व्यक्तित्व

व्यक्तित्व मनोविज्ञान का एक महत्वपूर्ण विषय है जो किसी व्यक्ति के सोचने, महसूस करने और व्यवहार करने के विशिष्ट तरीकों को समझने में मदद करता है। व्यवहार विषय के अंतर्गत, व्यक्तित्व का अध्ययन इसके विभिन्न सिद्धांतों, प्रकारों, विशेषताओं, निर्धारकों और मापन विधियों के माध्यम से किया जाता है। इसमें स्व-प्रतिवेदन विधियाँ, प्रक्षेपणात्मक तकनीकें तथा व्यवहारात्मक विश्लेषण भी शामिल हैं।

विगत वर्षों में पूछे गए प्रश्न

वर्षप्रश्नअंक
2023फ्रीडमैन एवं रोजेनमैन द्वारा सुझाये गये टाइप A और टाइप B व्यक्तित्व को समझाइये |5M
2021व्यक्तित्व के बृहद्‌ पाँच कारक कौन से हैं?2M
2021व्यक्तित्व के प्रमुख प्रक्षेपीय मापों का वर्णन कीजिए।5M
2018व्यक्तित्त का भावमूलक (इडियोग्राफिक) दृष्टिकोण क्‍या है?2M 
2018TAT में थीमा तथा आत्मबोधन (एपरसैपशन) क्‍या है ?2M
2016इरोस और थेनेटोस से आप क्‍या समझते हैं ?2M
2016अन्तर्मुखी एवं बहिर्मुखी व्यक्तित्व की व्याख्या कीजिए।2M
2016व्यक्तित्व मूल्यांकन की प्रक्षेपण विधि की विशेषताओं की व्याख्या कीजिए।5M
2016 specialऑलपोर्ट की ‘व्यक्तित्व’ की  परिभाषा का वर्णन कीजिए ।2M 
PERSONALITY

व्यक्तित्व का शाब्दिक अर्थ लैटिन शब्द “पर्सोना” से लिया गया है। “पर्सोना” का तात्पर्य उन मुखौटों से है, जो नाटकों में उपयोग किए जाते थे । व्यक्तित्व में व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक (जैसे शांत स्वभाव, गंभीरता, संकोच, प्रसन्नता, बुद्धिमत्ता) गुण शामिल होते हैं। ये गुण अपेक्षाकृत स्थिर होते हैं और समय के साथ अधिक बदलाव नहीं होते।

मनोवैज्ञानिक दृष्टि से, व्यक्तित्व वह है जो विभिन्न परिस्थितियों में हमारी अनूठी व्यवहार शैली को दर्शाता है, जैसे उत्तेजित होना, आनंदित होना, गर्मजोशी दिखाना, या मित्रतापूर्ण होना, आदि। संक्षेप में व्यक्तित्व को अधोलिखित विशेषताओं के द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है

  1. इसके अंतर्गत शारीरिक एवं मनोवैज्ञानिक दोनों ही घटक होते हैं।
  2. किसी व्यक्ति विशेष में व्यवहार के रूप में इसकी अभिव्यक्ति पर्याप्त रूप से अनन्य होती है।
  3. इसकी प्रमुख विशेषताएँ साधारणतया समय के साथ परिवर्तित नहीं होती हैं।
  4. यह इस अर्थ में गत्यात्मक होता है कि इसकी कुछ विशेषताएँ आंतरिक अथवा बाह्य स्थितिपरक माँगों के कारण परिवर्तित हो सकती हैं। 

इस प्रकार व्यक्तित्व स्थितियों के प्रति अनुकूलनशील होता है।

  • Ncert – व्यक्तित्व से तात्पर्य उन अनन्य एवं सापेक्ष रूप से स्थिर गुणों से है जो एक समयावधि में विभिन्न स्थितियों में व्यक्ति के व्यवहार को विशिष्टता प्रदान करते हैं।
  • गॉर्डन ऑलपोर्ट – “व्यक्तित्व व्यक्ति के भीतर उन मनोशारीरिक तन्त्रो का गतिशील या गत्यात्मक संगठन है जो वातावरण में उसके अपूर्वसमायोजन को निर्धारित करते है।” (व्यक्तित्व के भीतरी गुणों तथा बाहरी गुणो को सम्मलित किया है)
  • रेमंड कैटेल – इन्होंने व्यक्तित्व को ऐसे लक्षणों के रूप में परिभाषित किया जो किसी व्यक्ति के व्यवहार की भविष्यवाणी करते हैं।
  • आईजेंक : आईजेंक के अनुसार, व्यक्तित्व को किसी व्यक्ति के चरित्र (संवेदी व्यवहार प्रणाली), स्वभाव (भावात्मक व्यवहार प्रणाली), बुद्धि (संज्ञानात्मक व्यवहार प्रणाली) और शारीरिक संरचना (शारीरिक संरचना और न्यूरोएंडोक्राइन देन) के स्थिर और स्थायी संगठन के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जो पर्यावरण के प्रति उनके अद्वितीय समायोजन को निर्धारित करता है।

मनोवैज्ञानिकों ने व्यक्तित्व की व्याख्या कई तरीकों से की है। ये उपागम  व्यक्तित्व की संरचना, प्रेरणा या ऊर्जा स्रोतों के आंकलन और व्यक्तित्व में अंतर विकसित होने का अध्ययन करने के तरीक़े सुझाते हैं। इनमें कुछ महत्वपूर्ण उपागम प्ररूप, लक्षण, मनोविश्लेषणात्मक, मानवतावादी, अध्गिम और सामाजिक-संज्ञानात्मक उपागम इत्यादि हैं।

प्ररूप उपागम

मॉर्गन और किंग के अनुसार, “प्ररूप साधारणतः व्यक्तियों का एक वर्ग होता है, जो कुछ उभयनिष्ठ विशेषताओं का संग्रह साझा करते हैं।” इसका अर्थ यह है कि लोगों को उनकी समान विशेषताओं के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। उदाहरण के लिए, कुछ लोग विशेष रूप से बाहर जाने वाले, खुशमिजाज, लोगों से घुलने-मिलने वाले, और कम कार्य-उन्मुख प्रवृत्तियों को प्रदर्शित करते हैं। ऐसे लोगों को बहिर्मुखी के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। कई विचारकों ने व्यक्तित्व को समझाने के लिए अपने प्ररूप-शास्त्रीय मॉडल प्रस्तुत किए हैं, जिनमें से कुछ शामिल हैं:

त्रिदोष प्ररूप उपागम

  • आयुर्वेद का एक प्रसिद्ध ग्रंथ है चरक संहिता, जो लोगों को वात, पित्त और कफ तीन तत्वों जिन्हे त्रिदोष कहा जाता है के आधार पर तीन श्रेणियों में वर्गीकृत करता है। प्रत्येक तत्व एक विशिष्ट प्रकार के स्वभाव को परिभाषित करता है जिसे व्यक्ति की प्रकृति (मूल प्रकृति) कहा जाता है।
PERSONALITY
त्रिगुण प्ररूप उपागम:
  • त्रिगुण के आधार पर भी एक व्यक्तित्व प्ररूपविज्ञान प्रतिपादित किया गया है।
    • सत्व गुण – स्वच्छता, सत्यवादिता, कर्तव्यनिष्ठा, अनासक्ति या विलग्नता, अनुशासन आदि गुण आते हैं। 
    • रजस गुण – उग्र क्रिया, इन्द्रियतृप्ति की इच्छा, असंतोष, दूसरों के प्रति असूया ; ईष्याद्ध और भौतिकवादी मानसिकता आदि गुण आते हैं।
    • तमस गुण – क्रोध, घमंड, अवसाद, आलस्य, असहायता की भावना आदि गुण आते हैं।

ये तीनों ही गुण प्रत्येक व्यक्ति में भिन्न-भिन्न मात्रा में विद्यमान रहते हैं। इनमें से किसी भी एक अथवा दूसरे गुण की प्रभाविता एक विशिष्ट प्रकार के व्यवहार को प्रेरित करती है।

हिप्पोक्रेट्सप्ररूप उपागम:
  • 400 ईसा पूर्व में हिप्पोक्रेट्स ने व्यक्तित्व को शरीर के तरल पदार्थ या द्रव्य के संदर्भ में समझाने का प्रयास किया। उन्होंने माना कि हमारे शरीर में चार प्रकार के तरल पदार्थ होते हैं; पीला पित्त, काला पित्त, रक्त और कफ। प्रत्येक व्यक्ति की पहचान एक प्रकार के तरल पदार्थ की प्रमुखता से होती है जो संबंधित व्यक्ति के स्वभाव को निर्धारित करता है। इस प्रकार उन्होंने लोगों को चार प्रकारों में वर्गीकृत किया जो नीचे दिए गए हैं:
    • उत्साही – पीले पित्त की प्रधानता वाले लोग चिड़चिड़े, बेचैन और गर्म खून वाले होते हैं।
    • श्लैष्मिक – उच्च काली पित्त वाले लोग दुखी, उदास और जीवन में आशा से रहित होते हैं
    • विवादी – रक्त का स्तर अधिक होने पर व्यक्ति प्रसन्नचित्त, सक्रिय रहता है तथा जीवन के प्रति आशावादी रहता है।
    • कोपशील – कफ की प्रधानता व्यक्ति को शांत और स्थिर बना देती है तथा आमतौर पर उसका व्यवहार निष्क्रियता से चिह्नित होता है।
शेल्डनप्ररूपउपागम:
  • शेल्डन ने शारीरिक संरचना के आधार पर व्यक्तित्व को सोमैटोटाइप में वर्गीकृत किया। इसके लिए उन्होंने 4000 छात्रों की नग्न तस्वीरों का विश्लेषण किया और उनके व्यक्तित्व को तीन बुनियादी प्रकारों में वर्गीकृत किया।
    • गोलाकृतिक – ऐसे लोग छोटे कद के और मोटे होते हैं और उनका शरीर गोल होता है। उन्हें खाना-पीना और मौज-मस्ती करना पसंद होता है। वे स्वभाव से मिलनसार होते हैं और जीवन के प्रति उनका रवैया शांत होता है। शेल्डन ने उन्हें “विसरोटोनिया” कहा है।
    • आयताकृतिक – ये लोग मांसल प्रकार के होते हैं। उनकी मांसपेशियाँ और हड्डियाँ काफी विकसित होती हैं और वे शारीरिक रूप से अच्छी तरह से आकार में होते हैं। इन लोगों को आम तौर पर कठोर दिमाग, जोखिम लेने वाले, मुखर और आक्रामक माना जाता है। वे दूसरों पर हुक्म चलाना पसंद करते हैं। शेल्डन ने इन व्यक्तित्वों को “सोमैटोटोनिया” कहा।
    • लंबाकृतिक – ऐसे लोग लंबे लेकिन पतले होते हैं। ये लोग लोगों से दूर रहना पसंद करते हैं। शेल्डन ने इन्हें “सेरेब्रोटोनिया” नाम दिया है।
जुंग प्ररूप उपागम
  • जुंग ने मनोवैज्ञानिक विशेषताओं के आधार पर व्यक्तित्व सिद्धांत की स्थापना की। उन्होंने लोगों को दो व्यापक प्रकारों में विभाजित किया।
    • अंतर्मुखी – ये वह लोग होते हैं जो अकेले रहना पसंद करते हैं, दूसरों से बचते हैं, सांवेगिक द्वंद्व से पलायन करते हैं और शर्मीले होते हैं।
    • बहिर्मुखी – ये वह लोग होते हैं जो सामाजिक तथा बहिर्गामी होते हैं और ऐसे व्यवसायों का चयन करते हैं जिसमें लोगों से वे प्रत्यक्ष रूप से संपर्क बनाए रख सके। लोगों के बीच में रहते हुए तथा सामाजिक कार्यों को करते हुए वे दबावों के प्रति प्रतिक्रिया करते हैं।

आलोचना: जुंग के वर्गीकरण की इस आधार पर आलोचना की गई है कि लोगों को दो अलग-अलग वर्गों में विभाजित करना संभव नहीं है, क्योंकि बहुत से लोग दोनों में से किसी भी वर्ग में नहीं आते हैं। वे बहिर्मुखी और अंतर्मुखी दोनों प्रकार की विशेषताओं का प्रदर्शन करते हैं। इसकी भरपाई के लिए मनोवैज्ञानिकों ने ऐसे लोगों को एक अन्य श्रेणी में रखा है जिसे एम्बिवर्ट्स कहा जाता है।

