राजस्थान इतिहास के प्रमुख स्रोत राजस्थान इतिहास व संस्कृति विषय के अंतर्गत अध्ययन के महत्वपूर्ण साधन हैं। इन स्रोतों में शिलालेख, ताम्रपत्र, साहित्यिक रचनाएँ, पुरातात्विक अवशेष एवं विदेशी यात्रियों के यात्रा विवरण शामिल हैं, जो राजस्थान के प्राचीन सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक जीवन की जानकारी प्रदान करते हैं
राजस्थान इतिहास के प्रमुख स्रोत

राजस्थान का इतिहास अपनी समृद्ध और बहुआयामी धरोहर के लिए प्रसिद्ध है। इसकी जानकारी हमें ऐतिहासिक ग्रंथों, प्रशस्तियों, अभिलेखों, यात्रियों के वर्णन और पुरातात्विक सामग्री से प्राप्त होती है। इनमें से शिलालेख सबसे विश्वसनीय माध्यम हैं, जो तत्कालीन घटनाओं, राजवंशों, प्रशासनिक व्यवस्थाओं और सांस्कृतिक प्रवृत्तियों का सटीक विवरण प्रस्तुत करते हैं।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (1861 ई., अलेक्जेंडर कनिंघम के नेतृत्व में स्थापित) ने राजस्थान में पुरातात्विक अध्ययन की नींव रखी। राजस्थान में पहला व्यवस्थित सर्वेक्षण 1871 ई. में ए.सी.एल. कार्लाइल के निर्देशन में हुआ। बूँदी, कोटा, विराटनगर, सोहनपुरा और हरसौरा से प्राप्त चित्रित शैलाश्रय प्रागैतिहासिक मानव जीवन और कला का अद्वितीय प्रमाण हैं।
इन स्रोतों का अध्ययन करते समय यह समझना आवश्यक हो जाता है कि ऐतिहासिक घटनाओं की तिथियों को कैसे व्यवस्थित और परिभाषित किया जाए। समय-रेखा की सटीक व्याख्या के लिए ईसा पूर्व (BC), ईस्वी (AD) और विक्रम संवत (VS) जैसी अवधारणाओं को समझना अनिवार्य है।
चित्रित शैलाश्रय
1. स्वस्तिक का चित्रण Dadikar (Alwar)

2. बाँहों और पैरों की चित्रकारी, Dadikar (Alwar)

3. घात लगाकर आक्रमण की चित्रकारी, Dadikar (Alwar)

4. हथियार पकड़े हुए आदमी की तस्वीर- Kunjota (Jpr)
5. चित्रित शैल आश्रय- sohanpura (Sikar)
- ईसा पूर्व (BC) : यह शब्द ईसा मसीह के जन्म से पहले के वर्षों को दर्शाता है। यह एक गिनती पद्धति है, जो समय को 1 ईस्वी वर्ष से पीछे की ओर गिनती है। उदाहरण के लिए, 1000 ईसा पूर्व का अर्थ है ईसा मसीह के जन्म से 1000 वर्ष पहले। ऐतिहासिक घटनाओं को, जो ग्रेगोरियन कैलेंडर की शुरुआत से पहले हुई थीं, BC के माध्यम से चिह्नित किया जाता है। BC का एक अन्य नाम BCE (Before Common Era) है।
- ईस्वी (AD) : “Anno Domini” का अर्थ है “प्रभु के वर्ष में”। यह ईसा मसीह के जन्म के बाद के वर्षों को दर्शाता है। समय 1 ईस्वी से आगे की ओर गिना जाता है। उदाहरण के लिए, 2024 ईस्वी का अर्थ है ईसा मसीह के जन्म के 2024 वर्ष बाद। आज यह विश्व स्तर पर उपयोग में आने वाला मानक कैलेंडर है। AD को कभी-कभी CE (Common Era) के नाम से भी जाना जाता है.
