक्स) → दूरस्थ/विशेष योग्यजन उपयोगकर्ताओं के लिए समावेशन।
- पारिवारिक गतिशीलता → व्यक्तिगत रूप से देखने की आदत ने परिवार के साथ टीवी देखने का समय कम कर दिया है।
आर्थिक प्रभाव
- पारंपरिक मीडिया पर प्रभाव→केबल टीवी सेवाओं में गिरावट (जैसे Dish Network)।
- क्षेत्रीय फिल्म उद्योग को बढ़ावा:→ क्षेत्रीय फिल्मों (जैसे तमिल फिल्में Amazon Prime पर) को व्यापक दर्शक वर्ग मिला।
- नौकरी के नए अवसर: → कंटेंट प्रोडक्शन, डबिंग, और तकनीकी क्षेत्रों में नई भूमिकाएँ (जैसे Netflix Originals)।
व्यवहारिक प्रभाव
- बिंज-वॉचिंग का असर: → अत्यधिक स्क्रीन समय से नींद में बाधा, आंखों पर तनाव, और गतिहीन जीवनशैली का खतरा।
- स्वास्थ्य प्रभाव → अनियमित नींद की आदतें तनाव बढ़ाती हैं और उत्पादकता कम करती हैं।
- सामाजिक अलगाव → अकेले कंटेंट देखने की आदत ने सामाजिक मेलजोल के समय को घटा दिया।
- एल्गोरिदम का प्रभाव: →एल्गोरिदम उपयोगकर्ताओं की पसंद और व्यवहार के आधार पर कंटेंट का सुझाव देते हैं। उदाहरण: नेटफ्लिक्स का ‘टॉप 10’ सेक्शन ट्रेंडिंग शो और फिल्मों पर प्रभाव डालता है।
- कंटेंट की लत → दर्शकों को प्लेटफॉर्म से डिस्कनेक्ट होने में कठिनाई होती है, जिससे कार्य-जीवन संतुलन प्रभावित होता है।
चुनौतियाँ
- सामग्री नियमन → गाइडलाइंस की कमी, सेंसरशिप पर बहस। उदाहरण: तांडव वेबसीरीज विवाद
- पायरेसी और प्राइवेसी → फिल्में कुछ घंटों में पायरेट हो जाती हैं, और डेटा सुरक्षा पर सवाल उठते हैं।
OTT प्लेटफॉर्म्स से जुड़ी नियामकीय चुनौतियाँ
- तेज़ी से बढ़ता बाजार
- उपयोगकर्ता पैठ 2024 में 45.8% से बढ़कर 2029 तक 54.5% होने की उम्मीद है।
- भारतीय OTT बाजार 2030 तक $12.5 बिलियन तक पहुँचने की संभावना है, 28.6% की वार्षिक वृद्धि दर (FICCI-EY रिपोर्ट)।
- कंटेंट का नियमन
- सेंसरशिप, आयु प्रतिबंधों और सांस्कृतिक संवेदनशीलता का पालन।
- आपत्तिजनक कंटेंट और भारत के इतिहास के गलत चित्रण को लेकर बढ़ती शिकायतें।
- बाज़ार पर दबदबा और प्रतिस्पर्धा
- Netflix, Amazon Prime, और Disney+ Hotstar का 60–70% बाजार पर कब्जा।
- इससे असमान प्रतिस्पर्धा और छोटे प्लेटफॉर्म्स को नुकसान होता है।
- कराधान और राजस्व मॉडल
- OTT प्लेटफॉर्म्स के लिए उपयुक्त कर प्रणाली का निर्धारण चुनौतीपूर्ण है।