फ्रीडमैन एवं रोज़ेनमैन प्ररूप उपागम :
  • उन्होंने शुरू में व्यक्तित्व को दो प्रकारों (टाइप ए, टाइप बी) में वर्गीकृत किया था, जिसे मॉरिस द्वारा विस्तारित करके प्रकार सी और प्रकार डी को शामिल किया गया था। यह व्यवहार, दृष्टिकोण और तनाव के प्रति प्रतिक्रियाओं पर आधारित है।
    • टाइप ‘ए’ – व्यक्तित्व वाले लोगों में उच्चस्तरीय अभिप्रेरणा, धैर्य की कमी, समय की कमी का अनुभव करना, उतावलापन और कार्य के बोझ से हमेशा लदे रहने का अनुभव करना पाया जाता है। ऐसे लोग निश्चिंत होकर मंदगति से कार्य करने में कठिनाई का अनुभव करते हैं। टाइप ‘ए’ व्यक्तित्व वाले लोग अतिरक्तदान और कॉरोनरी आर्टनेरी  रोग (CAD) के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं। इस प्रकार के लोगों में कभी-कभी CAD के विकसित होने का खतरा, उच्च रक्तदाब, उच्च कोलेस्ट्रॉल स्तर और ध्रूमपान से उत्पन्न होने वाले खतरों की अपेक्षा अधिक होता है।
    • टाइप ‘बी’ – टाइप बी व्यक्तित्व, अपने शांत, धैर्यवान और सहज स्वभाव के लिए जाने जाते हैं। वे कम प्रेरित, आलसी और सुस्त रहते हैं।
Type AType B
अत्यधिक प्रतिस्पर्धीकम प्रतिस्पर्धी
जल्दबाजी मेंअपेक्षाकृत शांत
अत्यधिक महत्वाकांक्षीकम महत्वाकांक्षी
नियंत्रण की स्थिति में रहना पसंद करता हैनियंत्रण पसंद नहीं 
तनावग्रस्तकम तनावग्रस्त
  • टाइप ‘सी’ – इसका सुझाव मॉरिस द्वारा दिया गया। इस व्यक्तित्व वाले व्यक्ति सहयोगी, अडिग और धैर्यवान होते हैं। वे अपनी नकारात्मक भावनाओं (जैसे, क्रोध) को दबाते हैं और अधिकारियों के प्रति आज्ञाकारी होते हैं। समस्या: कैंसर की संभावना
  • टाइप ‘डी’ – यह प्रकार हाल ही में मोरे द्वारा विकसित हुआ है। इस प्रकार के व्यक्तित्व वाले लोगो में अवसाद की प्रवणता पाई जाती है।
स्पैंजर प्ररूप उपागम :
  • स्पैंजर ने अपनी पुस्तक “टाइप्स ऑफ मैन” में जीवन में उनके मूल्य अभिविन्यास को ध्यान में रखते हुए छह प्रकार के मनुष्यों का वर्णन किया है।
  • सैद्धांतिक (Theoretical) प्रकार – एसे व्यक्तित्व के लोग सत्य के साधक होते हैं। वे तर्क और तर्क के माध्यम से अपने आस-पास की दुनिया को समझने और उसका अर्थ निकालने का प्रयास करते हैं। उदाहरण के लिए, अगर उन्हें गुलाब दिया जाए तो वे इस तरह के सवाल सोचेंगे कि क्या यह वाकई गुलाब है? गुलाब की क्या विशेषताएं हैं?
  • आर्थिक प्रकार– वे मूल रूप से उपयोगितावादी होते हैं। वे चीजों को व्यावहारिकता और उनके आर्थिक मूल्य के दृष्टिकोण से देखते हैं। उदाहरण के लिए- अगर उन्हें गुलाब दिया जाए तो वे सोचेंगे कि इससे कैसे लाभ कमाया जाए।
  • सौंदर्यवादी (Aesthetic) प्रकार– ये लोग प्रकृति और सुंदरता के प्रेमी होते हैं। वे रूप और सामंजस्य पर जोर देते हैं और जीवन को आकर्षक और मनमोहक बनाने में विश्वास करते हैं। उदाहरण के लिए;- अगर उन्हें गुलाब दिया जाए, तो वे उसकी सुंदरता की प्रशंसा करेंगे और उसे संभाल कर रखेंगे।
  • सामाजिक प्रकार;– ऐसे लोग मिलनसार होते हैं, सामाजिक समारोहों में लोगों से मिलना-जुलना पसंद करते हैं। वे अक्सर समाज में अच्छी प्रतिष्ठा का आनंद लेते हैं। उदाहरण के लिए;- वे अपने दोस्त के जन्मदिन पर उसे गुलाब देकर बधाई दे सकते हैं।
  • राजनीतिक प्रकार;- ये वे लोग हैं जो सत्ता और प्रभाव को महत्व देते हैं। इनका व्यवहार दूसरों पर सत्ता और प्रभाव प्राप्त करने की ओर उन्मुख होता है। उदाहरण के लिए, इस प्रकार का व्यक्ति शक्तिशाली राजनेता का पक्ष जीतने के लिए गुलाब की माला बनाकर उसे पहना सकता है।
  • धार्मिक प्रकार – इस प्रकार के व्यक्ति ब्रह्मांड की एकता पर जोर देते हैं। वे आध्यात्मिक प्रवृत्ति के होते हैं, और ईश्वर में विश्वास करते हैं। अगर इस प्रकार के व्यक्तियों को गुलाब का फूल दिया जाए तो वे इसे चर्च या मंदिर में भगवान के चरणों में अर्पित कर सकते है।
हॉलैंडप्ररूपउपागम:
  • हॉलैंड का टाइपोलॉजी नवीनतम प्रकार सिद्धांत है। उनके अनुसार व्यक्तित्व रुचियों, मूल्यों और योग्यताओं का एक संयोजन है। उन्होंने लोगों को छह प्रकारों में वर्गीकृत किया:
    • यथार्थवादी (Realistic) प्रकार;- ये व्यावहारिक लोग होते हैं जो अत्यधिक कौशल का काम करते हैं, और मशीनरी और कई जटिल उपकरणों का संचालन करते हैं। उदाहरण के लिए; इंजीनियर, तकनीकी कर्मचारी।
    • खोजी (Investigative) प्रकार;- ये अत्यधिक रचनात्मक और नवाचारी व्यक्ति होते हैं जो समस्या को हल करने के उद्देश्य से डेटा एकत्र करते हैं, उनका विश्लेषण करते हैं और उनकी व्याख्या करते हैं। उदाहरण के लिए;- वैज्ञानिक, शोधकर्ता।
    • कलात्मक (Artistic) प्रकार;- ऐसे व्यक्ति वास्तव में कलाकार, चित्रकार, डिज़ाइनर आदि होते हैं। वे डिज़ाइनिंग, नई और अभिनव संरचनाएँ बनाने में कुशल होते हैं।
    • सामाजिक (social) प्रकार;- ऐसे व्यक्ति अपने दृष्टिकोण में दयालु होते हैं, वे दूसरों के लिए काम करना पसंद करते हैं और संकट में लोगों को राहत पहुँचाते हैं। उदाहरण के लिए;- सामाजिक कार्यकर्ता
    • उद्यमी (Enterprising) प्रकार;- ये जोखिम उठाने वाले और चुनौती को स्वीकार करने वाले लोग होते हैं। उदाहरण के लिए;- उद्यमी
    • परंपरागत (Conventional) प्रकार;- ये वे लोग होते हैं जो अपने दृष्टिकोण में पारंपरिक होते हैं। वे नियमों और विनियमों का पालन करते हैं और दूसरों से भी यही अपेक्षा करते हैं।
  • क्रेश्चमर टाइपोलॉजी;- वह एक जर्मन मनोचिकित्सक थे जिन्होंने रोगियों के अपने अवलोकन के आधार पर लोगों को चार प्रकारों में वर्गीकृत किया। उन्होंने इस उद्देश्य के लिए शारीरिक संरचना और स्वभाव का उपयोग किया।
    • पाइकनिक (Pyknic) टाइप;- ऐसे लोग छोटे कद के, भारी शरीर वाले, मिलनसार और खुशमिजाज होते हैं, और खाना-पीना पसंद करते हैं। क्रेट्स्चमर ने उन्हें “साइक्लोइड” कहा है क्योंकि उनमें मैनिक-डिप्रेसिव प्रकार के मनोविकृति के शिकार होने की उच्च संभावना होती है।
    • दुर्बल (Asthenic) टाइप;- ऐसे लोग लंबे और पतले होते हैं और उनकी मांसपेशियां अविकसित होती हैं। वे चिड़चिड़े होते हैं और जिम्मेदारी से दूर भागते हैं। उन्हें दिन में सपने देखने की आदत होती है और वे कल्पना की दुनिया में खोए रहते हैं।
    • पुष्ट (Athletic) टाइप;- ये मांसल प्रकार के होते हैं और इनकी मांसपेशियां अच्छी तरह से बनी होती हैं और ये न तो लंबे होते हैं और न ही छोटे। इनका स्वभाव स्थिर और शांत होता है और ये पर्यावरण में होने वाले बदलावों के हिसाब से खुद को समायोजित करने में सक्षम होते हैं।
    • डिस्प्लास्टिक (Dysplastic) टाइप;- इस श्रेणी में वे लोग शामिल हैं जो ऊपर बताई गई किसी भी विशेषता को प्रदर्शित नहीं करते हैं लेकिन तीनों प्रकारों का मिश्रण होते हैं।

