प्रशासकों का आचरण, मूल्य एवं राजनैतिक अभिवृत्ति प्रशासनिक तंत्र की गुणवत्ता, उसमें कार्यरत प्रशासकों के आचरण, नैतिक मूल्यों और उनकी राजनैतिक अभिवृत्तियों पर निर्भर करती है। नैतिकशास्त्र के अंतर्गत यह अध्ययन महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सार्वजनिक हित में लिए गए निर्णयों की नैतिकता और निष्पक्षता को निर्धारित करता है।
विगत वर्षों में पूछे गए प्रश्न
प्रशासकों का आचरण, मूल्य एवं राजनैतिक अभिवृत्ति, सत्यनिष्ठा का दार्शनिक आधार
वर्ष | प्रश्न | अंक |
2018 | राजनैतिक तटस्थता सुशासन सुनिश्चित करती है । व्याख्या कीजिए । | 5M |
नैतिक आचार संहिता
वर्ष | प्रश्न | अंक |
2013 | यदि आपको भारतीय लोक सेवकों के लिये ‘नैतिक आचार संहिता’ निर्मित करने के लिए कहा जाय, तो आप किन पांच सिद्धांतों को प्राथमिकता प्रदान करेंगे? | 5M |
प्रशासकों का आचरण, मूल्य एवं राजनैतिक अभिवृत्ति, सत्यनिष्ठा का दार्शनिक आधार
किसी व्यक्ति, घटना एवं विचार का कुछ हद तक अनुकूल अथवा प्रतिकूल मूल्यांकन करने की मनोवैज्ञानिक प्रवृत्ति ही अभिवृत्ति कहलाती है

किसी विशेष विषय के प्रति अभिवृत्ति के विकास का पदानुक्रम या चरण

अभिवृत्ति के घटक

संज्ञानात्मक
वे विश्वास, विचार और विशेषताएँ जो कोई व्यक्ति किसी वस्तु, व्यक्ति, मुद्दे या स्थिति से जोड़ता है। इसमें जानकारी को समझने और व्याख्या करने की मानसिक प्रक्रियाएँ शामिल हैं।
- उदाहरण – रेड लाइट जंप के लिए 5000 रुपये का जुर्माना = रेड लाइट जंप के प्रति नकारात्मक रवैया
- जलवायु परिवर्तन के बारे में जानकारी – ग्रीन ड्राइव
- नाज़ी जर्मनी में यहूदियों के ख़िलाफ़ ग़लत सूचना का प्रचार = यहूदियों के प्रति नकारात्मक रवैया
भावात्मक
यह किसी दृष्टिकोण का भावनात्मक खंड है। यह उस कथन से संबंधित है जो दूसरे व्यक्ति को प्रभावित करता है।
- जैसे.
- हरियाली देखकर खुशी होती है
- उजालो भिवारो
- विकलांग → दिव्यांग
- बलात्कार पीड़िता → रेप सर्वाइवर
- यहूदियों के प्रति नफरत
व्यवहारात्मक
यह अभिवृत्ति से उत्पन्न व्यवहार संबंधी इरादों और कार्यों को दर्शाता है। इसका संबंध इस बात से है कि व्यक्ति अपने अभिवृत्ति की वस्तु के प्रति कैसा व्यवहार कर सकते हैं।
- जैसे – रेड लाइट जंप करनी है या नहीं, ओवरस्पीडिंग करनी है या नहीं
- जैसे – वृक्षारोपण अभियान [श्याम सुन्दर ज्याणी]
- जैसे – यहूदियों पर अत्याचार
नोट – एक मजबूत सकारात्मक अभिवृत्ति के लिए, इन तीनों में तालमेल होना आवश्यक है
अभिवृत्ति और व्यवहार
अभिवृत्ति+परिस्थिति = व्यवहार
व्यवहार एवं अभिवृति में एकरूपता होगी यदि –
- अभिवृति/दृष्टिकोण मजबूत है, और वह अभिवृति एक केंद्रीय स्थान रखता हो ।
- व्यक्ति अपने अभिवृति से अवगत है
- किसी व्यक्ति पर किसी विशेष तरीके से व्यवहार करने के लिए बहुत कम या कोई बाहरी दबाव नहीं हो।
- व्यक्ति के व्यवहार को दूसरों द्वारा देखा या मूल्यांकन नहीं किया जा रहा हो ।
- व्यक्ति सोचता है कि उस व्यवहार का सकारात्मक परिणाम होगा, और इसलिए वह उस व्यवहार को अपनाता है