- विक्रम संवत (वि.स.) : यह प्राचीन भारतीय कालगणना प्रणाली है, जिसकी शुरुआत 57 ईसा पूर्व में राजा विक्रमादित्य की शकों पर विजय के उपलक्ष्य में हुई थी। विक्रम संवत भारत और नेपाल में धार्मिक और सांस्कृतिक उद्देश्यों के लिए आज भी व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। यह ग्रेगोरियन कैलेंडर के समानांतर चलता है, लेकिन 57 वर्ष आगे है। उदाहरण के लिए, 2024 ईस्वी, 2081 (2024+57) विक्रम संवत के अनुरूप है।
इसको इतिहास में हुई घटनाओं के कालक्रम में समझने का प्रयास करते हैं –
समय (ईसा पूर्व/ईस्वी) | विक्रम संवत (वि.स.) | घटना | विवरण |
10000 ईसा पूर्व | पाषाण युग | प्रारंभिक मानव शिकारी-संग्राहक के रूप में रहते थे।पत्थर से निर्मित औजारों का उपयोग करते थे | |
7000 ई.पू. | प्रारंभिक कृषि | कृषि और पशुपालन शुरू हुआ। | |
2600 ई.पू. | हड़प्पा सभ्यता | प्रथम शहरीकरण चरण उन्नत नगरीय संस्कृति हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, कालीबंगा | |
1700 ई.पू. | हड़प्पा सभ्यता का पतन | संभवतः बाढ़, जलवायु परिवर्तन या नदी के बहाव में बदलाव के कारण हुआ। लोग नए क्षेत्रों में चले गए। | |
1500 ई.पू. | वैदिक काल | आर्यों का आगमन, ऋग्वेद की रचना हुई। सरस्वती और गंगा नदियों के किनारे बस्तियाँ विकसित हुईं। | |
1200 ई.पू. | लौह युग | लौह औजारों के उपयोग से कृषि और युद्ध को बढ़ावा मिला। प्रारंभिक राज्यों का गठन। | |
600 ई.पू. | महाजनपदों का उदय | दूसरा शहरीकरण चरण मगध, कोसल और अवंती जैसे बड़े राज्यों का उदय हुआ, जिससे पाटलिपुत्र (आधुनिक पटना) और वाराणसी जैसे नए शहरों का विकास हुआ। जैन धर्म (महावीर) और बौद्ध धर्म (गौतम बुद्ध) की स्थापना हुई। | |
322 ई.पू. | मौर्य साम्राज्य की स्थापना | चन्द्रगुप्त मौर्य ने भारत का एकीकरण किया। इस समय राजस्थान, सिंध, गुजरात, कोंकण भू-भाग को अपर जनपद या पश्चिमी जनपद के नाम से जाना जाता था। | |
187 ई.पू. | मौर्य साम्राज्य का पतन भारत पर विदेशी जातियों के आक्रमण शुरू | मौर्य वंश के अंतिम शासक बृहद्रथ की हत्या उसके सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने कर दी। इसके बाद राजस्थान छोटे – छोटे गणों में विभाजित हो गया।राजस्थान पर विदेशी आक्रमणों की शुरुआत 150 ई.पू. मिनेंडर ने मध्यमिका नगरी(चित्तौड़) को अपने अधिकार में कर लिया | |
57 ईसा पूर्व | विक्रम संवत् की शुरुआत | चंद्रगुप्त विक्रमादित्य की विजय | राजा विक्रमादित्य ने शकों (विदेशी आक्रमणकारी) को पराजित किया, जिससे विक्रम संवत की शुरुआत हुई। |
1 ईसा पूर्व | 57 विक्रम संवत् | ईसा पूर्व युग का अंत | ईसा मसीह के जन्म से पहले का अंतिम वर्ष। समयरेखा AD में बदल जाती है।राजस्थान पर सिथियन (कुषाण, पहलव) आक्रमण शुरू |
1 ईस्वी | 58 वि.स. | ईसा मसीह का जन्म | एनो डोमिनी (AD) युग की शुरुआत।राजस्थान से विदेशी जातियों कुषाण, पहलव का पतन (130ई – 150ई) |
320 ईस्वी | गुप्त काल प्रारंभ | श्रीगुप्त द्वारा गुप्त साम्राज्य की स्थापना | |
648 ईस्वी – | वर्धन राजवंश के शासक हर्षवर्धन की मृत्यु | हर्ष का राज्य उसकी मृत्यु के बाद तेजी से छोटे-छोटे राज्यों में विघटित हो गया।राजस्थान में अनेक राजपूत वंशों (प्रतिहार, चौहान, गुहिल, परमार) की सत्ताएँ स्थापित हुई | |
800 ई – 1200 ई | राजस्थान में राजपूत युग | गुर्जर प्रतिहार, गुहिल , चौहान | |
1947 ईस्वी(2004 वि.स.) | भारत की आज़ादी | ||
2025 ईस्वी (वर्तमान) | 2082 वि.स. | आधुनिक युग | विक्रम संवत में वर्तमान वर्ष 2082 (2025+57) और ईस्वी में 2025 है। |
