प्रशासन में जवाबदेही

प्रशासन में जवाबदेही उत्तरदायी शासन प्रणाली की आधारशिला प्रशासन में जवाबदेही है, जो नागरिकों के प्रति प्रशासन की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। नैतिकशास्त्र के सिद्धांतों के अंतर्गत, जवाबदेही न केवल कार्यों की पारदर्शिता सुनिश्चित करती है, बल्कि नीति-निर्माताओं और अधिकारियों के नैतिक व्यवहार को भी दिशा प्रदान करती है।

विगत वर्षों में पूछे गए प्रश्न

नैतिक आचार संहिता

वर्षप्रश्नअंक
2013यदि आपको भारतीय लोक सेवकों के लिये ‘नैतिक आचार संहिता’ निर्मित करने के लिए कहा जाय, तो आप किन पांच सिद्धांतों को प्राथमिकता प्रदान करेंगे?5M

शासन में जवाबदेही

वर्षप्रश्नअंक
2013‘सुशासन’ की मुख्य विशेषताए क्या है ?5M
2013भारत में नागरिक अधिकार पत्र के क्षेत्र में क्या प्रगति हुई है ? इनके सकारात्मक प्रभाव तथा सीमाओं को व्याख्या करें ।?5M
2021एक दूसरे की सफलता बेहतर प्रशासन के लिए सीख देती है। इस कथन का विश्लेषण उदाहरणों द्वारा कीजिए।10M
  • जवाबदेही किसी के निर्णयों और कार्यों के लिए जिम्मेदार होने की स्थिति है। 
  • प्रशासन में जवाबदेही में मुख्य रूप से 3 घटक शामिल हैं – पारदर्शिता + उत्तरदायित्व + प्रवर्तनीयता।
प्रशासन में जवाबदेही

क्यों महत्तवपूर्ण है? 

  • यह जनता में भरोसा और विश्वास पैदा करता है
  • प्रदर्शन में सुधार करता है
  • भ्रम दूर करता है – यह निर्णय के स्वामित्व को बढ़ावा देता है [लोग अपने काम को महत्व देते हैं]
  • एक उपचारात्मक उपाय के रूप में
  • एक सिविल सेवक अपने वरिष्ठ, सरकार और उन लोगों के प्रति जवाबदेह होता है जिनकी वह सेवा कर रहा है। इसका मतलब यह है कि सिविल सेवकों को सत्ता में किसी भी राजनीतिक दल की परवाह किए बिना समान मानक की स्वतंत्र, स्पष्ट, निष्पक्ष और उत्तरदायी सलाह प्रदान करनी चाहिए।
  • उदाहरण – लाल बहादुर शास्त्री पहले रेल मंत्री थे जिन्होंने एक बड़ी रेल दुर्घटना के बाद नैतिक जिम्मेदारी महसूस करते हुए पद से इस्तीफा दे दिया था
  • उदाहरण – इसरो के अध्यक्ष सतीश धवन ने 1979 में डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की विफलता के लिए जिम्मेदारी स्वीकार की जब डॉ कलाम के नेतृत्व वाला एसएलवी -3 मिशन उपग्रह बंगाल की खाड़ी में गिर गया।

एक प्रशासक की जवाबदेही

  • भारत का संविधान
    • संसदीय कानून और नीतियां
    • उपभोक्ता अधिकार [उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019, जागो ग्राहक जागो]
    • नागरिक सार्वजनिक सेवा के उपभोक्ता हैं
    • सूचना का अधिकार अधिनियम 2005
    • व्हिसलब्लोअर संरक्षण अधिनियम, 2014
  • संस्थाएँ –
    • लोकपाल और लोकायुक्त
    • ईडी, सीबीआई, सीवीसी, सीएजी, चुनाव आयोग आदि जैसी एजेंसियां
  • स्वयं-
    • नागरिक चार्टर/नागरिक घोषणापत्र
    • आंतरिक लेखा परीक्षा/आंतरिक जाँच
  • प्रौद्योगिकी (ई-गवर्नेंस पहल) –
    • जन सम्पर्क पोर्टल
    • जन सूचना पोर्टल
    • सीसीटीवी, चैटबॉट
    • डीबीटी, आधार एकीकरण
    • बॉयोमीट्रिक उपस्थिति
  • नागरिक –
    • CPGRAMS [केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली]
    • सामाजिक ऑडिट
    • 360 डिग्री मूल्यांकन
    • संस्थागत ऑडिट, तृतीय पक्ष ऑडिट
    • प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण
  • आचार संहिता कानूनी रूप से लागू करने योग्य सिद्धांतों का एक समूह है जिसका संगठन में पालन किया जाना अनिवार्य है
  • उदाहरण 
    • केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियमावली, 1964
    •  अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियम 1968
    •   रेल सेवा (आचरण) नियम – 1966
    •   माननीय मंत्रिगण हेतु आचार संहिता , 2013 
    •   राजस्थान सिविल सेवायें (आचरण) नियम, 1971

