राजस्थान में विज्ञान और प्रौद्योगिकी का विकास एवं नीतियाँ

राजस्थान में विज्ञान और प्रौद्योगिकी का विकास एवं नीतियाँ प्रौद्योगिकी विषय का एक प्रमुख हिस्सा हैं। राज्य सरकार ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएँ और संस्थान स्थापित किए हैं। इन प्रयासों से कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य और उद्योग जैसे क्षेत्रों में तकनीकी प्रगति संभव हुई है।

राजस्थान सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) ने राज्य के सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण पहलें की हैं। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रसार के माध्यम से इन पहलों का उद्देश्य नवाचार (Innovation), उद्यमिता (Entrepreneurship) और अनुसंधान (Research) को प्रोत्साहित करना है। राजस्थान में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) द्वारा पहलें:

नीतिगत ढांचा:

  • राजस्थान बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) नीति 2021-2026: इस नीति का उद्देश्य बौद्धिक संपदा अधिकारों (Intellectual Property Rights) के प्रति जागरूकता बढ़ाना और पेटेंट फाइलिंग को प्रोत्साहित करना है, जिससे नवाचार को बढ़ावा मिले और रचनाकारों के अधिकारों की रक्षा हो।
  • राजस्थान जैव प्रौद्योगिकी नीति 2015: स्वास्थ्य, कृषि और पर्यावरणीय स्थिरता में जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान और विकास (R&D) को बढ़ावा देना।

उद्यमिता विकास (Entrepreneurship Development)

  • iStart योजना:
    • स्टार्टअप्स को संसाधन, परामर्श (Mentorship) और वित्तीय सहायता प्रदान करना। 
    • राजस्थान को नवाचार और स्टार्टअप इकोसिस्टम का केंद्र बनाना।
  • KARYA योजना (2018): युवा विज्ञान छात्रों को अनुसंधान और नवाचार के लिए फैलोशिप (Fellowships) प्रदान करना।
  • राजस्थान स्टार्टअप नीति 2022 :
    • नए उद्यमों को बढ़ावा देने के लिए अनुकूल माहौल बनाना।
    • नवाचार और प्रौद्योगिकी आधारित स्टार्टअप्स को सहायता प्रदान करना।

सामुदायिक भागीदारी और विज्ञान का लोकप्रियकरण

  • बाल विज्ञान कांग्रेस: बच्चों में वैज्ञानिक सोच और जिज्ञासा को प्रोत्साहित करने के लिए वार्षिक कार्यक्रम।
  • विज्ञान केंद्र और पार्क: आम जनता के लिए विज्ञान को रोचक और व्यावहारिक रूप में प्रस्तुत करने के लिए जयपुर, जोधपुर और उदयपुर में इंटरैक्टिव विज्ञान पार्कों की स्थापना की योजना।
  • शैक्षणिक किशोरी मेला: युवा महिलाओं को विज्ञान के प्रति प्रेरित करना और STEM (विज्ञान, तकनीक, इंजीनियरिंग, गणित) में उनकी भागीदारी बढ़ाना।
  • वैज्ञानिक प्रदर्शनी: राष्ट्रीय आविष्कार योजना (Rashtriya Avishkar Yojna) के तहत छात्रों में वैज्ञानिक अन्वेषण की प्रवृत्ति को बढ़ावा देने के लिए स्कूलों में विज्ञान क्लबों (Science Clubs) को वित्तीय सहायता दी जाती है।

अनुसंधान और विकास (Research & Development)

  • अनुसंधान और विकास प्रभाग: राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं और संस्थानों के साथ सहयोग को बढ़ावा देकर व्यावहारिक (Application-Oriented) अनुसंधान को समर्थन देना।
  • पेटेंट सूचना केंद्र: स्थानीय नवोन्मेषकों (Innovators) को पेटेंट आवेदन (Patent Applications) और IPR के प्रति जागरूकता में सहायता प्रदान करना।
  • राजस्थान सेंटर ऑफ एडवांस्ड टेक्नोलॉजी (RCAT): अंतरराष्ट्रीय स्तर का संस्थान, जो राज्य में तकनीकी शिक्षा और अनुसंधान क्षमताओं को उन्नत करेगा।