- डेटा सुरक्षा
- उपयोगकर्ता के डेटा को सुरक्षित रखने और डेटा सुरक्षा नियमों का पालन सुनिश्चित करने की आवश्यकता।
- फिल्म उद्योग के साथ असमानता
- OTT कंटेंट फिल्म उद्योग नियमन (जैसे CBFC प्रमाणन) से बच जाता है, जिससे पारंपरिक मीडिया क्षेत्रों के साथ टकराव पैदा होता है।
- संवेदनशील समूहों की सुरक्षा
- सुप्रीम कोर्ट (2018) और राज्यसभा (2020) ने डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर बाल अश्लीलता (Child Pornography) को लेकर चिंता जताई।
- OTT लत और मानसिक स्वास्थ्य
- KPMG रिपोर्ट: औसत भारतीय रोज़ाना 70 मिनट (12.5 घंटे साप्ताहिक) OTT पर बिताता है।
- चिंता, निराशा और आत्मसम्मान में कमी।
- नागरिक समाज की माँग:
- “Save Culture Save Bharat Foundation” जैसे समूह एक केंद्रीय निकाय की माँग कर रहे हैं, जो ऑडियो-विज़ुअल सामग्री को नियंत्रित करे और सांस्कृतिक सटीकता को बढ़ावा दे।
चुनौतियों से निपटने के लिए उठाए गए कदम
- सूचना और प्रसारण मंत्रालय (MIB) के तहत शामिल करना:
- 2020 में OTT प्लेटफॉर्म्स को MIB के अधिकार क्षेत्र में लाया गया।
- अधिकार क्षेत्र की स्पष्टता (Jurisdiction Clarity):
- TDSAT के अनुसार, OTT प्लेटफॉर्म्स IT नियम 2021 (MeitY) के तहत आते हैं, न कि TRAI के तहत।
- IT नियम 2021
- सॉफ्ट-टच स्व-नियामक ढाँचा :
- आचार संहिता और त्रि-स्तरीय शिकायत निवारण प्रणाली।
- कंटेंट को आयु-आधारित श्रेणियों में स्व-श्रेणीबद्ध करना।
- भारत की संप्रभुता और अखंडता को प्रभावित करने वाली सामग्री के लिए सतर्कता पर जोर।
- प्रसारण सेवाएँ (नियमन) विधेयक, 2023:
- प्रसारण, OTT, डिजिटल मीडिया, DTH और IPTV को एक एकीकृत ढाँचे के तहत लाने का प्रस्ताव।
सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशा-निर्देश और डिजिटल मीडिया नैतिक संहिता) नियम, 2021
“डिजिटल मीडिया मध्यस्थ : इसमें OTT प्लेटफॉर्म्स, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स, और डिजिटल समाचार पत्र प्रकाशक शामिल हैं।
OTT प्लेटफॉर्म्स के लिए प्रमुख प्रावधान
- कंटेंट वर्गीकरण :
- कंटेंट को पाँच आयु-आधारित श्रेणियों में वर्गीकृत करना:
- U (Universal), U/A 7+, U/A 13+, U/A 16+, A (Adult).