शील गुण /विशेषक उपागम

विशेषक उपागम लोगों की प्राथमिक विशेषताओं की पहचान करने का प्रयास करता है। एक विशेषक अपेक्षाकृत स्थायी गुण होते हैं जिस पर एक व्यक्ति दूसरों से भिन्न होता है। इसमें संभव व्यवहारों की एक श्रृंखला अंतर्निहित होती है जिसको स्थिति की माँगों के द्वारा सक्रियता प्राप्त होती है। विशेषक उपागम को ऑलपोर्ट, कैटल, और  आईजेंक के कार्यों से अधिकतम प्रोत्साहन मिला।

ऑलपोर्टविशेषक उपागम;

  • गॉर्डन ऑलपोर्ट ने दो प्रकार के लक्षणों का उल्लेख किया; सामान्य और व्यक्तिगत लक्षण।
    • सामान्य विशेषक (common trait) – ये लक्षण किसी समाज या संस्कृति में रहने वाले अधिकांश व्यक्तियों में पाए जाते हैं। उदाहरण के लिए यदि X विभिन्न स्थितियों में अपने व्यवहार में सहयोगात्मकता का लक्षण दर्शाता है, और यदि उस समुदाय या संस्कृति के बहुत से व्यक्तियों में समान व्यवहार पाया जाता है, तो यह लक्षण सामान्य लक्षण माना जाएगा।
    • व्यक्तिगत विशेषक (personal trait)– यह किसी व्यक्ति की अनूठी विशेषताओं को संदर्भित करता है और समाज या समुदाय या संस्कृति के अन्य सदस्यों द्वारा साझा नहीं किया जाता है। ये गुण अत्यधिक सुसंगत हैं और संबंधित स्थिति के बावजूद इस व्यक्ति के लगभग सभी व्यवहारों में देखे जा सकते हैं। उदाहरण के लिए, मितव्ययिता का गुण, कुछ ऐसा है जो एक व्यक्ति अपने व्यवहार के लगभग हर पहलू में दिखाएगा चाहे वह घर पर हो या कार्यालय या स्कूल या कहीं भी। इसे आगे तीन उपश्रेणियों में विभाजित किया गया है।
      • प्रमुख विशेषक: ये अत्यंत सामान्यीकृत प्रवृत्तियाँ होती हैं। ये उस लक्ष्य को इंगित करती हैं जिसके चतुर्दिक व्यक्ति का पूरा जीवन व्यतीत होता है। महात्मा गांधी की अहिंसा और हिटलर का नाजीवाद प्रमुख विशेषक के उदाहरण हैं। ये विशेषक व्यक्ति के नाम के साथ इस तरह घनिष्ठ रूप से जुड़े होते हैं कि उनकी पहचान ही व्यक्ति के नाम के साथ हो जाती है, जैसे-‘गांधीवादी’ अथवा ‘हिटलरवादी’ विशेषक। 
      • केंद्रीय विशेषक: ये गुण वास्तव में किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व को परिभाषित करते हैं। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति जिसके पास ईमानदारी, समय की पाबंदी, मितव्ययिता, स्वच्छता और उदारता के गुण हैं, वह हमेशा समय पर कार्यालय आएगा, और निर्धारित बैठकों को समय पर रखेगा और कभी किसी का समय बर्बाद नहीं करेगा, हमेशा सीधा-सादा रहेगा।
      • गौण विशेषक : किसी व्यक्ति के ये गुण उस व्यक्ति के लिए कम सुसंगत, कम स्पष्ट और कम सार्थक होते हैं और इसलिए इन्हें द्वितीयक गुण कहा जाता है। उदाहरण के लिए, हेयर स्टाइल, ड्रेसिंग सेंस आदि।
व्यक्तित्व
व्यक्तित्व