Example – एक अमेरिकी सामाजिक मनोवैज्ञानिक रिचर्ड ला पियरे ने निम्नलिखित अध्ययन किया। उन्होंने एक चीनी जोड़े को संयुक्त राज्य अमेरिका में यात्रा करने और विभिन्न होटलों में रुकने के लिए कहा। इन यात्राओं के दौरान केवल एक बार उन्हें किसी होटल द्वारा सेवा देने से मना किया गया । ला पियरे ने उन्हीं क्षेत्रों के होटलों और पर्यटक घरों के प्रबंधकों को प्रश्नावली भेजीं, जहां चीनी जोड़े ने यात्रा की थी और उनसे पूछा था कि क्या वे चीनी मेहमानों को आवास देंगे। एक बहुत बड़े वर्ग ने कहा कि वे ऐसा नहीं करेंगे. इस प्रतिक्रिया ने चीनियों के प्रति नकारात्मक रवैया दिखाया, जो उस सकारात्मक व्यवहार से असंगत था जो वास्तव में यात्रा करने वाले चीनी जोड़े के प्रति दिखाया गया था। अभिवृति हमेशा किसी के व्यवहार के वास्तविक पैटर्न की भविष्यवाणी नहीं कर सकता है।
वे कारक जो यह तय करते हैं कि दृष्टिकोण और व्यवहार के बीच कितना घनिष्ठ संबंध है
- प्रभाव
- विशिष्टता – किस हद तक दृष्टिकोण विशिष्ट वस्तुओं या स्थितियों पर केंद्रित होती है।
- आत्म-जागरूकता – व्यक्ति अपने अभिवृत्ति के प्रति कितना जागरूक है। जब तक व्यक्ति अपने अभिवृत्ति के प्रति सचेत नहीं रहेंगे, तब तक ये अभिवृत्ति व्यक्तियों के व्यवहार को और भी अधिक तीव्रता से प्रभावित करेंगे।
- अभिवृत्ति की प्रबलता– प्रत्यक्ष अनुभव के माध्यम से गठित अभिवृत्ति मजबूत होते हैं, और परिणामस्वरूप, बाद के व्यवहार के बेहतर भविष्यवक्ता होते हैं
- अभिवृत्ति की अभिगम्यता– कितनी आसानी से किसी विशिष्ट अभिवृत्ति को याद किया जा सकता है और चेतना में लाया जा सकता है।
विचलन के लिए जिम्मेदार कारक
- परिस्थितियाँ
- सामाजिक या बाहरी दबाव
- सम्मानित व्यक्तियों या समूहों द्वारा व्यवहार की स्वीकृति या अस्वीकृति
- बाह्य अवरोध
- स्वच्छ भारत मिशन (वित्तीय सहायता, तकनीकी सलाह )
- अभिवृत्ति की प्रबलता
- यदि संज्ञानात्मक घटक मजबूत नहीं है तो विसंगति आती है
- निहित स्वार्थ
- समय का दबाव
- प्रत्यक्ष अनुभव या हस्तांतरित जानकारी
- केंद्रीय प्रसंस्करण के परिणामस्वरूप गठित अभिवृत्ति , परिधीय प्रसंस्करण के माध्यम से गठित अभिवृत्ति की तुलना में अधिक व्यवहार योग्य होती है
- परिणाम
संज्ञानात्मक विसंगति सिद्धांत
- जब किसी व्यक्ति की मान्यताएं और अभिवृत्ति उसके व्यवहार के अनुरूप नहीं होती हैं, वह मनोवैज्ञानिक तनाव या असुविधा का अनुभव करता है। फिर उसे अपने व्यवहार या अनुभूति में परिवर्तन करने के लिए प्रेरित होता है
- उदाहरण
- स्वास्थ्य संबंधी खतरों को जानने के बावजूद धूम्रपान करना।
- किसी ग्राहक के सामने किसी उत्पाद को गलत तरीके से प्रस्तुत करना और ईमानदार रहना चाहते हैं।
- $1 का भुगतान पाने के बाद Neon सर की कक्षाओं का प्रचार करना।
संज्ञानात्मक संगति सिद्धांत
- संज्ञानात्मक संगति वह सिद्धांत है जिसके अनुसार लोग अपने दृष्टिकोण, विचारों और अपने व्यवहार में सुसंगत रहने का प्रयास करते हैं
- उदाहरण – आपका जेफ नाम का एक दोस्त है जो नियमित रूप से सिगरेट पीना पसंद करता है। धूम्रपान और कैंसर के बीच गंभीर कारण-प्रभाव संबंध पर एक व्याख्यान में भाग लेने के बाद, उसने धूम्रपान छोड़ दिया।
एक प्रशासक का आदर्श व्यवहार
- हितों के टकराव या निहित स्वार्थ से बचें
- मजबूत मूल्य तंत्र
- संज्ञानात्मक स्थिरता को व्यवहार मैं लाना = मनोवैज्ञानिक संतुष्टि
- भावनात्मक बुद्धिमत्ता (आत्म जागरूकता)
