भारत में आईटी उद्योग डिजिटल इंडिया पहल ने प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाए हैं। देश का आईटी क्षेत्र न केवल रोज़गार सृजन में अहम भूमिका निभा रहा है, बल्कि भारत को एक वैश्विक तकनीकी हब के रूप में स्थापित कर रहा है। डिजिटल इंडिया अभियान के तहत सरकार ने इंटरनेट, ई-सेवाओं और डिजिटल साक्षरता को गाँव-गाँव तक पहुँचाने का लक्ष्य रखा है।
विगत वर्षों में पूछे गए प्रश्न
वर्ष | प्रश्न | अंक |
2016 Special | राजस्थान सरकार के पशुपालन विभाग द्वारा चलाये जा रहे नस्ल सुधार कार्यक्रम की विवेचना कीजिए । | 10M |
2023 | (a) “बर्डमैन ऑफ इण्डिया” के नाम से जानेजाने वाले वैज्ञानिक का नाम लिखिए तथा संक्षेप-में उनके योगदानों को उल्लेखित कीजिए | (b) “मिल्कमैन ऑफ इण्डिया” किसे कहा जाता है ? उनके योगदानों का संक्षेप में उल्लेख कीजिए । | 5M |
2021 | निम्नलिखित भारतीय वैज्ञानिकों के योगदान का उल्लेख करें — (i) होमी जहाँगीर भाभा (ii) सत्येंद्र नाथ बोस (iii) सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया (iv)मेघनाद शाह (v) हर गोबिंद खुराना | 10M |
2023 | राष्ट्रीय सुपर कंप्यूटिंग मिशन (NSM) क्या है ? इस मिशन की कोई तीन प्रमुख उपलब्धियों लिखिए. | 5M |
2016 | भारत के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी कार्यक्रम में डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के योगदान पर एक टिप्पणी लिखिए। | 10M |
2013 | सी.वी. रमन तथा हरगोविन्द खुराना को किस क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार दिया गया ? | 2M |
भारत में सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग
परिभाषा : सूचना प्रौद्योगिकी (IT) उद्योग उन सभी व्यवसायों और सेवाओं को शामिल करता है जो प्रौद्योगिकी से संबंधित हैं। इसके अंतर्गत सॉफ्टवेयर विकास, आईटी सेवाएँ, नेटवर्किंग और इंटरनेट शामिल हैं।
आईटी उद्योग का आर्थिक योगदान
सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में योगदान
- वित्त वर्ष 2023 (FY23): आईटी-बीपीएम (IT-BPM) क्षेत्र ने भारत के जीडीपी में लगभग 7.5% का योगदान दिया।
- भविष्य की संभावनाएँ: 2025 तक यह योगदान 10% तक पहुँचने की उम्मीद है।
राजस्व (Revenue)
- कुल राजस्व (FY23): अनुमानित $245 बिलियन, जिसमें:
- निर्यात: $194 बिलियन
- घरेलू राजस्व: $51 बिलियन
रोजगार (Employment)
- कुल रोजगार: मार्च 2023 तक आईटी क्षेत्र में लगभग 5.4 मिलियन लोग कार्यरत है, जिससे यह भारत के निजी क्षेत्र के सबसे बड़े नियोक्ताओं में से एक बन गया है।
वृद्धि और विकास (Growth and Development)
- 1998 बनाम 2023 की वृद्धि: 1998 में जीडीपी में योगदान 1.2% था, जो FY23 में बढ़कर 7.5% हो गया, जिससे इस उद्योग की तीव्र वृद्धि स्पष्ट होती है।
- वृद्धि को प्रभावित करने वाले कारक:
- मजबूत शैक्षिक ढांचा जो STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, गणित) विषयों पर केंद्रित है।
- अंग्रेजी में उच्च दक्षता रखने वाला कार्यबल।
- सरकार द्वारा अनुकूल नीतियाँ, प्रोत्साहन और पहल, जिससे उद्योग को निरंतर समर्थन मिला।
प्रमुख कंपनियाँ और बाज़ार संरचना
- प्रमुख आईटी कंपनियाँ:
- टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS)
- इन्फोसिस (Infosys)
- विप्रो (Wipro)
- एचसीएल टेक्नोलॉजीज (HCL Technologies)
- टेक महिंद्रा (Tech Mahindra)
- यह उद्योग स्थापित कंपनियों और नए स्टार्टअप्स का मिश्रण है, जो इसे गतिशील और प्रतिस्पर्धात्मक (Dynamic & Competitive) बनाता है।
वैश्विक स्थिति (Global Positioning)
- वैश्विक आईटी सेवाओं में बाजार हिस्सेदारी: भारत 67% वैश्विक बाजार हिस्सेदारी के साथ सबसे बड़ा आईटी स्रोत गंतव्य (Sourcing destination) है।
- IT क्षेत्र के लिए भारत क्यों पसंदीदा देश है?