- यू/ए 13+ या उससे अधिक रेटिंग वाले कंटेंट के लिए पैरेंटल कंट्रोल लागू करना।
- कंटेंट को पाँच आयु-आधारित श्रेणियों में वर्गीकृत करना:
- शिकायत निवारण तंत्र:
- शिकायत निवारण अधिकारी नियुक्त करना।
- शिकायतों का समाधान 15 दिनों के भीतर करना।
- अनुपालन और पारदर्शिता:
- मुख्य अनुपालन अधिकारी (Chief Compliance Officer), नोडल संपर्क व्यक्ति (Nodal Contact Person) और रेसिडेंट शिकायत अधिकारी नियुक्त करना।
- उपयोगकर्ता की शिकायतों और उठाए गए कदमों पर मासिक अनुपालन रिपोर्ट प्रकाशित करना।
- स्व-नियमन :
- एक स्व-नियामक निकाय बनाना, जिसकी अध्यक्षता सेवानिवृत्त न्यायाधीशों या सम्मानित व्यक्तियों द्वारा की जाएगी।
- आचार संहिता (Code of Ethics) का पालन सुनिश्चित करना।
- त्रि-स्तरीय नियामक ढाँचा
- स्तर 1: प्लेटफॉर्म द्वारा स्व-नियमन।
- स्तर 2: स्व-नियामक निकाय द्वारा निगरानी।
- स्तर 3: अनिराकरणीय शिकायतों के लिए एक अंतर-विभागीय समिति द्वारा निगरानी।
- डेटा संग्रह और रिपोर्टिंग :
- उपयोगकर्ता रिकॉर्ड 180 दिनों तक सुरक्षित रखना।
- सरकारी एजेंसियों के अनुरोध पर 72 घंटों के भीतर जानकारी प्रदान करना।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और उनके प्रभाव
सोशल मीडिया की परिभाषा
- सोशल मीडिया ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को कहते हैं जहाँ उपयोगकर्ता कंटेंट (सामग्री) बना सकते हैं, साझा कर सकते हैं और उससे जुड़ सकते हैं, एवम् आभासी समुदायों में अन्य लोगों से जुड़ सकते हैं।
- पारंपरिक मीडिया के विपरीत, सोशल मीडिया दो-तरफ़ा संचार की अनुमति देता है, जो निर्माताओं और दर्शकों के बीच इंटरैक्शन को संभव बनाता है।
लोकप्रिय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स
- जनरल सोशल नेटवर्किंग: Facebook, Instagram, Twitter।
- प्रोफेशनल नेटवर्किंग: LinkedIn
- शॉर्ट-फॉर्म कंटेंट: TikTok, Snapchat, YouTube Shorts।
- कम्युनिटी-बेस्ड प्लेटफॉर्म्स: Reddit, Quora।
सोशल मीडिया की प्रमुख विशेषताएँ:
- उपयोगकर्ता-निर्मित सामग्री (User-Generated Content – UGC): उपयोगकर्ताओं द्वारा बनाए गए और साझा किए गए कंटेंट, जैसे फोटो, वीडियो, पोस्ट और कमेंट्स।
- इंटरएक्टिविटी: लाइक, शेयर, कमेंट और मैसेज के माध्यम से उपयोगकर्ता कंटेंट और अन्य लोगों के साथ संवाद कर सकते हैं।
- सोशल नेटवर्किंग: साझा रुचियों, संबंधों, या गतिविधियों के आधार पर वर्चुअल समुदाय बनाने की सुविधा।
- रीयल-टाइम कम्युनिकेशन: त्वरित अपडेट और मैसेजिंग की सुविधा, जिससे तत्काल संवाद संभव होता है।
सोशल मीडिया के लाभ
सांस्कृतिक और सामाजिक प्रभाव
- वैश्विक जुड़ाव: भौगोलिक बाधाओं को तोड़ता है, जिससे दुनिया भर में तत्काल संचार संभव होता है। उदाहरण: Facebook, WhatsApp।
- कंटेंट का लोकतंत्रीकरण : इंटरनेट और स्मार्टफोन के माध्यम से कोई भी व्यक्ति कंटेंट बना सकता है और लाखों लोगों तक पहुंच सकता है।