कैटल व्यक्तित्व कारक

  • सतही /पृष्ठ  विशेषक : ये जैसा कि नाम से पता चलता है, ये व्यक्तित्व की परिधि पर पाए जाते हैं, अर्थात् ये व्यक्ति की दिन-प्रतिदिन की अंतःक्रियाओं में प्रतिबिम्बित होते हैं।
  • मूल विशेषक : ये लक्षण व्यक्ति की दिन-प्रतिदिन की बातचीत में दिखाई नहीं देते हैं। मूल विशेषक तब ध्यान में आते हैं जब कुछ सतही विशेषक एक साथ जुड़ जाते हैं। उदाहरण के लिए, मिलनसारिता, निःस्वार्थता और हास्य सतही विशेषक हैं जो एक साथ जुड़ने पर एक मूल विशेषक बनाते हैं जिसे मित्रता के रूप में जाना जाता है। कैटेल ने दो प्रकार के स्रोत लक्षणों का उल्लेख किया है
    • पर्यावरणीय साँचा लक्षण
    • संवैधानिक लक्षण।

उन्होंने 16 प्राथमिक या स्रोत लक्षण पाए और व्यक्तित्व के आकलन के लिए सोलह व्यक्तित्व कारक प्रश्नावली (16PF) नामक एक परीक्षण विकसित किया।

आइजेंक का सिद्धांत:

  • एच.जे. आइजेंक ने व्यक्तित्व को दो व्यापक आयामों में विभाजित किया। ये जैविक और आनुवंशिक रूप से आधारित हैं। प्रत्येक आयाम में कई विशिष्ट विशेषकों को शामिल किया गया हैं। ये आयाम हैं:
    • तंत्रिकातापिता बनाम सावेगिक स्थिरता – इससे तात्पर्य है कि लोगों में किस मात्रा तक अपनी भावनाओं पर नियंत्रण होता है। इस आयाम के एक छोर पर तंत्रिकाताप से ग्रस्त लोग होते हैं। ऐसे लोगों में दुश्चिंता, चिड़चिड़ापन, अतिसंवेदनशीलता, बेचैनी और नियंत्रण का अभाव पाया जाता है। दूसरे छोर पर वे लोग होते हैं जो शांत, संयत स्वभाव वाले विश्वासनीय और स्वयं पर नियंत्रण रखने वाले होते हैं।
    • बहिर्मुखता बनाम अंतर्मुखता – इससे तात्पर्य है कि किस मात्रा तक लोगों में सामाजिक-उन्मुखता अथवा सामाजिक-विमुखता पाई जाती है। इस आयाम के एक छोर पर वे लोग होते हैं जिनमें सक्रियता, यथार्थार्ता, आवेग और रोमांच के प्रति पसंदगी पाई जाती है। दूसरे छोर पर वे लोग होते हैं जो निष्क्रिय, शांत, सतर्क और आत्म-केंद्रित होते हैं।
    • मनस्तापिका बनाम सामाजिकता – आइज़ंक ने इसके पश्चात किए गए अनुसंधान कार्यों के आधार पर एक तीसरा आयाम–मनस्तापिका बनाम सामाजिकता–भी प्रस्तावित किया जो उपरोक्त दोनों आयामों से अंतःक्रिया करता हुआ माना गया है। एक व्यक्ति जो मनस्तापिका के आयाम पर उच्च अंक प्राप्त करता है तो उसमें आक्रामक, अहं-केंद्रित और समाजविरोधी होने की प्रवृत्ति पाई जाती है।
    • आइज़ंक व्यक्तित्व प्रश्नावली (EPQ) एक परीक्षा है जिसका उपयोग व्यक्तित्व के इन आयामों का अध्यन करने के लिए किया जाता है।

व्यक्तित्व का पंच-कारक मॉडल

व्यक्तित्व

“मैक्रे और कोस्टा का मानना था कि सभी मानव व्यक्तित्व शीलगुणों को केवल पांच कारकों तक सीमित किया जा सकता है: अनुभव करने के लिए खुलापन, कर्तव्यनिष्ठा, बहिर्मुखता, स्वीकार्यता और तंत्रिकातापी। OCEAN के रूप में परिवर्णी शब्द, ये कारक या आयाम मैक्रे और कोस्टा द्वारा कैटेल की मूल सूची के कारक विश्लेषण (एक सांख्यिकीय प्रक्रिया) के परिणाम थे। इन कारकों का संक्षिप्त विवरण नीचे दिया गया है:”