- अन्य आउटसोर्सिंग देशों की तुलना में लागत प्रभावशीलता।
- उच्च गुणवत्ता वाली सेवाएँ तकनीकी विशेषज्ञता उपलब्ध है।
- वैश्विक कंपनियाँ आउटसोर्सिंग और ऑफशोरिंग के लिए भारत को प्राथमिकता देती हैं।
भारतीय आईटी कंपनियों द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाएँ
- कस्टम सॉफ्टवेयर समाधान : इसके अंतर्गत एप्लिकेशन डेवलपमेंट, वेब-आधारित सॉफ्टवेयर, एंटरप्राइज़ सॉफ्टवेयर शामिल है।
- आईटी आउटसोर्सिंग (IT Outsourcing):
- कॉल सेंटर – ग्राहक सहायता और टेलीमार्केटिंग सेवाएँ।
- डेटा प्रोसेसिंग – डेटा प्रबंधन और विश्लेषण।
- तकनीकी सहायता – सॉफ़्टवेयर और हार्डवेयर सहायता।
- क्लाउड कंप्यूटिंग और एआई सेवाएँ: इंफोसिस और टीसीएस जैसी कंपनियाँ एआई-संचालित समाधान और क्लाउड सेवाएँ प्रदान करती हैं।
- बिज़नेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग (BPO)
- प्रदान की जाने वाली सेवाएँ
- कस्टमर सर्विस – ग्राहक सहायता और तकनीकी हेल्पडेस्क।
- तकनीकी सहायता – आईटी और नेटवर्क से संबंधित समस्याओं के समाधान।
- डेटा एंट्री – डेटा प्रबंधन और सूचना प्रोसेसिंग सेवाएँ।
- वैश्विक बाज़ार: भारत का BPO क्षेत्र दुनिया में सबसे बड़ा और सबसे तेज़ी से बढ़ने वाले उद्योगों में से एक है।
- प्रदान की जाने वाली सेवाएँ
भारत में आईटी उद्योग का विकास
1960s-1970s: प्रारंभिक नींव
- भाभा समिति (1966): भारत में आईटी सेवाओं की नींव रखी।
- टीसीएस (1967): भारत की पहली आईटी कंपनी, जिसने सॉफ्टवेयर निर्यात की शुरुआत की।
- SEEPZ (1973): मुंबई में पहला सॉफ्टवेयर एक्सपोर्ट प्रोसेसिंग ज़ोन स्थापित।
1980s: नीतिगत उदारीकरण और समर्थन
- ड्यूटी-फ्री आयात नीति (1972): सॉफ्टवेयर निर्यात प्रतिबद्धता के लिए कंप्यूटर के शुल्क-मुक्त आयात की अनुमति।
- सॉफ्टवेयर निर्यात संवर्धन परिषद (1986): सॉफ्टवेयर निर्यात को बढ़ावा देने और उद्योग सहयोग को प्रोत्साहित करने के लिए स्थापित।
- आयात नियमों में उदारीकरण: सॉफ्टवेयर विकास के लिए प्रौद्योगिकी की आसान उपलब्धता।
1990s: आर्थिक उदारीकरण
- आर्थिक सुधार (1991): अर्थव्यवस्था के उदारीकरण के तहत:
- आयात शुल्क में कमी।
- सॉफ्टवेयर निर्यात के लिए कर छूट।
- NASSCOM की भूमिका: उद्योग के लिए अनुकूल नीतियों की वकालत (जैसे कर छूट, शुल्क में कमी)।
2000s: अवसंरचना विकास और वैश्विक एकीकरण
- STPI (1991): सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क्स ऑफ इंडिया की स्थापना, जिससे सॉफ़्टवेयर निर्यात के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर और कर प्रोत्साहन मिला।
- राष्ट्रीय आईटी नीति (2000): ई-गवर्नेंस, आईटी शिक्षा और अनुसंधान एवं विकास (R&D) को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया।
- विदेशी निवेश को प्रोत्साहन: विदेशी कंपनियों को भारत में पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियाँ स्थापित करने की अनुमति दी गई।
2010s: स्टार्टअप्स और डिजिटल पहलों पर ध्यान
- डिजिटल इंडिया (2015): डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर, डिजिटल साक्षरता, और ई-गवर्नेंस को बढ़ावा।
- स्टार्टअप इंडिया (2016): तकनीकी स्टार्टअप्स के लिए वित्तीय सहायता, कर छूट, और सरलीकृत विनियम।
- NGIS (2017): टेक्नोलॉजी स्टार्टअप्स के लिए इनक्यूबेशन सहायता।
2020s: निरंतर वृद्धि और नवाचार
- आत्मनिर्भर भारत (Atmanirbhar Bharat): घरेलू प्रौद्योगिकी निर्माण और नवाचार को बढ़ावा।
- नई उभरती प्रौद्योगिकियाँ: कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), मशीन लर्निंग, साइबर सुरक्षा, और ब्लॉकचेन के लिए अनुसंधान और वित्त पोषण कार्यक्रमों को प्रोत्साहन।
