RFID(Radio Frequency Identification)

RFID (Radio Frequency Identification) प्रौद्योगिकी का एक आधुनिक उदाहरण है, जो रेडियो तरंगों की मदद से वस्तुओं की पहचान और जानकारी को संग्रहित करने का कार्य करती है। प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में यह प्रणाली आपूर्ति श्रृंखला, ट्रैकिंग, और सुरक्षा में क्रांतिकारी बदलाव ला रही है।

  • यह एक वायरलेस तकनीक है जो रेडियो तरंगों का उपयोग करके वस्तुओं, जानवरों या लोगों की पहचान और ट्रैकिंग करती है।
  • RFID सिस्टम में एक छोटा इलेक्ट्रॉनिक चिप होता है, जिसे RFID टैग (RFID Tag) कहा जाता है। यह टैग बिना सीधे संपर्क या स्पष्ट दृष्टि (Clear Line of Sight) के, RFID रीडर (RFID Reader) द्वारा पढ़ा जा सकता है।
  • RFID ऑटोमैटिक आइडेंटिफिकेशन एंड डेटा कैप्चर (AIDC) तकनीकों का एक हिस्सा है, जिसमें बारकोड और QR कोड भी शामिल हैं।
  • बारकोड के विपरीत, RFID कई वस्तुओं को एक साथ स्कैन करने की अनुमति देता है।

महत्त्व

  • RFID डेटा एकत्र करने और संसाधित करने का एक तेज़, सटीक और संपर्क रहित तरीका प्रदान करता है।
  • यह रसद, आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन, परिवहन, स्वास्थ्य सेवा और रक्षा में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
  • दक्षता (Efficiency): RFIDरसद और इन्वेंट्री दक्षता में 30% सुधार कर सकता है।
  • बाजार आकार: वैश्विक RFID बाजार का मूल्य 2021 में $11.8 बिलियन था और 2022-2031 के दौरान 10.2% CAGR की दर से बढ़ते हुए 2031 तक $31.5 बिलियन तक पहुंचने का अनुमान है।

वास्तविक जीवन के उदाहरण:

  • टोल संग्रह प्रणाली: जैसे भारत में FASTag।
  • एयरपोर्ट पर सामान की ट्रैकिंग।
  • रिटेल स्टोर्स में चोरी-रोधी प्रणाली (Anti-Theft Systems)।

इतिहास

  • द्वितीय विश्व युद्ध (World War II) के दौरान “फ्रेंड-ऑर-फो” (Friend-or-Foe) विमान पहचान प्रणाली में RFID अवधारणा का उपयोग किया गया था।
  • 1970 के दशक में आधुनिक RFID का उपयोग शुरू हुआ।
  • 1990 के दशक में सस्ते और विश्वसनीय RFID टैग के आविष्कार के साथ तकनीक लोकप्रिय हुई।

बारकोड और RFID की तुलना

पहलूबारकोडRFID (रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन)
प्रौद्योगिकीऑप्टिकल स्कैनिंगरेडियो तरंगों (Radio Waves) का उपयोग
डेटा स्टोरेजसीमित डेटा क्षमता (8-20 अक्षर)अधिक डेटा स्टोर कर सकता है (96 बिट से कई किलोबाइट तक)
लाइन-ऑफ-साइटसीधे स्कैनिंग की आवश्यकता (Line-of-Sight जरूरी)लाइन-ऑफ-साइट की जरूरत नहीं
रीड रेंज1-3 फीट (0.3-1 मीटर)पैसिव: 3-10 फीट, एक्टिव: 100-300 फीट
गतिधीमा (हर बार एक-एक आइटम स्कैन करना पड़ता है)तेज़ (एक साथ कई टैग पढ़े जा सकते हैं)
टिकाऊपनस्क्रैच, गंदगी से प्रभावित हो सकता हैअधिक टिकाऊ (कठोर परिस्थितियों में भी प्रभावी)
लागतकम लागत (लेबल और स्कैनर सस्ते)अधिक लागत (टैग, रीडर और सेटअप महँगे)
डेटा संशोधनस्थिर डेटा (बदल नहीं सकते)कुछ टैग में डेटा दोबारा लिखा जा सकता है
सुरक्षानकली बनाने में आसानएन्क्रिप्शन के साथ उच्च सुरक्षा
अनुप्रयोगरिटेल, लाइब्रेरी, इन्वेंट्री प्रबंधनलॉजिस्टिक्स, सप्लाई चेन, हेल्थकेयर, एसेट मैनेजमेंट
टैग प्रकारकागज़ पर प्रिंटेड लेबलपैसिव (बैटरी नहीं), एक्टिव (बैटरी संचालित)