सिविल सेवकों के लिए सामान्य आचार संहिता

पूर्व अनुमति –

  • फंड जुटाने के लिए अभियान
  • सार्वजनिक समारोह/प्रदर्शन

निषिद्ध है  –

  • दहेज देना या लेना
  • सरकारी पद पर कार्यरत अथवा सरकारी स्तर पर लेन देन वाले किसी भी व्यक्ति से भव्य उपहार स्वीकार करना 
  • सरकारी आवास पट्टे पर देना
  • किसी अनाधिकृत व्यक्ति को आधिकारिक सूचना प्रदान करना 
  • सरकार की नीतियों की आलोचना
  • ऐसा बयान जो सरकारों के बीच संबंधों को शर्मसार कर दे
  • हड़तालों में शामिल होना
  • ऐसे किसी भी संगठन में शामिल होना जो भारत की अखंडता और एकता के प्रति पूर्वाग्रह रखता हो
  • किसी भी राजनीतिक दल से जुड़ना
  • निजी व्यवसाय और व्यापार

सावधानी 

  • मीडिया से बात करते हुए 
  • राजनैतिक प्रतिनिधियों से बात करते हुए 

अन्य 

  • वार्षिक संपत्ति रिटर्न भरना 
  • हितों के टकराव से बचना
  • नैतिक आचार संहिता एक महत्वाकांक्षी दस्तावेज है जिसमें किसी संगठन के लिए नैतिक मानक, मूल्य, सिद्धांत और आदर्श शामिल हैं 
  • यह स्वभावतः व्यक्तिपरक है (व्याख्या के लिए खुला हुआ)
  • कोई कानूनी समर्थन नहीं [होता  समिति ने कानूनी समर्थन के लिए इसकी सिफारिश की] 
  • द्वितीय एआरसी ने सिफारिश की कि सिविल सेवकों को आचरण नियमों व नैतिक संहिताओं का पालन करना चाहिए।
  • पब्लिक रिलेशंस सोसाइटी ऑफ इंडिया (पीआरएसआई) ने 1968 में दिल्ली में अपना पहला अखिल भारतीय जनसंपर्क सम्मेलन आयोजित किया, जहां इसने नैतिक आचार संहिता को अपनाया।
  • इस कोड को “एथेंस का कोड” के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय जनसंपर्क संघों ने इसे 1965 में एथेंस, ग्रीस में अपनाया था।
  • WHO जैसे संगठन अपनी विस्तृत नैतिक आचार संहिता के लिए प्रसिद्ध हैं 
  • उदाहरण  – डॉक्टरों द्वारा ली गई हिप्पोक्रेटिक शपथ नैतिकता की शपथ है
  • नैतिक आचार संहिता में शामिल हैं – ईमानदारी, विशेषज्ञता, स्वतंत्रता, वफादारी, निष्पक्षता

द्वितीय एआरसी द्वारा अनुशंसित नैतिक आचार संहिता

  • संविधान की प्रस्तावना में वर्णित आदर्शों का पालन करना
  • गैर राजनीतिक कार्यप्रणाली
  • नौकरशाही का प्राथमिक लक्ष्य – सुशासन
  • वस्तुनिष्ठ एवं निष्पक्ष होना
  • निर्णय लेने में जवाबदेही और पारदर्शिता
  • उच्चतम नैतिक मानकों को बनाए रखना
  • राष्ट्र की विविधता को ध्यान में रखते हुए सिविल सेवकों का योग्यता आधारित चयन
  • फिजूलखर्ची से बचना
  • प्रशासन के लिए अनुकूल एवं स्वस्थ कार्य वातावरण को बढ़ावा देना
  • परामर्शात्मक और सहभागी दृष्टिकोण