भारतीय आईटी उद्योग द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियाँ
- साइबर सुरक्षा और डेटा गोपनीयता जोखिम
- डिजिटल परिवर्तन (Digital Transformation) के कारण साइबर हमले और डेटा उल्लंघन बढ़ रहे हैं।
- समाधान: मजबूत साइबर सुरक्षा ढांचे और डेटा सुरक्षा प्रोटोकॉल की आवश्यकता।
- तेजी से बदलती तकनीकों के साथ तालमेल
- एआई (AI), ब्लॉकचेन (Blockchain), और IoT जैसी उभरती तकनीकों से प्रतिस्पर्धा।
- समाधान: अनुसंधान एवं विकास (R&D) में निरंतर निवेश और कर्मचारियों के री-स्किलिंग और अपस्किलिंग पर ध्यान देना।
- आर्थिक अनिश्चितता और वैश्विक अस्थिरता
- भू-राजनीतिक तनाव और मुद्रास्फीति आईटी खर्च और आउटसोर्सिंग की मांग को प्रभावित कर सकते हैं।
- समाधान: बदलते बाजार की स्थितियों के अनुसार अनुकूल रणनीतियाँ अपनाना।
- प्रतिभा की कमी और कौशल अंतराल
- AI, क्लाउड कंप्यूटिंग और ब्लॉकचेन जैसी उन्नत तकनीकों में कुशल पेशेवरों की कमी है।
- समाधान: उन्नत कौशल विकास (Upskilling Initiatives) और इंडस्ट्री-एकेडेमिया सहयोग को बढ़ावा देना।
- बढ़ती ग्राहक अपेक्षाएँ
- ग्राहक अधिक अनुकूलित (Tailored), चुस्त (Agile), और नवाचार-आधारित तकनीकी समाधान की माँग कर रहे हैं।
- समाधान: नवीनता और ग्राहक-केंद्रित रणनीतियाँ अपनाना।
- नियामक अनुपालन (Regulatory Compliance)
- विभिन्न बाजारों में विकसित और जटिल नियमों का पालन करना चुनौतीपूर्ण है। उदाहरण: यूरोप में GDPR अनुपालन, जो डेटा हैंडलिंग और भंडारण को प्रभावित करता है।
- समाधान: बहु-क्षेत्रीय अनुपालन बनाए रखने के लिए सक्रिय (proactive) रणनीतियाँ अपनाना।
- उच्च कर्मचारी पलायन दर (Employee Attrition Rates)
- युवा कर्मचारी बेहतर अवसरों की तलाश में बड़ी टेक कंपनियों में स्थानांतरित हो रहे हैं।
- समाधान: प्रतिधारण रणनीतियाँ (Retention Strategies), करियर विकास और कार्य-जीवन संतुलन पर ध्यान देना।
- ऑटोमेशन और एआई का नौकरियों पर प्रभाव
- एआई और ऑटोमेशन का एकीकरण पारंपरिक नौकरी भूमिकाओं को प्रतिस्थापित कर रहा है। उदाहरण: कॉल सेंटर की नौकरियाँ एआई-पावर्ड चैटबॉट्स द्वारा प्रतिस्थापित की जा रही हैं।
- समाधान: नए अवसरों के लिए श्रमबल को पुनः प्रशिक्षित (Reskilling Workforce) करना।
आईटी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकारी पहल
1. सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क्स ऑफ इंडिया (STPI) योजना (1991 में लॉन्च)
- उद्देश्य: कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और संबंधित सेवाओं के विकास और निर्यात को समर्थन देना।
- लाभ: कर छूट और उपकरणों के शुल्क-मुक्त आयात की सुविधा, जिससे वैश्विक बाज़ार में प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ी।
2. डिजिटल इंडिया (2015 में लॉन्च)
- उद्देश्य: भारत को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था में बदलना।
- प्रभाव: डिजिटल अवसंरचना (Infrastructure) में सुधार, डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा और ई-गवर्नेंस को मजबूत करना।
3. मेक इन इंडिया (2014 में लॉन्च)
- उद्देश्य: भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र (Manufacturing Hub) के रूप में स्थापित करना, जिसमें आईटी क्षेत्र भी शामिल है।
- प्रभाव: निवेश आकर्षित करना, नियमों को सरल बनाना, अनुसंधान केंद्र और विनिर्माण सुविधाएँ स्थापित करने के लिए प्रोत्साहन।
4. इंडिया BPO प्रमोशन स्कीम (IBPS) और नॉर्थ-ईस्ट BPO प्रमोशन स्कीम (NEBPS) (2016 में लॉन्च)
- उद्देश्य: छोटे शहरों में BPO संचालन को बढ़ावा देकर रोजगार के अवसर सृजित करना।
- प्रभाव: विभिन्न राज्यों में कई BPO इकाइयाँ स्थापित हुईं, जिससे स्थानीय स्तर पर रोजगार में वृद्धि हुई।