स्वचालित पहचान और डेटा संग्रह (AIDC) तकनीकें

  • बारकोड (Barcodes) : स्कैन करके जानकारी त्वरित रूप से प्राप्त की जाती है।
  • RFID (रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन) : टैग और रीडर का उपयोग कर वायरलेस रूप से डेटा का आदान-प्रदान करता है।
  • QR कोड (QR Codes) : बारकोड से अधिक डेटा स्टोर करता है, स्मार्टफोन से स्कैन किया जा सकता है।
  • बायोमेट्रिक्स (Biometrics) : फिंगरप्रिंट, चेहरे की पहचान, या रेटिना स्कैन के माध्यम से व्यक्तियों की पहचान करता है।
  • चुंबकीय पट्टियाँ (Magnetic Strips) : क्रेडिट/आईडी कार्ड में उपयोग, डेटा संग्रहीत करता है।
  • स्मार्ट कार्ड (Smart Cards) : एम्बेडेड चिप्स होती हैं जो डेटा को सुरक्षित रूप से स्टोर और प्रोसेस करती हैं।
RFID

RFID सिस्टम के घटक

1. RFID टैग (ट्रांसपोंडर):

RFID टैग एक छोटा उपकरण होता है जिसे ट्रैक की जाने वाली वस्तु से जोड़ा जाता है। यह वस्तु की जानकारी संग्रहीत करता है और RFID रीडर के साथ संचार करता है।

RFID टैग की संरचना:

  • माइक्रोचिप (Microchip):
    • डेटा संग्रहीत करता है, जिससे वस्तु की विशिष्ट पहचान हो सके।
    • उदाहरण: उत्पाद सीरियल नंबर, पासपोर्ट विवरण।
  • एंटीना (Antenna):
    • रेडियो सिग्नल प्राप्त और प्रेषित करके संचार सक्षम करता है।
  • एन्कैप्सुलेशन (Encapsulation):
    • चिप और एंटीना को सुरक्षा प्रदान करता है (प्लास्टिक, कांच, या सिरेमिक से बना)।

RFID टैग के प्रकार:

  • पैसिव टैग (Passive Tags):
    • आंतरिक पावर स्रोत नहीं होता; रीडर के विद्युतचुंबकीय सिग्नल से सक्रिय होते हैं।
    • लागत कम होती है, लेकिन रेंज छोटी होती है (~10 मीटर)।
      • अनुप्रयोग: रिटेल, पुस्तकालय की पुस्तक ट्रैकिंग, लॉजिस्टिक्स।
  • एक्टिव टैग (Active Tags):
    • निरंतर सिग्नल प्रेषण के लिए आंतरिक बैटरी होती है।
    • लंबी रेंज (100 मीटर तक) और उच्च लागत।
    • अनुप्रयोग: टोल कलेक्शन (जैसे, FASTag), वाहन ट्रैकिंग।
  • सेमी-पैसिव टैग (Semi-Passive Tags):
    • बैटरी से सहायता प्राप्त, लेकिन तभी सक्रिय होता है जब रीडर के संपर्क में आता है
    • अनुप्रयोग: वेयरहाउस में एसेट ट्रैकिंग।

2. RFID रीडर (इंटरोगेटर)(Interrogator):

RFID रीडर एक उपकरण है, जो रेडियो सिग्नल उत्सर्जित करता है और RFID टैग्स से डेटा प्राप्त करता है।

  • यह एक विद्युतचुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है, जो पैसिव टैग्स को ऊर्जा प्रदान करता है (या सक्रिय टैग्स को संचार करने में मदद करता है)।
  • सिग्नल प्राप्त करने के बाद, रीडर डेटा को डिकोड करता है और प्रोसेसिंग के लिए कंप्यूटर सिस्टम को भेजता है।

RFID रीडर्स के प्रकार:

  1. स्थिर रीडर (Fixed Readers): प्रवेश द्वार, गेट्स और गोदामों जैसी रणनीतिक जगहों पर स्थापित किए जाते हैं।
  2. मोबाइल रीडर (Mobile Readers): हाथ में पकड़े जाने वाले उपकरण, जो टैग्स को अधिक लचीले ढंग से पढ़ने के लिए उपयोग किए जाते हैं।