FAQ (Previous year questions)

‘एक पंख पर पक्षी का उड़ना असंभव है’ – स्वामी विवेकानंद। इसलिए, बेहतर शासन के लिए एक-दूसरे की सफलता आवश्यक है। निम्नलिखित उदाहरण इस कथन को सिद्ध करते हैं – 

स्तरबेहतर शासन का उदाहरण
अंतरराष्ट्रीयजेसिंडा अर्डर्न – कोविड के दौरान प्रभावशाली शासन, अन्य देशों और पुरुष नेताओं के लिए प्रेरणा।ली कुआन यू – सिंगापुर को तीसरी दुनिया से विकसित राष्ट्र में बदला।बांग्लादेश – वित्तीय समावेशन का आदर्श मॉडल।
राष्ट्रीयभारतीय शासन प्रणाली – पाकिस्तान और श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों के लिए आदर्श भारत की पहलें – शांति मिशन, अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA), आपदा लचीलापन अवसंरचना गठबंधन (CDRI)
राज्य स्तरराजस्थान -भीलवाड़ा मॉडल ने पूरे देश को प्रेरित किया।सौर नीति और जैव ईंधन नीति में अग्रणी।अन्य राज्य -दिल्ली के मोहल्ला क्लीनिक मॉडल ने पंजाब और राजस्थान को प्रेरित किया केरल का स्वास्थ्य मॉडल
जिला स्तरदुर्गा शक्ति नागपाल, जे.के. सोनी (चरण पादुका अभियान), सुरेंद्र सोलंकी जी (सोलर मैन)।एक जिला, एक उत्पाद।जनता क्लिनिक – जयपुर।
स्थानीय स्तरसरपंच छवि राजावत – सोडा ग्राम पंचायत (CSR)।पिपलांत्री गाँव (श्याम सुंदर पालीवाल)।

यह दृष्टिकोण हमारे प्रधानमंत्री के ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’ के विजन को अपनाता है, जो समावेशी विकास की दिशा में कार्य करता है। भारत SDG-16 को प्राप्त करने की दिशा में भी सही मार्ग पर है, जो सहभागी और उत्तरदायी शासन को बढ़ावा देता है।

विभिन्न स्तरों पर देश के मामलों का प्रबंधन करने के लिए राजनीतिक, आर्थिक और प्रशासनिक अधिकारों का प्रयोग ही शासन कहलाता है।

सुशासन – सुशासन वह शासन है जिसमें जवाबदेही, न्यायसंगतता और समावेशिता, विकेंद्रीकरण, सर्वसम्मति, भागीदारी, दक्षता और पारदर्शिता जैसे सिद्धांत शामिल हैं।

  1. जवाबदेही – जन संपर्क पोर्टल, CPGRAM (केंद्रीकृत सार्वजनिक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली), आदि।
  2. विकेंद्रीकरण – शासन की विभिन्न इकाइयाँ जैसे स्थानीय सरकार (पंचायती राज और शहरी स्थानीय निकाय), संघवाद, आदि।
  3. सहमति-उन्मुख निर्णय लेना – मायगव(MyGov) ऐप के माध्यम से नागरिकों के निर्णय को आमंत्रित करना, ग्राम सभा बैठकें, रात्रि चौपाल आदि।
  4. जवाबदेही – भारत के संविधान, नागरिकों, वरिष्ठों और सत्ता में मौजूद सरकार के प्रति।
  5. कानून का शासन – कानून की समानता और कानून के समान संरक्षण को सुनिश्चित करना [अनुच्छेद 14]।
  6. दक्षता – ACR रिपोर्ट (वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट), बायोमेट्रिक उपस्थिति, प्रदर्शन-आधारित मूल्यांकन आदि के माध्यम से सुनिश्चित।
  7. पारदर्शिता – RTI, सामाजिक अंकेक्षण, सरकारी अंकेक्षण और आंतरिक अंकेक्षण जैसे प्रावधानों द्वारा सुनिश्चित।
'सुशासन' की मुख्य विशेषताएँ
एक दूसरे की सफलता बेहतर प्रशासन के लिए सीख देती है। इस कथन का विश्लेषण उदाहरणों द्वारा कीजिए। (अंक – 10 M, 2021)