- आधुनिक संस्कृति का निर्माण : विशेष रूप से युवाओं के बीच ट्रेंड और सांस्कृतिक बदलावों को प्रेरित करता है। उदाहरण: TikTok फैशन, संगीत और डांस को प्रभावित करता है।
- सामाजिक आंदोलन और सक्रियता (Activism) : हाशिये पर मौजूद समूहों को अपनी राय व्यक्त करने और आंदोलनों को संगठित करने का अधिकार देता है। उदाहरण: #MeToo, #ब्लैकलाइव्समैटर।
- डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देना: यह डिजिटल कौशल को बढ़ावा देता है, यहां तक कि पुराने पीढ़ियों में भी।
- प्रत्यक्ष संवाद चैनल: सरकारी अधिकारियों और जनता के बीच संवाद को सक्षम बनाता है। उदाहरण: ट्विटर।
आर्थिक प्रभाव
- व्यवसाय और मार्केटिंग में बदलाव : विज्ञापन, इन्फ्लुएंसर और ऑर्गेनिक कंटेंट के माध्यम से मार्केटिंग को बदल देता है। उदाहरण: Instagram, TikTok इन्फ्लुएंसर।
- ई-कॉमर्स एकीकरण: Facebook Marketplace और Instagram Shops जैसे प्लेटफॉर्म सीधे खरीदारी की सुविधा प्रदान करते हैं।
- प्रभाव: खरीदारी की प्रक्रिया आसान, नए व्यावसायिक अवसर।
- नौकरी सृजन : इन्फ्लुएंसर, कंटेंट निर्माता, और सोशल मीडिया प्रबंधक जैसी नई भूमिकाओं का निर्माण करता है।
- प्रभाव: विभिन्न उद्योगों में करियर के नए अवसर।
राजनीतिक भागीदारी और प्रेरणा
- राजनीतिक अभियानों, वोटर भागीदारी और सार्वजनिक संवाद को गति देता है। उदाहरण: ओबामा का 2008 का अभियान।
सोशल मीडिया की चुनौतियाँ
सांस्कृतिक और सामाजिक प्रभाव
- साइबर बहिष्कार : सीमित तकनीकी पहुंच के कारण कुछ समूह सोशल मीडिया से वंचित रहते हैं।
- भेदभाव और डिजिटल असमानता : तकनीकी संसाधनों की कमी से सामाजिक विभाजन और बढ़ता है।
- कैंसल कल्चर का उभार : छोटे अपराधों पर सार्वजनिक निंदा और विरोध।
- प्रभाव: मुक्त भाषण को बाधित करता है और खुले संवाद को हतोत्साहित करता है।
- सांस्कृतिक एकरूपता : सोशल मीडिया तक वैश्विक पहुंच कुछ सांस्कृतिक मूल्यों का प्रभुत्व स्थापित कर सकती है, जिससे स्थानीय परंपराओं और पहचान में कमी आ सकती है।
- सामाजिक मानदंडों में बदलाव: सोशल मीडिया हानिकारक व्यवहारों को सामान्य बना सकता है, जैसे बॉडी शेमिंग, अवास्तविक सौंदर्य मानक और भौतिकवाद।
- युवाओं पर प्रभाव : युवा सोशल मीडिया ट्रेंड्स के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं, जो उनके विश्वासों और व्यवहार को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकते हैं।
मनोवैज्ञानिक और व्यवहारिक प्रभाव
- सामाजिक मान्यता और मानसिक स्वास्थ्य :
- तुलना और मान्यता की होड़ से चिंता और अवसाद बढ़ता है।
- इन्फ्लुएंसर संस्कृति : इन्फ्लुएंसर ट्रेंड्स, उनकी उपस्थिति और जीवनशैली के अनुरूप बनने का दबाव आत्म-मूल्य की विकृत धारणा पैदा कर सकता है। उदाहरण: किशोरों में शारीरिक छवि संबंधी समस्याएं।
- लत और समय की बर्बादी :