5. नेक्स्ट जेनरेशन इनक्यूबेशन स्कीम (NGIS) (2017 में लॉन्च)
- उद्देश्य: सॉफ्टवेयर उत्पाद पारिस्थितिकी तंत्र (Software Product Ecosystem) को समर्थन देकर तकनीकी स्टार्टअप्स के लिए एक सशक्त वातावरण तैयार करना।
6. राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति (NDCP) 2018
- उद्देश्य: डिजिटल बुनियादी ढांचे को मजबूत करना और ब्रॉडबैंड एक्सेस का विस्तार करना।
7. जेन-नेक्स्ट सपोर्ट फॉर इनोवेटिव स्टार्टअप्स (GENESIS) (2020)
- उद्देश्य: टियर-II और टियर-III शहरों में स्टार्टअप्स को बढ़ावा देना।
- प्रभाव: विभिन्न स्टार्टअप योजनाओं को एकीकृत किया। फंडिंग, क्षमता निर्माण और इनक्यूबेटर नेटवर्क को सशक्त किया।
8. इलेक्ट्रॉनिक घटकों और सेमीकंडक्टर निर्माण संवर्धन योजना (SPECS) (2020)
- उद्देश्य: भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण क्षमताओं को बढ़ावा देना।
- उपलब्धियाँ: विनिर्माताओं को वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करना और नवाचार को बढ़ावा देना, जिससे आयात पर निर्भरता कम हो।
9. राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर उत्पाद नीति (NPSP) – 2019
- उद्देश्य: भारत को वैश्विक सॉफ्टवेयर उत्पाद केंद्र के रूप में विकसित करना।
- लक्ष्य: वैश्विक सॉफ्टवेयर उत्पाद बाज़ार में भारत की हिस्सेदारी को दस गुना तक बढ़ाना और सॉफ़्टवेयर उत्पाद विकास के लिए एक सशक्त पारिस्थितिकी तंत्र बनाना।
10. कौशल विकास पहल (Skill Development Initiatives)
- कार्यक्रम: स्किल इंडिया जैसी योजनाएँ तकनीकी अनुसंधान एवं विकास (R&D) परियोजनाओं के लिए अनुदान और वित्तीय सहायता प्रदान करती हैं।
11. मेक इन इंडिया – इलेक्ट्रॉनिक निर्माण और आईटी हार्डवेयर (2014 में लॉन्च)
- उद्देश्य: भारत को आईटी हार्डवेयर निर्माण के वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करना।
- प्रभाव: मोबाइल फोन, सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक घटकों के लिए वैश्विक कंपनियों को भारत में विनिर्माण इकाइयाँ स्थापित करने के लिए आकर्षित करना।
डिजिटल इंडिया पहल
डिजिटल इंडिया कार्यक्रम (Digital India Programme)
- शुरुआत: 1 जुलाई, 2015
- मंत्रालय : इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MEITY)
- उद्देश्य: भारत को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था में बदलना, जिससे सभी नागरिकों को डिजिटल अवसंरचना, डिजिटल साक्षरता और डिजिटल सेवाओं की पहुँच सुनिश्चित हो।
दृष्टि (Vision):
- एक प्रमुख उपयोगिता के रूप में डिजिटल अवसंरचना:
- हाई-स्पीड इंटरनेट को को बुनियादी सुविधा के रूप में उपलब्ध कराना।
- प्रत्येक नागरिक के लिए विशिष्ट डिजिटल पहचान (जैसे आधार)।
- मोबाइल और बैंकिंग सेवाओं की सार्वभौमिक पहुँच।
- कॉमन सर्विस सेंटर्स (CSCs) की स्थापना, जिससे हर क्षेत्र में डिजिटल सेवाएँ उपलब्ध हों।
- मांग पर शासन और सेवाएँ (Governance and Services on Demand):
- विभिन्न विभागों के बीच सेवाओं का निर्बाध एकीकरण।
- वास्तविक समय में ऑनलाइन सेवाओं की उपलब्धता।
- सरकारी प्रक्रियाओं और सेवाओं का डिजिटलीकरण।
- नागरिकों का डिजिटल सशक्तिकरण:
- सार्वभौमिक डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा।
- क्षेत्रीय भाषाओं में डिजिटल संसाधनों की उपलब्धता।
- क्लाउड-आधारित सेवाओं और प्लेटफॉर्म्स तक आसान पहुँच।
डिजिटल इंडिया के 9 प्रमुख स्तंभ (9 Key Pillars of Digital India):
- ब्रॉडबैंड हाईवे (Broadband Highways):
- भारतनेट (BharatNet) परियोजना के तहत राष्ट्रव्यापी ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी।
- 2.5 लाख ग्राम पंचायतों को हाई-स्पीड इंटरनेट से जोड़ना।