शैक्षिक पहल (Educational Initiatives)

  • विज्ञान क्लबों के लिए समर्थन: राष्ट्रीय आविष्कार योजना (Rashtriya Avishkar Yojana) के तहत 5000 सरकारी स्कूलों में विज्ञान क्लबों को ₹10,000 की वित्तीय सहायता।
  • बूटकैम्प और स्कूल स्टार्टअप कार्यक्रम: स्कूली छात्रों में उद्यमिता कौशल (Entrepreneurial Skills) विकसित करना।

डिजिटल युग कौशल विकास

  • राजीव गांधी सेंटर फॉर एडवांस्ड लर्निंग द्वारा छात्रों को आधुनिक कार्यबल के लिए आवश्यक डिजिटल कौशल प्रदान करना।
  • दूरस्थ शिक्षा (Remote Learning) के लिए सैटेलाइट कम्युनिकेशन (SATCOM) के माध्यम से STEM कोचिंग।

अवसंरचना विकास (Infrastructure Development)

  • आईटी पार्क (IT Parks): कोटा और जयपुर में आईटी पार्कों का विकास, जिससे टेक स्टार्टअप्स को अनुकूल वातावरण मिलेगा।
  • तारामंडल (Planetariums): जोधपुर, कोटा और उदयपुर में नए तारामंडल बनाए जा रहे हैं।
    • प्रत्येक परियोजना पर लगभग ₹10 करोड़ का निवेश।
    • खगोल विज्ञान (Astronomy) में जनसामान्य की रुचि बढ़ाने के लिए कार्य।
  • एपीजे अब्दुल कलाम जैव प्रौद्योगिकी संस्थान: स्वास्थ्य (Health), कृषि (Agriculture) और जैव-सूचना विज्ञान (Bioinformatics) में अनुसंधान एवं विकास (R&D) पर केंद्रित।
    • अनुमानित लागत ₹300 करोड़।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी नीतियाँ

  • विज्ञान नीति संकल्प (SPR) – 1958
    • विज्ञान और प्रौद्योगिकी को राष्ट्रीय विकास और चुनौतियों के समाधान के लिए उपयोग करने की नींव रखी।
    • वैज्ञानिक दृष्टिकोण (Scientific Temper) को बढ़ावा दिया और अनुसंधान (R&D) को समर्थन दिया।
    • CSIR और DRDO जैसे संस्थानों की स्थापना की।
  • प्रौद्योगिकी नीति वक्तव्य (TPS) – 1983
    • तकनीकी आत्मनिर्भरता (Technological Self-Reliance) और विदेशी प्रौद्योगिकी पर निर्भरता को कम करने पर ध्यान केंद्रित किया।
    • स्वदेशी तकनीक को बढ़ावा दिया और अनुसंधान एवं विकास (R&D) के लिए नई पहल शुरू की।
  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी नीति (STP) – 2003
    • अनुसंधान और विकास (R&D) में निवेश को बढ़ावा दिया और विज्ञान को सामाजिक-आर्थिक विकास से जोड़ा।
    • बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) को मजबूत किया और निजी क्षेत्र (Private Sector) की भागीदारी को प्रोत्साहित किया।
  • विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार नीति (STIP) – 2013
    • भारत को विश्व की शीर्ष पांच वैज्ञानिक शक्तियों में शामिल करने का लक्ष्य।
    • R&D पर जीडीपी का 2% खर्च करने का लक्ष्य और सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) को बढ़ावा दिया।
  • 5वीं विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार नीति (STIP) – 2020 (प्रारूप)
    • समावेशी विज्ञान (Inclusive Science) और राष्ट्रीय प्रगति के लिए नवाचार को प्राथमिकता दी।
    • स्थानीय नवाचार (Grassroots Innovation) के लिए विकेन्द्रीकृत वित्तपोषण (Decentralized Funding) की नीति अपनाई।
    • स्थिरता (Sustainability) को बढ़ावा देने के लिए स्वदेशी तकनीकों के विकास पर बल।