3. मिडलवेयर या सॉफ़्टवेयर(Middleware or Software):

मिडलवेयर RFID हार्डवेयर और एंटरप्राइज़ सिस्टम (जैसे डेटाबेस या एप्लिकेशन सॉफ़्टवेयर) के बीच मध्यस्थ के रूप में कार्य करता है : 

  • RFID रीडर से प्राप्त डेटा को प्रोसेस करता है।
  • इन्वेंटरी, एसेट मैनेजमेंट और अन्य कार्यों के लिए वास्तविक समय अपडेट प्रदान करता है।

4. संचार माध्यम (Communication Medium)

यह तकनीक रेडियो तरंगों के विभिन्न आवृत्ति रेंज का उपयोग करती है:

  • लो फ्रीक्वेंसी (Low Frequency – LF) RFID :
    • आवृत्ति रेंज: 30 kHz से 300 kHz (सामान्यतः 125 kHz से 134 kHz)।
    • दूरी: ~10 से 30 सेंटीमीटर।
    • प्रयोग: पशु ट्रैकिंग, एक्सेस कंट्रोल, और संपत्ति प्रबंधन।
    • सीमाएँ: छोटी रेंज, धीमी डेटा स्पीड।
  • हाई फ्रीक्वेंसी (High Frequency – HF) RFID:
    • आवृत्ति रेंज: 3 MHz से 30 MHz (सामान्यतः 13.56 MHz)।
    • दूरी: ~10 सेंटीमीटर से 1 मीटर।
    • प्रयोग: स्मार्ट कार्ड, सार्वजनिक परिवहन प्रणाली, पुस्तकालय, और कॉन्टैक्टलेस पेमेंट।
    • सीमाएँ: मध्यम रीडिंग रेंज।
  • अल्ट्रा हाई फ्रीक्वेंसी (Ultra High Frequency – UHF) RFID:
    • आवृत्ति रेंज: 300 MHz से 3 GHz (क्षेत्र के अनुसार 860–960 MHz)।
    • दूरी: ~1 मीटर से 10 मीटर (कुछ मामलों में 100 मीटर तक)।
    • प्रयोग: बड़े पैमाने पर सप्लाई चेन प्रबंधन, वेयरहाउस ऑटोमेशन, और टोल संग्रह प्रणाली।
    • सीमाएँ: धातु और तरल पदार्थ से हस्तक्षेप हो सकता है।
  • माइक्रोवेव फ्रीक्वेंसी RFID (Microwave Frequency RFID):
    • आवृत्ति रेंज: 3 GHz से अधिक (आमतौर पर 2.45 GHz और 5.8 GHz)।
    • रीड रेंज: 10 मीटर से अधिक (कुछ मामलों में 100 मीटर तक)।
    • लाभ: बहुत लंबी दूरी, तेज डेटा ट्रांसमिशन, और बड़े पैमाने या उच्च गति वाले वातावरण के लिए उपयुक्त।
    • प्रयोग :
      • टोल संग्रह।
      • वाहन पहचान: विभिन्न क्षेत्रों में स्वचालित वाहन पहचान।
      • उच्च गति संपत्ति ट्रैकिंग: उन क्षेत्रों में उपयोगी जहां तेजी से पहचान आवश्यक है।

Note 👉 FASTag Ultra High Frequency (UHF) RFID तकनीक का उपयोग करता है, जो 865–867 MHz फ्रीक्वेंसी बैंड में संचालित होती है।