अब जब हमने समय-रेखा की इस आधारभूत जानकारी को समझ लिया है, तो हम राजस्थान के ऐतिहासिक स्रोतों की विस्तृत जानकारी की ओर चल सकते हैं।
राजस्थान के विभिन्न अभिलेख एवं प्रशस्तियाँ :
क्रमांक 144167_6f96cb-6d> |
वर्ष 144167_f89487-04> |
स्थान 144167_28e956-2b> |
भाषा/लिपि 144167_3df81e-29> |
मुख्य तथ्य 144167_357108-a3> |
1. 144167_526235-fa> |
443 ईसा पूर्व |
बडली, अजमेर 144167_ee7b38-d4> |
लिपि – ब्राह्मी 144167_c2779b-ec> |
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2. 144167_2c3654-0d> |
250 ईसा पूर्व 144167_83fd53-cb> |
बैराठ, जयपुर 144167_f2f6b5-df> |
भाषा – प्राकृतलिपि – संस्कृत 144167_70cb30-79> |
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3. 144167_d92ba1-87> |
2nd शताब्दी ईसा पूर्व 144167_935b8f-f2> |
घोसुण्डी, चित्तौड़ 144167_319302-7b> |
भाषा – संस्कृतलिपि – ब्राह्मी 144167_de7da1-82> |
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4. 144167_f8321f-55> |
225 ईस्वी 144167_610aef-78> |
नंदसा यूप स्तंभ, भीलवाड़ा 144167_06f69a-ca> |
भाषा – संस्कृत 144167_42c812-b5> |
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5. 144167_a7a5b6-9a> |
227 ईस्वी 144167_b737d4-90> |
बर्नाला यूप स्तंभ, जयपुर 144167_77210b-4d> |
भाषा – संस्कृत 144167_91a461-51> |
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6. 144167_098f0b-dc> |
238-239 ईस्वी 144167_b5b123-e3> |
बड़वा स्तंभ, बारां 144167_b06997-a0> |
भाषा – संस्कृत 144167_a855ce-d3> |
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7. 144167_603b62-1f> |
423 ईस्वी 144167_0c8e4c-6d> |
गंगधर, झालावाड़ 144167_ea4033-ac> |
भाषा – संस्कृत 144167_7e2365-4d> |
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8. 144167_bfba33-d7> |
424 ईस्वी 144167_cb3b54-5e> |
नगरी 144167_2765cb-20> |
भाषा – संस्कृत 144167_caf421-1a> |
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9. 144167_a4a6dd-af> |
490 ईस्वी 144167_23b5ad-78> |
भ्रमर माता, प्रतापगढ़ 144167_249a95-6c> |
भाषा – संस्कृतलेखक – ब्रह्मसोम 144167_62f37a-d4> |
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10. 144167_814d27-e2> |
625 ईस्वी 144167_9e7705-fe> |
बसंतगढ़, सिरोही 144167_9364c3-0f> |
भाषा – संस्कृत 144167_c7715e-80> |
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11. 144167_2b38b9-ce> |
646 ईस्वी |
सामोली, मेवाड़ 144167_4a0a34-f5> |
भाषा – संस्कृतलिपि – कुटिल 144167_6fda03-4e> |
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12. 144167_79b44c-5f> |
661 ईस्वी 144167_29213b-85> |
नदी गाँव, मेवाड़ 144167_c1b021-4b> |
भाषा – संस्कृतलिपि – कुटिल 144167_cb4d7f-ae> |
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13. 144167_5e5f96-b0> |
685 ईस्वी 144167_59760f-13> |
मंडोर, जोधपुर 144167_f555a4-a9> |
भाषा – संस्कृत 144167_cded9d-45> |
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14. 144167_ccd680-f9> |
713 ईस्वी |
मानमोरी, चित्तौड़ 144167_841c57-02> |
भाषा – संस्कृत 144167_5aa2de-9b> |
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15. 144167_6a41d2-29> |
738 ईस्वी 144167_071900-3d> |
कणसवा, कोटा 144167_5191f1-7d> |
भाषा – संस्कृत 144167_01dfa5-b0> |