उद्यमिता और नवाचार नीतियाँ

  • राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी उद्यमिता विकास बोर्ड (NSTEDB) – 1982
    • विज्ञान और प्रौद्योगिकी में नवाचार आधारित उद्यमिता (Innovation-Driven Entrepreneurship) को बढ़ावा दिया।
    • इन्क्यूबेशन केंद्र (Incubation Centers) स्थापित किए और STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, गणित) में महिलाओं के योगदान को प्रोत्साहित किया।
    • NIDHI (National Initiative for Developing and Harnessing Innovations) – 2016: नवोन्मेषकों (Innovators) और स्टार्टअप्स को अपने विचारों को सफल स्टार्टअप में बदलने में मदद करता है।
  • अटल नवाचार मिशन (AIM) – 2016
    • अटल टिंकरिंग लैब्स (Atal Tinkering Labs) और इन्क्यूबेटर्स (Incubators) के माध्यम से नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा दिया।
    • 10,000 से अधिक अटल टिंकरिंग लैब्स की स्थापना की गई।
  • राष्ट्रीय नवाचार और स्टार्टअप नीति (NISP) – 2019
    • उच्च शिक्षण संस्थानों (Higher Education Institutions) में नवाचार और उद्यमशीलता की संस्कृति को प्रोत्साहित किया।
    • इन्क्यूबेशन केंद्रों और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (Technology Transfer) को समर्थन दिया।
  • मेक इन इंडिया (2014) और स्टार्टअप इंडिया (2016)
    • विज्ञान और प्रौद्योगिकी में नवाचार, उद्यमिता, और घरेलू विनिर्माण (Domestic Manufacturing) को प्रोत्साहित किया।

क्षेत्र-विशिष्ट नीतियाँ (Sector-Specific Policies)

  • राष्ट्रीय जैव प्रौद्योगिकी विकास रणनीति (NBDS) – 2007, 2015, 2020
    • जैव प्रौद्योगिकी (Biotechnology) को स्वास्थ्य, कृषि और औद्योगिक विकास में बढ़ावा दिया।
    • बायोफार्मा (Biopharma), जैव-कृषि (Bio-Agriculture) और जैव-ऊर्जा (Bio-Energy) पर ध्यान केंद्रित किया।
    • BIRAC (Biotechnology Industry Research Assistance Council) के माध्यम से स्टार्टअप्स को समर्थन दिया।
  • राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स नीति (NPE) – 2019
    • A2025 तक $400 बिलियन का इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण उद्योग बनाने का लक्ष्य।
    • इलेक्ट्रॉनिक घटकों, सेमीकंडक्टर्स, और उभरती तकनीकों (Emerging Technologies) में अनुसंधान और विकास (R&D) को बढ़ावा दिया।
  • इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (PLI)
    • घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स, सेमीकंडक्टर्स और दूरसंचार उत्पादों के निर्माण को प्रोत्साहित करता है।
  • इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) – 2021
    • सेमीकंडक्टर डिजाइन, निर्माण और नवाचार को समर्थन देकर भारत को वैश्विक सेमीकंडक्टर केंद्र बनाने का लक्ष्य।

 डिजिटल और संचार नीतियाँ

  • डिजिटल इंडिया पहल (Digital India Initiative) – 2015
    • डिजिटल अवसंरचना (Digital Infrastructure), इंटरनेट उपलब्धता (Internet Accessibility) और आईटी-सक्षम सेवाओं (IT-Enabled Services) में तेजी लाई।
  • राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति (NDCP) – 2018
    • 5G, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) जैसी उन्नत तकनीकों को दूरसंचार में बढ़ावा दिया।
    • भारत को डिजिटल रूप से जुड़े समाज (Digitally Connected Society) में परिवर्तित करने पर ध्यान केंद्रित।
  • साइबर सुरक्षा नीति (Cyber Security Policy) – 2013 (संशोधित प्रारूप 2021)
    • महत्वपूर्ण सूचना अवसंरचना (Critical Information Infrastructure) की सुरक्षा सुनिश्चित की।
    • CERT-In (Computer Emergency Response Team) की स्थापना की गई और उभरते खतरों से निपटने के लिए उपाय विकसित किए।

