हिंदू राज्यों को पहली चुनौती 7 वीं शताब्दी में अरबों के आक्रमणों से मिली। प्रतिहारों, गुहिलों और चौहानों ने दो शताब्दियों से अधिक समय तक इन शुरुआती हमलों को विफल किया। प्रतिहारों के पतन के बाद, चौहानों और तोमरों ने प्रतिरोध का जिम्मा संभाला। अंततः, पृथ्वीराज चौहान 1192 में तराइन के युद्ध में पराजित हुए, जिसने भारत में इस्लामी प्रभुत्व के युग की शुरुआत की। लगभग 1200 ई. में, राजस्थान का एक हिस्सा मुस्लिम शासकों के अधीन आ गया। उनकी शक्तियों के प्रमुख केंद्र नागौर और अजमेर थे। रणथंभौर भी उनके आधिपत्य में था। 13वीं शताब्दी ई. की शुरुआत में, राजस्थान का सबसे प्रमुख और शक्तिशाली राज्य मेवाड़ था। राजस्थान का मध्यकालीन इतिहास वीरता, राजसीपन और सम्मान का पर्याय है। लड़ी गई लड़ाइयों और धन के रोमांस की ऐतिहासिक कहानियाँ राज्य की दीवारों को सुशोभित करती हैं। यह पृष्ठ राजस्थान के मध्यकालीन इतिहास से संबंधित पोस्ट सूचीबद्ध करता है।
राजस्थान का मध्यकालीन इतिहास (1200 ई. – 1707 ई.)

मध्यकालीन काल में राजस्थान के शासक
मेवाड़ के शासक
मारवाड़ के शासक
आमेर के शासक
हाड़ौती के शासक
सिरोही
मध्यकालीन काल में राजस्थान की राजनीति और प्रशासन
- प्रमुख राजवंशों की प्रशासनिक व्यवस्था
- भूमि स्वामित्व एवं राजस्व प्रणाली।
- मुगल मनसबदारी प्रणाली और राजस्थान