  • अनुभवों के लिए खुलापन – जो लोग इस कारक पर उच्च अंक प्राप्त करते हैं वे कल्पनाशील, उत्सुक, नए विचारों के प्रति उदारता एवं सांस्कृतिक क्रियाकलापों में अभिरुचि लेने वाले व्यक्ति होते हैं। इसके विपरीत, कम अंक प्राप्त करने वाले व्यक्तियों में अन्यथा पाई जाती है।
  • बहिर्मुखता – यह विशेषता उन लोगों में पाई जाती है जिनमें सामाजिक सक्रियता, आग्रहीता, बाहिर्मुखता, बातूनीपन और आमोद-प्रमोद के प्रति पसंदगी पाई जाती है। इसके विपरीत ऐसे लोग होते हैं जो शर्मीले और संकोची होते हैं।
  • स्वीकार्यता – यह कारक लोगों की उन विशेषताओं को बताता है जिनमें सहायता करना, सहयोग करना, मैत्रीपूर्ण व्यवहार करना, देखभाल करना एवं पोषण करने जैसे व्यवहार सम्मिलित होते हैं। इसके विपरीत वे लोग होते हैं जो आक्रामक और आत्म-केंद्रित होते हैं।
  • न्यूरोटिसिज्म – इस कारक पर उच्च अंक प्राप्त करने वाले लोग संवेगिक रूप से अस्थिर, दुःखी, चिंतित और तनावग्रस्त होते हैं। इससे विपरीत प्रकार के लोग सुसामायोजित होते हैं।
  • अन्वेषणशीलता – इस कारक पर उच्च अंक प्राप्त करने वाले लोगों में उपलब्ध-उत्सुकता, निर्भरता, उत्तरदायित्व, दूरदृष्टिता, कठोरता और आत्म-नियंत्रण पाया जाता है। इसके विपरीत, कम अंक प्राप्त करने वाले लोगों में आगे पाया जाता है।
विशेषक/शीलगुण उपागमप्ररूप उपागम
1.सूक्ष्म दृश्यविस्तृत दृश्य
2.संगतसंगत नहीं
3.व्यक्तिगत गुणों और व्यक्तित्व के बारीक विवरणों पर ध्यान केंद्रित करता है।व्यापक श्रेणियों और सामान्यीकरण पर ध्यान केंद्रित करता है।
4.कोई स्टीरियोटाइप नहीं(लोगों में अलग-अलग स्तर के गुण पर बल देता है, जो कि विशिष्टता और जटिलता की अनुमति देते हैं।)स्टीरियोटाइप(व्यक्तिगत भिन्नता को नजरअंदाज करते हुए, एक प्रकार के सभी व्यक्तियों में समान विशेषताएं बताता है )
5.मानव विशेषता पर ध्यान केंद्रित करता हैविभिन्न प्रकार के व्यक्तित्वों पर ध्यान केंद्रित करता है
6.व्यक्ति के दिमाग से देखा जा सकता हैव्यक्ति के व्यवहार से देखा जा सकता है
7.उदाहरण- बिग 5 फैक्टर थ्योरीउदाहरण- युंग टाइपोलॉजी

व्यक्तित्व के विकास को प्रभावित करने वाले कई कारक होते हैं, सामान्यत: इन्हें तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है।

  1. जैविक कारक: यह बल देते हैं कि शरीर की बनावट और शरीर की कार्यप्रणाली व्यक्तित्व विकास के लिए सीधे जिम्मेदार होती हैं। उदाहरण के लिए, लंबे माता-पिता के बच्चे सामान्यतः लंबे होते हैं, माता-पिता की त्वचा का रंग भी उनके बच्चों के त्वचा के रंग को प्रभावित करता है। अगर अंतःस्रावी ग्रंथियों द्वारा स्रावित हार्मोनों के स्तर में वृद्धि या कमी होती है, तो व्यक्ति शारीरिक और मानसिक समस्याओं से पीड़ित हो सकता है, जो उसके व्यक्तित्व को प्रभावित करती हैं।
  1. मनोवैज्ञानिक कारक: इसमें बौद्धिक निर्धारक और भावनात्मक निर्धारक शामिल होते हैं।
  1. पर्यावरणीय कारक: इनमें उस समाज का प्रभाव शामिल होता है, जिसमें व्यक्ति रहता है, उस परिवार का वातावरण जिसमें व्यक्ति पला-बढ़ा है, आर्थिक स्थिति, और व्यक्ति का पोषण व लालन-पालन आदि। अगर माता-पिता बहुत सख्त हैं या अत्यधिक प्रेम और संरक्षण देने वाले हैं, अगर वे बच्चे की हर मांग को पूरा करते हैं, तो इसका नकारात्मक प्रभाव बच्चे के व्यक्तित्व पर पड़ सकता है।

इस तरह ये कारक विभिन्न तरीकों से व्यक्तित्व का विकास करते हैं और इसलिए इन्हें व्यक्तित्व के निर्धारक कहा जाता है।

किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व को समझने के लिये उद्देश्यपरक औपचारिक प्रयास को व्यक्तित्व का मूल्याँकन कहा जाता है।

व्यक्तित्व मूल्यांकन के उद्देश्य : 

  1. नैदानिक मनोवैज्ञानिक व्यक्तित्व परीक्षणों का उपयोग चिंता और व्यक्तित्व विकारों को मापने के लिए करते हैं।
  2. औद्योगिक मनोवैज्ञानिक व्यक्तित्व परीक्षणों का उपयोग नौकरियों में कर्मचारियों का चयन करने के लिए करते हैं।
  3. स्कूल परामर्शदाता बच्चों में व्यक्तित्व संबंधी समस्याओं को समझने के लिए परीक्षणों का उपयोग करते हैं, ताकि उनकी मदद की जा सके।
  4. विभिन्न संदर्भों और सेटिंग्स (फॉरेंसिक , नैदानिक) में व्यवहार की सटीक भविष्यवाणी बढ़ाने के लिए।
  5. आत्म-सुधार के लिए।
  6. करियर चयन और करियर परामर्श में।
  7. सैन्य जैसे क्षेत्रों में विशिष्ट व्यक्तित्व गुणों को पहचानने के लिए, जैसे भारतीय सेना के SSB इंटरव्यू।
व्यक्तित्व

व्यक्तित्व का आकलन करने के लिए विभिन्न उपाय हैं जिन्हें मोटे तौर पर तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है:

आत्म प्रतिवेदन मापक

ऑलपोर्ट ने सुझाव दिया है कि किसी व्यक्ति के बारे में मूल्यांकन करने की सर्वोत्तम विधि है उससे उसके बारे में पूछना। अत: इस पद्धति में, व्यक्तित्व का आकलन करने के लिए व्यक्ति से उसके बारे में सीधे प्रश्न पूछे जाते हैं। इस पद्धति में, व्यक्तित्व विशेषताओं से संबंधित सरल प्रश्न पूछे जाते हैं और उत्तरदाता को दिए गए दो या तीन विकल्पों में से किसी एक का उत्तर देना होता है, जैसे कि “हाँ” या “नहीं” या “नहीं कह सकते”। इसमें कोई सही या गलत उत्तर नहीं होता है, एवं कोई समय सीमा नहीं है। परीक्षण में प्रश्नों के इन उत्तरों को स्कोर किया जाता है। कुछ स्व-प्रतिवेदन मापक उदाहरण इस प्रकार हैं।

मिनेसोटा बहुपक्षीय व्यक्तित्व सूची (MMPI) : 

  • इस परीक्षण का विकास हाथवे एवं मेकिन्ले द्वारा किया गया। 
  • यह परीक्षण व्यक्तित्व से जुड़े विभिन्न मनोविकारों की पहचान करने में अत्यन्त प्रभावी है। 
  • इसका परिशोधित रूप एमएमपीआई-2 भी उपलब्ध है।
  • इसमें 567 कथन है। यह परीक्षण 10 उपमापनियों में विभाजित है। 
  • इसी आधार पर, भारत में जोधपुर मल्टीफेसिक पर्सनालिटी इन्वेंटरी (जोशी और मलिक, 1983) का निर्माण किया गया है, जो मनोविकृति, मनोविकृति, मनोदैहिक विकारों और वैधता सूचकांकों का आकलन करता है।
  • व्यक्ति को “सही” या “झूठा” या “कह नहीं सकता” के रूप में समर्थन करना होगा।

आइजेंक व्यक्तित्व प्रश्नावली (EPQ) :

  • आइजेंक द्वारा विकसित इस परीक्षण में व्यक्तित्व के दो आयामों अंतर्मुखता-बहिर्मुखता और सांवेगिक स्थिरता-अस्थिरता का मूल्याँकन किया जाता है। 
  • बाद में इसमें तीसरा आयाम मनस्तापिता (psychoticism)को जोड़ा गया।
  • यह मनोविकारों से संबंधित है जो दूसरों के लिए भावनाओं में कमी, लोगों के साथ अंतःक्रिया करने का एक कठोर तरीका और सामाजिक परंपराओं की अवज्ञा करने की प्रवृत्ति का प्रतिनिधित्व करता है। 
  • इससे ग्रसित व्यक्ति में भावनाओं की कमी, लोगों के साथ कठोर अर्न्तक्रिया करना, आक्रामकता, समाजविरोधी, अहंकेन्द्रितता सम्बन्धी समस्याएं होती है।

सोलह व्यक्तित्व कारक प्रश्नावली (16 PF)

  • यह परीक्षण केटल द्वारा विकसित किया गया।
  • यह 16 प्रकार के स्रोत शीलगुण पर आधारित है। 
  •  इस परीक्षण का उपयोग उच्च विद्यालय स्तर के विद्यार्थियों एवं वयस्कों (16 वर्ष या अधिक) के लिये किया जा सकता है। यह परीक्षण व्यावसायिक निर्देशन में उपयोगी है। 
  • प्रत्येक स्थिति का उत्तर सहमत/असहमत या न तो सहमत और न ही असहमत विकल्पों में से दिया जाता है।

संशोधित NEO व्यक्तित्व सूची :

  • तर्कसंगत, बहिर्मुखता, खुलापन व्यक्तित्व सूची
  • कोस्टा और मैकक्रे द्वारा विकसित -1989
  • व्यक्तित्व के पांच-कारक मॉडल पर आधारित (पंच-कारक मॉडल देखें)।
  • यह व्यक्तित्व के पांच आयामों को मापता है जिन्हें व्यक्तित्व के मूल पहलू माना जाता है।

प्रक्षेपी तकनीकें

आत्म प्रतिवेदन मापक में व्यक्ति, जिसका मूल्यांकन किया जा रहा है, स्पष्ट रूप से जानता है कि उससे क्या प्रश्न पूछे जा रहे हैं। मनोवैज्ञानिकों ने यह पाया कि कभी -कभी व्यक्ति स्पष्ट रूप से स्वयं के बारे में बताने में, अपनी निजी भावनाओं, विचारों, अभिप्रेरणाओं को व्यक्त करने में हिचकिचाते हैं। ऐसा होने पर व्यक्ति अपनी अच्छी छवि निर्माण हेतु या सामाजिक दृष्टि से वांछनीय होने हेतु अपना उत्तर दे सकते हैं। इसके कारण व्यक्तित्व का मापन पूर्णतः सही नहीं हो सकता है। इस समस्या से निपटने के लिये प्रक्षेपी तकनीकें एक विकल्प के रूप में उपयोग की जा सकती है। प्रक्षेपी तकनीकें व्यक्तित्व के मनोविश्लेषणात्मक सिद्धान्त पर आधारित हैं। सिगमण्ड फ्रायड इस सिद्धान्त के प्रतिपादक हैं। उनके अनुसार मानव व्यवहार का एक बड़ा भाग अचेतन मन की अभिप्रेरणाओं द्वारा निर्धारित होता है। अचेतन मन में व्यक्ति की दबी हुई इच्छाएं, अव्यक्त भावनाएं, अनैतिक इच्छाएं आदि दबी रहती है। अचेतन मन व्यक्तित्व के निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हुआ व्यक्ति के क्रियाकलापों को प्रभावित करता है। इसीलिये मनोवैज्ञानिकों विशेषकर फ्रायड का यह मानना था कि यदि इस अचेतन मन का मूल्याँकन नहीं किया जाए तो व्यक्तित्व का सही निर्धारण नहीं हो सकता है। अचेतन मन को जानने के लिए आत्मपरक एवं मनोमिति जैसे प्रत्यक्ष विधियाँ पर्याप्त नहीं है। अचेतन मन को समझने के लिये मूल्याँकन की अप्रत्यक्ष विधियां आवश्यक है। प्रक्षेपी तकनीकें इसी श्रेणी में आती है।

रोर्शा स्याहीधब्बा परीक्षण(Rorschach Ink-blot test): 