शिक्षा और कौशल विकास नीतियाँ

  • नई शिक्षा नीति (NEP) – 2020
    • STEM शिक्षा (Science, Technology, Engineering & Mathematics) को बढ़ावा देती है।
    • व्यावसायिक प्रशिक्षण (Vocational Training) और तकनीकी शिक्षा के एकीकरण पर जोर दिया गया है।
    • शिक्षा में डिजिटल उपकरणों और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के उपयोग को प्रोत्साहित किया गया।
  • स्किल इंडिया मिशन (Skill India Mission) – 2015
    • विज्ञान और प्रौद्योगिकी आधारित उद्योगों (Science & Technology-driven Industries) के लिए कुशल कार्यबल (Skilled Workforce) तैयार करना।
    • AI, ब्लॉकचेन (Blockchain), IoT और मशीन लर्निंग (Machine Learning) जैसी नई तकनीकों में प्रशिक्षण प्रदान करना।
  • प्रधानमंत्री डिजिटल साक्षरता अभियान (PMGDISHA) 2017
    • ग्रामीण भारत में डिजिटल साक्षरता (Digital Literacy) को बढ़ावा दिया।
    • 6.6 करोड़ से अधिक उम्मीदवारों को बुनियादी डिजिटल कौशल के लिए प्रशिक्षित किया गया।

अंतरिक्ष और क्वांटम प्रौद्योगिकी नीतियाँ 

  • राष्ट्रीय क्वांटम मिशन – 2023
    • भारत को वैश्विक क्वांटम लीडर बनाने के लिए क्वांटम कंप्यूटिंग, संचार (Communication) और सेंसिंग (Sensing) पर ध्यान केंद्रित किया।
  • गगनयान मिशन और अंतरिक्ष नीति 2023
    • भारत का मानव अंतरिक्ष यान मिशन, इसरो के अंतरिक्ष अन्वेषण और नई भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 के तहत निजी क्षेत्र की भागीदारी द्वारा समर्थित है।

अनुसंधान और विकास (R&D) नीतियाँ

  • राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (NSM) – 2015
    • उन्नत अनुसंधान और विकास के लिए पूरे भारत में 70 सुपर कंप्यूटरों का एक नेटवर्क बनाया।
  • जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (BIRAC)
    • बायोटेक (Biotech) इनोवेशन और स्टार्टअप्स को फंडिंग और मेंटरशिप के माध्यम से समर्थन देना।
  • साइबर-फिजिकल सिस्टम पर राष्ट्रीय मिशन (NM-ICPS)
    • भारत की तकनीकी प्रतिस्पर्धात्मकता (Technological Competitiveness) को बढ़ावा देने के लिए AI, रोबोटिक्स (Robotics), IoT और उन्नत विनिर्माण (Advanced Manufacturing) पर ध्यान केंद्रित करना।

नवीकरणीय ऊर्जा नीतियाँ (Renewable Energy Policies)

  • राष्ट्रीय सौर मिशन (National Solar Mission)
    • सौर प्रौद्योगिकियों में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देता है।
    • 2022 तक 100 गीगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य।
  • ग्रीन हाइड्रोजन मिशन (Green Hydrogen Mission)
    • हाइड्रोजन प्रौद्योगिकी (Hydrogen Technologies) में अनुसंधान और विकास को प्राथमिकता देना।
    • हरित ऊर्जा (Green Energy) और स्वच्छ ईंधन (Clean Fuel) पर ध्यान केंद्रित करना।

 शासन और डेटा नीतियाँ (Governance & Data Policies)