- मोबाइल कनेक्टिविटी तक सार्वभौमिक पहुंच:
- मोबाइल नेटवर्क का विस्तार उन क्षेत्रों में करना जहाँ अब तक कवरेज नहीं है।
- सार्वजनिक इंटरनेट एक्सेस कार्यक्रम:
- कॉमन सर्विस सेंटर (CSCs) की स्थापना।
- ग्रामीण क्षेत्रों में वाई-फाई हॉटस्पॉट की स्थापना।
- ई-गवर्नेंस : तकनीक के माध्यम से सुधार :
- सरकारी सेवाओं को सरल और पारदर्शी बनाना।
- प्रमुख पहलें: DigiLocker, ई-हॉस्पिटल, MyGov।
- ई-क्रांति (e-Kranti: सेवाओं की इलेक्ट्रॉनिक डिलीवरी):
- शिक्षा, स्वास्थ्य, वित्तीय समावेशन, न्याय व्यवस्था जैसी सेवाओं को डिजिटल रूप से सक्षम बनाना।
- सभी के लिए सूचना (Information for All):
- ओपन डेटा प्लेटफॉर्म विकसित कर पारदर्शिता और नागरिक भागीदारी को बढ़ावा देना।
- सोशल मीडिया के माध्यम से नागरिकों से संवाद।
- इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण:
- मेक इन इंडिया (Make in India) पहल के तहत इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के घरेलू निर्माण को बढ़ावा।
- उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजनाओं के तहत वित्तीय सहायता।
- आईटी फॉर जॉब्स (IT for Jobs):
- युवाओं को आईटी और बीपीओ सेक्टर के लिए प्रशिक्षित करना।
- छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में बीपीओ इकाइयाँ स्थापित करना।
- अर्ली हार्वेस्ट प्रोग्राम (Early Harvest Programmes):
- आईटी-समर्थित समाधान जिनका शीघ्र प्रभाव दिखे।
- प्रमुख उदाहरण: बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम, SMS-आधारित मौसम सेवाएँ।
डिजिटल इंडिया की उपलब्धियाँ :
भुगतान में वृद्धि:
- UPI अब वैश्विक स्तर पर सक्रिय: फ्रांस, यूएई, सिंगापुर, भूटान, नेपाल, श्रीलंका और मॉरीशस में कार्यरत।
- UPI लेनदेन (2023): प्रति माह 8 बिलियन से अधिक लेनदेन।
डिजिटल पहुँच का विस्तार
- ग्रामीण इंटरनेट सब्सक्रिप्शन (2015-2021): 200% वृद्धि (शहरी क्षेत्रों में 158%)।
- मुख्य पहल: भारतनेट परियोजना, दूरसंचार विकास योजना, और आकांक्षी जिला योजना।
जीवन में बदलाव:
- प्रमुख डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म: CoWIN, आरोग्य सेतु, ई-संजीवनी, GeM, DIKSHA → 1.4 बिलियन नागरिकों के जीवन को प्रभावित कर रहे हैं।
डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से जीवन को आसान बनाना (Ease of living)
- आधार, UPI, डिजिलॉकर, UMANG, भाषिणी, GeM, DIKSHA जैसे प्लेटफार्म सेवाओं तक कुशल पहुंच सुनिश्चित करते हैं।
- जीवन प्रमाण (Jeevan Pramaan): पेंशनर्स को भौतिक उपस्थिति की आवश्यकता नहीं।
- माईस्कीम (MyScheme): पात्र सरकारी योजनाओं को खोजने की प्रक्रिया को आसान बनाता है।
आधार एकीकरण और प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT):
- पहचान प्रमाणीकरण के लिए 1.4 बिलियन से अधिक आधार उपयोगकर्ता।
- सब्सिडी और सरकारी लाभों में रिसाव को समाप्त करने के लिए DBT लागू किया गया।
डिजिटल साक्षरता:
- प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान (PMGDISHA): 6 करोड़ ग्रामीण नागरिकों को डिजिटल रूप से साक्षर बनाने का लक्ष्य।
डिजिटल स्वास्थ्य सेवा:
- आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन: डिजिटल स्वास्थ्य रिकॉर्ड के लिए लॉन्च किया गया।
- CoWIN, आरोग्य सेतु, ई-संजीवनी जैसे प्लेटफॉर्म डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं को सक्षम कर रहे हैं।
ऑनलाइन शिक्षा का विस्तार:
- DIKSHA और SWAYAM जैसे प्लेटफॉर्म ई-लर्निंग को बढ़ावा दे रहे हैं।
ई-गवर्नेंस का सशक्तिकरण:
- ई-हॉस्पिटल और ई-कोर्ट जैसे प्लेटफॉर्म सार्वजनिक सेवाओं को सुव्यवस्थित कर सुशासन को अधिक कुशल बना रहे हैं। (प्रशासनिक दक्षता में सुधार)