PERSONALITY
  • यह परीक्षण हर्मन रोर्शा द्वारा विकसित किया गया। 
  • इसमें दस स्याही धब्बे जैसे चित्र वाले 10 कार्ड होते है। प्रत्येक स्याही धब्बा 7 *10 के आकार के कार्ड के ठीक बीच में मुद्रित होता है। 
  • प्रयोज्य इन स्याही धब्बों को देखकर यह बताता है कि वह इस कार्ड में क्या देखता है, यह उसे किस बात की याद दिलाता है। 
  • प्रयोज्य की इन अनुक्रियाओं की व्याख्या/अंकन के लिये एक विस्तृत पद्धति भी तैयार की गई है। 
  • इस परीक्षण के उपयोग एवं परिणामों की व्याख्या के लिये कुशल प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है।

कथानक संप्रत्यक्षण परीक्षण (TAT)

PERSONALITY
  • यह परीक्षण मार्गन एवं मुरे द्वारा विकसित किया गया।
  • इसमें काली और सफेद रंगों के चित्र वाले 30 कार्ड और एक खाली कार्ड होता है। 
  • एक प्रयोज्य के लिये 20 कार्ड उपयोग में लाये जा सकते हैं। इन कार्ड पर कुछ चित्र छपे होते हैं।
  • इन कार्ड को एक एक करके प्रयोज्य के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है। प्रयोज्य को उसमें छपे चित्र के आधार पर एक कहानी लिखने को कहा जाता है। 
  • इसके लिए उसे कुछ प्रश्न भी दिये जाते हैं जैसे – इस चित्र में क्या हो रहा है, इससे पहले क्या हुआ, इसके बाद क्या होगा, चित्र में प्रस्तुत विभिन्न पात्र क्या सोच रहे हैं, अनुभव कर रहे हैं आदि। 
  • इन प्रश्नों के उत्तर के आधार पर प्रयोज्य एक कहानी लिखता है। उत्तर के आधार पर प्रयोज्य के अभिप्रेरणा का मापन किया जा सकता है। 

वाक्य पूर्ण परीक्षण (SCT):

  • इस परीक्षण में अनेक अपूर्ण वाक्यों को प्रयोज्य के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है। प्रयोज्य को इन वाक्यों को पूर्ण करना होता है। उदाहरण के लिये कुछ वाक्य दिये गये है।
    • मेरे पिता……………………………………….
    • मुझे सबसे अधिक डर………………………..
    • मेरा जीवन…………………………………….
  • उपर्युक्त वणित प्रक्षेपी तकनीकों के अलावा भी अन्य प्रक्षेपी तकनीकें उपयोग में ली जाती हैं। जैसे शब्द साहचर्य परीक्षण, रोजेनवीग का चित्रगत कुण्ठा आदि।

वर्ड एसोसिएशन टेस्ट (WAT) :

  1.  व्यक्ति को कई शब्द एक के बाद एक दिखाए जाते हैं।
  2. उसे मन में आने वाले पहले विचार के अनुसार जवाब देना होता है।

रोजेनज्विग का चित्रागत कुंठा अध्ययन (P.F. Study)

  1. यह परीक्षण रोजेनज्विग द्वारा यह जानकारी प्राप्त करने के लिए विकसित किया गया कि कुंठा उत्पन्न करने वाली स्थिति में लोग कैसे आक्रामक व्यवहार अभिव्यक्त करते हैं। 
  2. यह परीक्षण व्यंग्य चित्रों की सहायता से विभिन्न स्थितियों को प्रदर्शित करता है जिसमें एक व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति(कुंठित) को कुंठित करते हुए अथवा किसी कुंठात्मक दशा के प्रति दूसरे व्यक्ति का ध्यान आकर्षित करते हुए दिखाया जाता है। 
  3. प्रयोज्य से यह पूछा जाता है कि दूसरा व्यक्ति क्या कहेगा अथवा क्या करेगा। 
  4. अनुक्रियाओं का विश्लेषण आक्रामकता के प्रकार एवं दिशा के आधार पर किया जाता है। इस बात की जाँच करने का प्रयास किया जाता है कि क्या बल कुंठा उत्पन्न करने वाली वस्तु अथवा कुंठित व्यक्ति के संरक्षण अथवा समस्या के रचनात्मक समाधान पर दिया गया है।
  5. आक्रामकता की दिशा पर्यावरण के प्रति अथवा स्वयं के प्रति हो सकती है। यह भी संभव है कि स्थिति को टाल देने अथवा उसके महत्त्व को घटा देने के प्रयास में आक्रामकता की स्थिति समाप्त भी हो सकती है। पारीक ने भारतीय जनसंख्या पर उपयोग के लिए इस परीक्षण को रूपांतरित किया है।

व्यवहारपरक विश्लेषण

विभिन्न परिस्थितियों में व्यक्ति का व्यवहार उसके व्यक्तित्व के बारे में महत्वपूर्ण सूचनाएँ प्रदान करता है। व्यवहारात्मक विधियों में साक्षात्कार, प्रेक्षण, स्थितिपरक परीक्षण प्रमुख है।

  • साक्षात्कार :
    • इस पद्धति में जिस व्यक्ति के व्यक्तित्व का आकलन करना होता है, उसका साक्षात्कार लिया जाता है। 
    • कुछ विशिष्ट प्रश्न और उनके उत्तर उस व्यक्ति के व्यक्तित्व का आकलन करने के लिए आवश्यक जानकारी प्रदान करते हैं।
  • प्रेक्षण : 
    • प्रेक्षण का अर्थ है देखना। इस विधि में किसी प्रशिक्षित व्यक्ति द्वारा व्यक्ति के व्यवहार, उसके हाव भाव, शारीरिक भाषा को देखकर उसके व्यक्तित्व के बारे में मूल्याँकन किया जाता है।
  • स्थितिपरक परीक्षण :
    • इसमें व्यक्ति को एक विशेष परिस्थिति में रखकर उसके व्यवहार का अध्ययन किया जाता है। 
    • उदाहरण के लिये स्थितिपरक परीक्षण में यह देखा जाता है कि व्यक्ति दबावपरक परिस्थिति में कैसा व्यवहार करता है। इससे उसके व्यक्तित्व के विभिन्न पक्षों का पता चलता है कि वह अत्यधिक गुस्से वाला है या धैर्यवान है आदि।

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