  • राष्ट्रीय डेटा गवर्नेंस नीति (NGDP) – 2023
    • शैक्षणिक संस्थानों (Academia) और स्टार्टअप्स (Startups) को गुमनाम डेटा (Anonymized Data) उपलब्ध कराना।
    • डेटा सुरक्षा और गोपनीयता को मजबूत करना। 
  • डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम (DPDP Act) – 2023
    • व्यक्तिगत डेटा को केवल कानूनी उद्देश्यों (Lawful Purpose) के लिए और उपयोगकर्ता की सहमति (Consent) से प्रोसेस करने की अनुमति।
    • व्यक्तिगत अधिकारों (Individual Rights) को सुनिश्चित करना – डेटा संशोधन (Correction), डेटा हटाना (Erasure), और शिकायत निवारण (Grievance Redressal)।
    • भारत सरकार द्वारा “डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड ऑफ इंडिया” (Data Protection Board of India) की स्थापना, जो डेटा उल्लंघन (Data Breach) के मामलों पर निर्णय लेगा।

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FAQ (Previous year questions)

पर्यटन विभाग ने पर्यटकों के अनुभव को बेहतर बनाने और पर्यटन को प्रोत्साहित करने के लिए ड्राफ्ट राजस्थान पर्यटन नीति के तहत कई नवाचारी डिजिटल पहलें शुरू की हैं:

  • एआई-सक्षम पर्यटन ऐप और चैटबॉट – बुकिंग, यात्रा कार्यक्रम और स्थानीय सुझावों के लिए रियल-टाइम सहायता।
  • डिजिटल परियोजना प्रबंधन सूचना प्रणाली (PMIS) – कार्यों की भौतिक एवं वित्तीय प्रगति, फंड उपयोग और बाधाओं की रियल-टाइम निगरानी।
  • उच्च गुणवत्ता वाले डिजिटल मानचित्र और गाइडबुक्स – पर्यटकों के लिए सुलभ और निर्देशात्मक सामग्री।
  • डिजिटल म्यूज़ियम और व्याख्या केंद्र – ऑगमेंटेड रियलिटी, वर्चुअल रियलिटी, इंटरैक्टिव डिज़ाइन, 3D वीडियो प्रोजेक्शन मैपिंग जैसी तकनीकों का उपयोग।
  • ई-टिकटिंग और नि:शुल्क वाई-फाई – प्रमुख स्थलों पर उपलब्ध (जैसे आमेर किला), जिससे पर्यटकों की सुविधा में वृद्धि।
  • डिजिटल मार्केटिंग अभियान – SEO, PPC और सोशल मीडिया (फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब) पर मजबूत उपस्थिति; इन्फ्लुएंसर साझेदारियाँ; IATO 2024 में “सर्वश्रेष्ठ डिजिटल मार्केटिंग पुरस्कार” प्राप्त।
  • ऑडियो-विजुअल सामग्री – धरोहर/विरासत (जैसे – माटी बांधे पैंजनिया), शिल्प और कम चर्चित स्थलों पर लघु फिल्में/क्लिप्स (जैसे – जयपुर का सांस्कृतिक डायरीज़ एट अल्बर्ट हॉल)।

राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (NSM)

  • शुरुआत: 2015 (7 वर्षों के लिए 2015-2022) (बजट: ₹4,500 करोड़)
  • लक्ष्य: राष्ट्रीय शैक्षणिक और अनुसंधान एवं विकास (R&D) संस्थानों को 70 से अधिक उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग (HPC) सुविधाओं के ग्रिड (राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क – NKN) से जोड़ना।
  • उद्देश्य: भारत को सुपरकंप्यूटिंग के क्षेत्र में एक प्रमुख शक्ति के रूप में स्थापित करने, उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग (HPC) में वैश्विक प्रतिस्पर्धा और आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना।
  • नेतृत्व: विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) द्वारा संयुक्त रूप से।
    • क्रियान्वयन: सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (C-DAC), पुणे और भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बेंगलुरु द्वारा।
  • मिशन की प्रमुख उपलब्धियाँ:
    • कुल 24.83 पेटाफ्लॉप्स (PF) क्षमता के हाई परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग (HPC) मशीनों का निर्माण किया गया। [उदाहरण: PARAM Siddhi-AI (5.26 पेटाफ्लॉप्स, शीर्ष 100 वैश्विक सूची में), PARAM Pravega (3.3 पेटाफ्लॉप्स, IISc बेंगलुरु), PARAM Shivay (IIT-BHU), PARAM Shakti (IIT-खड़गपुर)]
    • रुद्र सर्वर बोर्ड 1.0, त्रिनेत्र एचपीसी इंटरकनेक्ट, एचपीसी सिस्टम सॉफ्टवेयर स्टैक 1.1 और विभिन्न बेंचमार्क (क्लाउड, एचपीसी) अनुप्रयोगों का विकास।
    • अब तक 17,500 लोगों को हाई परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग (HPC) में प्रशिक्षित किया गया।