भ्रष्टाचार पर लगाम:
- प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) ने बिचौलियों की भूमिका समाप्त कर पारदर्शिता सुनिश्चित की।
स्टार्टअप इकोसिस्टम को बढ़ावा:
- भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप हब बना।
- प्रमुख पहल: TIDE 2.0, SAMRIDH योजना, 42 उत्कृष्टता केंद्र (CoEs) → नवाचार को प्रोत्साहित कर रहे हैं।
- MeitY स्टार्टअप हब और GENESIS (₹490 करोड़ का निवेश) → टियर-II और टियर-III शहरों में स्टार्टअप्स को बढ़ावा दे रहे हैं।
रोजगार सृजन :
- NEBPS और IBPS योजनाओं के तहत 52,000+ नौकरियाँ BPO सेक्टर में सृजित हुईं।
वैश्विक प्रभाव
- इंडिया स्टैक ग्लोबल: आधार, UPI, डिजिलॉकर, CoWIN जैसे प्रमुख प्लेटफॉर्म को संयुक्त राष्ट्र की सभी आधिकारिक भाषाओं में प्रदर्शित किया जा रहा है।
डिजिटल इंडिया कार्यक्रम “अधिकतम शासन, न्यूनतम सरकार” के सिद्धांत के तहत नागरिकों को सशक्त बना रहा है, नवाचार को बढ़ावा दे रहा है और शासन को अधिक कुशल बना रहा है।
डिजिटल इंडिया के तहत MeitY की प्रमुख पहलें
1. बुनियादी डिजिटल सेवाएँ:
- आधार (2009 में लॉंच, अधिनियम 2016):
- उद्देश्य: प्रत्येक निवासी को 12-अंकीय बायोमेट्रिक-आधारित अद्वितीय पहचान प्रदान करना।
- प्रभाव: 140 करोड़ से अधिक नामांकन।
- कानूनी आधार: आधार अधिनियम, 2016।
- कॉमन सर्विस सेंटर्स (CSCs) (2009):
- ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम स्तरीय उद्यमियों (VLEs) द्वारा सरकारी और व्यावसायिक सेवाएँ प्रदान करना।
- 5.84 लाख CSCs सक्रिय, जिनमें 4.63 लाख ग्राम पंचायत स्तर पर कार्यरत।
- राजस्थान में 23,035 CSCs, ग्रामीण डिजिटल कनेक्टिविटी को सशक्त कर रहे हैं।
- डिजिलॉकर (2015):
- सुरक्षित डिजिटल प्लेटफॉर्म जहां नागरिक अपने महत्वपूर्ण दस्तावेज़ स्टोर और साझा कर सकते हैं।
- UMANG (Unified Mobile Application for New-Age Governance) – 2017:
- उद्देश्य: नागरिकों को एक मोबाइल ऐप के माध्यम से सरकारी सेवाओं तक पहुँच प्रदान करना।
- विभिन्न ई-सेवाओं और बिल भुगतान सेवाओं तक पहुंच।
- डिजिटल पहचान और हस्ताक्षर: मेरी पहचान (MeriPehchaan – SSO), e-Sign।
- एपीआई सेतु: 6,000+ एपीआई के साथ निर्बाध डेटा विनिमय की सुविधा प्रदान करता है, 312.01 करोड़ लेनदेन का समर्थन करता है।
- MyGov Platform: नागरिक भागीदारी को बढ़ावा देने वाला प्लेटफॉर्म (4.89 करोड़ से अधिक पंजीकृत उपयोगकर्ता)।
2. स्टार्टअप और नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र:
- TIDE 2.0 योजना (2019): IoT, AI, रोबोटिक्स जैसी उभरती तकनीकों में 5 वर्षों में 2,000 स्टार्टअप्स को समर्थन।
- SAMRIDH योजना (2021): 3 वर्षों में ₹99 करोड़ के बजट के साथ 300 स्टार्टअप का समर्थन करने वाला स्टार्टअप्स एक्सेलेरेटर प्रोग्राम।
- राष्ट्रीय हित के विविध क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए कुल 42 उत्कृष्टता केंद्र (CoE) शुरू किए गए हैं।
- नेक्स्ट जेनरेशन इनक्यूबेशन स्कीम (NGIS) (12 शहरों में लॉन्च):
- टियर-II/III शहरों में 300 स्टार्टअप्स को बढ़ावा।
- GENESIS (2022): छोटे शहरों में स्टार्टअप्स को समर्थन और रोज़गार वृद्धि पर केंद्रित।
- अंतर्राष्ट्रीय पेटेंट संरक्षण के लिए समर्थन (SIP-EIT): स्टार्टअप/एमएसएमई द्वारा पेटेंट फाइलिंग के लिए ₹15 लाख तक की प्रतिपूर्ति।
- परिवेश पोर्टल: पर्यावरणीय मंजूरी प्रक्रियाओं को तेज, सरल और अधिक पारदर्शी बनाने हेतु।
- MeitY स्टार्टअप हब (MSH): संपूर्ण भारत में तकनीकी स्टार्टअप बुनियादी ढांचे को आपस में जोड़ने के लिए एक नोडल इकाई।
- ओपन गवर्नमेंट डेटा प्लेटफॉर्म
3. डिजिटल साक्षरता और कनेक्टिविटी:
- प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान (PMGDISHA) : 6.39 करोड़ ग्रामीण नागरिकों को प्रशिक्षित किया (लक्ष्य 6 करोड़ से अधिक)।
- राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क (NKN):
- शोध और सेवा वितरण के लिए हाई-स्पीड नेटवर्क, जो प्रमुख संस्थानों और जिला केंद्रों को जोड़ता है।
- भाषिणी (BHASHINI) पहल
- 22 अनुसूचित भारतीय भाषाओं में डिजिटल सेवाओं की उपलब्धता, जिससे भाषा संबंधी बाधाओं को दूर किया जा सके।
4. डिजिटल भुगतान और ई-गवर्नेंस:
- यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI):
- फ्रांस, UAE, सिंगापुर सहित 7 देशों में अपनाया गया।
- ई-हॉस्पिटल / ORS:
- ORS के माध्यम से बुक किए गए 68 लाख अपॉइंटमेंट के साथ 753 अस्पताल ऑनबोर्ड किए गए।
- CoWIN प्लेटफॉर्म: टीकाकरण पंजीकरण और प्रबंधन।
- ई-डिस्ट्रिक्ट मिशन मोड प्रोजेक्ट:
- 709 जिलों में 4,671 ई-सेवाएं प्रदान करता है।
5. इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण :
- संशोधित विशेष प्रोत्साहन पैकेज योजना (M-SIPS)
- इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर्स (EMC & EMC 2.0)
- प्रमुख अनुमोदन: हैदराबाद नॉलेज सिटी, तेलंगाना; न्यू एनर्जी पार्क, तेलंगाना; तमिलनाडु ईएमसी, कर्नाटक ईएमसी।
- SPECS परियोजनाएँ
- सेमीकॉन इंडिया कार्यक्रम:
- ₹91,526 करोड़ की मंजूरी – Tata Electronics (TEPL) और ताइवान की PSMC के सहयोग से सेमीकंडक्टर फैब निर्माण।
6. कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और डिजिटल नेतृत्व
- IndiaAI मिशन:
- एआई-संबंधित संसाधनों, स्टार्टअप और शैक्षिक अवसरों के केंद्र के रूप में राष्ट्रीय एआई पोर्टल (IndiaAI) का विकास।
- AIRAWAT परियोजना:
- 200 पेटाफ्लॉप्स क्षमता वाला AI अनुसंधान प्लेटफार्म।
- भारत टॉप 500 सुपरकंप्यूटिंग सूची में 75वें स्थान पर।
- रोबोटिक्स पारिस्थितिकी तंत्र विकास के लिए एक अंतर-मंत्रालयी समिति का गठन।
- वैश्विक एआई नेतृत्व:
- 6वां GPAI मंत्री परिषद बैठक (2023) – नई दिल्ली में आयोजित।
- भारत 2024 में GPAI (Global Partnership on AI) की अध्यक्षता करेगा (नैतिक और समावेशी एआई विकास पर केंद्रित)।
7. क्षमता निर्माण और कौशल विकास
- ESDM (इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम डिज़ाइन और निर्माण) क्षेत्र में दो कौशल विकास योजनाएँ।
- फ्यूचरस्किल प्राइम कार्यक्रम: AI, IoT, बिग डेटा, ब्लॉकचेन जैसे 10 उभरते तकनीकी क्षेत्रों में रीस्किलिंग।
8. सुपरकंप्यूटिंग और अनुसंधान: राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन(2015)
- लॉन्च: 2015
- द्वारा प्रबंधित: विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeITY)
- नेतृत्व: सी-डैक (C-DAC) और IISc, बैंगलोर
- बजट: 7 वर्षों में ₹4,500 करोड़
- उद्देश्य: सुपरकंप्यूटिंग बुनियादी ढांचे के माध्यम से भारत में अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देना।
- मुख्य विशेषताएं:
- बुनियादी ढांचा: 7 वर्षों में 70+ HPC सिस्टम, 64 पेटाफ्लॉप्स की कनेक्टेड कंप्यूटिंग शक्ति।
- देश भर में 70 से अधिक उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग (HPC) सिस्टम का नेटवर्क स्थापित करना।
- सभी सिस्टम राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क (NKN) के माध्यम से आपस में जुड़े होंगे, जिससे संस्थानों में निर्बाध डेटा ट्रांसफर सुनिश्चित होगा।
- स्वदेशी विकास: रूद्र सर्वर बोर्ड, त्रिनेत्र नेटवर्क कार्ड, सॉफ्टवेयर स्टैक, AUM HPC प्रोसेसर जैसे स्वदेशी घटकों को विकसित किया गया है।
- कौशल विकास: एचपीसी में 20,000 पेशेवरों को प्रशिक्षित करना।
- सहयोग: आईआईटी, आईआईएसईआर और अनुसंधान केंद्रों के साथ साझेदारी करना।