- सर्वोत्तम मार्गदर्शक – संविधान, कानून, नियम, वरिष्ठ (रोल मॉडल)
- अपनी जरूरतों को सीमित रखना
नैतिक अभिवृत्ति
- क्या “सही” है और क्या “गलत” है की नैतिक धारणा या नैतिक मूल्यों पर आधारित दृष्टिकोण को ही नैतिक अभिवृत्ति कहा जाता है। इसमें ऐसे मुद्दे शामिल हैं जिनका नैतिक आधार पर मूल्यांकन करने की आवश्यकता है
- नैतिक मुद्दों के प्रति हम जो दृष्टिकोण रखते हैं, वही नैतिक अभिवृत्ति है
- उदाहरण – अहिंसा, लिव-इन-रिलेशनशिप, बाल अपराध, नौकरीपेशा महिलाएँ, परोपकारी व्यक्ति, दहेज लेने वाले व्यक्ति इत्यादि के प्रति दृष्टिकोण
- गैर नैतिक मनोवृत्ति/अभिवृत्ति का उदाहरण – बंजी जंपिंग के प्रति मनोवृत्ति, साँप के प्रति मनोवृत्ति
- सकारात्मक – परोपकारिता, कल्याणकारी दृष्टिकोण, धार्मिक सहिष्णुता)
- नकारात्मक –दंगे, धार्मिक उग्रवाद, आतंकवाद, नरसंहारअसहिष्णुता
- कारक (कुछ कारक जो मूल्य तय करते हैं) –
- संस्कृति
- परिवार
- धर्म
- शिक्षा
- परिस्थितियाँ
- मिडिया
एक प्रशासक की नैतिक अभिवृत्ति
- महिला सशक्तिकरण या नारीवाद के प्रति अच्छा दृष्टिकोण –
- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, सुकन्या समृद्धि योजना आदि योजनाओं का बेहतर कार्यान्वयन; बालिका शिक्षा, महिलाओं की सुरक्षा के लिए विशेष प्रयास।
- उदाहरण – ऑपरेशन अस्मिता – कलेक्टर रेनू जयपाल द्वारा महिलाओं और बेटियों के सम्मान को बचाने के लिए
- गरीबों और हाशिए पर रहने वाले लोगों के प्रति अच्छा दृष्टिकोण –
- पीएम आवास योजना, पीडीएस राशन आदि में प्रशासनिक दक्षता और सहानुभूति और करुणा जैसे मूल्य।
- उदाहरण – आईएएस अधिकारी पोमा टुडू ने ओडिशा के आदिवासी गांवों तक पहुंचने के लिए 4 किमी की पैदल यात्रा की।
- उदाहरण – आईएएस जे के सोनी द्वारा चरण पादुका अभियान
- लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति अच्छा दृष्टिकोण –
- कानून के शासन का सम्मान, अनुच्छेद 14 जैसे मौलिक अधिकारों का कार्यान्वयन [कानून का समान संरक्षण], विविधता की रक्षा करना [अमूर्त विरासत जैसी योजनाएं], पंथनिरपेक्षता को बढ़ावा देना आदि।
- उदाहरण – आईएएस टी एन शेषन चुनाव आयुक्त के रूप में
- भ्रष्टाचार के प्रति बुरा दृष्टिकोण –
- रिश्वत, घोटाले, गबन, आय से अधिक संपत्ति आदि जैसे अनुचित साधनों के प्रति शून्य सहिष्णुता।
- उदाहरण – आईएएस अशोक खेमका
- अनुशासनहीनता के प्रति बुरा दृष्टिकोण –
- कार्यकुशलता, समर्पण, कर्तव्य से जाकर काम करना , सक्रियता आदि।
- उदाहरण – मेट्रो मैन ई श्रीधरन
राजनीतिक अभिवृत्ति
- राजनैतिक अभिवृत्ति से आशय है किसी राजनेता, नीति, कानून, घटना, राजनीतिक दल या सार्वजनिक क्षेत्र के किसी मुद्दे के बारे में किसी व्यक्ति या समूह की अपेक्षाकृत स्थिर राय
- वामपंथी और दक्षिणपंथी राजनीति
- महिलाओं का सबरीमाला मंदिर मे प्रवेश
- तीन तलाक
- पाकिस्तान के साथ संबंध
- विमुद्रीकरण
- किसान आंदोलन
- समाजवाद या पूंजीवाद
- समलैंगिक विवाह
- राजनीतिक अभिवृत्ति के उदाहरणों में रूढ़िवाद, उदारवाद, समाजवाद, स्वतंत्रतावाद और लोकलुभावनवाद शामिल हैं।

राजनीतिक अभिवृत्ति को प्रभावित करने वाले कारक
- धर्म
- जाति – भारत में लोग अपना वोट नहीं डालते बल्कि अपनी जाति को वोट देते हैं