नस्ल सुधार कार्यक्रम (Breed Improvement Programme)

  • नस्ल सुधार कार्यक्रम का उद्देश्य राजस्थान में पशुधन की उत्पादकता, रोग प्रतिरोधक क्षमता और आनुवंशिक गुणवत्ता को बढ़ाना है।
  • यह कार्यक्रम गायों (दूध और मांस हेतु) एवं भेड़/बकरियों (ऊन, मांस और दूध हेतु) दोनों पर केंद्रित है।
  • मुख्य उद्देश्य:
    • स्वदेशी नस्लों में सुधार: राठी, कांकरेज गाय और मुर्रा भैंस जैसी देशी नस्लों की आनुवंशिक क्षमता को चयनात्मक प्रजनन के माध्यम से बढ़ाना।
    • क्रॉस ब्रीडिंग (Crossbreeding): दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए उच्च उत्पादक विदेशी नस्लों (जैसे होलस्टीन फ्रिज़ियन) को शामिल करना।
    • आनुवंशिक उन्नयन: कृत्रिम गर्भाधान (AI) और भ्रूण स्थानांतरण तकनीक (ETT) जैसी आधुनिक आनुवंशिक तकनीकों को अपनाना।
  • नस्ल सुधार कार्यक्रम के अंतर्गत उप-कार्यक्रम:
    • देशी नस्ल सुधार कार्यक्रम
    • सुअर प्रजनन कार्यक्रम
    • बकरी विकास कार्यक्रम
    • भेड़ प्रजनन कार्यक्रम
  • प्रभाव (Impact):
    • दूध और मांस उत्पादन में वृद्धि।
    • पशुधन क्षेत्र में आनुवंशिक विविधता और उत्पादकता में सुधार।
    • ग्रामीण क्षेत्रों में विशेषकर किसानों की आय में वृद्धि, बेहतर नस्ल गुणवत्ता के माध्यम से।

प्रदेश में पशुपालन विभाग द्वारा गाय व भैंस की देशी प्रजातियों के संरक्षण एवं विकास के लिए वर्तमान में निम्न योजनाएं संचालित की जा रही हैं:-

  1. कृत्रिम गर्भाधान द्वारा नस्ल सुधार : विभागीय संस्थाओं के माध्यम से उच्च उत्पादक क्षमता एवं उन्नत नस्ल के देशी गौवंश (गिर, राठी, थारपारकर, साहीवाल, मालवी, हरियाणा, नागौरी एवं कांकरेज ) एवं भैंस वंश (मुर्रा एवं सुरती) के हिमीकृत वीर्य द्वारा मादा पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान किया जाता है।
  2. राष्ट्रीयकृत कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम : केंद्र सरकार के सहयोग से सभी जिलों में निःशुल्क कृत्रिम गर्भाधान की सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है।
  3. नकारा पशु बधियाकरण : इस योजनान्तर्गत नकारा एवं अवर्गीकृत सांडों एवं बछड़ों का बधियाकरण किया जाता है ताकि वो प्रजनन योग्य नहीं रहे।
  4. बांझपन निवारण शिविर : प्रत्येक माह में एक बांझपन निवारण एवं पशु चिकित्सा शिविर आयोजित करके अनुत्पादक पशुओं का यथोचित उपचार किए जाने का प्रावधान है।
  5. सेक्स सॉर्टेड सीमन से कृत्रिम गर्भाधान योजना (2024-25 बजट घोषणा): MIG योजना के तहत शुरू की गई योजना जिसमें 75% सब्सिडी प्रदान की जाती है। यह लगभग 90% मादा बछड़ों का जन्म सुनिश्चित करती है, जिससे दूध उत्पादन बढ़ता है और आवारा नर पशुओं की समस्या कम होती है।
2024 में ड्राफ्ट की गई राजस्थान पर्यटन नीति के तहत राजस्थान सरकार के पर्यटन विभाग द्वारा कौन सी नई डिजीटल पहलों की योजना बनाई जा रही है ? (अंक – 5 M, 2024)