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16. 144167_ed4ff1-8a> |
837 ईस्वी 144167_535b82-2b> |
मण्डोर अभिलेख, जोधपुर 144167_9ba73a-67> |
भाषा – संस्कृत 144167_4e0457-85> |
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17. 144167_5c7a13-1a> |
861 ईस्वी 144167_8cbab5-1e> |
घटियाला, जोधपुर 144167_8b9201-f0> |
दो लेख उपलब्ध – 1 लेख महाराष्ट्री भाषा का श्लोकबद्ध और दूसरा उसी का आशय रूप संस्कृत में 144167_4ba0c1-10> |
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18. 144167_453925-e9> |
865 ईस्वी 144167_a4f99d-77> |
ओसियाँ, जोधपुर 144167_2bb95f-3d> |
भाषा – संस्कृत 144167_7c550d-6b> |
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19. 144167_799acc-e1> |
880 ईस्वी 144167_3bdc5e-0e> |
ग्वालियर प्रशस्ति 144167_dae58d-d0> |
भाषा – संस्कृतलिपि – ब्राह्मी 144167_520d0b-46> |
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20. 144167_7688c9-eb> |
971 ईस्वी 144167_e06ecb-b8> |
नाथ प्रशस्ति 144167_13b4aa-d6> |
भाषा – संस्कृतलिपि – देवनागरी 144167_311d88-40> |
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21. 144167_9cf26b-32> |
973 ईस्वी 144167_6f1836-b2> |
हर्षनाथ प्रशस्ति 144167_ba8077-5b> |
भाषा – संस्कृत 144167_a2876b-b6> |
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22. 144167_746534-c9> |
977 ईस्वी 144167_0290a4-ff> |
आहड़ 144167_61591c-c7> |
भाषा – संस्कृत 144167_6e6ffc-2f> |
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23. 144167_841b59-23> |
1170 ईस्वी 144167_1a60df-3a> |
बिजोलिया शिलालेख 144167_42f21c-af> |
भाषा – 144167_49b557-a4> |
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24. 144167_1e34c6-7c> |
1285 ईस्वी 144167_2ab3b3-2f> |
अचलेश्वर शिलालेख 144167_89068e-4f> |
भाषा – संस्कृत 144167_4beab1-db> |
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25. 144167_a90b59-44> |
1325 ईस्वी 144167_de8da0-f3> |
धाईबीपीर की दरगाह 144167_8aa87e-44> | 144167_e68857-63> |
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26. 144167_8adcc7-e5> |
1439 ईस्वी 144167_21e411-64> |
रणकपुर प्रशस्ति 144167_fa3090-bb> |
भाषा – संस्कृतलिपि – नागरी 144167_f44ab8-28> |
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27. 144167_33ab80-13> |
1460 ईस्वी 144167_f3c67e-0d> |
कीर्ति स्तंभ प्रशस्ति 144167_b22e9e-43> |
भाषा – संस्कृत 144167_bb454b-8f> |
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28. 144167_c5bd99-cd> |
1460 ईस्वी 144167_e0c4ba-ed> |
कुम्भलगढ़ प्रशस्ति 144167_520106-a9> |
भाषा – संस्कृतलिपि – नागरी 144167_111fec-19> |
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29. 144167_03ba0c-91> |
1535 ईस्वी 144167_7697a3-8f> |
पूर के ताम्र पत्र 144167_45f8f2-32> | 144167_5f3f40-b1> |
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30. 144167_1ec22b-6d> |
1675 ईस्वी 144167_520ad5-65> |
त्रिमुखी बावड़ी प्रशस्ति 144167_3b0460-91> | 144167_7a7f7d-2a> |
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31. 144167_8cb538-4d> |
676 ईस्वी 144167_d56950-f5> |
राजसिंह प्रशस्ति 144167_66b1b0-69> |
भाषा – संस्कृत 144167_b9fed7-e6> |
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