RFID प्रकार और उनके उपयोग

प्रकारआवृत्ति रेंजरीड रेंजसामान्य उपयोग के मामले
लो फ्रीक्वेंसी (Low Frequency)125–134 kHz10 cm से 30 cmपशु ट्रैकिंग, एक्सेस कंट्रोल, पुस्तकालय में संपत्ति ट्रैकिंग
हाई फ्रीक्वेंसी (High Frequency)13.56 MHz10 cm से 1 मीटरसार्वजनिक परिवहन, कॉन्टैक्टलेस पेमेंट, स्वास्थ्य देखभाल ट्रैकिंग
अल्ट्रा हाई फ्रीक्वेंसी (Ultra High Frequency)860–960 MHz1 मीटर से 10 मीटरसप्लाई चेन, लॉजिस्टिक्स, इन्वेंट्री प्रबंधन, संपत्ति ट्रैकिंग
माइक्रोवेव (Microwave)2.45 GHz10 मीटर से 100 मीटरटोल संग्रह, वाहन ट्रैकिंग, स्मार्ट पार्किंग सिस्टम
RFID कैसे काम करता है? (Working Process )
  1. RFID रीडर (Reader) रेडियो तरंगों (Radio Frequency Signal) का उत्सर्जन करता है।
  2. टैग का एंटीना इस सिग्नल को ग्रहण करता है और माइक्रोचिप को शक्ति प्रदान करता है (केवल पैसिव टैग में)।
  3. टैग डेटा (जैसे एक अद्वितीय पहचान संख्या) को रीडर को वापस प्रसारित करता है।
  4. रीडर इस डेटा को प्रोसेस करके केंद्रीय प्रणाली (Central System) को भेजता है, जहाँ इसका विश्लेषण या संग्रहण किया जाता है।
RFID संचार के प्रकार
  • Read-Only RFID टैग → डेटा को प्रोग्रामिंग के बाद बदल नहीं सकते। स्थिर जानकारी (स्टैटिक डेटा) जैसे उत्पाद सीरियल नंबर के लिए उपयुक्त।
  • Read/Write RFID टैग → नया डेटा स्टोर करने के लिए पुनः प्रोग्राम किया जा सकता है। उदाहरण : लॉयल्टी कार्ड, एक्सेस कंट्रोल, इन्वेंटरी ट्रैकिंग
  • Write-Once, Read-Many (WORM) टैग → डेटा एक बार लिखा जा सकता है लेकिन कई बार पढ़ा जा सकता है। डेटा अखंडता सुनिश्चित करता है। डेटा सुरक्षा के लिए उपयोग, सरकारी पहचान पत्र।
हस्तक्षेप और सिग्नल समस्याएँ (Interference and Signal Issues)

हालाँकि RFID एक बहुउद्देशीय पहचान तकनीक है, लेकिन इसका प्रदर्शन पर्यावरणीय कारकों से प्रभावित हो सकता है:

  • धातु की वस्तुएं: रेडियो तरंगों को अवरुद्ध या विकृत कर सकती हैं।
  • तरल पदार्थ: रेडियो सिग्नल को अवशोषित कर सकते हैं, जिससे रेंज कमजोर हो जाती है।
  • ओवरलैपिंग सिग्नल : एक ही आवृत्ति पर काम करने वाले कई रीडर या टैग सिग्नल हस्तक्षेप (Signal Interference) उत्पन्न कर सकते हैं।

RFID के अनुप्रयोग

यह तकनीक उद्योगों में स्वचालित ट्रैकिंग और डेटा प्रबंधन को सक्षम करके बदलाव ला रही है।