पर्यटन विभाग ने पर्यटकों के अनुभव को बेहतर बनाने और पर्यटन को प्रोत्साहित करने के लिए ड्राफ्ट राजस्थान पर्यटन नीति के तहतकई नवाचारी डिजिटल पहलें शुरू की हैं:
एआई-सक्षम पर्यटन ऐप और चैटबॉट – बुकिंग, यात्रा कार्यक्रम और स्थानीय सुझावों के लिए रियल-टाइम सहायता।
डिजिटल परियोजना प्रबंधन सूचना प्रणाली (PMIS) – कार्यों की भौतिक एवं वित्तीय प्रगति, फंड उपयोग और बाधाओं की रियल-टाइम निगरानी।
उच्च गुणवत्ता वाले डिजिटल मानचित्र और गाइडबुक्स – पर्यटकों के लिए सुलभ और निर्देशात्मक सामग्री।
डिजिटल म्यूज़ियम और व्याख्या केंद्र – ऑगमेंटेड रियलिटी, वर्चुअल रियलिटी, इंटरैक्टिव डिज़ाइन, 3D वीडियो प्रोजेक्शन मैपिंग जैसी तकनीकों का उपयोग।
ई-टिकटिंग और नि:शुल्क वाई-फाई – प्रमुख स्थलों पर उपलब्ध (जैसे आमेर किला), जिससे पर्यटकों की सुविधा में वृद्धि।
डिजिटल मार्केटिंग अभियान – SEO, PPC और सोशल मीडिया (फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब) पर मजबूत उपस्थिति; इन्फ्लुएंसर साझेदारियाँ; IATO 2024 में “सर्वश्रेष्ठ डिजिटल मार्केटिंग पुरस्कार” प्राप्त।
ऑडियो-विजुअल सामग्री – धरोहर/विरासत (जैसे – माटी बांधे पैंजनिया), शिल्प और कम चर्चित स्थलों पर लघु फिल्में/क्लिप्स (जैसे – जयपुर का सांस्कृतिक डायरीज़ एट अल्बर्ट हॉल)।

राष्ट्रीय सुपर कंप्यूटिंग मिशन (NSM) क्या है ? इस मिशन की कोई तीन प्रमुख उपलब्धियाँ लिखिए। (अंक – 5 M, 2023)

राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (NSM)
शुरुआत: 2015 (7 वर्षों के लिए 2015-2022) (बजट: ₹4,500 करोड़)
लक्ष्य: राष्ट्रीय शैक्षणिक और अनुसंधान एवं विकास (R&D) संस्थानों को 70 से अधिक उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग (HPC) सुविधाओं के ग्रिड (राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क – NKN) से जोड़ना।
उद्देश्य: भारत को सुपरकंप्यूटिंग के क्षेत्र में एक प्रमुख शक्ति के रूप में स्थापित करने, उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग (HPC) में वैश्विक प्रतिस्पर्धा और आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना।
नेतृत्व: विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) द्वारा संयुक्त रूप से। क्रियान्वयन: सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (C-DAC), पुणे और भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बेंगलुरु द्वारा।
मिशन की प्रमुख उपलब्धियाँ: कुल 24.83 पेटाफ्लॉप्स (PF) क्षमता के हाई परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग (HPC) मशीनों का निर्माण किया गया। [उदाहरण: PARAM Siddhi-AI (5.26 पेटाफ्लॉप्स, शीर्ष 100 वैश्विक सूची में), PARAM Pravega (3.3 पेटाफ्लॉप्स, IISc बेंगलुरु), PARAM Shivay (IIT-BHU), PARAM Shakti (IIT-खड़गपुर)]
रुद्र सर्वर बोर्ड 1.0, त्रिनेत्र एचपीसी इंटरकनेक्ट, एचपीसी सिस्टम सॉफ्टवेयर स्टैक 1.1 और विभिन्न बेंचमार्क (क्लाउड, एचपीसी) अनुप्रयोगों का विकास।
अब तक 17,500 लोगों को हाई परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग (HPC) में प्रशिक्षित किया गया।

