राजस्थान राज्य निर्वाचन आयोग का गठन जुलाई 1994 में किया गया था। इसका अध्यक्ष राज्य चुनाव आयुक्त होता है और इसका एक सचिव होता है जो राज्य का मुख्य निर्वाचन अधिकारी भी होता है।( 1 )
आयोग मतदाता सूची तैयार करने तथा पंचायती राज संस्थाओं के साथ-साथ नगर निकायों के लिए चुनाव कराने के माध्यम से अपने संवैधानिक कर्तव्य का निर्वहन करता है।
संविधान (73 वें और 74 वें – अनुच्छेद 243K) संशोधन अधिनियम, 1992 के तहत प्रत्येक राज्य/संघ शासित प्रदेश के लिए गठित राज्य चुनाव आयोग को निगमों, नगर पालिकाओं, जिला परिषदों, जिला पंचायतों, पंचायत समितियों, ग्राम पंचायतों और अन्य स्थानीय निकायों के चुनाव कराने की शक्तियाँ दी गई हैं। यह भारत के चुनाव आयोग से स्वतंत्र है।
नियुक्ति:
- राज्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति संबंधित राज्य के राज्यपाल द्वारा राज्य विधानमंडल द्वारा बनाए गए कानून (अनुच्छेद 243k(2)) के अनुसार की जाती है।
- कार्यकाल और सेवा की शर्तें भी राज्यपाल द्वारा निर्धारित की जाएंगी (अनुच्छेद 243k(2))।
निष्कासन:
- राज्य चुनाव आयुक्त को उसके पद से उसी तरीके और उसी आधार पर नहीं हटाया जाएगा, जिस पर उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाया जाता है (अनुच्छेद 243k(2))।
कार्य:
पंचायती राज संस्थाओं में चुनाव
राजस्थान में पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई) के चुनाव 1960 से हो रहे हैं। पहला चुनाव 1960 में पंचायत विभाग द्वारा करवाया गया था। इसके बाद, 1965, 1978, 1981 और 1988 में दूसरे, तीसरे, चौथे और पांचवें चुनाव निर्वाचन विभाग द्वारा करवाए गए।
पंचायती राज संस्थाओं के 6वें, 7वें, 8वें, 9वें और 10वें आम चुनाव एसईसी द्वारा 1995, 2000, 2005, 2010 और 2015 में आयोजित किए गए थे। एसईसी द्वारा 21 जिलों के 11वें आम चुनाव सितंबर-अक्टूबर, 2020 में आयोजित किए गए हैं।
नगर निकायों के चुनाव
राजस्थान में नगर निकायों के चुनाव स्थानीय स्वशासन विभाग द्वारा 1960 से आयोजित किये जा रहे हैं। पहला चुनाव 1963 में निर्वाचन विभाग द्वारा कराया गया था। इसके बाद 1970, 1972, 1974, 1976, 1982, 1986 में कुछ नगर निकायों के चुनाव निर्वाचन विभाग द्वारा कराये गये।
एसईसी द्वारा 1994 में 45 नगर निकायों के लिए तथा 1995 में 137 नगर निकायों के लिए आम चुनाव करवाए गए थे। इसके बाद 1999-2000, 2004-2005, 2009-2010 तथा 2014-2015 में इन निकायों के लिए आम चुनाव फिर से करवाए गए। एसईसी द्वारा जनवरी-फरवरी, 2021 में 91 नगर निकायों के लिए अंतिम आम चुनाव करवाए गए हैं।
- पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई) और शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) के चुनावों के लिए चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करना
- पंचायती राज संस्थाओं (अनुच्छेद 243के(1)) और शहरी स्थानीय निकायों (अनुच्छेद 243जेडए) के चुनाव के लिए मतदाता सूची की तैयारी का अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण।
- एससी, एसटी, ओबीसी, महिलाओं के लिए आरक्षित सीटें घोषित करना।
- पंचायती राज संस्थाओं और शहरी स्थानीय निकायों के लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना।
शक्ति और विशेषाधिकार:
- राज्य चुनाव आयोग का दर्जा भारत के चुनाव आयोग के समान है।
- राज्य निर्वाचन आयुक्त की सेवा की शर्तों में उसकी नियुक्ति के बाद उसके लिए अलाभकारी परिवर्तन नहीं किया जाएगा।
- राज्य चुनाव आयुक्त को उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के बराबर दर्जा, वेतन और भत्ते प्राप्त होते हैं।
महत्त्व:
- पंचायती राज संस्थाओं और शहरी स्थानीय निकायों के चुनावों में आदर्श आचार संहिता लागू करना ताकि समान अवसर सुनिश्चित किया जा सके और चुनावी प्रक्रिया की मर्यादा कायम रखी जा सके।
- पंचायती राज संस्थाओं और शहरी स्थानीय निकायों के स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों का संरक्षक।