a) सप्लाई चेन और इन्वेंट्री प्रबंधन
  • कैसे काम करता है: वस्तुओं पर टैग → प्रमुख स्थानों (वेयरहाउस और स्टोर्स में स्कैनिंग) पर स्कैन किया जाता है।
  • लाभ: वास्तविक समय में ट्रैकिंग → स्वचालन → “जस्ट-इन-टाइम” स्टॉक प्रबंधन।
  • उदाहरण: वॉलमार्ट RFID का उपयोग कुशल इन्वेंट्री प्रबंधन के लिए करता है।
b) रिटेल और ग्राहक अनुभव
  • कैसे काम करता है: उत्पादों पर टैग → कस्टमर के लिए प्रचार/ऑफर ट्रिगर करता है।
  • लाभ: तेज़ चेकआउट → व्यक्तिगत शॉपिंग → सही इन्वेंट्री।
  • उदाहरण: ज़ारा RFID का उपयोग स्टॉक ट्रैक करने और चोरी को कम करने के लिए करता है।
c) स्वास्थ्य और चिकित्सा प्रणालियाँ
  • रोगी/संपत्ति ट्रैकिंग: मरीजों/उपकरणों पर RFID टैग → मरीज की स्थिति और उपचार को ट्रैक करता है।
    उदाहरण: अस्पताल RFID कलाई बैंड का उपयोग सही उपचार सुनिश्चित करने के लिए करते हैं।
  • फार्मास्युटिकल ट्रैकिंग: नकली दवाओं को रोकने में सहायक
  • रक्त बैंकों में RFID का उपयोग रक्त दान और इसके स्टॉक को ट्रैक करने के लिए किया जाता है।
d) लॉजिस्टिक्स और शिपिंग
  • RFID टैग्स का उपयोग कंटेनरों/पैकेजों पर → ट्रांज़िट के दौरान कंटेनरों और पैकेजों की रीयल-टाइम ट्रैकिंग।।
  • उदाहरण: कोल इंडिया लिमिटेड RFID तकनीक का उपयोग कोयला उत्पादन और परिवहन को ट्रैक करने के लिए करता है।
  • Delhi-Mumbai Industrial Corridor में RFID तकनीक का उपयोग लॉजिस्टिक्स और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन को अनुकूलित करने के लिए किया जाता है। CONCOR जैसी कंपनियाँ RFID का उपयोग कंटेनरों और माल को ट्रैक करने के लिए करती हैं, जिससे देरी कम होती है और इन्वेंट्री की सटीकता में सुधार होता है।
e) टोल संग्रह और एक्सेस कंट्रोल
  • RFID टैग्स का उपयोग वाहनों/कार्डों पर → स्वचालित भुगतान/एक्सेस।
  • लाभ: संपर्क रहित भुगतान → सुरक्षा → तेज़ प्रसंस्करण
  • उदाहरण: भारत का FASTag टोल भुगतान को स्वचालित करता है।
f) कृषि और मवेशी प्रबंधन
  • मवेशी ट्रैकिंग: RFID मवेशियों का ट्रैक करता है जैसे उम्र और टीकाकरण रिकॉर्ड ट्रैक किया जाता है।
    उदाहरण: गायों के लिए रेडियो ईयर टैग (Radio Ear Tags) का उपयोग किया जाता है।
  • सप्लाई चेन पारदर्शिता: खाद्य शिपमेंट्स का वास्तविक समय ट्रैकिंग .
g) दस्तावेज और संपत्ति ट्रैकिंग
  • RFID टैग्स का उपयोग दस्तावेजों/संपत्तियों पर → स्थान और मूवमेंट को ट्रैक करता है।
  • उदाहरण: पुस्तकालय और संगठन संपत्ति प्रबंधन के लिए RFID का उपयोग करते हैं।
  • इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (दिल्ली) मैं RFID टैग्स सामान को वास्तविक समय में ट्रैक करता है, जिससे सामान की हैंडलिंग तेज और सही तरीके से होती है
h) सरकार और सुरक्षा
  • ई-पासपोर्ट: तेज़ प्रसंस्करण और बेहतर सुरक्षा के लिए RFID चिप्स का समावेश।
  • ऐक्सेस कंट्रोल सिस्टम्स: RFID कार्ड या बैज के माध्यम से प्रतिबंधित क्षेत्रों में प्रवेश को सुरक्षित करता है।
    उदाहरण: RFID-आधारित ऑफिस एक्सेस
  • कानूनी प्रवर्तन संपत्तियों का ट्रैकिंग: उदाहरण- पुलिस वाहनों और उपकरणों का ट्रैकिंग।
i) स्मार्ट सिटी और शहरी इंफ्रास्ट्रक्चर
  • स्मार्ट सिटी मिशन: RFID- सक्षम कचरा प्रबंधन प्रणाली और ट्रैफिक मॉनिटरिंग
  • सार्वजनिक परिवहन: स्मार्ट कार्ड जैसे क्रेडिट/डेबिट कार्ड में RFID तकनीक का उपयोग