राजस्थान सरकार के पशुपालन विभाग द्वारा चलाये जा रहे नस्ल सुधार कार्यक्रम की विवेचना कीजिए। (अंक – 10 M, 2016 Special Exam)

नस्ल सुधार कार्यक्रम (Breed Improvement Programme)
नस्ल सुधार कार्यक्रम का उद्देश्य राजस्थान में पशुधन की उत्पादकता, रोग प्रतिरोधक क्षमता और आनुवंशिक गुणवत्ता को बढ़ाना है।
यह कार्यक्रम गायों (दूध और मांस हेतु) एवं भेड़/बकरियों (ऊन, मांस और दूध हेतु) दोनों पर केंद्रित है।
मुख्य उद्देश्य:
स्वदेशी नस्लों में सुधार: राठी, कांकरेज गाय और मुर्रा भैंस जैसी देशी नस्लों की आनुवंशिक क्षमता को चयनात्मक प्रजनन के माध्यम से बढ़ाना।
क्रॉस ब्रीडिंग (Crossbreeding): दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए उच्च उत्पादक विदेशी नस्लों (जैसे होलस्टीन फ्रिज़ियन) को शामिल करना।
आनुवंशिक उन्नयन: कृत्रिम गर्भाधान (AI) और भ्रूण स्थानांतरण तकनीक (ETT) जैसी आधुनिक आनुवंशिक तकनीकों को अपनाना।
नस्ल सुधार कार्यक्रम के अंतर्गत उप-कार्यक्रम:
देशी नस्ल सुधार कार्यक्रम
सुअर प्रजनन कार्यक्रम
बकरी विकास कार्यक्रम
भेड़ प्रजनन कार्यक्रम
प्रभाव (Impact):
दूध और मांस उत्पादन में वृद्धि।
पशुधन क्षेत्र में आनुवंशिक विविधता और उत्पादकता में सुधार।
ग्रामीण क्षेत्रों में विशेषकर किसानों की आय में वृद्धि, बेहतर नस्ल गुणवत्ता के माध्यम से।
प्रदेश में पशुपालन विभाग द्वारा गाय व भैंस की देशी प्रजातियों के संरक्षण एवं विकास के लिए वर्तमान में निम्न योजनाएं संचालित की जा रही हैं:-
कृत्रिम गर्भाधान द्वारा नस्ल सुधार : विभागीय संस्थाओं के माध्यम से उच्च उत्पादक क्षमता एवं उन्नत नस्ल के देशी गौवंश (गिर, राठी, थारपारकर, साहीवाल, मालवी, हरियाणा, नागौरी एवं कांकरेज ) एवं भैंस वंश (मुर्रा एवं सुरती) के हिमीकृत वीर्य द्वारा मादा पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान किया जाता है।
राष्ट्रीयकृत कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम : केंद्र सरकार के सहयोग से सभी जिलों में निःशुल्क कृत्रिम गर्भाधान की सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है।
नकारा पशु बधियाकरण : इस योजनान्तर्गत नकारा एवं अवर्गीकृत सांडों एवं बछड़ों का बधियाकरण किया जाता है ताकि वो प्रजनन योग्य नहीं रहे।
बांझपन निवारण शिविर : प्रत्येक माह में एक बांझपन निवारण एवं पशु चिकित्सा शिविर आयोजित करके अनुत्पादक पशुओं का यथोचित उपचार किए जाने का प्रावधान है।
सेक्स सॉर्टेड सीमन से कृत्रिम गर्भाधान योजना (2024-25 बजट घोषणा): MIG योजना के तहत शुरू की गई योजना जिसमें 75% सब्सिडी प्रदान की जाती है। यह लगभग 90% मादा बछड़ों का जन्म सुनिश्चित करती है, जिससे दूध उत्पादन बढ़ता है और आवारा नर पशुओं की समस्या कम होती है।

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