- Achievements:
- 2023 तक, 24 स्थानों पर 33 सुपरकंप्यूटिंग सिस्टम स्थापित किए गए हैं, जो कुल 32 पेटाफ्लॉप्स की क्षमता प्रदान करते हैं।
- प्रत्युष और मिहिर: मौसम और जलवायु पूर्वानुमान के लिए IITM (भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान) में स्थापित दो सुपर कंप्यूटर।
- भारत का शीर्ष-रैंक वाला सुपर कंप्यूटर, “परम सिद्धि“, मिशन के तहत विकसित किया गया, जिसने TOP500 सूची में 63वीं वैश्विक रैंकिंग प्राप्त की (2020 तक)।
- अन्य प्रमुख सुपरकंप्यूटर: परम शिवाय, परम शक्ति, परम ब्रह्मा, परम रुद्र।
9. साइबर सुरक्षा को मजबूत करना:
- साइबर सुरक्षित भारत पहल के तहत दिल्ली और केरल में कार्यशालाओं के माध्यम से 250+ अधिकारियों को प्रशिक्षित किया गया।
10. क्लाउड और डेटा सेवाओं में प्रगति
- राष्ट्रीय डेटा सेंटर: 100 PB क्षमता का विस्तार, गुवाहाटी में टियर-III NDC।
- मेघराज क्लाउड पहल: ई-गवर्नेंस के लिए ICT सेवाओं को बढ़ावा।
11. सरकारी कार्यों में क्रांति लाना : पेपरलेस गवर्नेंस
- DigiLocker: नागरिकों और अधिकारियों के लिए दस्तावेज़ प्रबंधन में क्रांति ला दी।
- GovDrive & Collab Files: दस्तावेज़ साझा करने और भंडारण के लिए सुरक्षित प्लेटफॉर्म।
- Gov Intranet: सरकारी अधिकारियों के लिए सुव्यवस्थित वर्कफ़्लो प्रबंधन।
डिजिटल भविष्य को सुरक्षित करने हेतु हालिया विधायी कार्रवाइयाँ
- डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023
- डेटा संग्रह के लिए स्पष्ट सहमति (Explicit Consent) अनिवार्य।
- डेटा न्यासियों (Data Fiduciaries) को डेटा की सटीकता, सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी और उपयोग के पश्चात उसे हटाना होगा।
- व्यक्तिगत अधिकार: जानकारी प्राप्त करने का अधिकार, डेटा संशोधन (Correction) एवं शिकायत निवारण का अधिकार।
- दंड: डेटा उल्लंघन (Data Breach) पर ₹250 करोड़ तक का जुर्माना।
- डेटा संरक्षण बोर्ड ऑफ इंडिया: डेटा-संबंधी विवादों का निपटारा करेगा।
- सामाजिक मीडिया पर प्रभाव: उपयोगकर्ता प्रमाणीकरण (User Verification) को बढ़ावा, जिससे अज्ञातता (Anonymity), ट्रोलिंग (Trolling), फेक न्यूज़ (Fake News) व साइबर बुलिंग (Cyberbullying) में कमी आएगी।
- प्रस्तावित डिजिटल इंडिया अधिनियम, 2023 (DIA) – संभावित विशेषताएँ:
- सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (IT Act, 2000) को प्रतिस्थापित करेगा।
- ऑनलाइन सुरक्षा, डेटा गोपनीयता एवं नैतिक कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Ethical AI) पर केंद्रित।
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और ब्लॉकचेन (Blockchain) जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों के लिए नियामक ढांचा।
- वियरेबल डिवाइसेस (Wearable Devices) हेतु “नो योर कस्टमर” (KYC) प्रक्रिया अनिवार्य।
- डिजिटल प्लेटफॉर्म के लिए ऑनलाइन जवाबदेही और “सेफ हार्बर” सिद्धांतों की समीक्षा।
- राष्ट्रीय डेटा शासन नीति (National Data Governance Policy – NGDP)
- डेटा को सार्वजनिक संपत्ति (Data as Public Good) मानकर शैक्षणिक संस्थानों और स्टार्टअप्स को गुमनाम डेटा (Anonymized Data) उपलब्ध कराना।
- डेटा-संचालित प्रशासन (Data-Driven Governance) को मजबूत बनाना एवं कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), डेटा विज्ञान (Data Science), और विश्लेषण (Analytics) में नवाचार को बढ़ावा देना।
- दूरसंचार अधिनियम, 2023 (Telecommunications Act, 2023)
- सरकार को साइबर सुरक्षा (Cybersecurity) और डेटा एन्क्रिप्शन (Data Encryption) मानकों को निर्धारित करने की शक्ति प्रदान करता है।
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