- अत्यधिक उपयोग से उत्पादकता कम होती है और सामाजिक मेलजोल प्रभावित होता है।
- उदाहरण: TikTok के शॉर्ट वीडियो का लगातार उपयोग।
- इको चैंबर्स और ध्रुवीकरण :
- एल्गोरिदम मौजूदा पूर्वाग्रहों को बढ़ाते हैं, जिससे समाज में विभाजन बढ़ता है।
- उदाहरण: Facebook पर राजनीतिक चर्चाएँ।
- Fear of Missing Out (FOMO): अन्य लोगों की ऑनलाइन आदर्श जीवनशैली देखकर हीनता और चिंता उत्पन्न होती है।
- नकारात्मक कंटेंट का उपभोग (Doom Scrolling): नकारात्मक खबरों के लगातार संपर्क से मानसिक तनाव और असहायता बढ़ती है।
- वास्तविक जीवन के रिश्तों पर प्रभाव :
- फबिंग : अत्यधिक फोन उपयोग से आमने-सामने की (Face-to-face) बातचीत पर असर।
- रिश्तों के ऑनलाइन चित्रण पर आधारित अवास्तविक अपेक्षाएँ।
गोपनीयता और सुरक्षा संबंधी चिंताएँ
- डेटा गोपनीयता: सोशल मीडिया बड़ी मात्रा में व्यक्तिगत डेटा एकत्र करता है, जिससे डेटा के उपयोग और भंडारण के बारे में चिंताएं बढ़ जाती हैं। उदाहरण: कैम्ब्रिज एनालिटिका घोटाला।
- साइबरबुलिंग और उत्पीड़न: यह प्लेटफ़ॉर्म्स उत्पीड़न और बुलींग के लिए अनामिता प्रदान करते हैं। उदाहरण: ट्विटर, इंस्टाग्राम पर ऑनलाइन ट्रोलिंग।
- फेक न्यूज़ और गलत सूचना: झूठी ख़बरें और ग़लत जानकारी: सोशल मीडिया झूठी जानकारी फैलाता है, जिससे विश्वास कम होता है। उदाहरण: COVID-19 के बारे में ग़लत जानकारी।
- निगरानी : सरकारों, कंपनियों या दुर्भावनापूर्ण तत्वों द्वारा ऑनलाइन गतिविधियों की निरंतर निगरानी।
- व्यक्तिगत जानकारी पर नियंत्रण की कमी: उपयोगकर्ता को अक्सर यह पता नहीं होता कि उनका व्यक्तिगत डेटा कैसे साझा और उपयोग किया जा रहा है।
राजनीतिक और नागरिक प्रभाव
- राजनीतिक हेरफेर: सोशल मीडिया का उपयोग विचारों को प्रभावित करने, प्रचार प्रसार, और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को बाधित करने के लिए किया जाता है।
- सेंसरशिप और अभिव्यक्ति की आज़ादी : कंटेंट मॉडरेशन और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बीच संतुलन बनाना चुनौतीपूर्ण है।
पर्यावरणीय प्रभाव
- डिजिटल वेस्ट और ऊर्जा खपत: डेटा सेंटर भारी मात्रा में ऊर्जा की खपत करते हैं, जिससे पर्यावरण संबंधी चिंताएँ बढ़ती हैं।
आंतरिक सुरक्षा पर प्रभाव
- कट्टरतावाद: टेलीग्राम जैसे प्लेटफार्मों के माध्यम से चरमपंथी भर्ती और स्व-कट्टरतावाद।
- राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे: ग़लत जानकारी, झूठी ख़बरें और साइबर युद्ध राष्ट्रीय सुरक्षा को कमजोर करते हैं। उदाहरण: ग़लत जानकारी से सार्वजनिक हिंसा या सीमा-राज्य तनाव।
- कमजोर समूहों पर अपराध : साइबर उत्पीड़न, स्टॉकिंग, और शोषण, खासकर महिलाओं और हाशिए पर मौज़ूद समूहों का।
साइबर सुरक्षा खतरे :
- हैकिंग और फ़िशिंग: हैकर्स सोशल मीडिया का उपयोग करके स्कैम, फ़िशिंग, और पहचान चोरी के माध्यम से उपयोगकर्ताओं का शोषण करते हैं।