Benefits and Challenges

RFID के फायदे

RFID की चुनौतियाँ

  • संपर्क रहित संचालन: RFID को सीधे संपर्क (Direct Contact) या लाइन-ऑफ-साइट की आवश्यकता नहीं होती।
  • रीयल-टाइम ट्रैकिंग: इन्वेंट्री प्रबंधन में सटीक डेटा प्रदान करता है, जिससे चोरी/हानि को कम किया जा सकता है।
  • स्वचालन: मानव त्रुटियों को कम करता है और प्रक्रियाओं की दक्षता बढ़ाता है।
  • लंबी रेंज: RFID कुछ सेंटीमीटर से लेकर कई मीटर तक की रेंज में काम करता है।
  • टिकाऊपन: RFID टैग कठोर परिस्थितियों में भी कार्य कर सकते हैं, बारकोड की तुलना में अधिक टिकाऊ।
  • बल्क डेटा कैप्चर: एक साथ कई टैग पढ़ सकता है, जिससे प्रक्रियाओं में तेजी आती है।
  • सुरक्षा जोखिम: RFID टैग हैकिंग या अनधिकृत क्लोनिंग के लिए संवेदनशील हो सकते हैं।
  • हस्तक्षेप: धातु (Metals) और तरल पदार्थ (Liquids) सिग्नल को अवरुद्ध या कमजोर कर सकते हैं।
  • पैसिव टैग्स के लिए सीमित रेंज: पैसिव टैग्स की रीडिंग रेंज छोटी होती है।
  • उच्च प्रारंभिक लागत: टैग्स, रीडर्स, और सॉफ़्टवेयर के लिए उच्च प्रारंभिक निवेश।
  • मानकीकरण की समस्याएँ: विभिन्न उद्योगों में RFID मानकों की असंगति के कारण संगतता (Compatibility) की समस्या हो सकती है।
  • अनधिकृत टैगिंग: स्वामी की जानकारी के बिना वस्तुओं को टैग किया जा सकता है, जिससे गोपनीयता (Privacy) संबंधी चिंताएँ बढ़ जाती हैं।

FASTag

FASTag भारत में एक इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह प्रणाली है, जो कैशलेस टोल भुगतान को सरल बनाने के लिए RFID (रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन) तकनीक का उपयोग करती है। इसे राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा प्रबंधित किया जाता है।

  • प्रौद्योगिकी :
    • RFID तकनीक का उपयोग स्वचालित टोल भुगतान के लिए किया जाता है।
    • इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद कोड (EPC): प्रत्येक वाहन के लिए एक अद्वितीय 13-अंकीय आईडी।
  • घटक :
    • पैसिव RFID टैग: वाहन की विंडस्क्रीन पर चिपकाया गया एक पैसिव टैग, जिसमें एक चिप और एंटीना होता है।
    • स्कैनर: टोल प्लाजा के पास वाहन के आते ही टैग को पढ़ता है, जिससे त्वरित पहचान और शुल्क गणना होती है।
  • आयाम: लंबाई: 100 मिमी, चौड़ाई: 50 मिमी, मोटाई: 0.8 मिमी।
  • डेटा सुरक्षा: NPCI द्वारा प्रबंधित।
  • इंटरऑपरेबिलिटी: FASTag राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह (NETC) पहल का हिस्सा है, जिसका मतलब है कि इसे भारत के सभी टोल प्लाजा में किसी भी बैंक से जुड़े वाहन पर इस्तेमाल किया जा सकता है।
RFID
कार्य प्रणाली:
  • FASTag को RFID रीडर द्वारा स्कैन किया जाता है जैसे ही वाहन टोल बूथ के पास आता है।
  • चिप वाहन की श्रेणी, वजन, और FASTag ID जैसी जानकारी ट्रांसमिट करता है, जिससे टोल शुल्क निर्धारित होता है।
  • टोल राशि स्वचालित रूप से लिंक किए गए खाते से कट जाती है, और वाहन को रुकने की जरूरत नहीं होती।

क्रियान्वयन : 

  • MoRTH की पहल के तहत राजमार्गों पर कैशलेस टोल संग्रह के लिए शुरू किया गया।
  • 2014 में एक पायलट परियोजना के रूप में शुरू हुआ, अब यह व्यापक रूप से लागू हो चुका है, और वर्तमान में 750 से अधिक टोल प्लाजा में FASTag भुगतान स्वीकार किए जा रहे हैं।
  • अनिवार्य उपयोग: FASTag को भारत में 15 फरवरी, 2021 से सभी वाहनों के लिए अनिवार्य कर दिया गया, और FASTag
  • का उपयोग न करने वाले वाहनों को डबल टोल शुल्क देना होता है

लाभ :

  • भुगतान में आसानी: कैशलेस, समय की बचत।
  • गति: वाहन की निरंतर गति, जिससे ईंधन खर्च में कमी।
  • पर्यावरणीय लाभ: वायू प्रदूषण और कागज के उपयोग में कमी।
  • सामाजिक लाभ: कम टोल समस्याएँ, बेहतर हाईवे विश्लेषण।
  • आर्थिक लाभ: टोल प्लाजा पर प्रबंधन प्रयासों में कमी।
error: Content is protected !!
Scroll to Top