‘एक पंख पर पक्षी का उड़ना असंभव है’ – स्वामी विवेकानंद। इसलिए, बेहतर शासन के लिए एक-दूसरे की सफलता आवश्यक है। निम्नलिखित उदाहरण इस कथन को सिद्ध करते हैं – 

स्तर
बेहतर शासन का उदाहरण
अंतरराष्ट्रीय
जेसिंडा अर्डर्न – कोविड के दौरान प्रभावशाली शासन, अन्य देशों और पुरुष नेताओं के लिए प्रेरणा।
ली कुआन यू – सिंगापुर को तीसरी दुनिया से विकसित राष्ट्र में बदला।
बांग्लादेश – वित्तीय समावेशन का आदर्श मॉडल।
राष्ट्रीय
भारतीय शासन प्रणाली – पाकिस्तान और श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों के लिए आदर्श
भारत की पहलें – शांति मिशन, अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA), आपदा लचीलापन अवसंरचना गठबंधन (CDRI)
राज्य स्तर
राजस्थान
भीलवाड़ा मॉडल ने पूरे देश को प्रेरित किया।
सौर नीति और जैव ईंधन नीति में अग्रणी।
अन्य राज्य
दिल्ली के मोहल्ला क्लीनिक मॉडल ने पंजाब और राजस्थान को प्रेरित किया
केरल का स्वास्थ्य मॉडल
जिला स्तर
दुर्गा शक्ति नागपाल, जे.के. सोनी (चरण पादुका अभियान), सुरेंद्र सोलंकी जी (सोलर मैन)।
एक जिला, एक उत्पाद।
जनता क्लिनिक – जयपुर।
स्थानीय स्तर
सरपंच छवि राजावत – सोडा ग्राम पंचायत (CSR)।
पिपलांत्री गाँव (श्याम सुंदर पालीवाल)।
यह दृष्टिकोण हमारे प्रधानमंत्री के ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’ के विजन को अपनाता है, जो समावेशी विकास की दिशा में कार्य करता है। भारत SDG-16 को प्राप्त करने की दिशा में भी सही मार्ग पर है, जो सहभागी और उत्तरदायी शासन को बढ़ावा देता है।

‘सुशासन’ की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं ? (अंक – 5 M, 2013)

विभिन्न स्तरों पर देश के मामलों का प्रबंधन करने के लिए राजनीतिक, आर्थिक और प्रशासनिक अधिकारों का प्रयोग ही शासन कहलाता है।
सुशासन – सुशासन वह शासन है जिसमें जवाबदेही, न्यायसंगतता और समावेशिता, विकेंद्रीकरण, सर्वसम्मति, भागीदारी, दक्षता और पारदर्शिता जैसे सिद्धांत शामिल हैं।
जवाबदेही – जन संपर्क पोर्टल, CPGRAM (केंद्रीकृत सार्वजनिक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली), आदि।
विकेंद्रीकरण – शासन की विभिन्न इकाइयाँ जैसे स्थानीय सरकार (पंचायती राज और शहरी स्थानीय निकाय), संघवाद, आदि।
सहमति-उन्मुख निर्णय लेना – मायगव(MyGov) ऐप के माध्यम से नागरिकों के निर्णय को आमंत्रित करना, ग्राम सभा बैठकें, रात्रि चौपाल आदि।
जवाबदेही – भारत के संविधान, नागरिकों, वरिष्ठों और सत्ता में मौजूद सरकार के प्रति।
कानून का शासन – कानून की समानता और कानून के समान संरक्षण को सुनिश्चित करना [अनुच्छेद 14]।
दक्षता – ACR रिपोर्ट (वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट), बायोमेट्रिक उपस्थिति, प्रदर्शन-आधारित मूल्यांकन आदि के माध्यम से सुनिश्चित।
पारदर्शिता – RTI, सामाजिक अंकेक्षण, सरकारी अंकेक्षण और आंतरिक अंकेक्षण जैसे प्रावधानों द्वारा सुनिश्चित।

यदि आपको भारतीय लोक सेवकों के लिये ‘नैतिक आचार संहिता’ निर्मित करने के लिए कहा जाय, तो आप किन पांच सिद्धांतों को प्राथमिकता प्रदान करेंगे ? (अंक – 5 M, 2013)

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