- अकाउंट टेकओवर: सोशल मीडिया अकाउंट को हाईजैक किया जा सकता है और दुर्भावनापूर्ण उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जा सकता है, जैसे कि झूठी खबरें फैलाना या साइबरबुलिंग करना।
- मैलवेयर और रैनसमवेयर: सोशल मीडिया का उपयोग अक्सर हानिकारक मालवेयर वितरित करने के लिए किया जाता है जो उपकरणों को नुकसान पहुंचा सकता है और व्यक्तिगत जानकारी चुरा सकता है।
आईटी एक्ट और 2021 नियमों की मुख्य विशेषताएँ
- मध्यस्थों द्वारा उचित सावधानी:
- उद्देश्य : थर्ड-पार्टी कंटेंट के लिए उत्तरदायित्व से छूट (Safe Harbour Provision – IT एक्ट की धारा 79) पाने के लिए मध्यस्थों को उचित सावधानी बरतनी होती है।
- आवश्यकताएँ :
- उपयोगकर्ता समझौतों में निषिद्ध कंटेंट को स्पष्ट करें। अदालत/सरकारी आदेश मिलने पर 36 घंटे के भीतर आपत्तिजनक कंटेंट हटाएँ। इसमें बाल अश्लीलता (Child Pornography), हेट स्पीच, और गलत जानकारी शामिल हैं।
- ब्लॉक किए गए कंटेंट को 90 दिनों तक संरक्षित रखें।
- शिकायत अधिकारी नियुक्त करें: → शिकायतों को 24 घंटे में स्वीकार करें और 15 दिनों के भीतर हल करें।
- कानून प्रवर्तन एजेंसियों को सहयोग करें।
- सोशल मीडिया मध्यस्थ
- प्रमुख सोशल मीडिया मध्यस्थ (SSMIs): ऐसे प्लेटफॉर्म्स जिनके पास 5 मिलियन से अधिक उपयोगकर्ता हैं।
- अतिरिक्त आवश्यकताएँ :
- भारत में अनुपालन अधिकारी, नोडल अधिकारी, और शिकायत अधिकारी नियुक्त करें।
- पहले जानकारी के स्रोत (First Originator of Information) की पहचान को सक्षम करें।
- उदाहरण: राष्ट्रीय सुरक्षा या यौन हिंसा से संबंधित मामलों में।
- प्रौद्योगिकी उपाय
- बाल यौन शोषण और बलात्कार सामग्री का पता लगाएँ।
- उपयोगकर्ता की गोपनीयता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ संतुलन बनाएँ।
- उपयोगकर्ता अधिकार : पहचान सत्यापन (Identity Verification)।
- शिकायत ट्रैकिंग और विवाद निवारण।
- डिजिटल मीडिया प्रकाशक :
- लागू होता है : समाचार प्रकाशक और चयनित दृश्य-श्रव्य सामग्री प्रदाता पर।
- आचार संहिता :
- आयु के आधार पर कंटेंट को वर्गीकृत करें और बच्चों के लिए अनुपयुक्त सामग्री को प्रतिबंधित करें।
- ऐसा कंटेंट न दिखाएँ जो राष्ट्रीय सुरक्षा, संप्रभुता, या सार्वजनिक व्यवस्था के लिए खतरा हो।
- धार्मिक भावनाओं का ध्यान रखें।
- विकलांग व्यक्तियों के लिए कंटेंट को सुलभ बनाएँ।
- शिकायत निवारण तंत्र:
- स्तर 1: प्रकाशक द्वारा शिकायत को 15 दिनों में हल करना।
- स्तर 2 : अनसुलझी शिकायतों को एसोसिएशन तक ले जाना (15 दिनों के भीतर समाधान)।
- स्तर 3 : सूचना और प्रसारण मंत्रालय के तहत अंतर-विभागीय समिति द्वारा समीक्षा।
- मंत्रालय द्वारा निगरानी:
- स्व-नियामक निकायों के लिए चार्टर प्रकाशित करना।
- सलाह जारी करना।
- आपातकालीन स्थिति में सामग्री को ब्लॉक करना (समीक्षा के अधीन)।
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