- वर्ग
- संस्कृति
- परिवार
- आयु
- सामाजिक-आर्थिक स्थिति
- ऐतिहासिक कारक
- भौगोलिक कारक
- सोशल मीडिया
राजनीतिक अभिवृत्ति के प्रकार
- संकीर्णतावाद – राष्ट्रीय नीतियों पर स्थानीय मामलों को प्राथमिकता देना
- व्यक्तिपरक– तथ्यों के बजाय भावनाओं, व्यक्तिगत विश्वासों या विशेष पार्टी या नेताओं के प्रति वफादारी पर आधारित राय
- सहभागीवाद– राजनीतिक प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी
- निश्चयात्मक-राजनीतिक सक्रियता के अन्य रूपों जैसे पैरवी, प्रचार में संलग्न रहना
एक प्रशासक की राजनीतिक अभिवृत्ति
- राजनीतिक तटस्थता – सत्ताधारी पार्टी की परवाह किए बिना सरकारी नीतियों को लागू करना।
- उदाहरण – पूर्व आईएएस श्री नरपेन्द्र मिश्रा (सीएम मुलायम सिंह सरकार, पीएम मनमोहन सिंह सरकार और पीएम नरेंद्र मोदी सरकार में अहम भूमिका निभाई)
- पूर्वाग्रह, पक्षपात, भाई-भतीजावाद और साठगांठ वाले पूंजीवाद (क्रोनी कैपिटलिज्म) से मुक्त
- उदाहरण- अशोक खेमका , टी एन शेषन
- जन प्रतिनिधियों (सांसदों एवं विधायको ) से समन्वय एवं सहयोग
- सत्ता में किसी भी राजनीतिक दल की परवाह किए बिना सरकारी नीतियों को अक्षरश: लागू करना
सत्यनिष्ठा
- सत्यनिष्ठा शब्द लैटिन शब्द ‘इन-टैंगरे’ से आया है, जिसका अर्थ है अछूता [इसलिए वह सिद्धांत जिनसे कोई समझौता न किया जा सके ]
- स्थान, समय और संदर्भ की परवाह किए बिना नैतिक सिद्धांतों का कड़ाई से पालन (समझौता करने से पूर्ण इनकार)
- ज्ञान सही मार्ग को जानना है, सत्यनिष्ठा उस पर चलना है
- सत्यनिष्ठा नैतिक सिद्धांतों की सुदृढ़ता है।
- सिविल सेवा आचरण नियम ‘पूर्ण सत्यनिष्ठा’ की मांग करते है। सत्यनिष्ठा आपको किसी भी राजनीतिक दबाव से बचाती है, यदि आप एक ईमानदार अधिकारी हैं, जिसने कभी भ्रष्टाचार नहीं किया, तो राजनेता यह जानते हैं, अतः उनमें आपके कार्यालय में आकर अनुचित मांग करने का साहस कभी नहीं होगा। लेकिन अगर उन्हें पहले से ही पता है कि अधिकारी अनुचित तरीकों से पैसा बनाता है, तो वे आपसे संपर्क करेंगे। और उस स्थिति में, अधिकारी उनकी भ्रष्ट मांगों पर विचार न करने का नैतिक अधिकार खो देता है।
- एक ईमानदार अधिकारी कभी भी वरिष्ठ अधिकारियों, रिश्तेदारों या परिवार के किसी सदस्य के दबाव के आगे नहीं झुकेगा, भले ही उसे उस समय निजी रिश्तों से समझौता करना पड़े। वह सही काम केवल इसलिए करेगा क्योंकि वह सही है।
- कार्यबल में सत्यनिष्ठा से संगठन की कार्यक्षमता बढ़ती है।
- यह विभिन्न हितधारकों के बीच विश्वास बढ़ाता है।
- दुविधा की स्थिति में सबसे उचित निर्णय लेने में मदद करता है। हितों के टकराव जैसी स्थितियों से बचाव होता है .
महात्मा गांधी –
- चोरा चोरी कांड→ मन, कर्म और वचन में सामंजस्य।
- वह द्वितीय विश्व युद्ध में अंग्रेजों की मदद करने के लिए तैयार थे क्योंकि उस समय अंग्रेजों की कमजोरी का फायदा उठाना उनके नैतिक सिद्धांतों के खिलाफ था। साथ ही साम्राज्य के एक हिस्से के रूप में, उन्होंने सोचा कि स्वतंत्रता की मांग को सर्वोच्च प्राथमिकता पर रखते हुए उस समय अंग्रेजों की मदद करना भारत का नैतिक कर्तव्य था।
नोट – ज्ञान के बिना सत्यनिष्ठा कमजोर और बेकार है, और सत्यनिष्ठा के बिना ज्ञान खतरनाक और भयानक है।